लगभग 40 साल पहले तत्कालीन कांग्रेस सरकार
की पहल पर वर्ष 1978 में शुरू की गई सरयू नहर परियोजना
का उद्देश्य बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीर नगर, कुशीनगर, और गोरखपुर जिलों
में घाघरा, सरयू व राप्ती नंदियों में उपलब्ध जल को 9349 किलोमीटर नहरों के जरिए किसानों
के खेतों तक पहुंचाना था. इसके साथ ही परियोजना में नहरों से भीतरी इलाकों को जोड़ने
के लिये 9250 किलोमीटर नालों (माइनर) का भी निर्माण किया जाना था. यह नहरें व नाले
से होकर गुजरनी थी. परियोजना में बनने वाली नहरों से इन जिलों के 12 लाख हेक्टेयर कृषि
भूमि को सिंचाई का लाभ मिलने वाला था. नहर के शुरू हो जाने पर घाघरा व राप्ती से इन
इलाकों में हर साल आने वाली बाढ़ से भी निजात भी मिल सकती थी. इसके अलावा संवर्धन
नलकूप योजना में 100 (सौ) नलकूपों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया था लेकिन 40 साल पूरे
होने के बाद भी लक्ष्य के विपरीत बहराइच जिले में ही उद्गम स्थल गिरिजा बैराज के निकट
अतिरिक्त रेगूलेटर का निर्माण अधूरा पड़ा है। परियोजना को पूरा करने के लिए सभी सरकारों
ने बजट मुहैय्या कराया है और योजना बनाते समय अनुमानित लागत से बीस गुना ज्यादा धनराशि
व्यय की जा चुकी है और अभी भारी भरकम धनराशि की दरकार विभाग को बनी हुई है।प्रभावित
जिलों के किसानों के लिए स्थायी मुसीबत से कम नहीं है। योजना के तहत घाघरा, सरयू और
ताप्ती नदियों के पानी से 9 जिलों के करीब
बारह लाख हेक्टेयर खेतों की सिंचाई होनी थी।
यूपी का सरदार सरोवर
बनी सरयू नहर परियोजना :- प्रदेश में जो भी
सरकार आती है, वह हमेशा अपनी प्राथमिकता किसानों को ही बताती है. पर, यह सरकारें किसानों
के प्रति वास्तव में कितनी संजीदा थीं इसकी बानगी देखनी हो तो सरयू नहर परियोजना के
निर्माण में बरती गई लापरवाही पर नजर डाल लें. वर्ष 1978 में 78 करोड़ रुपये की लागत
का अनुमान लगाकर शुरू की गई यह परियोजना वर्ष 2017 आते-आते 10 हजार 700 करोड़ रुपये
की हो चुकी है. बावजूद इसके नहर का काम अब भी पूरा होना बाकी है. सेंट्रल यूपी व पूर्वाचल
के 9 जिलों की जमीनों की प्यास बुझाने के लिये प्रस्तावित यह योजना अब भी अपने अंजाम
को तरस रही है. आलम यह है कि अब तो किसान भी सरयू नहर योजना को यूपी की सरदार सरोवर
योजना कहने लगे हैं. राप्ती व घाघरा के पानी को टेल तक पहुंचाने के लिए
9205 किमी. नहर बनाई गई हैं लेकिन जिले में सिंचाई धेला भर क्षेत्रफल में नहीं हो पा
रही है। 40 सालों में कुल छत्तीस सौ नलकूप लगाने व नौ हजार किलोमीटर कुलावों का निर्माण
कार्य भी पूरा हो चुका है लेकिन जिले के किसानों के लिए यह महज सफेद हाथी भर है। खंड-खंड
में बनी सरयू नहर परियोजना की नहरें कहीं सड़कों के कारण अलग-थलग हैं तो कहीं रेल पटरियां
व्यवधान बनी हुई हैं। अधिग्रहण के लिए काफी पहले जमीनों को चिह्नित कर लिया गया है,
पर बजट न मिलने की वजह से अधिग्रहण संभव न हो सका। हालांकि किसानों के आंदोलित हो जाने
के अंदेशे की वजह से भी जमीन अधिग्रहण रुका है। इसी वजह से वित्तीय वर्ष 2011-12 में
भी लक्ष्य के सापेक्ष जमीन अधिग्रहण नहीं हो सका था। वित्तीय वर्ष 2012-13 शुरू हुआ,
तो फिर अफसरों के सामने बजट आवंटन मुसीबत बन गया। इसी दौरान शासनस्तर पर परियोजना को
केंद्रीय परियोजना का दर्जा दिलाने की कोशिश शुरू हो गई। काफी मशक्कत के बाद परियोजना
को पिछले अक्तूबर में केंद्रीय दर्जा तो मिल गया, पर केंद्र सरकार से कोई बजट नहीं
मिला। इतना ही नहीं बीते वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार ने अपने हिस्से की धनराशि भी
परियोजना को नहीं मुहैया कराई। साल की शुरुआत में प्रदेश सरकार ने लगभग 35 करोड़ रुपए
का आवंटन किया। इसके बाद फिर इंतजार होता रहा। कई महीने तक अफसर बजट आवंटन पर निगाह
गड़ाए रहे, पर कुछ नहीं मिला। खैर, साल के अंत में परियोजना को फिर प्रदेश सरकार ने
बजट प्रदान कर दिया है। हिस्सेदारी के तहत दस प्रतिशत
प्रदेश सरकार को और नब्बे प्रतिशत भारत सरकार को धन देना था। सरकारें आई और गई, । वर्ष
2010 में 72 सौ करोड़ की संशोधित परियोजना फिर बनी। लेकिन धन नहीं मिला। कुछ धन परियोजना
के शुरूआती दौर में अवमुक्त भी हुआ। जिसके तहत सात खंडों में बटे सरयू नहर खंड के अभियंताओं
ने मनमाना टेंडर निकाल चहेतों को काम सौंपा और धन का बंदरबांट कर गए।
40 साल बाद भी सरयू नहर में पानी का इंतजार :-शुरुआती दौर में इस परियोजना की लागत 78. 68 करोड़ थी, लेकिन समय से योजना पूरा नहीं होने से काफी बढ़ गई। वर्ष 2017 तक इस परियोजना पर 5185 करोड़ खर्च हो चुके है। वैसे दिसंबर 2019 तक परियोजना को पूर्ण किए जाने का शासन का निर्देश है। यदि परियोजना समय से पूरी हुई तो नौ जिलों के 12 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी। घाघरा व राप्ती नदी में आने वाली बाढ़ को रोकने और लंबी नहरों का जाल बिछाकर खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए सरयू नहर परियोजना को अमल में लाया गया।
11,000
करोड़ खर्च करके भी पूरी नहीं हुईं 2300 करोड़ की नहर परियोजनाए :-योगी सरकार ने बरसों से अटकीं
नहरों की जिन पांच परियोजनाओं के लिए बजट में 4683 करोड़ रुपये दिए हैं, उनकी साल
दर साल बढ़ती लागत से न जानें कितने अफसर और नेता मालामाल हो गए। भ्रष्टाचार और
लापरवाही का ही नतीजा है कि सिर्फ 2302 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की लागत आज
बढ़कर 22913 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। भ्रष्टाचार का इससे बढ़ा नमूना क्या होगा
कि मूल लागत का पांच गुना 11022 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी ये नहरें पानी से
कोसों दूर हैं। योगी सरकार ने मध्य गंगा परियोजना फेज-2, अर्जुन सहायक परियोजना,
कनहर सिंचाई परियोजना, बाण सागर परियोजना और सरयू नहर परियोजना को पूरा करने के
लिए वर्ष 2018-19 के बजट में जरूरी धन की व्यवस्था कर दी है। जितनी राशि का अगले
वित्त वर्ष में उपयोग हो सकता है, उसे दे दिया गया है। शेष राशि उसके अगले वित्त
वर्ष में देने की व्यवस्था भी कर ली है, ताकि परियोजनाएं जल्द पूरी हो सकें।
सरयू नहर परियोजना : 14 लाख हेक्टेयर
क्षेत्र में हो सकेगी सिंचाई :-सरयू नहर
परियोजना की लागत में सवा सौ गुने से ज्यादा की वृद्धि हो चुकी है। इस परियोजना के
पूरे होने पर 9 जिलों-बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, सिद्धार्थनगर, बस्ती,
संतकबीरनगर, गोरखपुर और महराजगंज की 14 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई हो सकेगी।
सिर्फ 78 करोड़ रुपये की इस परियोजना पर 5185 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद इसे
पूरा करने के लिए 4617 करोड़ रुपये की अभी और जरूरत है। इस परियोजना में पांच
नदियों सरयू, घाघरा, बाण गंगा, राप्ती और रोहिणी को मिलाकर सिंचाई सुविधाएं देने
की योजना है। करीब दो महीने पहले सीएम ऑफिस ने परियोजना की समीक्षा की तो चौंकाने
वाले तथ्य सामने आए। परियोजना के लिए जरूरी जमीन के ज्यादातर हिस्से का अधिग्रहण
ही नहीं हुआ था। परियोजना के लिए 21 हजार किसानों से कुल 508 हेक्टेयर जमीन ली
जानी है, पर अब तक मात्र 26 हेक्टेयर जमीन का ही सिंचाई विभाग के पक्ष में बैनामा
हो पाया है। जमीन अधिग्रहण के मद में दिए गए 580 करोड़ रुपये में से सिर्फ 29
करोड़ रुपये ही खर्च हो पाए हैं।
योगी सरकार ने धन का आवंटन किया :- उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए अहम और बीते 40 वर्षों से पूरा होने की राह देख रही सरयू नहर परियोजना को अगले साल तक पूरा करने का दावा किया है। प्रदेश की योगी सरकार ने इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना के लिए इस बार के बजट में धन का आवंटन किया है। राज्य के सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह ने आज बताया कि सिंचाई की 3 अहम परियोजनाओं को 2,054 करोड़ रुपये के साथ पूरा किया जाना है। उन्होंने कहा कि इनमें सबसे अहम 1978 से लंबित सरयू नहर परियोजना को 2019 तक पूरा किया जाना है। पिछले 40 साल से इस परियोजना पर कई बार काम बंद हो चुका है। सरयू नहर परियोजना राज्य के एक दर्जन जिलों से होकर गुजरती है।
सरयू नहर परियोजना के अधिशासी अभियन्ता मनोज कुमार सिंह निलम्बित :- शासन ने सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना में भूमि अधिग्रहण आदि कार्यों में अनियमितता, लापरवाही एवं आदेशों की अवहेलना के आरोप में गोण्डा के सरयू नहर खण्ड के अधिशासी अभियन्ता महेश कुमार सिंह को निलम्बित कर दिया है। सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह के निर्देश पर शासन ने 31 अगस्त 2018 को अधिशासी अभियन्ता को निलम्बित करने का आदेश जारी किया।
बाढ़
पूर्वांचल के जिलों के लिए लाभकारी :- सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि अगले साल से बाढ़ पूर्वांचल के 9 जिलों के लिए विनाशकारी नहीं बल्कि लाभकारी होगी। दावा किया कि 1978 से लंबित सरयू नहर परियोजना को 2019 तक पूर्ण कर लिया जाएगा। सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश सरयू नहर का कार्य प्रगति पर है। इसके पूर्ण हो जाने से बाराबंकी सहित पूर्वांचल के 9 जिलों में बाढ़ के पानी का सद्उपयोग हो सकेगा।
किसानों को 4 गुना मुआवजा :- धर्मपाल सिंह ने कहा कि कि इस परियोजना में
भूमि अधिग्रहण के लिए किसानों
को 4 गुना मुआवजा दिया गया है। केंद्र ने परियोजना के लिए अपने हिस्सों का धन प्रदान कर दिया था। आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती सरकारों ने अपने हिस्से का धन नहीं दिया। इसलिए यह परियोजना ठप पड़ गई। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार ने इसके धन प्रदान कर दिया है, साथ ही सरयू नहर परियोजना को पूरा करने के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं। सरयू नहर परियोजना पूरी होने पर गोरखपुर, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीरनगर और महराजगंज के किसानों न केवल सिंचाई के लिए जल उपलब्ध होगा बल्कि घाघरा नदी से आने वाली बाढ़ से भी निजात मिलेगी।
प्रदेश की सूख चुकी नदियों को पुनर्जीवन देने के लिए 6 जिलों
में 6 नदियां चिह्नित की गईं हैं जिन पर 10 मार्च से काम शुरू किया जाएगा। गोमती, वरुणा, सई, अरैल, सोथ के साथ-साथ तमसा नदी को उनके उद्गम से पुनर्जीवित किया जाएगा। नदियों को उनके स्वरूप में लाने का काम भी सिंचाई विभाग करेगा। साथ ही गंगा और गोमती नदी में भविष्य में रिवर एयरपोर्ट बनाया जाएगा। सिंचाई मंत्री ने एक संवाददाता सम्मेलन में अपने विभाग के कामकाज की जानकारी दी और साथ बजट में योजनाओं के लिए धन आवंटन का विस्तृत ब्यौरा भी दिया। उन्होंने कहा कि सरकार के बजट में राज्य के विकास के लिए बहुत कुछ है और इस बजट के साथ उत्तर प्रदेश में विकास कार्य को आगे बढ़ाया जाएगा। सिंह ने कहा कि योगी सरकार की प्राथमिकता में गांव-गांव तक बिजली पहुंचाना शामिल है। उन्होंने कहा कि उन्हें बहुत बदनाम विभाग मिला था। सिंचाई विभाग में बहुत सी अनियमितताएं थीं लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ काम करते-करते काफी कुछ बदल चुका है। सिंचाई विभाग की 3,604 हेक्टेयर भूमि पर कब्जा था जिसमें से 1,284 हेक्टेयर भूमि से कब्जा हटवाया जा चुका है।
बाढ़ की आपदा से निपटने के लिए तैयार :-सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि गोरखपुर प्रशासन बाढ़ की आपदा से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। राजस्व मण्डल गोरखपुर में सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के 1003 किलोमीटर के लम्बाई में 144 तटबंध निर्मित हैं। इन तटबंध से 6 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल को सुरक्षा प्रदान की जाती है। अकेले गोरखपुर जिले में 457 किलोमीटर के 65 तटबंध हैं। लगातार बारिश के बाद घाघरा, राप्ती खतरे के निशान के आसपास हैं लेकिन किसी तटबंध को क्षति नहीं पहुंची है।