Tuesday, April 25, 2023

बाहुबलियो का कवच होता है राजनीतिक चुनाव डॉ. राधे श्याम द्विवेदी


           भारत वर्ष के प्रायः हर क्षेत्र में मुख्य रूप से दो वर्गों का बर्चस्व रहा है। एक को शासक और दूसरे को शासित वर्ग कहा जा सकता है। शासक बाहुबली वर्ग के बारे में लोगों की आम जन अवधारणा में कोई विशेष परिवर्तन अभी तक नही दिखता है। राजशाही तो संविधान और कानून के आधार पर समाप्त प्राय है पर अनधिकृत तरीके अपनाकर उनके प्रभाव का असर आज भी शिक्षा उद्योग ,विद्यालय उद्योग, खनन उद्योग,बस टैक्सी संचालन वा बस टैक्सी स्टैंड संचालनआदि का वैध या अवैध संचालन आदि में एकल या संगठित समूह के रूपों में देखा जा सकता है। दूसरे अर्थों में इन्हे बाहुबली या माफिया भी कह सकते हैं। इस समूह में संलग्न लोग कट्टर या उदारवादी दोनों होते हैं। ये अपने नाम और प्रभाव को बढ़ाने के लिए धार्मिक, सामाजिक,शिक्षा, चिकित्सा और राजनीतिक संगठनों और उनसे जुड़े लोगों को आर्थिक मदद देने के लिए, दिल खोलकर दान और मदद भी  देते हैं।
गहरी जड़ वाला वृक्ष:-
माफिया समूह ऐसा वृक्ष होता है,जिसकी जड़ें, मजबूत, गहरी और बहुत दूर तक फैली होती हैं। यह माफिया नामक वृक्ष धार्मिक,सामाजिक,सांस्कृतिक, संगठनो में  सक्रिय लोगों के करकमलों द्वारा सींचा जाता है। राजनीति इस वृक्ष का संरक्षण करती है। हर एक क्षेत्र में माफिया नाम का समूह कार्यरत होता है। शासन के अंतर्गत प्रशासनिक व्यवस्था सुदृढ़ बनाए रखने के लिए बनाए गए नीति नियमों की त्रुटियों का लाभ उठाना साहस पूर्ण कार्य है।इन नीति नियमो की त्रुटियों के कारण अपने अवैध कार्यो को वैध कर लेना कोई साधारण काम नहीं हैं, इसके लिए तेजतर्रार दिमाग और तदनुरूप उद्यम किया जाना चाहिए। सामाजिक स्तर पर यह माफिया भिन्न भिन्न आकार प्रकार में पाया जाता है। सड़क छाप से लेकर उच्चस्तर तक।
            धार्मिक क्षेत्र में सक्रिय माफिया समूह अतिधार्मिक लोगों के लिए बहुत सहयोगी होता है। इस माफिया समूह के कारण इन आस्थावान लोगों को किसी भी देवालय में दर्शनार्थ लंबी कतार में खड़े नहीं होना पड़ता है। इन आस्थावान लोगो को वी. वी.आई. पी.,स्तर का दर्शन लाभ प्राप्त होता है।
तरह तरह के माफ़िया  :-
भू माफ़िया समूह की कार्य कुशलता की जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है। कारण यह समूह, कोई भी, कैसी भी,कितनी भी, कानूनी पेंचीदा समस्याओं में उलझी जमीनों का सौदा निर्भयता पूर्वक कर लेने में निपुण होता है।  एक माफिया समूह, धार्मिक सामाजिक, सांस्कृतिक, समारोह के लिए हाथों में रसीद कट्टे लेकर चंदे के स्वरूप में भीख मांगते हुए प्रायः देखा जाता है। इस माफिया का अघोषित व्यवसाय यही होता है। यह समूह बारह महीने सक्रिय होता है। एक समूह आए दिन किसी न किसी बहाने भंडारे नामक अन्न दान का धार्मिक आयोजन करता रहता है। इस माफिया समूह को साईबाबा जय गुरुदेव आशाराम राम पाल , राधा मां और राम रहीम जैसे संत सहज, सरल और आसानी से मिल जाते हैं।
       वर्षभर में जितने भी भंडारे होते है,उनमें नब्बे फी सदी भंडारे साईं बाबा के नाम पर ही होते हैं।इस माफिया को मन या बेमन से सहयोग करने वाले व्यापारी होते हैं।यह व्यापारी बगैर आना कानी किए मुक्तहस्त से अपना दान रूपी सहयोग प्रदान करते हैं।यह सहयोग करना इनकी बाध्यता भी होती है अपने व्यापार की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए।
खनन माफिया से नदियों की सफाई:-
एक महत्वपूर्ण माफिया है,खनन माफिया,यह माफिया, माफी अर्थात क्षमा का अधिकारी है।यह माफिया सरिताओं में खनन कर नदियों के गहरी करण में व्यवस्था के लिए सहयोगी होता है।इस माफिया के सराहनीय कार्य के लिए इसकी प्रशंसा करनी चाहिए।
अनिश्चित उम्र :-
माफिया समूह की जड़े कितनी भी मजबूत हो कितनी भी फैली हो इसकी उम्र अनिश्चित होती है।साँप सीडी के खेल की तरह।जबतक भाग्य साथ देता है तबतक इस समूह के लोगों के पांसे पक्ष में पड़ते हैं,तबतक खेल में सीढ़ी- दर- सीढ़ी ही आते रहती है,लेकिन आख़री पायदान पर पहुँचने के मात्र दो कदम की दूरी पर अर्थात इठयावन पर साँप आ जाता है जो सीधे नीचे ले आता है। नीचे अर्थात जमीन आकर सब कुछ नेस्तनासबूत कर देता है। दर्शन शास्त्र कहता है, पाप का घड़ा एक न एक दिन फूटता ही है।

                  भारत के कुछ प्रमुख माफिया :-

दाऊद इब्राहिम:-
58 वर्षीय दाऊद भारत का सबसे बड़ा मोस्ट वॉन्टेड है।श्री प्रकाश शुक्ल पहले व्यक्ति थे जिन्होंने उत्तर प्रदेश की धरती पर एके-47 चलाई थी। वह 1990 के दशक का कुख्यात बदमाश था। उनके बाद उनकी एके 47 का इस्तेमाल मुन्ना बजरंगी ने किया।
मुख्तार अहमद अंसारी :-
यूपी के मऊ से 5 बार विधायक रह चुका बाहुबली मुख्तार अहमद अंसारी पिछले करीब 18 सालों से जेल में ही बंद है। मुख्तार पर हत्या, अपहरण, फिरौती, रंगदारी जैसे करीब 4 दर्जन मुकदमें दर्ज हैं। उसकी दबंगई इतनी थी कि वह जेल में बैठे-बैठे चुनाव जीत जाता था और गैंग भी वहीं से चलाता था। अपने रसूक के बल से वह पंजाब का सरकारी मेहमान बना हुआ है।
बृजेश सिंह:-
पूर्वांचल का सबसे बड़ा माफिया डॉन बृजेश सिंह,  यूपी-बिहार ही नहीं बल्कि मुंबई के जेजे अस्पताल में साथियों के साथ मिलकर पुलिस की मौजूदगी में गवली गिरोह के चार लोगों को गोलियों से भून डाला था। बृजेश सिंह के ऊपर 41 मामले दर्ज थे। 
राजा भैया :-
प्रतापगढ़ जिले के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया जो कुंडा विधानसभा क्षेत्र से लगातार सात बार निर्दलीय विधायक बन चुका है। पूर्वांचल में राजा भैया को एक बाहुबली विधायक और माफिया के तौर पर जाना जाता है। राजा भैया के खिलाफ कुंडा के साथ-साथ महेशगंज, प्रयागराज, रायबरेली के ऊंचाहार और लखनऊ में हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, अपहरण, गबन, भ्रष्टाचार समेत अन्य कई संगीन धाराओं में 47 मुकदमे दर्ज हैं।
विजय मिश्रा:-
भदोही के बाहुबली पूर्व विधायक रहे विजय मिश्रा पर गैंगस्टर एक्ट के साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय (इडी) का भी मामला चल रहा है। उसकी भदोही और प्रयागराज से लेकर लखनऊ तक लगभग 55 करोड़ की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। विजय मिश्रा ज्ञानपुर से विधायक रह चुका है।
कभी श्रीप्रकाश शुक्ला का साथी रहा राजन तिवारी मूल रूप से गोरखपुर का रहने वाला है। राजन तिवारी बिहार में दो बार विधायक रह चुका है। साथ ही 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राजन ने लखनऊ में बीजेपी की सदस्यता भी ली थी। इसपर काफी विवाद हुआ जिसके बाद उसे साइडलाइन कर दिया गया। इससे पहले वह बीएसपी में था। 
सुधीर सिंह :-
बसपा नेता व गोरखपुर जिले में पिपरौली के पूर्व ब्लॉक प्रमुख और माफिया सुधीर सिंह पर दर्ज आपराधिक मामलों की एक लंबी लिस्ट है। हालांकि, वह जीत नहीं सका। उस पर हत्या के प्रयास, हत्या समेत 26 मुकदमे दर्ज हैं।
रिजवान जहीर:-
सपा नेता व पूर्व सांसद रिजवान जहीर बलरामपुर का रहने वाला है। यूपी पुलिस के अनुसार पूर्व सांसद रिजवान जहीर के ऊपर 14 मुकदमे दर्ज हैं। जिसमें हत्या समेत गंभीर आरोप हैं।
दिलीप मिश्रा:-
बसपा व सपा का नेता रह चुका दिलीप मिश्रा एक बाहुबली और यूपी पुलिस की लिस्ट का टॉप माफिया रह चुका है। मौजूदा समय में फतेहगढ़ जेल में बंद है। उसने 12 जुलाई 2010 को प्रयागराज में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी पर स्कूटी में छिपाकर रखे गए रिमोट बम से जानलेवा हमला किया गया था। दिलीप मिश्रा पूर्व में ब्लाक प्रमुख भी रह चुका है।
अनुपम दुबे:-
बसपा नेता अनुपम दुबे के खिलाफ 41 मुकदमे दर्ज हैं। सबसे पहले साल 1996 में कन्नौज के गुरसहायगंज कोतवाली प्रभारी रामनिवास यादव की ट्रेन में गोली मारकर हत्या करने के बाद वो चर्चाओं में आया था। अनुपम दुबे फिलहाल मैनपुरी की जिला जेल में बंद हैं। उस पर एनएसए समेत हत्या, हत्या के प्रयास, रंगदारी जैसे 50 से ज्यादा मामले फर्रुखाबाद, मैनपुरी, कन्नौज, कानपुर में दर्ज हैं। 
हाजी इकबाल:-
पूर्व एमएलसी व खनन माफिया व बाहुबली हाजी इकबाल उर्फ बाला सहारनपुर का रहने वाला है। वह लखीमपुर खीरी, गोरखपुर और सीतापुर की कई चीनी मिलों को खरीदने वाली कंपनी का डायरेक्टर भी है। हाजी इकबाल के खिलाफ लखनऊ के गोमतीनगर थाने में कंपनी एक्ट के अलावा अन्य कई धाराओं में मुकदमा दर्ज है।
बच्चू यादव:-
लखनऊ के कृष्णा नगर थाने अंतर्गत आज़ाद नगर का रहने वाला बच्चू यादव पहले गांजा बेचा करता था लेकिन देखते देखते रंगदारी व लूट समेत 25 मुकदमे दर्ज है. फिलहाल बच्चू फरार है.
जुगनू वालिया:-
माफिया मुख्तार अंसारी का करीबी जुगनू वालिया लखनऊ के आलमबाग थाना अंतर्गत चंदन नगर का रहने वाला है. उसके खिलाफ एक दर्जन मुकदमे दर्ज है. फिलहाल जुगनू फरार है.
लल्लू यादव:-
लखनऊ के राजाजीपुरम क्षेत्र का रहने वाला लल्लू यादव अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह है. आपराधिक जीवन में लल्लू यादव हत्या, हत्या के प्रयास, अवैध कब्जा, गैंगस्टर और मारपीट के अलावां गुंडा ऐक्ट जैसे 12 मुकदमे उसके खिलाफ दर्ज है. फिलहाल जेल में है।
वीरेंद्र प्रताप शाही:-
70-80 के दशक के माफिया डॉन वीरेंद्र प्रताप शाही की 1997 में लखनऊ में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। आज भी शाही की फेसबुक डिस्प्ले तस्वीर में उनका बखान ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ के तौर पर किया गया है और इसमें दहाड़ते हुए शेर की तस्वीर भी है। फेसबुक पर मृृत शाही की तरफ से उनके समर्थकों को विभिन्न त्योहारों पर बकायदा ‘बधाई’ दी जाती है। इसके अलावा उनके समर्थक उनकी बरसी पर डॉन को श्रद्धांजलि भी देते हैं। उसके समर्थक समय-समय पर लोगों को याद दिलाते रहते हैं कि वही असली ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ थे। 
पंडित हरि शंकर तिवारी:-
हरि शंकर तिवारी पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के एक भारतीय साहसी और राजनीतिज्ञ हैं । तिवारी जिले के चिल्लूपार गांव टांडा से उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य थे । भारतीय राजनीतिक इतिहास में तिवारी जेल से चुनाव जीतने वाले पहले डरावने थे। चिल्लूपार से फिर गए , सालों तक विधान सभा के सदस्य रहे। तिवारी अपनी ब्राह्मण राजनीति के लिए जाने जाते हैं।  गोरखपुर के आला अधिकारी 22 से अधिक रिमाइंडर दे चुके हैं, फिर भी पुलिस कार्रवाई नहीं कर पा रही है। इनका नाम पूर्व कैबिनेट मंत्री और पूर्वांचल के बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी है। इनके घर ‘तिवारी हाता’ पर पुलिस के छापे के बाद बैठाई गई जांच दो साल से अधिक समय से पेंडिंग है। दरअसल, मातहत पुलिस अधिकारी आरोपियों से बयान लेने की हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहे हैं। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के महज एक माह बाद 22 अप्रैल 2017 को आनन-फानन की गई गोरखपुर पुलिस की यह कार्रवाई अब उसके ही हलक की फांस बन गई है।
राना कृष्ण किकर सिंह :-
बस्ती के राना कृष्ण किकर सिंह ने राजनीतिक सफर वर्ष 1977 में एपीएन कालेज के छात्र संघ अध्यक्ष से की। इसके बाद वह प्रधान चुने गए। वर्ष 1983 और 1988 में बहादुरपुर के ब्लाक प्रमुख रहे। वर्ष 1989 और 1991 में कप्तानगंज विधान सभा सीट से निर्दल विधायक निर्वाचित हुए। वर्ष 1995 में जिला पंचायत अध्यक्ष भी बने। पिछले चुनाव में वह कप्तानगंज सीट से कांग्रेस से लड़े थे और हार गए। राणा कृष्ण किंकर सिंह और उनके सुपुत्र राणा नागेश प्रताप सिंह अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण की. अभी कुछ ही दिन पूर्व विधायक ने अपने समर्थकों के साथ बसपा का दामन थामा था लेकिन भाजपा की जनकल्याणकारी नीतियों से प्रभावित होकर और प्रदेश में चल रहे विकास कार्यों से प्रभावित होकर पूर्व विधायक राणा कृष्ण किंकर सिंह और नागेश प्रताप सिंह ने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ भाजपा का दामन थाम लिया.
बृजभूषण शरण सिंह :-
बृजभूषण शरण सिंह भारतीय जनता पार्टी से सोलहवीं लोक सभा के लिए कैसरगंज लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से वर्तमान में संसद सदस्य हैं। वे अबतक छः बार लोकसभा सदस्य निर्वाचित हो चुके हैं। वर्तमान में वे भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष भी हैं। 
अन्यानेक नाम :-
अपराधियों की लिस्ट में इनके अलावा  त्रिभुवन सिंह, खान मुबारक, सलीम, सोहराब, रुस्तम, बब्लू श्रीवास्तव, उमेश राय, कुंटू सिंह, सुभाष ठाकुर, संजीव माहेश्वरी जीवा, मुनीर शामिल हैं । सुभाष ठाकुर, संजीव माहेश्वरी जीवा, मुनीर, विकास दुबे आदि प्रमुख हैं। लखनऊ के गोसाईगंज जेल में बंद माफिया अतीक के बेटे उमर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात अपराधी संजीव जीवा के अलावा अभिषेक सिंह उर्फ बाबू, एहशान गाजी, बिहार का अपराधी फिरदौस, राजू उर्फ तौहीद, सीएमओ हत्याकांड का आनंद प्रकाश तिवारी, राजेश तोमर, जावेद इकबाल और आसिफ इकबाल को लिस्टेड किया गया है। प्रतापगढ़ के कुंडा निवासी संजय प्रताप सिंह उर्फ गुड्डू सिंह शराब माफिया है।देवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ गब्बर सिंह के खिलाफ फैजाबाद, गोंडा, सुलतानपुर, लखनऊ, बहराइच समेत कई जिलों में संगीन धाराओं में मुकदमे हैं. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के सोहगौरा गांव के रहने वाला राजन तिवारी कभी श्रीप्रकाश शुक्ला का साथी हुआ करता था. यूपी व बिहार में जरायम के दुनिया में राजन तिवारी का नाम टॉप पर अंकित है. राजन तिवारी बिहार में दो बार विधायक रह चुका है. 
  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तेवर सख्त:-
कानपुर में दबिश के दौरान आठ पुलिस वालों की नृशंस हत्या के बाद माफियाओं,गुंडे-बदमाशों को लेकर  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तेवर सख्त हो गए हैं। अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए प्रदेश में फिर से आपरेशन ‘ऑल क्लीन’ शुरू हो गया है। कई माफियाओं का अवैध साम्राज्य ढहा दिया गया है तो कई को पकड़ कर जेल भेज दिया गया है। साथ ही पुलिस की ऐसे माफियाओं के ऊपर भी नजर है जो जेल की सलाखों के पीछे भी सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। दरअसल, उत्तर प्रदेश की जेलों में कई नामी माफिया डाॅन बंद हैं। इसमें से समय के साथ कुछ माफियाओं के तेवर ढीले पड़ गए हैं तो माफिया डाॅन अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी, बबलू श्रीवास्तव, बृजेश सिंह, सुनील राठी, खान मुबारक, सुंदर भाटी, त्रिभुवन सिंह,धनंजय सिंह आदि आज भी अपने गुर्गो के माध्यम से रंगदारी, फिरौती, जमीन कब्जाने, खनन और सरकारी ठेके हथियाने आदि के धंधे में लगे हुए हैं। माफिया मोबाइल और सोशल नेटवर्क साइड से यह अपनी दहशत का साम्राज्य स्थापित रखते हैं। इतना ही बाहुबली से नेता बन चुके कुछ माफिया डाॅन सोशल नेटवर्क साइड के माध्यम से अपने निर्वाचन क्षेत्र की जनता और समर्थकों से न केवल जुड़े रहते हैं बल्कि पंचायत तक लगाते हैं।


 








Sunday, April 9, 2023

'सभी के लिए स्वास्थ्य' और 'समर्पण' थीम के साथ मना विश्व स्वास्थ्य दिवस--- डॉ.राधे श्याम द्विवेदी

बस्ती। वर्तमान समय में स्वास्थ्य को लेकर जागरूक होना बहुत जरूरी है। स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता से आप तमाम बीमारियोंं से बचाव कर सकते हैं और बीमारियों का शुरुआत में ही पता लगा सकते है। इससे इलाज कराने में आसानी होती है और स्वास्थ्य को होने वाले गंभीर नुकसान से भी बचाया जा सकता है। लोगों को हेल्थ समस्याओं के बारे में जागरूक करने के लिए हर साल 7 अप्रैल को वर्ल्ड हेल्थ डे मनाया जाता है। स्वास्थ्य सम्बन्धी मुद्दों के अलावा लोगों को चिकित्सा के क्षेत्र में हो रही नई रिसर्च और दवाओं के बारे में जागरूक करना भी इस दिन का उद्देश्य है। ' विश्व स्वास्थ्य दिवस की 75वीं वर्षगांठ प्लेटिनम जुबली के रूप में मनाई गई। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जिला इकाई ने 7 अप्रैल को  विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन किया। इस साल इसे ‘समर्पण दिवस' के रूप में मनाया गया। जनता को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया गया। समर्पण दिवस का नारा ‘सभी के लिए स्वास्थ्य' है। इस वर्ष भी 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस को “प्लैटिनम जुबली“ के रूप में 75 वीं वर्षगांठ को अईएमए की ओर से पूरे देश में “समर्पण दिवस“ के रूप में मनाया गया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के तमाम चिकित्सकों ने अपने हाथों में नारे के लिखे पोस्टरों को लेकर प्रभात फेरी निकाली जो शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए सुभाष तिराहे पर समाप्त हुयी।
समर्पण दिवस प्रभात फेरी मैराथन और दीप प्रज्जवलन:-
आईएमए के प्रदेश अध्यक्ष डा. अनिल कुमार श्रीवास्तव ने कहा सभी के लिए स्वास्थ्य ’समर्पण दिवस“ का नारा है“। इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ शरद अग्रवाल एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने शाम 7ः०० बजे सांकेतिक रूप में “दिया“ जलाया, जिसका अनुसरण करते हुए सभी चिकित्सकों ने अपने घरों एवं प्रतिष्ठानों में भी मोमबत्ती जलाया। कार्यक्रम में कुछ स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना काल में उनके द्वारा किये गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन सचिव आई०एम० ए० डॉ रंगजी द्विवेदी ने किया और “सभी के लिए स्वास्थ्य विषय पर डा अश्वनी कुमार सिंह, डा के.के. तिवारी एवं आई० एम० ए० अध्यक्ष डा नवीन कुमार आदि ने प्रकाश डाला। इस अवसर पर आई० एम० ए० के प्रदेश अध्यक्ष डा अनिल कुमार श्रीवास्तव भी पूरे कार्यक्रम में मौजूद रहे। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य दिवस के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा करते हुए “सभी के लिए स्वास्थ्य“ लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु पूरे प्रदेश को सन्देश दिया। उन्होंने कहा कि “हेल्थ फार आल“ सिर्फ स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी नहीं है अपितु अन्य विभागों के नैतिक सहभागिता के बगैर इसे पूरा नहीं किया जा सकता। कार्यक्रम में डा. सरफराज खान, डा ओ०पी०डी० द्विवेदी, डा दीपक श्रीवास्तव, डा अनिल कुमार चौधरी, डा अर्पित धर द्विवेदी, डा अभिजात कुमार, डा विजय गौतम, डा स्वराज शर्मा, डा पीके श्रीवास्तव, डा प्रदीप कुमार श्रीवास्तव डा आर ० यस० यादव, डा सौरभ द्विवेदी,  डा (श्रीमती) तनु मिश्रा , डा (श्रीमती) ऊषा सिंह, डा शैलेन्द्र चौधरी, डा मनीष कुमार वैश्य, डा वी ० के ० मिश्रा डा (श्रीमती) शशि श्रीवास्तव डा कैप्टन यस ० सी ० मिश्रा डा कैप्टन (श्रीमती) पी0 यल0 मिश्रा समेत तमाम चिकित्सक मौजूद रहे। इस अवसर पर 5 वेलेंटियर को अच्छा काम करने के उपलक्ष में मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया।
प्रतिष्ठानों में दीप व कैंडल जलाया गया:-
आईएमए के लोगों ने देर शाम सांकेतिक रूप से अपने घरों व प्रतिष्ठानों में दीप व कैंडल जलाया। शहर के एक होटल में गोष्ठी का आयोजन कर आम लोगों के स्वास्थ्य को लेकर चर्चा की गई। चिकित्सकों ने कैंडल मार्च भी निकाला। कोरोना काल में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कर्मियों को सम्मानित किया गया। संचालन जिला सचिव डॉ. रंगजी द्विवेदी ने किया। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि सभी के लिए स्वास्थ्य केवल नारा बनकर न रह जाए, इसे धरातल पर उतारने के लिए सभी के प्रयास की जरूरत है।
 दुनियाभर में मनाते हैं वर्ल्ड हेल्थ डे:-
1948 में, WHO ने प्रथम विश्व स्वास्थ्य सभा का आयोजित किया। सभा ने 1950 से प्रत्येक वर्ष 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।विश्व स्वास्थ्य दिवस डब्ल्यूएचओ की स्थापना को चिह्नित करने के लिए आयोजित किया जाता है और संगठन हर साल वैश्विक स्वास्थ्यके लिए प्रमुख महत्व के विषय पर विश्वभर का ध्यान आकर्षित करने के अवसर के रूप में देखा जाता है। इस दिन किसी विशेष विषय से संबंधित अंतरराष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय कार्यक्रमों का परिचय देता है।विश्व स्वास्थ्य दिवस को सार्वजनिक स्वास्थ्य केमुद्दों में रुचि रखने वाले विभिन्न निदेशकों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा स्वीकार किए जाते हैं , जो गतिविधियों की पकड़ भी रखते हैं और मीडिया दृष्टिकोण में उनके समर्थन को उजागर करते हैं। 
195 सदस्य देशों का विशाल समर्थन:-
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्‍ल्‍यूएचओ) विश्व के देशों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर आपसी सहयोग एवं मानक विकसित करने की संस्था है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के 193 सदस्य देश तथा दो संबद्ध सदस्य हैं। यह संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अनुषांगिक इकाई है। डा0 श्री प्रकाश बरनवाल का कहना है कि इस संस्था की स्थापना 7अप्रैल 1948 को की गयी थी। इसी लिए प्रत्येक साल 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता हैं।
 विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी एब्ल्यूएचओ के मुताबिक स्वास्थ्य का मतलब केवल स्वस्थ खाना ही नही है बल्कि दुनियाभर भर में लोग स्वस्थ और लंबा जीवन जी रहे हैं इस बात का भी ध्यान रखना है। नई दवाएं, टीके, तरीके और मशीनें स्वास्थ्य सुविधाएं लोगों को मिल सकें। इन सारी चीजों का ध्यान रखना विश्व स्वास्थ्य संगठन का काम है। 
वर्ल्ड हेल्थ डे का इतिहास:-
विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना 1948 में दुनियाभर के कई सारे देशों ने मिलकर की। जिससे लोगों तक स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं मिल सके। दुनियाभर में बीमारी के इलाज से कोई वंचित ना रह सके। डब्ल्यूएचओ की स्थापना के 2 साल बाद 1950 में वर्ल्ड हेल्थ डे पहली बार मनाया गया। उसके बाद हर साल इस दिन को वर्ल्ड हेल्थ डे के रूप में मनाते हैं।
2023 साल की थीम:हेल्थ फॉर ऑल' और ' समर्पण' :-
डब्ल्यूएचओ इस साल अपने 75 वर्ष पूरे कर रहा है। इन सात दशक में पब्लिक के स्वास्थ्य और जीवन की क्वालिटी में कितना सुधार हुआ। इन सबको देखेगा और आगे आने वाले चैलेंज और मौकों को समझेगा। साल 2023 में वर्ल्ड हेल्थ डे की थीम है 'हेल्थ फॉर ऑल'। डब्ल्यूएचओ की थीम से ही जाहिर होता है कि सेहत एक बुनियादी जरुरत है और हर किसी को ये बिना किसी कठिनाई के मिलना चाहिए।
(लेखक: ' नोवा हॉस्पिटल' और 'एपेक्स डायग्नोस्टिक' कैली रोड बस्ती से संबद्ध है। उसने कार्यक्रम को खुद अवलोकन किया है।)

Thursday, April 6, 2023

जयन्ती " शब्द के बारे में भ्रांति निवारण-- डॉ.राधे श्याम द्विवेदी

सोसल मीडिया में एक खबर कहीं से आ गई कि जीवित व्यक्ति की जयंती नहीं मनाई जाती है,नश्वर व्यक्ति की  जयंती मनाई जाती है। यह कथन बिल्कुल सत्य नहीं है। 
       आइए " जयन्ती" शब्द के बारे में कुछ विचार विमर्श कर लें। केवल सही विश्लेषण को आगे बढ़ाएं। भ्रांतियां और गलत संदेश कदापि नहीं फैलना चाहिए।
जयंती मूल रूप से बना है -- जयतीति से।  जि + “तॄभूवहिवसीति । ” उणां ३ ।  १२८ ।  इति झच् । 
व्याकरण की व्युत्पत्ति के अनुसार यह  विजयप्रद कालांश के लिए प्रयुक्त शब्द है। अर्थात्  जिस विजयी क्षण में कोई महापुरुष प्रकट हुआ हो। पुराणों में यह  भी कहा है कि --
“जयं पुण्यञ्च कुरुते जयन्तीमिति तां विदुः।।"
जयप्रद और पुण्यशाली क्षण भी जयन्ती शब्द वाच्य है।
जो अत्यधिक बलवान् शत्रुओं पर विजय प्राप्त करें उसे जयन्त कहते हैं ,इसी को देने वाली वेला जयन्ती होती है।
“ अतिशयेनारीन् जयते जयहेतुरिति वा  जयन्तः । ” 
(इति तद्भाष्यम् ।। ) 
भगवान् विष्णु का भी नाम जयन्त है । अतः उसके प्राकट्य को व्यक्त करने वाली वेला भी जयन्ती शब्द वाच्य है।
“अर्को वाजसनः शृङ्गी  जयन्तः सर्व्वविज्जयी ।। 
भगवान् शिव का भी नाम जयन्त है , उसके अवतारों का प्राकट्य दिवस भी जयन्ती पद वाच्य है।
यथा  मात्स्ये ।  ५ ।  ३० ।   
“सावित्रश्च जयन्तश्च पिनाकी चापराजितः ।  
एते रुद्राः समाख्याता एकादशगणेश्वराः ।।
भगवान वासुदेव के अंश उपेन्द्र को भी जयन्त शब्द से उद्बोधित करते है--
जयन्तो वासुदेवांश उपेन्द्र इति यं विदुः ।।
भगवती दुर्गा को भी  जयन्ती कहते हैं। यथा -
जयन्ती मंगला काली आदि आदि।
श्रीकृष्ण की जन्मकालीन वेला भी जयन्ती कहलाती है।
रोहिणीसहिता कृष्णामासे च श्रावणेऽष्टमी ।। अर्द्धरात्रादधश्चोर्द्ध्वं कलयापि यदा भवेत् । 
 जयन्ती नाम सा प्रोक्ता सर्व्वपापप्रणाशिनी ।।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अनेक ग्रहों की उच्च स्थिति से यह योग बनता है हमारे सभी अवतारों के जन्म समय में यह ज्योतिषीय योग विद्यमान है अतः उनका जन्म दिवस जयन्ती कहलाता है।
यत्र स्वोच्चगतश्चन्द्रो लग्नादेकादशे स्थितः ।   
जयन्तो नाम योगोऽयं शत्रुपक्षविनाशकृत् ।।
अतः सिद्ध है कि जयन्ती शब्द का जीवित या मृत से कोई सम्बन्ध नहीं है । यह महापुरुषों के प्रकट दिवस पर प्रयुक्त होता है। 
जयंती का अर्थ होता है जिसकी विजय पताका निरंतर लहराती रहती है । जिसकी सर्वत्र जय जय होता रहे । यह बात बिल्कुल निराधार है कि जयन्ती शब्द केवल मृतक महापुरुषों के जन्म दिवस के लिए ही है। यह ना जाने किसने और कैसे निकाल दिया कि जयंती मरे हुए लोगों की होती है ? मरे हुए लोगों की तो  "पुण्यतिथि" होती है।  

"जयंती" शब्द का अर्थ है जिनका यश , जिनका जय , जिनका विजय अक्षुण है और जो नित्य है , सदा विद्यमान है।  उसकी जयंती मनाई जाती है। 
        जयंती महापुरुषों की या भगवान की ही होती है । नश्वर शरीर धारियों के लिए जयंती नहीं है । यह बात बिल्कुल निराधार है कि जयन्ती शब्द केवल मृतक महापुरुषों के जन्म दिवस के लिए ही है। जिनकी कीर्ति , यश ,सौभाग्य , विजय निरंतर हो और जिसका नाश न हो सके ,उसे जयंती कहते हैं । 
आदिशक्ति महामाया जगतजननी का नाम भी जयंती रहा है । तो क्या इनकी मृत्यु हो चुकी है ? बिल्कुल नहीं।
जयंती का प्रयोग मुख्यत: किसी घटना के घटित होने के दिन की, आगे आने वाले वर्षों मे पुनरावृत्ति को दर्शाने के लिये किया जाता है । आज के युग में भी आप हम अपने माता पिता या किसी जीवित महापुरुष के 25 वर्ष विवाह ,सन्यास या साक्षात्कार दिवस के पूर्ण होने पर  
रजत जयंती , 50 वर्ष पर स्वर्ण जयंती और 75 वर्ष पर हीरक जयंती  मनाते हैं  ।
हनुमान जी की कीर्ति , यश , विजय पताका , भक्ति , ज्ञान , विज्ञान ,  जय निरंतर और नित्य है , इसलिये इनकी जयंती मनाई जाती है । ऐसे तो नृसिंह जयंती , वामन जयंती  , मत्स्य जयंती इत्यादि भगवान के सभी अवतारों की जयंती मनाई जाती है ।
जयंती मृत्यु से नहीं , उनके नित्य, सदा विद्यमान , अक्षुण , कभी न नष्ट होने वाली कीर्ति और जयत्व के कारण मनाई जाती है । 
चाहे वह जन्म हो या मृत्यु हो । महावीर जयंती ,बुद्ध जयंती , कबीरदास जयंती ,  गुरुनानक जयंती इत्यादि सभी उनके जन्म दिन ही मनाई जाती है ।जयंती का किसी भी तरह जन्म और मृत्यु से कोई सम्बंध नहीं है ।जन्मोत्सव साधारण से लोगों का मनाया जाता है , लेकिन "जयंती"  शब्द विराट है ,वृहद है और यह मात्र दिव्य पुरुषों का ही मनाया जाता है। अतएव देवी देवता और महापुरुषों के जन्म और कृतित्व का गुणगान खुले मन से किया जाना चाहिए और अपने अंतर्मन में उतार कर प्रेरणा लेनी चाहिए।

(लेखक , ' सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी' पद पर कार्य कर चुका है। वर्तमान में साहित्य, इतिहास, पुरातत्व और अध्यात्म विषयों पर अपने विचार व्यक्त करता रहता है।)