Thursday, October 2, 2025

गयाजी के तीर्थ (1) सामान्य परिचय आचार्य डॉ.राधेश्याम द्विवेदी


गयाजी के सभी स्थलों तक पहुंच बनाई जानी चाहिए। कभी 300 पुरा स्थल वाला गया में अब मात्र 48 से 54 स्थल ही पहचान में रह गए हैं। अधिकांश स्थल अभी भी लोगों से अनजान हैं । इनमें भारत सरकार द्वारा एक ही स्थल बोध गया को संरक्षित घोषित किया गया है, जबकि बिहार राज्य सरकार द्वारा केवल पांच स्मारक ही संरक्षित हैं। ये सभी गयाजी के पिण्ड तर्पण शृंखला में अपना महत्व पूर्ण स्थान रखते हैं। इनके नाम इस प्रकार है - 
1.महाबोधि मंदिर:
गया के प्रमुख संरक्षित स्मारकों में महाबोधि मंदिर (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल), कुर्किहार पुरातात्विक स्थल, और बराबर गुफाएं शामिल हैं. महाबोधि मंदिर वह स्थान है जहाँ गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था।
यह बोधगया में स्थित एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है. यहीं पर निरंजना नदी के तट पर गौतम बुद्ध को आत्मज्ञान प्राप्त हुआ था, जिसके कारण इसे पवित्र माना जाता है. 
2.कुर्किहार पुरातात्विक स्थल:
कुर्किहार बौद्ध कला कृतियों के लिए प्रसिद्ध है.यह वज़ीरगंज प्रखंड में स्थित है और यहां खुदाई से बौद्ध धर्म से जुड़ी कई महत्वपूर्ण कलाकृतियाँ मिली हैं. इनमें अष्टधातु और काले पत्थरों से बनी बुद्ध की आकृतियाँ शामिल हैं, जिन्हें पटना संग्रहालय में संरक्षित किया गया है. यह स्थल 9वीं से 12वीं शताब्दी के पल्लव वंश से संबंधित है. 
3.बराबर गुफाएं:
बराबर गुफाएँ भारत की सबसे पुरानी चट्टानों से बनी गुफाएँ हैं.ये गया से लगभग 24 किलोमीटर उत्तर में स्थित हैं. तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व की ये गुफाएँ मौर्य सम्राट अशोक के आदेश पर बनाई गई थीं और ये भारत में चट्टानों को काटकर बनाई गई सबसे पुरानी गुफाओं का उदाहरण हैं. इनमें लोमा ऋषि गुफा और सुदामा गुफा सबसे प्रसिद्ध हैं. 
4.ताराडीह पहाड़ी 
गया जिले में, ताराडीह एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल है जो महाबोधि मंदिर के पास स्थित है और प्राचीन बौद्ध बस्तियों के अवशेषों के लिए जाना जाता है, जिसमें मौर्य और गुप्त काल से लेकर नवपाषाण काल तक के सांस्कृतिक अवशेष शामिल हैं। यहाँ खुदाई में टेराकोटा मूर्तियां, प्राचीन मिट्टी के बर्तन और बौद्ध विहार की दीवारें मिली हैं। यह बिहार राज्य सरकार द्वारा संरक्षित स्मारक भी है।ताराडीह, गया जिले में महाबोधि मंदिर के पास स्थित एक पुरातात्विक स्थल है। यहाँ नवपाषाण काल से लेकर पाल काल तक के सात सांस्कृतिक कालों के अवशेष मिले हैं। खुदाई में टेराकोटा की मूर्तियां, प्राचीन मिट्टी के बर्तन, और बौद्ध विहार की दीवारें मिली हैं। 
 यह श्रीलंका के राजा मेघवर्ण द्वारा पांचवीं शताब्दी में बनाए गए एक बौद्ध विहार का स्थल भी है, जहाँ तंत्र ज्ञान की दीक्षा दी जाती थी। इस स्थल का विकास कार्य रुक गया है और यह उपेक्षित पड़ा हुआ है, हालाँकि इसके अवशेषों को बोधगया और पटना के संग्रहालयों में सुरक्षित रखा गया है। 
वर्तमान स्थित 
गया जी के अस्तित्व में रहने वाले बड़ी संख्या में स्थलों तक लोगों की पहुंच नहीं है। जो हैं भी वह धीरे धीरे अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं। इसे विशेष अभियान चलाकर पुनः प्रतिष्ठित किया जाना चाहिए। भारत देश में गया जी में 54 ऐसी जगहें हैं जहां पिंडदान किया जाता है, जिसका बिहार के गया में खास महत्व है। यही हमारी परंपरा, कथा और आस्था तीनों एक साथ मिलते हैं। 
मोक्ष नगरी में प्रवेश से पुण्य 
गया की पावन धरती पर कदम रखना एक हिन्दू के लिए बड़े पुण्य का काम है । कहा जाता है कि खुद भगवान विष्णु यहां पितृ देव के रूप में विराजमान हैं। पितृपक्ष में भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन अमावस्या तक देशभर से लाखों लोग यहां आते रहते हैं। इन दिनों गया में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है और परिवार पर से पितृ दोष दूर होता है।
गया में हैं 54 वेदियां अस्तित्व में 
पहले गया में अलग-अलग नामों के कुल 360 वेदियां थी, जहां पिंडदान किया जाता था। वृहद गया महात्मय और वायुपुराण में 360 वेदियों का उल्लेख है। समय के साथ उपेक्षा और देखरेख के अभाव में अब यह संख्या घटकर मात्र 54 रह गई हैं। इनमें उत्तर दिशा में 5, मध्य भाग में 45 और दक्षिण दिशा में 4 पिंडवेदियां शेष बची हुई हैं।
       हर साल पिंडददान के लिए देश विदेश से लाखों लोग गया पहुंचते हैं और अपने पितरों के मोक्ष की कामना करते हैं।
कहा यहा भी जाता है कि जब तक पितरों का गया जी में श्राद्ध न हो तब तक उन्हें मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है।

लेखक परिचय:- 

(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए समसामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, धर्म, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं। लेखक स्वयं चारों धाम की यात्रा कर गया जी के तथ्यों से अवगत हुआ है।

वॉट्सप नं.+919412300183



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