Saturday, May 13, 2017

आगरा की वेदना (भाग 2 ) - डा. राधेश्याम द्विवेदी

पिछले (भाग 1 के) अंक में हमने आगरा का गौरवशाली अतीत का जिक्र किया था , उसके माथे पर गंदगी का जो स्थाई टीका यहां के वासिन्दे तथा सरकारी उपक्रम दे रखे हैं उसका भी जिक्र किया था। साथ ही पूरा शहर रोज रोज के जाम में जो कराहता रहता है उसका भी जिक्र किया था। देश राज्य तथा शहर का प्रतिष्ठित एक मात्र एस एन मेडिकल कालेज की दशा दुर्दशा पर कुछ लाइनें डाली थी। मैं प्यासा हूं उपशीर्षक में यहां के पानी की किल्लत, प्रदूषण तथा मां यमुना की वेदना को भी व्यक्त करने आदि विभिन्न पहलुओं पर अपना विचार व्यक्त किया था। आज आगरा के कुछ अन्य पहलुओं पर अपनी व्यथा बताने की कोशिस करुंगा।
बेरोजगारी का बोलबाला :-आज आगरा एक पर्यटक स्थल है। इसके वावजूद मेरे बच्चे जरुरत भर के रोजगार नहीं पा रहे हैं। ताज ट्रिपेजियम के कारण सारे उद्योग धन्धे बन्द हो चुके हैं या मेरे आंचल से दूर कर दिये गये हैं। इसलिए यहां घोर बेरोजगारी बढ़ी है। अधिकांश युवा तो लपके की शकल में पूरे प्रशासन तथा पर्यटन तंत्र को हाईजैक कर लिये हैं। सब विभागों में पैठ बना लिये हैं और कोई विना इनके सहयोग के अपना कोई काम निकाल ही नहीं सकता है। जो थोडे शर्मदार थे उन्हें मेरी भूमि को छोड़ना पड़ा और मेरे युवा रोजगार के लिए दिल्ली, नोएडा, मुंबई या विदेशों में जाना पड़ गया हैं। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण रोकने के नाम पर यहां के उद्योगों पर ताला लगा दिया, लेकिन गैर प्रदूषणकारी उद्योग भी नहीं खुलवा सका है। आईटी पार्क, लेदर पार्क जैसे प्रोजेक्ट दशकों से लंबित चल रहे हैं। समय समय पर आगरा ने अनेक मंत्री भी दिये पर कोई दमदार नहीं निकला और सभी अपनी झोली भरने में ही लगे रहे। यहां आईटी पार्क तक नहीं बनवा पाये हंै। अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम का सपना भी मेरा ज्यों का त्यों बना हुआ है। हमने हर सत्ता दल को पर्याप्त विधायक जितवा कर दिये परन्तु सब के सब भोगी निकले एक भी मोदी या योगी जैसे नहीं बन पाया। लगता है यह मोदी योगी युगलवन्दी कुछ तो करा सकती है।
उड़ने के लिए बेचैन:- मैं उड़ने के लिए बेचैन हूं। मेरे आंचल पर स्थित विश्व प्रसिद्ध ताजमहल को देखने के लिए हजारों पर्यटक रोज आते हैं, लेकिन उनके लिए नियमित हवाई उड़ान नहीं है। खेरिया हवाई अड्डा है, लेकिन वायुसेना के कब्जे में है। मेरे नागरिकों के हिस्से में कुछ भी नही है। यहां पर सिविल एनक्लेव बनना है। पुरानी सपा तथा वसपा सरकारें अपने अपने परिवार तथा जाति आधारित राजनीति करती रहीं हैं। अब मोदी योगी जी को देखना है। मैं तो बड़ी आस लगा लिया हॅू। आगे परमात्मा जाने क्या क्या हो पायेगा ? 0 प्र0 सरकार 64 करोड़ रुपये सिविल एनक्लेव को देने की बात कह रही है। आज पैसे देंगे तो काम शुरू होने में भी समय लगेगा। वरना आधा अधूरा लखनऊ एक्सप्रेस वे की तरह इसका भी हाल होगा। इसलिए जो कुछ भी करना है जल्दी कीजिए और तुरन्त कीजिए। सिर्फ बातों से काम नहीं चलने वाला है। मैं तो पहले की सरकार से भी यह कहता था और नई सरकार से भी यही कह रहा हूं, और आगे भी कहता रहूंगा। हमारे धैर्य की परीक्षा कब तक ली जाएगी ? मेरे कहने से यदि कोई बात बने तो हमें लगता ही क्या है ? हमारा काम तो कहना ही तो है।
आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा सरकारी महकमा :- यह बताते हुए मैं शर्मशार हूं कि मेरी पहचान भ्रष्टाचारी के रूप में होने लगी है। आरटीओ आफिस, खाद्य विभाग, पुलिस विभाग, शिक्षा विभाग, तहसील, कलक्ट्रेट, नगर निगम, आगरा विकास प्राधिकरण, विकास खंड कार्यालय, डूडा, लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग, विकास भवन आदि सभी राज्य के सरकारी महकमे सबके सब भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं। भ्रष्टाचार को जल्द से जल्द दूर कराइए ताकि मुझे शरमिन्दित ना होना पड़े और मैं चैन से सांसे ले सकूं। भ्रष्टाचार के नाम पर दिल्ली में केजरीवाल सत्ता पर काविज हुए और सबसे ज्यादा आगे भ्रष्टाचार में बढ़ गये। शायद दिल्ली वासी अब पछताते होंगे। पर अब पछताये होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।
हाईकोर्ट की खंडपीठ :- आगरा में कभी हाईकोर्ट था। अब मैं हाईकोर्ट की खंडपीठ के लिए तरस रहा हूं। वकील आंदोलन पर आंदोलन कर रहे हैं। इसके लिए वे ताज महल तक को बन्द कराने की कोशिस कर चुके हैं। आखिर कब तक मैं हाईकोर्ट की खंडपीठ के लिए तरसता रहूंगा। अब तो केन्द्र तथा राज्य में एक ही दल की सरकार है। अगर अब भी जसवंत सिंह आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, आगरा में हाईकोर्ट की खंडपीठ नहीं बनती है तो यह माना जाएगा कि बातें हैं बातों का क्या ?
ताजमहल सोने का अंडा :- मेरे विकास का धुरी है पर्यटन। पर्यटन के लिए क्या हो रहा है ? पर्यटन पुलिस है, फिर भी मेरे पर्यटक लुट रहे हैं। ताजमहल देखने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। शनिवार और रविवार तथा अन्य अवकाशों को बड़ी संख्या में पर्यटक ताजमहल जाते हैं, लेकिन कुव्यवस्थाओं के शिकार हो जाते हैं। वे प्रायः लपकों से परेशान हो जाते हैं। आगरा विकास प्राधिकरण पर्यटकों से पथकर वसूल रहा है और इस धन को कहीं और खर्च कर रहा है। कोई रोकने वाला नहीं है। पर्यटकों के लिए हवाई उड़ान चाहिए। पर्यटकों के लिए ऐसा वातारवरण चाहिए कि उसे कोई छेड़े नहीं। जयपुर की तरह पर्यटक मित्र वातावरण यहां भी चाहिए। ताजमहल सोने का अंडा देने वाली मुर्गी तो सभी मानते हैं परन्तु उसे जीवित तथा स्वस्थ रखने के लिए कुछ नहीं किया जाता है। एसा सदा तो चल नहीं पायेगा। इसको दुरुस्त कीजिए। इसकी सेवा कीजिए ताकि सोने का अंडा आगे भी हर रोज मिलता रहे।

मैट्रो लोकल ट्रेन : - आज बड़े बड़े सिटी में मैट्रो सज रही हैं। लखनऊ में तो कुछ दूर तक दिखावटी इसका निर्माण करा दिया गया है। आगरा में भी सर्वे हो गया है और पता नहीं कब यह चल सकेगी ? लेकिन लोकल ट्रेनें तो चला ही सकते हैं। बिल्लोचपुरा, सिटी स्टेशन, यमुना ब्रिज, राजामंडी, आगरा कैंट, ईदगाह, फतेहपुरसीकरी, टूंडला रेलवे स्टेशनों को जोड़ते हुए एक लोकल ट्रेन चल ही सकती है। इससे रोड पर कुछ लोड कम होगा। बटेसर वाले नये रुट पर कुछ लोकल ट्रेन तो दिया जा सकता है। वाजपेयी जी का ख्याल रखकर आगरा को विकसित किया जा सकता है। केन्द्र तथा राज्य में एक ही दल की सरकार है। रेल मंत्री प्रभुजी आगरा के लिए कुछ तो कीजिए। फरह से दीन दयाल उपाध्याय जी की स्मृति को जोड़ते हुए भी लोकल ट्रेन चलाने में कोई हर्ज नहीं है।


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