अयोध्या इक्ष्वाकु वंशी पांच जैन तीर्थैंकरों की भी जन्मभूमि
डा. राधे श्याम द्विवेदी
रामभक्तों के अलावा जैन अनुयायियों के लिए भी पवित्र नगरी है । मंदिर के कारण अयोध्या विश्व में प्रसिद्ध हो गया। आज हम आपको बता रहे हैं कि यह नगरी केवल रामभक्तों के ही लिए पवित्र नहीं है, बल्कि जैन और बौद्ध धर्म का संयुक्त तीर्थ स्थल है। जैन मत के अनुसार यहां प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ ऋषभनाथ सहित 5 तीर्थंकरों का जन्म हुआ था। अयोध्या में आदिनाथ ( ऋषभदेव) के अलावा अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ और अनंतनाथ का भी जन्म हुआ था।
जैन धर्म के सभी 24 तीर्थंकरों का जन्म भगवान श्रीराम के इक्ष्वाकु वंश से माना जाता है। इसमें पांच तीर्थंकर का जन्म अयोध्या में हुआ था। अयोध्याको अब तक केवल भगवान् राम की जन्मस्थली के रूप में देखा जा रहा है लेकिन वास्तविकता यह है कि अयोध्या हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्म का संयुक्त तीर्थ स्थल है। अयोध्या न केवल हिन्दुओं के लिए पवित्र नगरी है बल्कि जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी पवित्र नगरी है।
प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव का जन्म अयोध्या में चैत्रबदी अष्टमी को हुआ था। दूसरे तीर्थंकर अजितनाथ का जन्म माघ शुदी अष्टमी को हुआ था। चौथे तीर्थंकर अभिनंदन स्वामी का जन्म अयोध्या में माघ शुदी द्वितीया को हुआ था। पांचवें तीर्थंकर सुमतिनाथ का जन्म अयोध्या में वैशाखसुदी अष्टमी को हुआ था। 14वें तीर्थंकर अनंतनाथ का जन्म अयोध्या में वैशाख बदी त्रयोदशी को हुआ था।
श्रीरामजन्मभूमि के पीछे आलमगंज कटरा मोहल्ला में जैन श्वेतांबर मंदिर है। कटरा मोहल्ला में जैन मंदिर बहुत ही भव्य बना हुआ है जहां पांचों तीर्थंकरों की बहुत ही सुंदर मूर्ति विराजमान है।यहाँ जैन समाज की आबादी नहीं है, इसलिए आसपास के घरों के हिंदू बेटियों को पूजा-आरती पद्धति सिखाई गई है। अयोध्या के हिंदू श्रधालु जैन तीर्थंकरों की आरती-पूजा विधिवत करते हैं। आखिरकार यह धर्म अयोध्या से ही है, सभी तीर्थंकर इक्ष्वाकु वंश से हैं, जो श्रीराम के पूर्वज हैं।
अयोध्या में एक दिगंबर जैन मंदिर है जहां ऋषभदेवजी का जन्म हुआ था। ऋषभदेव को आदिनाथ, पुरदेव, वृषभदेव व आदिब्रह्म आदि नामों से भी जाना जाता है।त्रेतायुग कालीन इस मंदिर को बाद में चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था।इस स्थान पर ऋषभदेव की 31 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है जो बड़ी मूर्ति के नाम से प्रसिद्ध है।
दूसरे तीर्थंकर अजितनाथ का जन्म अयोध्या में बकसारिया टोला में हुआ था। इस जगह को बेगमपुरा भी कहा जाता है। यहां उनके लिए समर्पित एक मंदिर है जिसका नाम ‘अजीतनाथ की टोक’ है।
अयोध्या में चौथे तीर्थंकर अभिनंदन स्वामी का जन्म रामकोट मुहल्ला में हुआ था। यहां श्री रत्नपुरी जैन श्वेतांबर मंदिर स्थापित है।
पांचवें तीर्थंकर श्री सुमतिनाथ का जन्म अयोध्या में मुहल्ला मोनधियाना राजघाट में हुआ था। यहां उन्हें समर्पित एक मंदिर है।
मोहल्ला-मोन्धिआना राजघाट, अयोध्या में 14 वें तीर्थंकर श्री अनंतनाथ का जन्म वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष के 13वें दिन हुआ था। यहां उन्हें समर्पित एक मंदिर है।
विभिन्न कल्याणक कार्यक्रम:-
पांचों तीर्थंकरों के साल में होने वाले विभिन्न कल्याणक कार्यक्रमों में देश-विदेश के बड़े उद्योगपति समूह के परिवार समेत अनुयायियों का जमावड़ा यहां के अर्थतंत्र को हमेशा ऊंचाई देता है। यहां इन तीर्थंकरों के जीवन से संबंधित 18 कल्याणक भी घटित हुए हैं। रत्नपुरी
फैजाबाद जिले में सोहावल स्टेशन से डेढ़ मील दूरी पर है। धर्मनाथ स्वामी के चार कल्याणक यहाँ हुए हैं।यहां देश-विदेश से जैन समुदाय के लोग आते-जाते हैं।कल्याणक आयोजनों में देश-विदेश से जैन समाज के लोग आते हैं। यहाँ जैन धर्म के दो पीठ दिगंबर व श्वेताबंर है।
पांच एकड़ जमीन सरकार दान में देगी:-
जैन तीर्थ को विकसित करने में केंद्र सरकार पांच एकड़ भूमि देने की तैयारी कर रही है। जैन समाज के पास अभी सात एकड़ भूमि है। पांच तीर्थंकरों के चरण स्थानों का जीर्णोद्धार करने की योजना है। दिगंबर जैन अयोध्या तीर्थ क्षेत्र कमेटी के मंत्री मनोज जैन ने बताया कि पांच तीर्थंकरों के चरण चिन्हों का भी विकास किया जाएगा। इसके लिए समिति के द्वारा तैयारी की जा रही है। आने वाले समय में जैन धर्म प्रेमियों के साथ अन्य सभी के लिए अयोध्या एक अलग धार्मिक स्वरूप नजर आएगा।
तीर्थंकरों की इन तिथियों पर कार्यक्रम होते हैं :-
१. प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव के पिता के नाम नाभिराजा व माता का नाम मरूदेवी था। इनका जन्म चैत्रबदी आठ और मृत्यु माघ बदी 13 को हुआ था।
२. दूसरे तीर्थंकर अजितनाथ का जन्म माघ शुदी आठ को हुआ था। उनके पिता का नाम जितशत्रु व माता का नाम विजया था। उनकी मृत्यु चैत्र शुदी पांच को सम्मेेतशिखर में हुई थी।
३. चौथे तीर्थंकर अभिनंदन स्वामी का जन्म अयोध्या में माघ शुदी दो को और मृत्यु वैशाख शुदी आठ को सम्मेतशिखर में हुई थी।
४. पांचवे तीर्थंकर सुमतिनाथ का जन्म अयोध्या में वैशाखसुदी आठ को और मृत्यु सम्मेतशिखर में चैत्रसुदी नौ को हुई थी।
५. 14वें तीर्थंकर अनंतनाथ का जन्म अयोध्या में वैशाख बदी 13 व मृत्यु सम्मेतशिखर में चैत्र शुदी 5 को हुई थी।
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