Friday, April 28, 2017

नेहरु नाम रख सत्ता हथियाने का प्रयास : नेहरु गांधी परिवार का सच (भाग 2 ) - डा. राधेश्याम द्विवेदी

गंगाधर नेहरू @ गयासुद्दीन गाजी 

(बहमनी  सुल्तान अलाउद्दीन बहमनशाह से लेंकर 
स्वतंत्र भारत के प्रधानमंत्री नेहरु गांधी परिवार के सात सौ साल की टूटी फूटी दास्तान)

अंग्रेजों सिक्खों से बचने के लिए नेहरु नाम रखकर सत्ता हथियाने का प्रयास :- अलाउद्दीन हसन गंगू ने गद्दारी करके सिखों के गुरु गोविन्द सिंह के बेटों को औरंगजेब के हवाले करवा दिया था! इस कारण हिन्दू और सिख गंगू को ढून्ढ रहे थे। अपनी जान बचाने के लिए गंगू कश्मीर से भागकर डेल्ही गया जिसके बारे में औरंगजेब के वंशज, फरुख्शियर को पता चल गया। उसने गंगू को पकड़कर इस्लाम कबूल करने को कहा। बदले में उसे चादनी चैक के नहर के पार कुछ जमीन दे दी। अलाउद्दीन हसन गंगू के बेटे का नाम राजकोल था। उसके पुत्र का नाम गियासुदीन गाजी था। यही नेहरु परिवार का संस्थापक था। यही मोतीलाल नेहरु का पिता था। इसने अपना नाम बदलकर गंगाधर कर लिया था। यही गियासुदीन 1857 की क्रांति से पहले मुगल साम्राज्य के समय में दिल्ली शहर का कोतवाल हुआ करता था। और 1857 कि क्रांति के बाद, जब अंग्रेजों का भारत पर अच्छे से कब्जा हो गया तो अंग्रेजों ने मुगलों का कत्ल--आम शुरू कर दिया था। ब्रिटिशर्स ने मुगलों का कोई भी दावेदार रह जाये, इसके लिए एक तरफ से खोज खोज करके सभी मुगलों और उनके उत्तराधिकारियों का सफाया करना शुरु कर दिया था। दूसरी तरफ अंग्रेजों ने हिन्दुओं पर कोई निशाना नहीं किया। अगर किसी हिन्दू के तार मुगलों से जुड़े हुए थे तो उन पर भी गाज गिरती थी। अब इस बात से डरकर कुछ मुसलमानों ने हिन्दू नाम अपना लिए। इससे उन्हें छिपने में आसानी हो जाती थी।
नेहरु वंश मूलतः सुन्नी बहमनी परिवार :- गंगाधर असल में एक सुन्नी मुसलमान था, जिसका असली नाम गयासुद्दीन गाजी था। नेहरू ने खुद की आत्मकथा में एक जगह लिखा था कि उनके दादा अर्थात मोतीलाल के पिता गंगा धर थे, ठीक वैसा ही जवाहर की बहन कृष्णा ने भी एक जगह लिखा है कि उनके दादाजी मुगल सल्तनत (बहादुरशाह जफर के समय) में नगर कोतवाल थे। अब इतिहासकारों ने खोजा तो पाया कि बहादुरशाह जफर के समय कोई भी हिन्दू इतनी महत्वपूर्ण ओहदे पर नहीं था। और खोजबीन पर पता चला कि उस वक्त के दो नायब कोतवाल हिन्दू थे नाम थे भाऊ सिंह और काशीनाथ, जो कि लाहौरी गेट दिल्ली में तैनात थे, लेकिन किसी गंगाधर नाम के व्यक्ति का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला गंगाधर नाम तो बाद में अंग्रेजों के कहर से डर कर बदला गया था, असली नाम तो था गयासुद्दीन गाजी। इस गियासुदीन ने भी हिन्दू नाम अपना लिया। इसने अपना नाम रखा गंगाधर रखा। चूंकि उन्हें दिल्ली के किसी नहर के पास का भूक्षेत्र गुजारे में मिला था। इसलिए नहर के पास रहने के कारण उसने अपना उपनाम नेहरु रख लिया। उस समय लाल-किले के नजदीक एक नहर के किनारे पर यह परिवार रहा करता था।
मोतीलाल नेहरू
भारत सरकार हमेशा से इस तथ्य को छिपाती रही है उस समय सिटी कोतवाल का दर्जा आज के पुलिस कमिश्नर की तरह एक बहुत बड़ा दर्जा हुआ करता था। उस समय मुगल साम्राज्य में कोई भी बड़ा पद हिन्दुओं को नहीं दिया जाता था। विदेशी मूल के मुस्लिम लोगों को ही ऐसे पद दिए जाते थे। जवाहर लाल नेहरु कि दूसरी बहिन कृष्णा ने भी ये बात अपने संस्मरण में कही है कि जब बहादुर शाह जफर का राज था तब उनका दादा सिटी कोतवाल हुआ करते थे। जवाहरलाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा में कहा गया है कि उन्होंने अपने दादा की एक तस्वीर देखी है जिसमे उनके दादा ने एक मुगल ठाकुर की तरह कपडे पहने हुए चित्र में दिखाई देते हंै। वह लंबे समय से और बहुत मोटी दाढ़ी रखते हुए मुस्लिम टोपी पहने रहते थे। उनके हाथ में दो तलवारें थीं। उनके दादा और परिवार को अंग्रेजों ने हिरासत में ले लिए थे।
मोतीलाल के दो बदमाश बेटे :-मोतीलाल के दो बदमाश बेटे भी थे जो कि अन्य मुस्लिम महिलाओं से पैदा हुए थे जिनके नाम क्रमशः शैख अब्दुल्ला और सैयद हुसैन थे विजयलक्ष्मी सैयद हुसैन के साथ भाग गईं जो कि रिश्ते में उसका भाई ही था। जिससे उसे एक बेटी हुई जिसका नाम चंद्रलेखा था। बाद में विजयलक्ष्मी की शादी आर एस पंडित से की गई जिससे उसे दो बेटियां हुईं नयनतारा और रीता जवाहरलाल की शादी तो कमला कौल से हुई थी। उनका श्रद्धा माता नामक एक धार्मिक महिला से भी सम्बन्ध रहा जिससे उसे एक बेटा भी हुआ जो दूर बेंगलोर में अनाथालय में या कोंवेन्ट में छोड़ दिया गया और श्रधा माता लापता हो गईं जवाहरलाल के लेडी माउन्ट बेटन से भी सम्बन्ध रहे। अन्य कई महिलाओं से संबंधों के कारण अंत में सिफलिस नामक बीमारी से उनका निधन हुआ था। कमला कौल और मुबारक अली से उत्पन्न हुई इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरु। कमला कौल का फिरोज खान (जूनागढ़ वाले नबाब खान का बेटा )से भी सम्बन्ध रहे। किन्तु कोई संतान नहीं हुई ये वही फिरोज खान है जिसका बाद में इंदिरा से निकाह हुआ और उसे मैमुना बेगम बनना पड़ा।
जवाहर लाल नेहरु
नेहरु राजनीतिज्ञ और प्रतिभाशाली इंसान :- उन दिनों जवाहर लाल नेहरु एक ऐसा व्यक्ति था जिसे पूरा भारत इज्जत कि नजर से देखता है। वह निस्संदेह एक बहुत ही प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ और एक प्रतिभाशाली इंसान था। लेकिन कमाल कि बात देखिये कि उसके जन्म स्थान पर भारत सरकार ने कोई भी स्मारक नहीं बनवाया है। जवाहर लाल का जन्म 77 , मीरगंज, इलाहाबाद में एक वेश्यालय में हुआ था इलाहाबाद में बहुत लम्बे समय तक वह इलाका वेश्यावृति के लिए प्रसिद्द रहा है और ये अभी हाल ही में वेश्यालय नहीं बना है, जवाहर लाल के जन्म से बहुत पहले तक भी वहां यही काम होता था। उसी घर का कुछ हिस्सा जवाहर लाल नेहरु के बाप मोतीलाल ने लाली जान नाम कि एक वेश्या को बेच दिया था जिसका नाम बाद में इमाम-बाड़ा पड़ा। बाद में मोतीलाल अपने परिवार के साथ आनंद भवन में रहने गए। आनंद भवन नेहरु परिवार का पैतृक घर तो है लेकिन जवाहर लाल नेहरु का जन्म स्थान नहीं।
आशिक मिजाजी : - जवाहर लाल नेहरू और माउंटबेटन एडविना (भारत, लुईस माउंटबेटन को अंतिम वायसराय की पत्नी) के बीच गहन प्रेम प्रसंग था. सरोजिनी नायडू की पुत्री पद्मजा नायडू के साथ भी प्रेम प्रसंग चल रहा था, जिसे बंगाल के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था। जवाहर लाल नेहरु अपने कमरे में पद्मजा नायडू की तस्वीर रखते थे, जिसे इंदिरा गाँधी हटा दिया करती थी! घटनाओं के कारण पिता-पुत्री के रिश्ते तनाव से भरे रहते थे। उपरोक्त सम्बन्धों के अतिरिक्त भी जवाहर लाल नेहरु के जीवन में बहुत सी अन्य महिलाओं से नाजायज ताल्लुकात रहे हैं।नेहरु का बनारस की एक सन्यासिन शारदा(श्रद्धा) माता के साथ भी लम्बे समय तक प्रेम प्रसंग चला। यह सन्यासिन काफी आकर्षक थी और प्राचीन भारतीय शास्त्रों और पुराणों में निपुण विद्वान थी! अमिताभ बच्चन की माँ तेजी बच्चन का प्रेम प्रसंग भी जवाहर लाल नेहरु के साथ था।

(शेष अगले भाग 3 में)

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