Tuesday, October 31, 2023

राष्ट्रीय एकता दिवस पर बस्ती जिले में विविध आयोजन डॉ. राधे श्याम द्विवेदी


भारत की आजादी एक लंबे राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संघर्ष के परिणाम स्वरूप मिली थी। इसे हासिल करने के लिए महात्मा गांधी , जवाहर लाल नेहरू , भगत सिंह से लेकर सुभाषचंद्र बोस आदि अनेक महा पुरुषों ने अपनी-अपनी तरह से योगदान दिया है । आम जनता ने भी आजादी की जंग में अपना खून पसीना एक किया। सभी किसी न किसी तरह से भारत की सत्ता पर स्वदेशी हुकूमत देखना चाहते थे। 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया। देश पर एकीकरण का एक भयावह खतरा मंडरा रहा था जिसे न जवाहर लाल नेहरू कर पाते और न राष्ट्रपिता महात्मा गांधी। सरदार बल्लभ भाई पटेल की दृढ़ इच्छा शक्ति, लौह जैसे इरादे के बूते भारत आजाद और संगठित हुआ। आज जिस अखंड और एक भारत को हम देख रहे हैं यह पूरा भारत हम सबको इसी शख्स का दिया हुआ है। यह ऐसा अनमोल तोहफा है, जिसकी हम कभी कल्पना भी नहीं कर सकते। लौह जैसे इरादों के चलते पटेल लौह पुरूष के नाम से पूरे भारत में लोकप्रिय रहे। 
रियासतों का एकीकरण एक भयावह कार्य:- 
भारत की आजादी के बाद सबसे बड़ा और चुनौतीपूर्ण काम था रियासत में खंड-खंड रूप से बंटे, राजे-रजवाड़ों के छोटी-छोटी सल्तनों की हुकूमतों के अहंकार में डूबे हिंदुस्तान को एक करना कोई आसान काम नहीं था। अंग्रेज भारत को आजाद तो कर गए, लेकिन उन्होंने देश का बंटवारा भी कर दिया । पाकिस्तान के बनाने का निर्णय अंग्रेजों द्वारा अधिकृत लार्ड माउंटबेटन कर गए, लेकिन वे हिंदुस्तान को अखंड बनाने वाली 536 छोटी-बड़ी रियासतों को लेकर चुप्पी साध गए। उस समय नेहरू के लिए भी रियासतों को एक करना सबसे बड़ी और गंभीर चुनौती थी, जिसकी जिम्मेदारी उन्होंने सरदार बल्लभ भाई पटेल को सौंपी । इस तरह एक दृढ़ इच्छा शक्ति के कुशल संगठक, शानदार प्रशासक, पटेल के लिए 600 से ज्यादा राजाओं को आजाद भारत में शामिल करना आसान नहीं था। वे उन्हें नई कांग्रेस सरकार के प्रतिनिधि के रूप में इस बात के लिए राजी करने का प्रयास करना चाह रहे थे कि वे भारत की कांग्रेस सरकार के अधीन आ जाए। जिस तरह से उन्होंने हैदराबाद, जूनागढ़ जैसी रियासतों को एक किया वह काबिले तारीफ था।
31अक्टूबर सरदार पटेल की जयंती एच एकता दिवस:-
31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के रूप में मनाया जाता है। भारत में वर्ष 2014 में पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया गया। देश के पहले गृहमंत्री और उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू के समकक्ष खड़ा करने के अभियान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार आगे बढ़ा रहे हैं। इसी क्रम में 2014 से ही सरकार ने सरदार पटेल की जयंती 31 अक्तूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाना शुरू कर दिया है। 
अमहट घाट पर सरदार पटेल प्रतिमा का लोकार्पण :-
लौह पुरूष सरदार बल्लभ भाई पटेल के जयन्ती अवसर पर ३१ अक्टूबर को उनकी प्रतिमा का अनावरण कुंआनो तट के अमहट घाट पर स्थित नगर पालिका परिषद के पार्क में किया गया। भाजपा विधायक अजय सिंह, जिला पंचायत बस्ती के अध्यक्ष संजय चौधरी, अपना दल एस के निवर्तमान जिलाध्यक्ष विवेक चौधरी आदि ने लौह पुरुष के कार्यों को स्मरण किया। सरदार बल्लभ भाई पटेल ने देश को आजाद कराने, कई बिखरी रियासतों को भारत से जोड़ने और गृह मंत्री के रूप में जो भूमिका निभायी देश उन्हें सदैव याद करेगा। लम्बे समय से मण्डल मुख्यालय पर सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा न होने की कमी खल रही थी, लम्बे प्रयास और सहयोग से यह विशाल प्रतिमा नयी पीढी को रचनात्मक ऊर्जा प्रदान करेगी। लोग पटेल जी के जीवन संघर्ष और अदम्य इच्छा शक्ति से प्रेरणा लेंगे।
स्वामी दयानन्द विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम :-
स्वामी दयानन्द विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में बच्चों को सम्बोधित करते हुए ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती ने बताया कि नेहरू के तीव्र विरोध के पश्चात भी उन्होंने 'सोमनाथ मन्दिर का जीर्णोदार कराया। अदम्य साहस के धनी सरदार पटेल को दुनिया लौहपुरुष के नाम से जानती है। इसीलिए माननीय प्रधानमंत्री जी ने उनकी सबसे ऊंची प्रतिमा में प्रत्येक गांव का लोहा प्रयोग कर *स्टैच्यू आफ यूनिटी* बनाकर उन्हें जन जन के हृदय में बसा दिया। वे अपने सुकर्मों से जन जन के हृदय में बसते हैं। इस अवसर पर आर्य ने विद्यालय परिवार के साथ यज्ञ कर सरदार पटेल के जीवन से प्रेरणा लेने का संदेश दिया। 
 जिला पंचायत सभागार में आयोजित कार्यक्रम:-
लौह पुरूष सरदार बल्लभ भाई पटेल को उनकी 148 वीं जयन्ती पर याद किया गया। मंगलवार को जिला पंचायत सभागार में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये जिला पंचायत अध्यक्ष संजय चौधरी ने कहा कि देश को आजाद कराने से लेकर गृह मंत्री के रूप में देश के निर्माण में उनके योगदान से युवाओं को प्रेरणा लेना चाहिये, वे महान नेता थे। किसान के बेटे के रूप में उन्होने उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद अपनी सुविधा की जगह देश के हितों की चिन्ता किया। ऐसे महापुरूष विरले होते हैं जो संकट में बहादुरी का परिचय देते हुये विजेता बनकर उभरे। उन्होने 562 रियासतों को एकता के सूत्र में बांध कर भारत के स्वरूप को सशक्त बनाया। 
प्राथमिक विद्यालय जगदीशपुर में विविध कार्यक्रम :-
सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर 31 अक्टूबर को हरैया विकासखण्ड के प्राथमिक विद्यालय जगदीशपुर में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। विद्यालय के प्रधानाध्यापक और प्राथमिक शिक्षक संघ हरैया के अध्यक्ष सन्तोष कुमार शुक्ल ने सरदार वल्लभभाई पटेल के बारे में बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय एकता दिवस हर साल 31 अक्टूबर को मनाया जाता है। विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों द्वारा नृत्य, संगीत, नाटक का मंचन किया गया। अंत में रन फॉर यूनिटी दौड़ आयोजित की गई जिसमें विजेता बच्चों को पुरस्कार तथा सभी बच्चों को मिष्ठान वितरित करके कार्यक्रम का समापन किया गया।
जिला परिषदीय विद्यालय के छात्रों द्वारा आयोजित रैली:-
राष्टीय एकीकरण के वास्तुकार सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जयन्ती के उपलक्ष्य में राष्टीय एकता दिवस मनाया और परिषदीय विद्यालय के छात्रों द्वारा विशाल रैली निकाली गई रैली को प्रभारी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी महेंद्र त्रिपाठी द्वारा हरी झंडी दिखाकर गांधीनगर कंपोजिट विद्यालय से रवाना किया गया या रैली लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल अमर रहे की जय घोष के साथ टाउन क्लब के रास्ते से होते हुए ए पी एन डिग्री कॉलेज से वापस जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय पहुँचीं जहां पर समस्त छात्रों और सम्मिलित अध्यापकों ने शपथ ग्रहण किया।
राजकीय महाविद्यालय में पटेल को याद किया गया :-
रुधौली के राजकीय महाविद्यालय सेहमों की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा मिशन शक्ति अभियान 4.0 के अन्तर्गत महाविद्यालय में लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय एकता दिवस बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ महाविद्यालय के प्राचार्य डा० अतुल कुमार पाण्डेय द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया। महाविद्यालय के प्राचार्य एवं समस्त प्राध्यापकों द्वारा सरदार वल्लभ भाई पटेल के चित्र पर माल्यार्पण कर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। तत्पश्चात् राष्ट्रीय एकता दिवस शपथ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। लोगों ने देश के प्रति शपथ ग्रहण किया। इसी क्रम में एकता दौड़ का आयोजन किया गया जिसमें समस्त स्टाफ और छात्र-छात्राओं व स्वयं सेवक एवं स्वयं सेविकाओं ने बहुत ही जोश व उल्लास के साथ हिस्सा लिया। महाविद्यालय में 'राष्ट्रीय एकता का महत्व और आवश्यकता- सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमिका' विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।जिसकी अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डा० अतुल कुमार पाण्डेय ने किया। बीए तृतीय वर्ष की छात्रा अंजू कुमारी ने सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन पर प्रकाश डाला। इस संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य डा० अतुल कुमार पाण्डेय ,डा० श्याम मनोहर पाण्डेय, डा० आनन्द कुमार पाण्डेय, शैलेन्द्र कुमार जी ने अपने विचार व्यक्त किए।

 


Wednesday, October 18, 2023

मेरे आंगन का कलरव तुम


सौर मंडल में ध्रुव तारा चमके मेरे आंगन में दीप्त हुआ।
वह सूर्य के कई गुना है बड़ा मेरा ध्रुव नन्हा अदना सा।
सप्त ऋषियों का सानिध्य उसे यहां भी सप्त प्राणी ही हैं ।
वह शास्वत नित्य चिरंतन है ये अंश व भौतिक नश्वर है ।।

वो आसमान में चमक रहा तुम घर आंगन में दीप्तिमान।
वो जग को अटल भक्ति देता तुम्हारा भी ना कम है मान।
वो सृष्टि का आदि अंत तुम भी कई पीढ़ी के जग महान।
वह वहां जमाता है धाक तुम यहां हो अपनों के सर्व मान।।
मेरे आंगन का कलरव तुम हृदय आकाश के तारक हो । ध्रुव सा हो जीवन के जगमग खुशियों के विस्तारक हो । । पूरे होंगे अब सारे काज तुम इन सब ही के सहायक हो।
अपने अपने सब कर्म करें तुम सब के कर्मों के प्रेरक हो।।
सुबह जल्द उठ जाते हो खुश नुमा माहौल प्रदायक हो।
रोते हो तुम यदा कदा घर आंगन के तुम चहचहावट हो।
तेरी आवाजें जब निकले परिसर में पूरे तुम गुंजायक हो।
तुम रोते हो तो सब परेशां विधि से तुम सुख दायक हो।।
घुव तारे जैसे जिद्दी दृढ़ तुम अपने मन की लीला करते।
हर कोई से मेलजोल बढ़ाते मनोरंजन भी भरपूर करते।
कभी चले बकैया कभी चलें सरककर कभी कभी बैठते।
ज्यादातर खड़े खड़े खेलें औरों से बिल्कुल जुदा रहते।।

Tuesday, October 17, 2023

सिद्धकुंजिका स्त्रोतम दुर्गा सप्तशती की मूल शक्ति है. आचार्य डॉ राधे श्याम द्विवेदी

शारदीय नवरात्र चल रहा है। वैसे देवी भागवत और दुर्गा सप्त शती का पूर्ण पाठ का प्रचलन हमारे देश में है, पर समय के अभाव  में जो लोग पूरा सप्तशती के पाठ का ना कर पाए वे इस स्त्रोत के पठन , वाचन और श्रवण से भी मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं।

सिद्ध कुंजिका स्त्रोत के पाठ का महत्व:-

कुंजिका का अर्थ होता है "कुंजी"। सिद्ध कुंजिका स्त्रोत मां को प्रसन्न करने की चाभी के समान होता है। कुंजिका से तात्पर्य चाबी होता है। यह दुर्गा सप्तशती से प्राप्त शक्ति को जगाने का कार्य करता है। सिद्ध कुंजिका स्रोत पूर्णता का ऐसा गीत है जो वृद्धि के कारण अब छिपा हुआ नहीं है।  सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पाठ से व्यक्ति दुर्गाजी की कृपा सहज रूप से प्राप्त कर लेता है और उसके जीवन में आने वाली समस्याओं से जगदंबा उसे मुक्ति दिला देती है।

          जानकारों का कहना है कि जिस व्यक्ति के पास संपूर्ण दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ का समय नहीं है तो वह केवल सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करके भी पूरी दुर्गा सप्तशती के पाठ का फल प्राप्त कर सकता है। इसका उपयोग बीज उत्किलन के लिए किया जाता है।  इसके बारे में दुनिया के बहुत कम लोग ही जानते हैं और ये अत्यधिक दुर्लभ स्त्रोत है  ।  वर्तमान में लोग शास्त्रों, पुराणों से दूर हो गए हैं। प्राचीन काल से सिद्ध किया जाने वाला ये मंत्र अत्यधिक प्रभावशाली है। इसमें उपस्थित शक्ति किसी का भी भाग्य चमकाकर उसे कीर्तिमान बना सकती है।
         इस स्त्रोत का आध्यात्मिक महत्व भी है क्योंकि यह हमारी ऊर्जाओं पर कार्य करता है। इस मंत्र के उच्चारण से उत्पन्न हुई ऊर्जा हमें प्रेरित करती है कि हम अपनी चेतना के स्तर से ऊपर उठें। भगवान शिव ने खुद मां पार्वती को सुनाया था ये स्त्रोत। श्री सिद्धकुंजिका स्त्रोतम के 108 दिन लगातार पाठ करने से मनुष्य की ऊर्जाएं बदल जाती हैं। मान-सम्मान, साहस, बल और आंतरिक उन्नति की प्राप्ति के लिए इस मंत्र का जाप किया जाता है।
      श्री सिद्धकुंजिका स्त्रोतम खुद भगवान शंकर के मुख से निकला है। भोले शंकर ने माता पार्वती को ये स्त्रोत सुनाया था। ये अत्यंत गोपनीय मंत्र है जिसे बिना किसी को बताए जपना चाहिए।108 दिन लगातार इस मंत्र का जाप करें यदि 108 बार नहीं कर पा रहे हैं तो नवरात्रि के दौरान तीनों वक्त यानि सुबह,दोपहर और सायंकाल इसे जपें।इसे सिर्फ सुनने मात्र से भी ये सिद्ध हो जाता है।
       शिव ने पार्वती जी से इस प्रकार कहा था --
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजाप: भवेत्।।1।।
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्।।2।।
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्।।3।।
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध् येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।।4।।
                      अथ मंत्र:-
"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।''
                     ।।इति मंत्र:।।
शिव जी द्वारा आदि शक्ति मां दुर्गा की इस प्रकार वंदना आराधना की गई थी --
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन।।1।।
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन।।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे। ।2।।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।।3।।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण।।4।।
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु।।5।।
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।6।।
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।। 7।।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।। 8।।
इदं तु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।
यस्तु कुंजिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।
इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती संवादे
            कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम्।
                    ।।ॐ तत्सत।।
( श्री दुर्गासप्तशती गीता प्रेस गोरखपुर पृष्ठ 230--232)

सिद्ध कुंजिका स्त्रोत पाठ की विधि:-
नवरात्रि और गुप्त नवरात्रि में इसका नियमित पाठ विशेष फलदायी होता है। कुंजिका स्त्रोत्र का पाठ विधि से करने पर अति शीघ्र ही मनोवांछित फल मिलते हैं।
1. सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ विशेष रूप से संधि काल (यानी वह समय जब एक तिथि समाप्त हो रही हो और दूसरी तिथि आने वाली हो) में किया जाता है। विशेष रूप से जब अष्टमी तिथि और नवमी तिथि की संधि हो तो अष्टमी तिथि के समाप्त होने से 24 मिनट पहले और नवमी तिथि के शुरू होने के 24 मिनट बाद तक का जो कुल 48 मिनट का समय होता है । उस दौरान ही माता ने देवी चामुंडा का रूप धारण किया था और चंड-मुंड नाम के राक्षसों का वध किया था। इस दौरान ही कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना सर्वोत्तम फल दायी माना जाता है। यह समय नवरात्रि का सबसे शुभ समय भी माना गया है क्योंकि इसी समय के समाप्त होने के बाद देवी वरदान देने को तत्पर होती हैं।
2. सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करते समय इसका ध्यान रखना चाहिए कि जब पाठ करते समय बीच में पाठ बंद नहीं करना चाहिए।
3. वैसे सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ दिन में किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से ब्रह्म मुहूर्त के दौरान इसका पाठ करना सबसे अधिक प्रभावशाली माना जाता है। (ब्रह्म मुहूर्त सूर्य उदय होने से एक घंटा 36 मिनट पहले प्रारंभ होता है और सूर्य देव के समय से 48 मिनट पहले ही समाप्त हो जाता है। इस प्रकार यह कुल 48 मिनट का समय होता है।)
4. वैसे तो अपनी सुविधानुसार किसी भी प्रकार से सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं लेकिन यदि लाल आसन पर बैठकर और लाल रंग के कपड़े पहन कर यह स्रोत पढ़ा जाए तो इसका और भी अधिक फल प्राप्त होता है क्योंकि लाल रंग देवी दुर्गा को अत्यंत प्रिय है।
5. यदि किसी विशेष कार्य के लिए  कुंजिका स्त्रोत का पाठ कर रहे हैं तो पाठ शुक्रवार के दिन से प्रारंभ करना चाहिए और पाठ संकल्प लेकर ही शुरू करना चाहिए। जितने दिन के लिए पाठ करने का संकल्प लिया था, उतने दिन पाठ करने के बाद माता को भोग लगाकर छोटी कन्याओं को भोजन कराएं और उनके चरण छूकर आशीर्वाद लें। इससे मन वांछित फल मिलेंगे।

                 आचार्य डा. राधे श्याम द्विवेदी

            परिचय : आचार्य डॉ.राधे श्याम द्विवेदी 

27.06.1957 को उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में जन्में डॉ. राधेश्याम द्विवेदी ने अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद से बी.ए. और बी.एड. की डिग्री,गोरखपुर विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिन्दी),एल.एल.बी., सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी का शास्त्री, साहित्याचार्य , ग्रंथालय विज्ञान शास्त्री B.Lib.Sc. तथा विद्यावारिधि की (पी.एच.डी) "संस्कृत पंच महाकाव्य में नायिका" विषय पर उपार्जित किया। आगरा विश्वविद्यालय से प्राचीन इतिहास से एम.ए. तथा ’’बस्ती का पुरातत्व’’ विषय पर दूसरी पी.एच.डी.उपार्जित किया। डा. हरी सिंह सागर विश्व विद्यालय सागर मध्य प्रदेश से MLIS किया। आप 1987 से 2017 तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण वडोदरा और आगरा मण्डल में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद पर कार्य कर चुके हैं। प्रकाशित कृतिः ”इन्डेक्स टू एनुवल रिपोर्ट टू द डायरेक्टर जनरल आफ आकाॅलाजिकल सर्वे आफ इण्डिया” 1930-36 (1997) पब्लिस्ड बाई डायरेक्टर जनरल, आकालाजिकल सर्वे आफ इण्डिया, न्यू डेलही। आप अनेक राष्ट्रीय पोर्टलों में नियमित रिर्पोटिंग कर रहे हैं। साहित्य, इतिहास, पुरातत्व और अध्यात्म विषयों पर आपकी लेखनी सक्रिय है।


Thursday, October 12, 2023

पुत्र बनाना आसान नहीं लोग संतति ही बन पाते हैं. आचार्य डॉ.राधे श्याम द्विवेदी


पितृ पक्ष समापन की ओर अग्रसर है। व्यक्ति अपने अपने पितरों को तर्पण जल और श्रद्धा दे रहे हैं।इस दौरान पुत्र और संतति का अर्थ और दोनों में विभेद का जानना समीचीन है। पुत्र' शब्द की व्युत्पत्ति के लिये यह कल्पना की गई है कि जो पुन्नाम ['पुत्' नाम] नरक से उद्धार करे उसकी संज्ञा पुत्र है । पुत्र का अर्थ केवल संतति नही है। शास्त्रों में पुत्र को बहुत स्पष्ट परिभाषित किया गया है-
                        पुन्नर कात्रायते हि पुत्रः।।
पुत्र वही है जो अपने पितर के लिए समुचित श्रद्धा का निर्वहन करता है, यह उस शरीर की निजी संतति भी हो सकती है या पुत्रवत कोई अन्य भी। पुत्र शब्द को हमने रूढ़ि में संतान के साथ जोड़ कर ही देखा है। जबकि इस शब्द का केवल संतान से कोई संबंध नही है। पुत्र सिर्फ वह है जो पूर्वज की श्रद्धा विधि करे।  हिन्दू धर्म में मान्यता है कि व्यक्ति की मरणोपरांत दाह संस्कार एवं पिंड दान का कार्य तथा उसके उपरांत प्रतिवर्ष श्राद्ध आदि कार्य पुत्र के द्वारा ही किए जाने चाहिए अन्यथा व्यक्ति (जीवात्मा) की मुक्ति नहीं होती। हमारे यहां शादी का उद्देश्य मात्र शारीरिक सुख नहीं बल्कि गृहस्थ जीवन का सफल संचालन एवं वंशवृद्धि के लिए संतान की उत्पत्ति करना भी होता है। जीवन के सात सुखों में संतान सुख भी विशेष स्थान रखता है। जहां एक ओर शास्त्रों की मान्यता के अनुसार पितृ ऋण से उऋण होना जरूरी है वहीं देखा जाए तो आंगन में बच्चे की किलकारियां परिवार को व्यस्त कर देती हैं व ईर्ष्या-द्वेष मिटाकर प्यार का संचार करती है।
        समाज में संतान(पुत्र) का होना अत्यावश्यक है, बिना संतति के जीवन लोक व परलोकार्थ सफल नहीं होता। शास्त्रों में कहा गया है कि ‘पुत्रार्थे क्रियते भार्या पुत्र: पिंड प्रायोजन:’ पुत्र प्राप्ति के हेतु ही भार्या की आवश्यकता है न कि कामवासना को तृप्त करने के लिए और पुत्र के द्वारा ही उत्तर क्रिया सम्पन्न होती है। ‘अपुत्रस्यगहं शून्यम्’ व्यवहार दृष्टि से भी बिना पुत्र के घर मानो शून्य हैं। देवी भागवत में लिख दिया गया है कि ‘अपुत्रस्य गतिर्नास्ति स्वर्गे वेदविदोविदु:’ अर्थात स्वर्ग में वेदवेत्ता देवताओं ने यह निश्चय किया कि बिना संतति के प्राणी की सद्गति नहीं होती है।
संतति पुत्र नहीं होता :-
हिन्दवी के अनुसार - संतति का हिंदी अर्थ. विस्तार; फैलाव; संतान; औलाद; बाल-बच्चे; रिआया; प्रजा. दल और झुण्ड होता है। संतति का यह भी अर्थ होता है - "किसी के वंश में उत्पन्न जीव, किसी राजा के अधीन या उसके राज्य में रहने वाले लोग , किसी का पुत्र या पुत्री , या किसी कार्य या उद्देश्य  आदि।"
         जो संतति पुत्र धर्म का निर्वाह नही करती वह संतान होती है लेकिन पुत्र नही। पुत्र की शास्त्रीय परिभाषा बहुत स्पष्ट है। इसलिए हमारे जन मानस में लोकोक्ति में कहा जाता है - 
                         बाढ़े पूत पिता के धर्मे।
                        खेती उपजे अपने करमे।।
        पुत्र हमेशा पिता के द्वारा किए गए सत्कार्य से जीवन में आगे बढ़ता है क्योंकि दोनो का अनुवांशिक अंश मिलकर 49 अंश बन जाता है। यही कारण है कि पिता की मुक्ति भी पुत्र के हाथों ही होता है।

Wednesday, October 11, 2023

विश्व गठिया दिवस 2023 -- डॉ. राधे श्याम द्विवेदी


गठिया एक प्रकार की अधिकतम सूजन और जोड़ों के दर्द के साथ आने वाली बीमारी है। यह रोग विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं, जैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस, रहूमटॉइड आर्थराइटिस, जुवेनाइल आदि। WHO के अनुसार, दुनिया भर की आबादी का लगभग ०.५-१% गठिया रोग से प्रभावित है। आमतौर पर 40 से 60 वर्ष की आयु के लोगों में शुरू होता है। यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक आम है। ऐसी दवाएं हैं जो अति सक्रिय प्रतिरक्षा प्रणाली को धीमा कर सकती हैं और इसलिए जोड़ों में दर्द और सूजन को कम कर सकती हैं। इन्हें रोग-संशोधित एंटी-रूमेटिक दवाएं (डीएमएआरडी) कहा जाता है और इनमें जैविक उपचार भी शामिल हैं।
       हर साल गठिया रोग के बारे में लोगों को जागरूक करने और बीमारी के बारे में समझाने के उद्देश्य से विश्व गठिया दिवस मनाया जा रहा है। वैश्विक स्तर पर गठिया दिवस मनाकर इसके लक्षणों और उपचार के बारे में जानकारी दी जाती है, ताकि इससे होने वाली परेशानी को कम किया जा सके।कब मनाते हैं गठिया दिवस :-
विश्व गठिया दिवस हर साल 12 अक्तूबर को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत 1996 में हुई थी। आर्थराइटिस एंड रूमेटिज्म इंटरनेशनल द्वारा 12 अक्तूबर 1996 को गठिया दिवस पहली बार मनाया गया। बाद में दुनियाभर में गठिया से जूझ रहे मरीजों के लिए यह दिवस मनाया जाने लगा।
गठिया दिवस का महत्व:-
पहली बार अर्थराइटिस यानी गठिया रोग का पता 4500 बीसी में चला। गठिया के मामले तेजी से फैलने लगे तो लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक किया जाने लगा। लोग घुटनों में सूजन या फिर दर्द को आम समस्या मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। उन्हें पता ही नहीं होता कि वह गठिया रोग से पीड़ित हैं। ऐसे में गठिया के लक्षणों को समझकर समय पर इसका उपचार करने के लिए प्रेरित करना विश्व गठिया दिवस का उद्देश्य है।
गठिया दिवस 2023 की थीम
विश्व गठिया दिवस 2023 की थीम ('इट्स इन योर हैंड्स= It's in your hands) है । यानी गठिया से बचना आपके अपने हाथों में है। लाइफस्टाइल में सुधार करके और कुछ बातों का ध्यान रखकर गठिया रोग से बचाव किया जा सकता है। 
गठिया रोग से निजात पाने के लिए स्वास्थ्य सुझाव:-
स्वस्थ जीवन: भावनात्मक तंदुरूस्ती, आत्म-प्रबंधन और अभिप्रेरण के स्वस्थ जीवन शैली विकल्पों को अपनाकर अपने स्वास्थ्य में सुधार लाएं; धूम्रपान व अल्कोहल का सेवन ना करें।
स्वस्थ आहार: गठिया से पीड़ित कैल्शियम युक्त भोजन लें, नमक और चीनी का सेवन नियंत्रित करें।
शारीरिक सक्रियता: आरएमडीएस/गठिया से पीड़ित लोगों के लिए विशेष लाभदायक होती हैं। 
योग और व्यायाम: चिकित्सक या फिजियोथेरेपिस्ट से परामर्श से व्यायाम साइकिल चलाना, नृत्य, धूमना/चलना, बागवानी, तैराकी और योग इत्यादि कर सकते हैं।
निरंतर मुद्रा बदलें: घंटों तक लगातार एक ही मुद्रा में खड़े या बैठे न रहें, अगर लगातार बैठकर काम करते हैं तो हर 45 मिनट पर उठकर घूमें।
      आज 12 अक्टूबर 2023 के हिंदुस्तान (बस्ती/ गोरखपुर संस्करण )में प्रकाशित समाचार कवरेज का अवलोकन किया जा सकता है --

Saturday, October 7, 2023

सत्येन्द्र नाथ श्रीवास्तव 'मतवाला' बस्ती की एक खास शक्सीयत

                'सत्येन्द्र नाथ श्रीवास्तव 'मतवाला' 
                   बस्ती की एक खास शक्सीयत 
                      लेखक : डा.राधे श्याम द्विवेदी 
स्मृति शेष श्री सत्येन्द्र नाथ श्रीवास्तव मतवाला 4 अक्टूबर 1946 को गोरखपुर में एक कायस्थ परिवार में जन्म लिए थे। उनकी शिक्षा सेंट एंड्रयूज कालेज गोरखपुर और गोरखपुर विश्व विद्यालय (अब दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्व विद्यालय) से हुई थी । वह भारतीय स्टेट बैंक के अनेक शाखाओं में प्रबंधक के रूप में दीर्घ काल तक सेवा दिए थे। बस्ती जिले के नगरपालिका क्षेत्र के काली कुंज बैरियहवा मोहल्ले में उन्होंने अपना आशियाना बना रखा है। सेवा मुक्त होने पर वह बस्ती को अपनी कर्म भूमि बनाई । वह भारतीय स्टेट बैंक के कई शाखाओं के प्रबंधक रहे । जो भी उनके पास किसी काम के लिए जाता तो वह उनके कार्यशैली और व्यवहार से पूर्ण रूपेण प्रभावित हो जाता था। 

साहित्य साधना और सामाजिक संगठनों मैं भरी ऊर्जा:-

बैंक से अवकाश प्राप्त करने के बाद सत्येंद्र नाथ श्रीवास्तव ‘मतवाला’ अंतिम  समय तक साहित्य साधना में लगे रहे। उनके पत्नी के साथ 5 पुत्रियां और एक पुत्र पौत्र के साथ भरा पूरा परिवार रह रहा है। वह विभिन्न सामाजिक सगठनों से जुड़े थे। साहित्य में उनकी गहरी अभिरुचि थी वह कायस्थ वाहिनी बस्ती मंडल संरक्षक रहे। वे प्रेम चंद साहित्य और जन कल्याण संस्थान के वे संस्थापक रहे। उनकी रचनाएं जहां पराग तथा नंदन जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं और जनपद के क्षेत्रीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित होती रही हैं। उन्होंने बस्ती जिले का इतिहास, बस्ती जिले का गौरव और बस्ती मंडल का इतिहास, बस्ती मंडल का गौरव नामक पुस्तक लिखकर इस मंडल के स्थानीय कवियों, समाजसेवियों तथा साहित्यकारों को समुचित स्थान दिया है। वर्तमान समय में पूर्वांचल के गौरव नामक पुस्तक पर उनका कार्य चल रहा था। उन्हें डा. वी.के. वर्मा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की ओर से 'राष्ट्रीय सेवा सम्मान' सम्मान से सम्मानित किया गया था। अन्य अनेक संस्थाओं और संगठनों ने भी उन्हें सम्मानित कर रखा है।

बस्ती के यायावर निराला थे मतवाला जी :-

अपनी कविताओं के माध्यम से लोगों के दिलों में हमेशा बसेे रहेंगे। वे साहित्य जगत के यायावर थे। उनके नाम के अनुरूप उनका जीवन भी था। वे सदा ही मतवाले अंदाज में ही जीते थेे। मतवाला जी के जीवन में भी उतार-चढ़ाव आते रहे हैं पर उन्होंने अपने सुख पर कभी दुःख को वरीयता नहीं दिया। उनके व्यक्तित्व में हंसी, रुमानियत भरी पड़ी है  । कवि सम्मेलन जैसे किसी कार्यक्रम को आयोजित करना अपने आप में एक दुरूह कार्य है , लेकिन मतवाला जी की लिए कार्यक्रम आयोजित करना दाएं बाएं हाथ का खेल था । मतवाला जी अपने आप में एक काव्योत्सव थे । कवि तथा साहित्यकार के रुप में मतवाला जी जहां जनपद में हमेशा ऊर्जावान रहें , वहीं बैंक कर्मी तथा समाजसेवी के रुप में सदैव तत्पर और अपनी पहचान को कायम रखी। बैंक में उन्होंने अपना कार्य हंसते मुस्कुराते सेवाभाव से सम्पन्न किया था।

स्वास्थ्य में गिरावट और महाप्रयाण:-

पिछले कुछ दिनों से उनके स्वास्थ्य में गिरावट आई। प्लेट लेट में भारी कमी के चलते उन्हें लखनऊ के डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था ।
 77 वर्षीय मतवाला जी का 18 सितंबर 2023 की रात निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार बस्ती के कुआनो नदी मूडघाट के तट पर किया गया। मुखाग्नि उनके पुत्र आकाश श्रीवास्तव ने दी। बड़ी संख्या में बस्ती वासी, धार्मिक और विभिन्न राजनीतिक दलों के लोगों ने उन्हें अंतिम विदाई दी। उनका निधन साहित्य के क्षेत्र में बस्ती के लिए अपूर्णनीय क्षति हुई है। हम उनके उन्नत आध्यात्मिक जीवन की कामना करते हैं।
                                    लेखक 
                            डा राधे श्याम द्विवेदी 
                  Email : rsdwivediasi@gmail.com

 




Thursday, October 5, 2023

वीवीआईपी आगमन से क्या शहर की स्वच्छता स्वास्थ्य और यातायात की समस्याओं का निदान हुआ है ?

वीवीआईपी आगमन से क्या शहर की स्वच्छता स्वास्थ्य और यातायात की समस्याओं का निदान हुआ है ?
डा. राधे श्याम द्विवेदी 
बस्ती।  बस्ती में  विगत 4 सितम्बर को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल आनंदी बेन पटेल का एक दिवसीय कार्यक्रम
आयोजित हुआ था। पुलिस लाइन  सर्किट हाउस सिविल लाइन सोनूपार रोड का कायाकल्प बहुत दिनों के बाद देखने को मिला। वीवीआईपी विजिट में महामहिम को जितना जिले का अवलोकन करवाया गया उससे ज्यादा शहर के हालातों से रूबरू होने से रोका भी गया ,क्योंकि ये शहर इस काबिल नही था की इसकी हालात महामहिम देखकर प्रशासनिक अमला को बक्सतीं। 
       ठीक एक माह के अंतराल में 4 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्य मंत्री का कार्यक्रम लग गया .वी वी आई पी विजिट महामहिम राज्यपाल और सीएम योगी के दौरे को लेकर प्रशासन सतर्क रहा।
       मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दौरे को सफल बनाने की जिम्मेदारी का बंटवारा जिलाधिकारी ने कर अनेक सकारत्मक प्रयास किए गए। कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक कर उन्होंने साफ-सफाई, रास्तों का मरम्मत कराने के लिए पीडब्ल्यूडी और नगरपालिका अधिकारियों को निर्देशित किया. जिलाधिकारी ने पुलिस विभाग को सुरक्षा और ट्रैफिक नियंत्रण का दायित्व सौंपा. उन्होंने मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित किया कि छुट्टा पशुओं को गौशालाओं में रखवायें. मुख्यमंत्री बैठक के बाद सर्किट हाउस, महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण किया था. कॉलेज का निरीक्षण करने के बाद मुख्यमंत्री स्टेशन रोड स्थित आर्य समाज के कार्यक्रम में शामिल हुए.
            आर्य समाज के प्रधान ओम प्रकाश आर्य ने बताया कि बुधवार 4 अक्टूबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 4 दिवसीय स्वर्ण जयंती समारोह में शामिल होने आ रहे हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कार्यक्रम का उद्घाटन कर
वैदिक धर्म पर प्रकाश डाला. मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में रचितांजली नामक पुस्तक का विमोचन भी शामिल रहा है.  ओम प्रकाश आर्य ने बताया कि चार दिवसीय कार्यक्रम का समापन 7 अक्टूबर शनिवार को होगा . उन्होंने बताया कि आर्य समाज ने हमेशा से समाज को जागृत किया है. आजादी की लड़ाई या सनातन की रक्षा में आर्य समाज की अहम भूमिका रही है. आर्य समाज की प्रेरणा से 7 लाख 85 क्रांतिकारियों ने बलिदान दिया.  वेद को घर घर तक पहुंचाना है. वेद में हर समस्या का समाधान है. इसलिए वेदों की ओर लौटना होगा. वेद के बिना हिन्दू का घर नहीं. इसलिए भारत को पहले आर्यवर्त कहा गया. हमें आज एकजुट होकर देश की प्रगति के बारे में सोचना चाहिए. आज देश विश्व गुरु बनने की राह पर अग्रसर है. 
वीवीआईपी आगमन के रूट डायवर्जन से समस्या बढ़ती है:-
 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दौरे को लेकर पुलिस ने बुधवार को रूट डायवर्जन की व्यवस्था की । पुलिस प्रशासन ने शहर के लोगों से अपील की . वीवीआईपी मूवमेंट में उनका सहयोग करें. रेलवे स्टेशन बस्ती से होटल बालाजी प्रकाश, दक्षिण दरवाजा, सदर अस्पताल, कैली, सोनुपार, डारीडीहां, जेल रोड, चेतक तिराहा, कबीर तिराहा, पुलिस लाइन, शिव मन्दिर, आयुक्त सभागार, सर्किट हाउस रोड सुबह 10 बजे से कार्यक्रम समाप्ति तक सभी प्रकार के वाहन पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया था.
        जिला का राजस्व और पुलिस प्रशासन का पूरा अमला विगत दो दिनों से शहर के कुछ चुनिंदा रूट को अस्थाई रूप से चमकाने में लगे हैं.मुख्यमंत्री के आगमन पर दक्षिण दरवाजा पुलिस चौकी से कार्यक्रम स्थल बालाजी प्रकाश होटल तक सड़क बनाई जा रही है. सड़क के किनारे की नालियां साफ किया गया.नवीन मंडी समिति के अंदर से एक रास्ता कार्यक्रम स्थल होटल तक दिया जा रहा है.जिस रास्ते से आम जनता प्रवेश कर सकेगी. एक हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था की जा रही है.
      काश! ऐसे ही वी वीवीआईपी मूवमेंट होता रहे तो कुछ चुनिंदा ही सही कुछ चमक दिखाई पड़ने ही लगता है. शहर के अनेक नागरिक समस्याये हैं. एक का निदान हुआ तो कई नई विकराल रूप ले लेती हैं. जिले की हृदय रेखा मालवीय मार्ग से जिले के आला अधिकारी क्यों नहीं अवगत होते हैं?इस पर चलने वाले जाएं तो जाएं कहां? भाजपा और सपा के माननीय कुछ भी खास कर पाने में स्वम को समर्थ नहीं कर सके हैं.
      फंड को रोना रोने वाले को जनपद के आम नागरिकों के स्वास्थ्य सफाई और यातायात समस्याओं के स्थाई निदान की कोई रुपरेखा नही दिखाई दे रही है. आधे से ज्यादा शहर में स्वच्छता मानक के अनुरूप नही है. सड़के पैदल भी चलने लायक नही हैं.इससे अच्छा ग्रामीण क्षेत्रों की सड़के देखी जा सकती हैं. आरक्षित महिला नगर पालिका अध्यक्ष अपनी सक्रियता विगत कई कार्यकालों से नहीं दिखा पा रही हैं.जिले में चार नव गठित नगर पंचायतें तो  अपने विकास पथ पर चल रही हैं पर नगर पालिका बस्ती अपने बड़े हुए 69 शहर से लगे हुए अर्ध शहरी क्षेत्र का ना तो अंगीकार कर पाया और ना ही नागरिक सुविधाएं ही दे पाया। हालत पहले से भी ज्यादा बदतर हो गई है.
        जिले में स्वास्थ्य के दो सरकारी केन्द्र बस्ती का जिला सदर अस्पताल और कैली का मेडिकल कॉलेज है.
वीवीआईपी मूवमेंट में ये ये दोनो वीरान रहे क्योंकि रूट डाईवर्जन के कारण मरीज को प्रशासन वहां फटकने ही नही देगा। यह भी सम्भव है कुछ जरूरत मंद को डिसचार्ज भी कर दिया जाए.सब मिलाकर कहीं नागरिक को गुड फील मिल सकता है तो कही बैड फील. 
                   -- :New Updates:--
स्टेशन रोड और मालवीय रोड के सुधार का अनुमोदन मिला  :-
बस्ती शहर की हृदय रेखा मालवीय मार्ग की दुर्दशा का जिक्र मैंने किया था।इस पर शासन गम्भीर हुआ और उसे गंभीरता से विचार करते हुए शासन अग्रिम कदम बढ़ा लिया है। शहर की दो प्रमुख और अति खराब सड़कें दक्षिण दरवाजे से रेलवे स्टेशन और दक्षिण दरवाजे से कलक्ट्रेट तक की सड़के बनाने की अनुमति शासन से मिल गई हैं।
      दक्षिण दरवाजे से रेलवे स्टेशन और दक्षिण दरवाजे से कलक्ट्रेट तक की सड़क पीडब्ल्यूडी को हैंडओवर होनी थी। पहले भेजा गया प्रस्ताव शासन ने अस्वीकार कर लिया था। बाद में इस रोड पीडब्ल्यूडी को नए प्रस्ताव के तहत हैंडओवर होने की बात कही गई। अभी यह प्रक्रिया चल रही थी कि बस्ती में मुख्यमंत्री के दौरे का प्रस्ताव रखा गया था। सीएम का प्रोग्राम स्टेशन रोड स्थित बालाजी होटल में तय हुआ। बताया गया कि सड़क का निर्माण 15वें वित्त से होगा, निर्माण कार्य पीडब्ल्यूडी करेगा। पीडब्ल्यूडी ने एक दिन में काम पूरा करने के लिए 40 लाख के प्रोजेक्ट और आधी सड़कें बनाईं। डीवीडी रोड का निर्माण 'हिन्दुस्तान ' ने एक और दो अक्टूबर के अंक में सचित्र प्रकाशित किया। जिसे यहां के जन प्रतिनिधियों ने संज्ञान में लिया था।