हिंदू-सनातन धर्म के संस्कार और परंपराएं
हिंदू या सनातन धर्म से उत्पन्नित अनेक पंथ संप्रदाय, परंपराएं, आंदोलन और संप्रदाय हिंदू धर्म के भीतर फल फूल रहे हैं। यह धर्म एक या एक से अधिक देवी-देवताओं पर केंद्रित परंपराएं और उप-परंपराएं भी रखता है। हिंदू धर्म की सभी विचारधारा या संप्रदाय वेद से निकले हुए हैं। वेदों में ईश्वर, परमेश्वर या ब्रह्म को ही सर्वोच्च शक्ति माना गया है। सदाशिव, दुर्गा, ब्रह्मा, विष्णु, महेश, सरस्वती, लक्ष्मी, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, भैरव, काली आदि सभी उस सर्वोच्च शक्ति का ही ध्यान करते हैं। सभी संप्रदाय मूल में उसी सर्वोच्च शक्ति के बारे में बताते हैं। 33 कोटि के विशाल देवी-देवताओं वाले अद्भुत देश भारत में सनातन धर्म से उत्पन्न अनेक पंथ और सम्प्रदाय पुष्पित और पल्लवित हो रहे हैं। कुछ तो सनातन परम्परा के पोषक हैं तो कुछ सनातन के के शाश्वत मूल्यों का उपहास करते हुए और उन्हीं की उर्वरा शक्तियों का दोहन करते हुए अपना अलग ही भूमंडल बनाने और अपने पंथ और सम्प्रदाय को श्रेष्ठ बनाने में लगे हुए हैं। इनका दायरा एक देश से होते हुए अखिल ब्रह्मांड के देशों में भी अपना प्रभाव बढ़ाने में लगा हुआ है। इनके नाम इस प्रकार हैं - दत्तात्रेय संप्रदाय, सौर संप्रदाय, पांचरात्र मत, वैरागी, दास, रामानंद-रामावत संप्रदाय, वल्लभाचार्य का रुद्र या पुष्टिमार्ग, निम्बार्काचार्य का सनक संप्रदाय, आनंदतीर्थ का ब्रह्मा संप्रदाय, माध्व, राधावल्लभ, सखी सम्प्रदाय, चैतन्य गौड़ीय, वैखानस संप्रदाय, रामसनेही संप्रदाय, कामड़िया पंथ, नामदेव का वारकरी संप्रदाय, पंचसखा संप्रदाय, राम सखा सम्प्रदाय, अंकधारी, तेन्कलै, वडकलै, प्रणामी संप्रदाय अथवा परिणामी संप्रदाय, दामोदरिया, निजानंद संप्रदाय- कृष्ण प्रणामी संप्रदाय, उद्धव संप्रदाय- स्वामीनारायण, एक शरण समाज, श्रीसंप्रदाय, मणिपुरी वैष्णव, प्रार्थना समाज, रामानुज का श्रीवैष्णव, रामदास का परमार्थ निकेतन आदि।
स्वामीनारायण सम्प्रदाय
भारतीय संस्कृति से प्रेरित उनकी सुंदर वास्तुकला के लिए स्वामीनारायण अक्षरधाम के हिंदू मंदिरों के बारे में हम सभी जानते हैं। ये मंदिर पूजा के साथ-साथ पर्यटन के लिए भी प्रसिद्ध हैं। ये मंदिर देवताओं की सुंदर मूर्तियों, प्रार्थना कक्षों, शाकाहारी रसोई, हरे-भरे बगीचों और आध्यात्मिकता पर प्रौद्योगिकी से लैस डिजिटल शो के साथ विशाल परिसर वाले होते हैं।
स्वामी नारायण सम्प्रदाय 18वीं सदी के योगी स्वामीनारायण को समर्पित पूर्व उल्लिखित प्रकार का एक पंथ हैं। जो वैष्णव धर्म के भगवान श्रीविष्णु,श्रीराम और श्रीकृष्ण के चरित्रों लीलाओं और परंपराओं का अनुकरण करते हुए अपना अलग औरा बनाने में लगा हुआ है। अन्य मतावलंबियों की भांति स्वामी नारायण की शिक्षाओं का आज भी देश के अधिकांश हिस्सों में पालन किया जाता है। स्वामीनारायण उद्धव सम्प्रदाय के गुरु स्वामी रामानंद के शिष्य थे और उनकी शिक्षाओं से बहुत प्रभावित होकर उन्होंने अपने पृथक सिद्धांतों की स्थापना की। उन्होंने अपने गुरु स्वामी रामानंद की शिक्षाओं पर स्वामीनारायण संप्रदाय की नींव रखी। उनके अनुयायी मानते हैं कि मोक्ष के बाद उनकी आत्मा अक्षरधाम जाती है। उन्होंने प्रारंभ में तो केवल 6 मंदिरों का निर्माण कराया और उनकी शिक्षाओं पर शिक्षापत्री नामक पुस्तक लिखी। उनका योगदान मुख्यतः इस प्रकार रहा -
(1) शिक्षा और सती प्रथा के उन्मूलन सहित महिलाओं के अधिकारों की वकालत की।
(2) अनुसूचित जाति की महिलाओं का उत्थान।
(3) गरीबों के लिए खुले आश्रय गृह।
(4) जाति व्यवस्था का पूरी तरह से विरोध किया।
(5) यज्ञ समारोहों के दौरान पशु बलि का विरोध किया।
(6) समाज में शांति लाने का प्रयास किया।
उत्तराधिकार की दो विचारधाराएं :-
इस पंथ में बाद में दो विचारधाराएं विकसित हुई। एक में संस्थापक आचार्य ने इस पंथ की सारी गतिविधियों क्रिया- कलापों और स्वामित्व को अपने उत्तरजीवी वंशधरों के आधीन किया , तो दूसरी विचारधारा गुरु-शिष्य की पुरातन भारतीय परम्परा का अनुसरण किया। दोनो आर्थिक और वैचारिक रूप में काफी विकसित हो गए हैं।
“अक्षरधाम” किन्हीं मामलों में प्रथम वंशीय कुलीन परम्परा से आगे बढ़ गई। फलस्वरूप देश के विभिन्न हिस्सों में "देवताओं के निवास" या अनेक अक्षरधाम मंदिरों का निर्माण किया गया। भारत देश में अक्षरधाम मंदिर बोचासनवासी अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) का हिस्सा रहे हैं। अक्षरधाम मंदिर का प्रबंधन स्वामीनारायण संप्रदाय द्वारा किया जाता रहा है। अक्षरधाम मंदिर की बनावट बहुत ही भव्य होती है। मंदिर की स्थापत्य कला बेजोड़ होती है।
महंत स्वामी महाराज काअतुल्य प्रयास
1933 में गुजरात के आनंद से आए एक गुजराती परिवार जबलपुर के रसल चौक में रहने लगा था। इसी परिवार में विनु भाई नाम के एक बच्चे का जन्म हुआ था। विनु भाई की शुरूआती शिक्षा-दीक्षा जबलपुर के क्राइस्टचर्च स्कूल में अंग्रेजी माध्यम से हुई थी।अध्यात्म में गहरी रुचि रखने वाले विनु भाई का मन ज्यादा दिनों तक स्कूल में नहीं लगा और वे स्वामीनारायण संस्था के साथ जुड़ गए थे। उन्होंने संन्यास ले लिया। उनका नाम महंत स्वामी महाराज रखा गया। वे इस स्वामी नारायण परम्परा के छठे और वर्तमान आध्यात्मिक गुरु हैं। उनके नेतृत्व में अक्षरधाम मंदिरों का विस्तार भारत ही नहीं पूरी दुनिया में हुआ है।
विश्व भर में 1,100 अक्षरधाम मंदिर
इस समय पूरे विश्वभर में लगभग 1,100 अक्षरधाम मंदिर हैं। अक्षरधाम मंदिर, स्वामीनारायण के लिए समर्पित हैं, जिन्हें भक्तों द्वारा भगवान कृष्ण का अवतार माना गया है। इस मंदिर की एक खास बात यह भी है कि मंदिर के परिसर में कक्षाएं, प्रदर्शनी केंद्र और बच्चों के लिए खेल के मैदान आदि भी बनाए गए हैं। अतः यह मंदिर केवल धार्मिक कार्यों तक ही सीमित नहीं रह गया है। लंदन, शिकागो, अटलांटा सिडनी, ऑकलैंड, नैरोबी, टोरंटो, लॉस एंजेलिस और अबू धाबी जैसे मुस्लिम देश में भी अक्षरधाम के बड़े- बड़े मंदिर बनते जा रहे हैं।
भारत और विश्व के प्रमुख अक्षरधाम मंदिर :-
इनमें से 12 मंदिरों का निर्माण भगवान स्वामीनारायण को समर्पित भारत देश में किया गया था। दो विदेशों में स्थित अक्षर धाम मन्दिर का विवरण उपलब्ध है।
ये 14 मंदिर निम्नवत हैं-
1.गांधीनगर का अक्षरधाम मंदिर
इस अक्षरधाम मंदिर समारोह की आधारशिला 14 दिसंबर 1979 को प्रधान स्वामी ने रखी थी और मंदिर की नींव 1981में बनकर तैयार हुई। स्वामीनारायण अक्षरधाम गुजरात राज्य की राजधानी गांधीनगर में स्थित है। यह योगीजी महाराज द्वारा स्वामीनारायण के चौथे आध्यात्मिक उत्तराधिकारी और प्रधान स्वामी महाराज द्वारा निर्मित एक बड़ा हिंदू मंदिर परिसर है। स्वामीनारायण हिंदू धर्म के बीएपीएस संप्रदाय के अनुसार स्वामीनारायण के पांचवें आध्यात्मिक उत्तराधिकारी हैं । यह परिसर 13 वर्षों में बनाया गया था और यह स्वामीनारायण और उनके जीवन और शिक्षाओं के लिए एक श्रद्धांजलि है। 23 एकड़ के परिसर में केंद्र में अक्षरधाम मंदिर है, जो राजस्थान के 6,000 मीट्रिकटन गुलाबी बलुआ पत्थर से बनाया गया है। गुजरात के गांधीनगर में स्थित अक्षरधाम मंदिर, स्वामीनारायण सम्प्रदाय द्वारा बनाया गया है। यह सबसे बड़ा अक्षरधाम मंदिर है।
2.दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर
भारत के सबसे प्रसिद्ध अक्षरधाम मंदिरों में से एक है. यह मंदिर, नोएडा की सीमा के पास है. यह मंदिर, पारंपरिक और आधुनिक हिंदू संस्कृति, आध्यात्मिकता, और वास्तुकला को दर्शाता है। यह मन्दिर एक अनोखा सांस्कृतिक तीर्थ है। इसे ज्योतिर्धर भगवान स्वामिनारायण की पुण्य स्मृति में बनवाया गया है। इसके मुख्य देव भगवान स्वामीनारायण है। यह परिसर 100 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। दुनिया का सबसे विशाल हिंदू मन्दिर परिसर होने के नाते 26 दिसम्बर 2007 को यह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में शामिल किया गया है।
3. जयपुर में अक्षरधाम मंदिर
स्वामीनारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाने वाला, राजस्थान के जयपुर में स्थित अक्षरधाम मंदिर भगवान नारायण या भगवान विष्णु को समर्पित है और अपनी शानदार वास्तुकला और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। हालाँकि इसका निर्माण अपेक्षाकृत हाल ही में हुआ है, लेकिन यहाँ के बगीचे और नज़ारे पर्यटकों और भक्तों को यहाँ आकर्षित करते हैं। यह हिंदू संस्कृति और क्षेत्र में इसके विकास की झलक प्रदान करता है। परिसर में एक शानदार मंदिर है जो अच्छी तरह से बनाए गए भू-भाग वाले बगीचों से घिरा हुआ है। जयपुर शहर के केंद्र में स्थित, अक्षरधाम मंदिर इस क्षेत्र के सबसे पवित्र और सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण बोचासनवासी श्री अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण द्वारा संस्था, स्वामीनारायण संप्रदाय के तहत किया गया था। जयपुर का अक्षरधाम मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है जबकि अन्य मंदिर अन्य हिंदू देवताओं को समर्पित हैं लेकिन सभी मंदिरों को संबंधित क्षेत्रों में अक्षरधाम मंदिर, स्वामीनारायण मंदिर या स्वामीनारायण अक्षरधाम के रूप में जाना जाता है। जयपुर में अक्षरधाम मंदिर कोई प्राचीन मंदिर नहीं है और इसे 20वीं सदी के अंत और 21वीं सदी की शुरुआत के बीच बनाया गया था। यह पूजा स्थल नर नारायण देव गादी के अंतर्गत आता है जो संप्रदाय बनाने वाली दो आवश्यक सीटों में से एक है। मुख्यालय अहमदाबाद (श्री स्वामीनारायण मंदिर) में स्थित है।
4.महाराष्ट्र के पुणे में अक्षरधाम मंदिर
BAPS स्वामी नारायण मंदिर का पुणे में एक सुखद स्थान है। यह घाटी में बंगलौर-मुंबई राजमार्ग की ओर स्थित है, जो शांतिपूर्ण पहाड़ियों से घिरा हुआ है। मंदिर बहुत बड़ा है और इसमें ज़्यादातर हिंदू देवी-देवता स्थापित हैं। यहाँ आपको स्वामी नारायण की संस्कृति की खूबसूरती देखने को मिलेगी। इसे स्वामीनारायण संस्था के संतों के आशीर्वाद और धूमधाम से खोला गया था। जयपुर, राजस्थान से गुलाबी पत्थर से बनी खूबसूरत वास्तुकला और नक्काशी देखने के लिए यहाँ ज़रूर जाएँ। इसमें 2 मंज़िलें हैं, ऊपरी मंज़िल पर स्वामी नारायण भगवान की प्रतिमा है और निचली मंज़िल पर नीलकंठ वर्णी है जहाँ कोई अभिषेक कर सकता है। हरे-भरे बगीचों के साथ खूबसूरती से तैयार किया गया संगमरमर का मंदिर अपनी खूबसूरती से चार चाँद लगाता है। परिसर में कई छतरियाँ (मंडप) हैं और दर्शन के बाद यहाँ कुछ जगहें हैं जहाँ आराम किया जा सकता है।यह बहुत बड़े क्षेत्र में बना है और भारत में बेहतरीन वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरणों में से एक है। यहाँ का वातावरण बहुत अच्छा है और शाम को हर कुछ मिनट के बाद रंग बदलते रहते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि परिसर में पर्याप्त पार्किंग स्थान है। शौचालय और पीने के पानी की बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं। खेलने के विकल्पों के साथ एक किड्स ज़ोन है। यह वरिष्ठ नागरिकों के अनुकूल है। व्हीलचेयर किराए पर उपलब्ध हैं। वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक लिफ्ट भी है, ताकि वे पहली मंजिल पर भी दर्शन कर सकें। यहाँ एक फ़ूड कोर्ट भी है जहाँ आइसक्रीम, सैंडविच, स्नैक्स और जूस जैसे कई तरह के खाद्य पदार्थ मिलते हैं।
5. सिकंदराबाद में अक्षरधाम 1-35-560, भेल कॉलोनी रोड,आनंद टॉकीज के पीछे, अर्जुन नगर, रसूलपुरा, सिकंदराबाद, तेलंगाना में बहुत अच्छा और बड़ा स्वामी नारायण मन्दिर स्थित है। इस मन्दिर में परम ब्रह्म भगवान श्री स्वामी नारायण और अक्षर ब्रह्म श्री गुनातितानन्द स्वामी और श्री घनश्याम महाराज की मूर्तियां स्थापित है। यहां शौचालय और जूता स्टैंड निःशुल्क उपलब्ध है। आप कैमरा और मोबाइल फोन के साथ जा सकते हैं। परिवार के सदस्यों और बच्चों के लिए बहुत आकर्षक और साफ़ सुथरी जगह है ।यह विमान नगर सिकंदराबाद के पास स्थित है। यहां का सबसे साफ-सुथरा मेट्रो स्टेशन स्वर्ग के समान है।
6. कोलकाता अक्षरधाम मंदिर
बीपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर,भासा 14 नंबर, डायमंड हार्बर रोड, जिला 24 परगना(दक्षिण),कोलकाता,पश्चिमबंगाल में स्थित है। मंदिर का निर्माण और रखरखाव स्वामीनारायण ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। यह नई दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर की एक प्रतिकृति है। परिसर बहुत बड़ा है। एक बड़ा बगीचा है। फव्वारों के साथ साथ मंदिर के अंदर का वातावरण बहुत शांतिपूर्ण है। मुख्य गर्भगृह दो मंजिल ऊंचा है। मंदिर संगमरमर, बलुआ पत्थर और लाल पत्थर से बना हुआ है। ऊपरी मंजिल में विभिन्न देवताओं की मूर्तियाँ हैं,जबकि निचले स्तर पर स्वामीनारायण की एक सोने की मूर्ति है जिसे कांच के कक्ष में रखा गया है। इस हिस्से में जाने के लिए श्रद्धालुओं को 50 रुपये प्रवेश शुल्क के रूप में खर्च करने होते हैं। परिसर के अंदर एक विशाल पार्किंग स्थान है। प्रेमवती नामक एक बड़ा फूड कोर्ट है जहाँ बहुत मामूली शुल्क पर भोजन उपलब्ध रहता है। साथ ही एक स्टोर भी है जहाँ कुछ उपहार और कॉस्मेटिक आइटम उपलब्ध हैं।
7. इंदौर अक्षर धाम मन्दिर
यह मंदिर खंडवा रोड निकट आई ई टी ब्लॉक दाव तक्षशिला परिसर इंदौर में स्थित है। इस मंदिर में परमब्रह्म भगवान श्री स्वामीनारायण और अक्षरब्रह्म श्री गुणातीतानंद स्वामी, भगवान श्री कृष्ण और श्री राधाजी, श्री गुरु परम्परा की मूर्तियां इसकी प्रमुख मूर्तियां हैं। यह स्वामीनारायण सम्प्रदाय में माननेवाले लोगो के लिए हिन्दू धर्मस्थल है । यह स्वछ सुंदर मंदिर है। यहाँ पर प्रभु हनुमान और गणपति बप्पा की भी भव्य मूर्तियां बनी हुई हैं। इस मन्दिर को विशेषताएं :-
1. गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज , विश्व के सबसे बड़े व्यापक हिंदू मंदिर के रूप में अक्षरधाम के लिए रिकॉर्ड प्रस्तुत किया गया था।
2. पवित्र झील के किनारे 108 गौमुख (गायों के चेहरे) हैं, जो 108 हिंदू देवताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।
3. प्रेमवती आहारगृह या प्रेमवती फूड कोर्ट में परिसर के चारों ओर घूमने के बाद श्रद्धालु अपनी भूख को संतुष्ट करने में सक्षम होता है। यहां महाराष्ट्र की अजंता और एलोरा गुफाओं और एक आयुर्वेदिक बाजार पर आधारित एक शाकाहारी रेस्तरां है।
8.अक्षरधाम मन्दिर ,नागपुर
स्वामीनारायण मंदिर या अक्षरधाम मंदिर नागपुर में रिंग रोड पर स्थित है। नवनिर्मित मंदिर में एक विशाल रसोई, पार्किंग, एक रेस्तरां और बच्चों के खेलने का क्षेत्र है। इसकी प्रभावशाली रोशनी और सजावट के कारण शाम 4 बजे के बाद मंदिर में जाने की सलाह दी जाती है। मंदिर दो मंजिलों में फैला हुआ है और इसकी वास्तुकला अद्भुत है। इस विशाल मंदिर में बच्चों के लिए एक बड़ा रसोईघर, एक रेस्तरां और खेलने की जगह है। इसकी आकर्षक वास्तुकला रात में प्रभावशाली प्रकाश व्यवस्था के साथ जीवंत हो उठती है।
9. अक्षर धाम मन्दिर बंगलौर
यह 33/24 द्वितीय मेन रोड, कॉर्ड रोड, वीरबाई भवन के सामने तथा बी ए पी एस स्वामी नारायण मंदिर के पीछे, राजाजी नगर इंडस्ट्रियल टाऊन राजाजी नगर बेंगलूर कर्नाटक में स्थित है। 2003 में, परम पूज्य प्रमुख स्वामी महाराज ने बेंगलुरु में बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर की प्रतिष्ठा की थी । पास में उच्चकोटि का यात्री निवास और स्वामीनारायण जी का मंदिर भी स्थित है।
10.अक्षरधाम मन्दिर विशाखापटनम
आंध्र प्रदेश के बंदरगाह शहर विशाखा पत्तनम में प्रसिद्ध अक्षरधाम मंदिर बना हुआ है। अक्षरधाम मंदिर अपनी भव्यता और अद्भुत वास्तुकला के लिए जाने जाते हैं। पोर्ट सिटी के बाहरी इलाके में आध्यात्मिक रूप से उपासना करने के लिए मंदिर स्थापित किया है। इस कदम का उद्देश्य राज्य में मंदिर पर्यटन को अगले स्तर तक प्पहुंचाना है।
11.बनारस का अक्षरधाम मंदिर
यह अक्षर धाम मन्दिर वाराणसी के गाय घाट रोड, ओवरहेड टैंक के पास, मछोदरी, घासी टोला, वाराणसी में स्थित है। यह हिंदू धर्म के भगवान स्वामी नारायण को समर्पित है। यह वर्तमान समय का एक सुंदर वास्तुशिल्प नमूना है। यह हिंदू धर्म के भगवान स्वामी नारायण को समर्पित है। इसे गुजरात और दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है । यह गुजराती लोगों की उपस्थिति के कारण विशेष रूप से आकर्षक है जो अपने अनुष्ठानों और पूजा परंपराओं के माध्यम से इसकी परंपराओं को समृद्ध करते हैं। प्राचीन हिंदू देवताओं की तरह कई अवसरों पर भगवान स्वामीनारायण को सोने, हीरे और रत्नों के आभूषणों से सजाया जाता है।
वास्तुकला व मंदिर में स्थापित मूर्तियां
स्वामीनारायण मंदिरों में, अन्य हिंदू मंदिरों की तरह, केंद्रीय मंदिर के चारों ओर पैदल मार्ग होते हैं ताकि उपासकों को मंदिर की परिक्रमा करने की अनुमति मिल सके, जिसे अक्सर डिजाइन और जड़े हुए संगमरमर से सजाया जाता है। मुख्य तीर्थ क्षेत्र रेलिंग द्वारा विभाजित है। रेलिंग का एक किनारा महिलाओं के लिए आरक्षित है, क्योंकि स्वामीनारायण ने कहा था कि भगवान पर पूर्ण ध्यान केंद्रित करने के लिए पुरुषों और महिलाओं को मंदिरों में अलग-अलग किया जाना चाहिए। पुरुष एक निश्चित संख्या में साष्टांग प्रणाम करते हैं । पुरुष वर्ग के सामने आम तौर पर तपस्वियों और विशेष मेहमानों के लिए एक छोटा सा क्षेत्र आरक्षित होता है। केंद्रीय छवियों के स्वरूप और प्रकृति में बहुत विविधता है, जिसके सामने सोने या चांदी से बने दरवाजे हैं जो दर्शन के दौरान खुलते हैं । स्वामीनारायण ने निम्नलिखित छह मंदिरों के निर्माण का आदेश दिया और नरनारायण , लक्ष्मीनारायण , राधा कृष्ण , राधा रमण , रेवती बलदेवजी जैसे विभिन्न देवताओं की छवियां स्थापित कीं।
12.अक्षरधाम मंदिर जबलपुर
जबलपुर के रसल चौक के पास एक मकान को अक्षरधाम मंदिरों का संचालन करने वाली स्वामीनारायण संस्था ने खरीदा है। उन्होंने पुराने मकान को तोड़कर एक भव्य मंदिर बनाया। इन मंदिरों का निर्माण कराने वाले स्वामी महाराज जो इस संस्था के प्रमुख थे, उनका जन्म जबलपुर के रसल चौक के उसी घर में हुआ था। महंत स्वामी महाराज का जन्म जिस जगह पर हुआ था, रसल चौक में अब इस जगह पर एक भव्य मंदिर बनाया गया है।
13.अमेरिका न्यूजर्सी का अक्षरधाम मन्दिर
अमेरिका की धरती पर यह मंदिर त्रिवेणी संगम है। भारतीय संस्कृति, भारतीय कला और भारतीय अध्यात्म का त्रिवेणी संगम। यह अक्षरधाम सिर्फ पत्थर से बना एक मंदिर नहीं है, बल्कि विदेशी धरती पर भारतीय परंपरा की धरोहर है। स्वामी महाराज ने विदेशी धरती पर महामंदिर अक्षरधाम बनाने का निर्णय लिया था, वह पूरा हो गया है। प्रमुख स्वामी ने 2012 में अक्षरधाम की वास्तुकला को अंतिम रूप दिया और 2014 में रॉबिन्सविले में इसका भूमिपूजन किया था । मंदिर को बनाने का काम साल 2015- 23 तक चला। मंदिर बनाने में 12,500 स्वयंसेवकों ने काम किया। अमेरिका में लंबे समय तक ठंड रहती है। बर्फबारी भी होती रहती है। इन सबके बीच स्वयं सेवकों ने दिन-रात काम किया। यह मंदिर कला, अध्यात्म और संस्कृति का त्रिगुण संगम है।
नृत्यकला: अक्षरधाम को हजारों साल पुराने वास्तु शास्त्र के हिसाब से बनाया गया है। अगर आप ध्यान से देखेंगे तो बीच में बेल्ट पर भरतनाट्यम मुद्रा बनी हुई है। भरतऋषि ने नाट्यशास्त्र के कई श्लोक लिखे हैं, उन्हीं का अध्ययन करके इसे बनाया गया है।
संगीतकला: भारत में शास्त्रीय संगीत की एक लंबी परंपरा रही है। गायन-वादन प्रमुख है। यंत्र तीन तरह के होते हैं। पवन वाद्ययंत्र, ठोस वाद्ययंत्र और तार वाले वाद्ययंत्र। पुराणों में सरस्वती के विपंची वीणा धारण करने और श्रीकृष्ण के बांसुरी बजाती हुई तस्वीरें मिलती हैं। इस तरह से हमें दो या तीन संगीत उपकरण देखने को मिलते हैं, लेकिन आज भारत में लगभग 700 म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट हैं। इनमें से 150 वाद्य यंत्रों की कला आकृति को पत्थर पर बनाया गया है।
संस्कृति:- यह मंदिर अपने आप में भारत की आध्यात्मिक परंपरा का प्रतीक है, लेकिन पत्थर का मंदिर बनाना और इसमें आस्था का दिखना, दोनों में फर्क है। अक्षरधाम के बीच के मध्य मार्ग को वैदिक पथ कहा जाता है। किसी मंदिर में ऐसा पहली बार हुआ है, जहां वेदों के चार रूप मिलते हैं।
अक्षरधाम मंदिर का उद्घाटन:
185 एकड़ में बना; 12 साल में तैयार हुआ; 12,500 लोगों ने किया श्रमदान। इस अक्षरधाम मंदिर को बनाने का काम 2011 में शुरू हुआ था, जो अब पूरा हुआ है।इस अक्षरधाम मंदिर को बनाने का काम 2011 में शुरू हुआ था, जो अब पूरा हुआ है।मंदिर की दीवारों और छत की मूर्तिकला अति सुंदर है।खदान से पत्थर निकालकर यहां लाना आसान नहीं था। मंदिर में 2 लाख घन फीट पत्थरों का इस्तेमाल किया गया यहां कई देशों के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया। जैसे बल्गेरियाई पत्थर, तुर्की का चूना पत्थर, ग्रीस का संगमरमर, चीन का ग्रेनाइट और भारत का बलुआ पत्थर। सभी पत्थरों को तराशने के लिए राजस्थान और वहां से न्यू जर्सी भेजा गया, लेकिन इन पत्थरों में लोगों की आस्था का कंपन जरूर महसूस किया जा सकता है।
14.अबू धाबी में अक्षरधाम मंदिर
दिल्ली के अक्षरधाम से लेकर अमेरिका के न्यूजर्सी में के अक्षरधाम मंदिर तक यह मंदिर अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। अक्षरधाम मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला और भव्यता के लिए जाना जाता है। हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में अबू धाबी में एक भव्य अक्षरधाम मंदिर बनकर तैयार हुआ है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 14 फरवरी 2024 को किया । अक्षरधाम मंदिर वहां का पहला हिंदू मंदिर तो है ही साथ ही यह मंदिर अरबी और भारतीय संस्कृति की एकता का भी प्रतीक है। इस मंदिर की एक खास बात यह भी है कि इसमें साथ 10,000 लोग पूजा-पाठ कर सकेंगे। साथ ही इस मंदिर में सात शिखर बनाए गए हैं, जो अरब के सात अमीरात का प्रतिनिधित्व करते हैं।मंदिर में बनाई गई नक्काशियों के लिए उपयोग की गई शिलाएं इटली के साथ-साथ राजस्थान के भरतपुर जिले से भी लाई गई हैं। मंदिर में बनाई गई मूर्तियां रामायण, महाभारत, भगवद गीता और शिव पुराण की कहानियों से प्रेरित हैं। इन मंदिरों में शिखर वेंकटेश्वर, जगन्नाथ और अयप्पा आदि देवता विराजमान हैं। मध्य खंड में स्वामी नारायण के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की गई है।अक्षरधाम मंदिर का डिजाइन वैदिक वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है। इसके साथ ही मंदिर में बनाए गए 'डोम ऑफ हार्मनी' में पांच प्राकृतिक तत्व - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और अंतरिक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं। इतना ही नहीं, मंदिर के परिसर में घोड़ों और ऊंटों आदि की कई नक्काशी भी की गई है, जो संयुक्त अरब अमीरात की पहचान है। इसके साथ ही मंदिर में कुल 96 स्तंभ बनाए गए हैं। इस मंदिर की कई मूर्तियां और नक्काशी भारत के कुशल कारीगरों द्वारा बनाई गई हैं, जिन्हें अबू धाबी भेजा गया।
आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदीलेखक परिचय:-
(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए सम सामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं।
मोबाइल नंबर +91 8630778321;
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