Tuesday, October 14, 2025

मेरी चारोंधाम यात्रा (चित्रकूट उत्तर प्रदेश-3)✍️आचार्य डा. राधेश्याम द्विवेदी



             24 सितंबर 2025

 चित्रकूट में प्रातः मंदाकिनी में स्नान

23 सितंबर के दोपहर विंध्याचल के अष्टभुजी मां के अंचल से बस चित्रकूट के लिए निकली। लगभग तीन-चार घंटे बस चलती रही । हाईवे पर एक विद्यालय का प्रांगण था। वृक्षों की हरियाली थी। बड़ा वाला नल भी लगा था और खुला मैदान भी था। जहां बस रुकी और स्टाफ ने भीजन पानी का व्यवस्था किया। लोग अपने-अपने कपड़े धूलकर सुखाने लगे और अपने आसन बिछा के आराम करने लगे। गोल्ड मोहर के विशाल वृक्षों की छाया में कभी कभार शीतल मंद बयार बह रही थी। कभी कभी हवा रुक जाती तो पसीने आने लगते थे।
      तीन चार घंटे में भोजन तैयार हुआ। शाम हो चुकी थी। अंधेरा बढ़ने लगा।बस की हेड लाइट में लोग भोजन पाए और अपना सामान समेट कर बस में अपना अपना स्थान ग्रहण कर चित्रकूट की ओर प्रस्थान किये।  
        चित्रकूट से पहले ही एक धर्मशाला पर गाड़ी रुकी। लोग बस से बाहर निकल कर धर्म शाला में आए। धर्मशाला से गद्दे ₹20 में किराए पर लेकर लोग आराम करने लगे। जिनको बाहर खुले में जगह नहीं मिली वह कमरा लिए। पंखा और कूलर की व्यवस्था थी। धर्मशाला साफ सुथरा था। किसी रिटायर आर्मी वाले ने बनवाया था । पानी शौचालय की समुचित व्यवस्था थी।जहां आधी रात बाद से तीन - चार घंटे लोग आराम किये। 
      सुबह फ्रेश होकर दातुन आदि करके ऑटो रिक्शा करके चित्रकूट के मंदिरों के दर्शन के लिए निकले। 

                  अनुसूया भवन

सबसे पहले अनुसूया भवन में मंदाकिनी के उद्गम स्थल पर स्नान किया गया। अनसूया की पहाड़ी से एक पाइप के जरिए जल नदी में निरन्तर गिर रहा था। पानी साफ था। यद्यपि इसे थोड़ा पहल कर और आकर्षक और साफ बनाया जा सकता था। अनुसूया भवन का विजुअल इस लिंक से भी देखा जा सकता है - 
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     स्नान आदि से निवृत हो फूल माला और प्रसाद लेकर अनसूया मंदिर तथा आसपास की अन्य मूर्तियों धर्मात्माओं की समाधियों का दर्शन किया गया। बड़े सिस्टमैटिक ढंग से एक रास्ते से लोगों को प्रवेश कराया गया और दूसरी रास्ते से पूरा परिक्रमा करके मंदिर के बाहर निकलवाया गया। बाहर निकलकर चाय पानी पिए गए। जरूरी जरूरी सामान खरीद कर अपने ऑटो से अगले गंतव्य के लिए प्रस्थान किया गया । 
               गुप्त गोदावरी
अगला पढ़ाव गुप्त गोदावरी रहा । यूपी के ही राम घाट से लगभग 18 किमी. दूर विंध्य शिखर के पन्ना श्रेणी में एक गुप्त गुफा है। जिसे गुप्त गोदावरी के नाम से जाना जाता है। इस जगह पर जाती है यूपी की सबसे दिलचस्प जगह। इस जगह का अपना आध्यात्मिक महत्व है। साथ ही कुछ प्राकृतिक तौर पर चौकाने वाली रहस्यमयी चीजें भी यहां देखें। पुरातत्व के अन्य सभी पर्यटन स्थलों की तरह यह भी अपना एक पौराणिक इतिहास है। 


         राम लक्ष्मण निवास स्थल
गुप्त गोदावरी चित्रकूट के पास स्थित एक गुफा प्रणाली है, जो भगवान राम और लक्ष्मण के वनवास से संबंधित है। किंवदंती है कि यह गुफा गोदावरी नदी का गुप्त स्थान है और यहाँ भगवान राम और लक्ष्मण ने कुछ समय बिताया था। गुफा में घुटने तक पानी रहता है और इसमें दो प्राकृतिक सिंहासन हैं, जिन्हें राम और लक्ष्मण का सिंहासन माना जाता है। भक्त मानते हैं कि यह गुफा गोदावरी नदी का गुप्त स्थान है, जो यहाँ राम से मिलने आई थी। गुप्त गोदावरी एक भूमिगत गुफा है जहाँ से पानी बहता है और फिर गुप्त रूप से गायब हो जाता है। गुफा में एक लटकता हुआ पत्थर है, जिसे "खटखट चोर" कहा जाता है। एक किंवदंती के अनुसार, एक राक्षस ने सीता के वस्त्र चुराने की कोशिश की थी, जिसे लक्ष्मण ने यहीं बांध दिया था, जिससे यह आवाज़ आती थी। गुफा के अंदर पानी बहता है, और कुछ किंवदंतियों के अनुसार, सीता ने यहाँ स्नान किया था। 
            स्फटिक शिला

अगला पढ़ाव स्फटिक शिला 
स्फटिक शिला एक छोटी सी चट्टान है, जो रामघाट से ऊपर की ओर मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित है। यह ऐसा स्थान माना जाता है जहां माता सीता ने श्रृंगार किया था। इसके अलावा, किंवदंती यह है कि यह वह जगह है जहां भगवान इंद्र के बेटे जयंत, एक कौवा के रूप में माता सीता के पैर में चोंच मारी थी। ऐसा कहा जाता है कि इस चट्टान में अभी भी राम के पैर की छाप है।
अगला पढ़ाव जानकी कुण्ड 
जानकी कुंड चित्रकूट में मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित एक प्राचीन और धार्मिक स्थल है। यह वह स्थान माना जाता है जहां त्रेतायुग में भगवान राम के साथ वनवास के दौरान माता सीता स्नान करती थीं। इस कुंड में आज भी माता सीता के पदचिन्ह देखे जा सकते हैं और भक्त दूर-दूर से उनके दर्शन के लिए आते हैं। 
अगला पढ़ाव राम घाट 
चित्रकूट धाम में रामघाट मंदाकिनी नदी के किनारे एक पवित्र और धार्मिक घाट है। यह भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के वनवास के दौरान स्नान करने का स्थान माना जाता है और यहीं गोस्वामी तुलसी दास को भगवान राम ने दर्शन दिए थे। शाम को यहां मंदाकिनी नदी के किनारे एक खूबसूरत आरती होती है और घाट पर भीड़ रहती है, जो इसे यात्रियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बनाता है। 
धर्मशाले की ओर वापसी और प्रयाग के लिए प्रस्थान
इन स्थलों को देखने में दोपहर हो गया था। मेरा रिक्शा वाला धर्म शाले में लौटने को जोर देने लगा। सभी लोग हम लोगों का इंतजार कर रहे थे।आते ही प्रयाग राज के प्रस्थान किए।





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