21की रात्रि 22 सितंबर 2025
21 सितंबर 2025 को जगन्नाथ जी के मन्दिर का दर्शन करके बाहर निकल कर बाजार से आवश्यक खरीददारी और जल जलपान किया । इसके बाद पैदल ही श्री साईं लॉज में आकर अपना सामान संभाला। 20 की रात को खिचड़ी शब्जी की प्रसादी ग्रहण किया था। यह व्यवस्था हमारे बस्ती के पंडा श्री चतुर्भुजी पांडे महराज के तरफ से की गई थी।
मन्दिर दर्शन करके हम लोग पूरे ग्रुप में एकत्र होकर अपने ठहरने वाले लाज पर आए। अपना अपना सामान एकत्र किया। कमरा तो लाज वाले ने नहीं दिया परन्तु बैठने की अनुमति दे रखी थी। 21 को श्री हरिहर पंडा के यहां हाजिरी भोग की अटका राशि जमा हुई थी। फ़लतः आज पुड़ी शब्जी और मालपुवा आदि की प्रसादी पूरे समूह को उपलब्ध कराई गई।उसे सभी यात्रियों को वितरित किया गया। इसे ग्रहण कर भोजन के बाद यात्री अपनी अपनी ऑटोरिक्शा करके गोमती बस स्टेशन रवाना हुए। जहां सब लोगों के पहुंचने के बाद यात्रा वापसी की तरफ चल पड़ी।
कुछ आधे घंटे के बाद हमारी गाड़ी हल्की बूंदाबादी में एक मंदिर पर दर्शनार्थ रुकी।इसे साक्षी मन्दिर उर्फ सखीगोपाल मंदिर या सत्यवादी गोपीनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, पुरी के पास स्थित है, जो भगवान कृष्ण को समर्पित है।
मंदिर पुरी-भुवनेश्वर राजमार्ग पर पुरी से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि जगन्नाथ पुरी की यात्रा तब तक पूरी नहीं होती जब तक कि इस मंदिर के दर्शन न कर लें। यहां दर्शन करने के बाद हम लोग उत्तर प्रदेश के लिए झारखंड के जरिए प्रस्थान किये। जगन्नाथ जी का तैलीय प्रसाद खाकर रात में कई यात्रियों का पेट खराब हुआ और रास्ते में कई बार बस रोकनी पड़ी। रात को बारिश भी हो रही थी और नक्सल प्रभावित क्षेत्र भी था। गरीबी और भूखमरी ज्यादा थी। आबादी दूर दूर कम ही दिखती थी।
रात चलते चलते सुबह की बेला आ गई थी। एक टोल प्लाजा के पास बस रुकी। देहात का इंटीरियर इलाका था। चाय की दुकान पर थोड़ा सा पानी था। नल भी नहीं थे। कुछ लोग तो खुले में शौच गए। पर काफी लोग कशमकश कर रहे थे। टोल प्लाजा का कर्मचारी खुले में शौच जाने से रोक रहा था क्योंकि वहां कैमरे लगे थे। उसने टोल प्लाजा के बाथ रूम को यूज करने को कहा। सभी लोग यहां ब्रश भी किए और चाय पीकर आगे बढ़े।
दो तीन घंटे चलकर एक सामान्य पहाड़ी नदी में स्नान किया गया। पानी का बहाव कम था गहराई भी कम थी पर पानी साफ था। लोगों ने स्नान कर कपड़े भी सुखवा लिए तब तक चाय नाश्ता भी हो गया। कुछ घंटों की और सफर तय करने के बाद एक साधारण प्राइमरी विद्यालय पर खाना बनाने और आराम करने का प्रोग्राम तय हुआ। विद्यालय का बरामदा और नल का उपयोग हमारी टीम ने किया। उस गांव में कोई और निजी नल नहीं था।फलस्वरूप उसी नल से गांव वाले भी पानी ले रहे थे।
भोजन पानी करके और बर्तन साफ कर टीम यूपी के लिए प्रस्थान किया। रात में एक ढाबे पर रात काटने के उद्देश्य से विश्राम किया गया।लोग फ्रेस भी हुए।
No comments:
Post a Comment