Thursday, October 9, 2025

मेरी चारों धाम यात्रा (कोलकाता से भद्रक) ✍️आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी



              19 सितंबर 2025 

काकद्वीप से कोलकाता को प्रस्थान 

इस समय हम लोग पश्चिम बंगाल में गंगा सागर दर्शन करके काक द्वीप लौट आए थे। काक द्वीप में जिस धर्मशाला में ठहरे थे वहां भोजन की व्यवस्था हुई। सोने की व्यवस्था अच्छी नहीं रही। इसके लिए बाहर खुले आसमान में एक पक्के फर्श पर जो राम कृष्ण मिशन आश्रम का मुख्य गेट था, वहां कुछ देर आराम किया। काक द्वीप दक्षिण 24 परगना में राम कृष्ण मिशन का एक आश्रम है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में सेवाएँ प्रदान करता है। यह सुंदरबन क्षेत्र के ग़रीबों की सेवा करने वाले कई आश्रमों में से एक है। 
     इसके बाद हम अपनी टोली के पास आए अंदर आए,जहां देर रात/सुबह फ्रेश होकर आगे की यात्रा के लिए कोलकाता निकले। प्रातः समय ही हुबली/ भागीरथी नदी के तट पर पहुंचे। आर्मी एरिया में एक खुले स्थान पर बस पार्किंग की गई। पास में एक सुलभ शौचालय में कुछ लोगों ने अपना नित्य कर्म निपटाया। यहां पास ही में हुबली भागीरथी नदी का स्नान घाट था। वाकिंग डिस्टेंस में लोग अपनी सुविधा के अनुसार स्नान किये। 

सब लोगो के स्नान कार्यक्रम पूरा होने के बाद बस करके काली घाट काली मां मंदिर के लिए प्रस्थान किये। हमारे पड़ोस गांव ऐंठी के एक त्रिपाठी परिवार अपने लोगों से मिलने आए हुए थे। वे कोलकाता में कपड़े के व्यवसाई थे। उन्होंने सभी यात्रियों का लोकल किराया काली घाट तक के लिए भी अदा कर दिया था।

                   काली मंदिर 
काली मंदिर दर्शन
काली मंदिर यह पश्चिम बंगाल एक हिंदू प्रसिद्ध मंदिर है, जो हिंदू देवी काली को समर्पित है। जो हिंदू तांत्रिक परंपरा में 10 महाविद्याओं में से एक है ये कालीकुल पूजा परंपरा में सर्वोच्च देवता हैं । यह मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर में स्थापित काली की प्रतिमा अद्वितीय है। यह बंगाल की अन्य काली प्रतिमाओं की तरह नहीं है। इस मंदिर को शक्ति पीठों में गिना जाता है। यहाँ माँ काली की शक्ति और कृपा को महसूस करने बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। 
काली माँ का आशीर्वाद श्रद्धालुओं के लिए अटूट आस्था का प्रतीक है।कालीघाट मंदिर में प्रतिदिन हजारों तीर्थयात्री आते हैं, जो देवी काली को मानव मां की तरह मानते हैं, उनके पास अपनी कष्टदायक घरेलू समस्याएं भी बताते हैं, तथा समृद्धि और कल्याण के लिए प्रार्थना करते हैं। जब उनकी प्रार्थना पूरी हो जाती है तो वे पुनः माता के पास लौटकर अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। 
     उस दिन काली मंदिर में अच्छी खासी भीड़ थी । भीड़ तो प्रायः हर मन्दिरों में देखी जाती है लेकिन हम लोगों को आज अच्छे से दर्शन हुआ। मंदिर में प्रवेश करने से पूर्व मेट्रो के ओवर ब्रिज से होते हुए मंदिर तक गए थे जो अपने में मनोरम था फिर उसी रास्ते से वापस आए और सवारी करके अपने पार्किंग पर पहुंचे। मेरी पार्किंग आर्मी एरिया के पास थी और वहां कुछ हल्का-फुल्का नाश्ता करके आगे की यात्रा उड़ीसा के लिए प्रस्थान किया। हमारी गाड़ी कब तक पश्चिम बंगाल में रही और कब उड़ीसा में घुसी यह आभास न रहा। दिन में ट्रैफिक पुलिस द्वारा बस चेकिंग भी हुई और ड्राइवर द्वारा पैसा देकर ही आगे बढ़ने की अनुमति मिली । एक टोल बूथ पर प्रातः कालीन क्रिया सवारियों द्वारा किया गया। लोगों ने चाय पानी भी ग्रहण किया। प्रातः एक पहाड़ी नदी में स्नान भी किया। वहां जल जलपान करके आगे की यात्रा जारी रखा गया। 
हाइवे पर भोजन 
उड़ीसा में प्रवेश हो चुका था। शाम ढल रही थी। एक हाइवे पर शाम का भोजन की व्यवस्था की गई। यहां पीने का पानी भी नहीं था।बस का भोजन व्यवस्था वालों को एक केन में पानी भी खरीदना पड़ा। भोजन तैयार करते करते अंधेरा हो गया। बस की लाइट जला कर लोगों को भोजन कराया गया। इसके बाद बरतन की साफ सफाई करके स्टाफ द्वारा भोजन ग्रहण करने के बाद अपने गंतव्य को रवाना हुआ।

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