Sunday, May 28, 2017

केरल सरकार का असंवैधानिक कृत्य घोर निन्दनीय- डा. राधेश्याम द्विवेदी

केंद्र के पशु बाजारों में गाय की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगाने के बाद, फैसले के खिलाफ विरोध जताने के लिए केरल के कई हिस्सों में 'बीफ फेस्ट' का आयोजन किया गया। केरल में सत्तारुढ़ माकपा की अगुवाई वाली एलडीएफ, विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ और उनके युवा प्रकोष्ठों ने मार्च निकाले और राज्यभर में उत्सव का आयोजन किया। कोच्चि में तो राज्य के पर्यटन मंत्री के. सुरेंद्रन ने भी इस फेस्ट में हिस्सा लिया। केरल में बड़े पैमाने पर गोमांस की खपत होती है। केंद्र सरकार ने बीफ के लिए पशु बाजार से जानवरों की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस कदम से मांस और चमड़े के निर्यात और व्यापार के प्रभावित होने की आशंका है। सूबे की राजधानी में सचिवालय के बाहर प्रदर्शन हुए और प्रदर्शनकारियों ने सड़क के किनारे गोमांस पकाया और उसे बांटा। राज्य की राजधानी में सचिवालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया गया। यहां प्रदर्शनकारियों ने बीफ पकाकर सड़क के किनारे लोगों को वितरित किया। विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे डीवाईएफआइ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद रियाज ने कहा, 'केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए हम बीफ खाएंगे। हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह बताना चाहते हैं।'

केन्द्र सरकार के नीति का विरोध करना ना तो राज्य के हित में है और ना ही प्रजातंत्र के। जहां वीफ को मर्यादित ढ़ंग से मनाने की छूट है वहीं भारतीय संविधान द्वारा चुनी हुई भारत सरकार को खुली चुनौती देना असंवैधानिक तथा देश विरोधी भी है।इससे ज्यादा तो देश की बहुत बड़ी आवादी की भावनाओं का सम्मान ना करते हुए खुलेआम एसी अनैतिक हरकत करना भी देश विरोधी की श्रेणी में आता है। एसी सरकार को शीघ्र बरखास्त कर देना चाहिए। केरल उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय को शायद यह कृत्य दिखाई ना पड़ा हो। स्वतः संज्ञान लेने के अधिकार का प्रयोग करना भी शायद उन्हें अच्छा ना लग रहा है। समझदार हिन्दू यदि सड़क पर ना उतरें तो उनकी भावना का ख्याल करना भी माननीय न्यायालय के समझ में नहीं आ रहा है। इस उत्तेजनात्मक कार्य से कानून व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है। राज्य सरकार को इससे कुछ भी लेना देना नहीं है। पर भारत सरकार को तो इसे राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देखना ही चाहिए। इसे नजर अन्दाज करना देश हित में कदापि नहीं होगा। इस कृत्य की घोर निन्दा होनी चाहिए तथा केरल सरकार के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी आन्दोलन भी चलाया जाना चाहिए।

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