Tuesday, October 14, 2025

मेरी चारोंधाम यात्रा (अयोध्या यूपी-5) (समापन कड़ी )✍️आचार्य डा. राधेश्याम द्विवेदी


          25 सितंबर 2025

24 की देर रात को अयोध्या के लिए प्रस्थान 
प्रयाग से देर रात चल कर 25 सितंबर को प्रातः 2:00 बजे ही अयोध्या पहुंच गए। जहां एक मल्टी लेवल पार्किंग के पास बस पार्क की गई थी। हमारे लोग इस पार्किंग में अपना अपना बिस्तर लगाकर आराम करने लगे थे। हम लोगों ने भी कुछ देर तक आराम किया और फिर पास ही सुलभ शौचालय जाकर दैनिक क्रिया से निर्मित होकर सरयू स्नान के लिए गये। 
सरयू स्नान 
अयोध्या में सरयू नदी में स्नान का बहुत महत्व है, क्योंकि यह पवित्र नदी मानी जाती है। श्रद्धालु राम की पैड़ी और सरयू के घाटों पर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करते हैं, जिससे उन्हें सभी तीर्थों का दर्शन करने जैसा पुण्य मिलता है। हम लोग सरयू स्नान करने के लिए गए। उस समय सुबह के 4:00 बजे रहे थे। वहां से लौटकर केदार आश्रम अपना गीला कपड़ा वाला थैला रखा । इसके बाद ऑटो रिक्शा करके हनुमानगढ़ी दर्शन के लिए प्रस्थान किए।

 हनुमानगढ़ी में प्रवेश और दर्शन
अयोध्या की हनुमान गढ़ी पवनपुत्र हनुमान को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है, जहाँ भगवान हनुमान को कोतवाल के रूप में पूजा जाता है और वे अयोध्या की रक्षा करते हैं. यह 10वीं शताब्दी का एक प्राचीन और प्रतिष्ठित मंदिर है जो शहर के बीचोंबीच एक टीले पर स्थित है. मंदिर में माता अंजनी के गोद में बैठे बाल हनुमान की मूर्ति है।
 हनुमान गढ़ी सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं बल्कि एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर भी है, जो अयोध्या आने वाले हर श्रद्धालु के लिए एक विशेष स्थान रखता है. 
       हम लोग ऑटो रिक्शा करके हनुमानगढ़ी दर्शन के लिए सुबह 5:00 पहुंच गया जहां काफी देर इंतजार के बाद मंदिर खुला। मंदिर में अंदर आरती चल रही थी और पुजारी गण धीरे-धीरे आरती की क्रिया कर रहे थे।फोटो सेशन भी चल रहा था जो बाहर लगे स्क्रीन पर साफ- साफ दिख रहा था। 
    जब मंदिर का पट खुल तो एकाएक भीड़ का दबाव बढ़ा और मंदिर के सामने काफी लोग एकत्र हो गए। फिलहाल दर्शन हुआ परिक्रमा भी हुआ और निकास द्वार से नीचे आया गया ,जहां अपना चप्पल लेकर पैदल ही राम जन्मभूमि मंदिर के लिए हम लोग प्रस्थान किया ।

राम जन्मभूमि मंदिर प्रवेश दर्शन
राम मंदिर एक महत्वपूर्ण मन्दिर है जो अयोध्या, उत्तर प्रदेश, भारत में बाबरी मस्जिद के ढांचे को तोड़ कर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से बना है। जनवरी 2024 में इसका गर्भगृह तथा प्रथम तल बनकर तैयार किया गया और इसमें श्रीराम के बाल रूप में विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की गई। उपरी तल पर राम दरबार भी दर्शन के लिए खुल चुका है।

 वहां मंदिर में प्रवेश करने पर समान का पुलिस वेरिफिकेशन होता है। अंदर प्रायः काल की आरती चल रही थी और लगभग 6:30 पर मंदिर का कपाट खुला।लोग दौड़ दौड़ कर अपने सामान की चैकिग कराने लगे और वहां से निकाल कर लाकर पर समान मोबाइल जूते आदि रखकर टोकन लेकर मंदिर में प्रवेश किये । थोड़ी देर तक घूमते घूमते मंदिर में प्रवेश मिल गया और रामलला के दर्शन बढ़िया आसानी से हो गए। वहां से लौट कर दूसरे रास्ते बाहर आया गया। लाइन से प्रसाद लिया गया और टोकन देकर अपना समान वापस लिया गया । 
      यहां से बाहर निकाल कर ई-रिक्शा करके तुलसी उद्यान गया।वहां से रामसखा बगिया जाया गया और महंत जी से मुलाकात कर घर के लिए प्रसाद की पैकिंग करने का काम सोपा। इसी बीच अंशु ने पद प्रक्षालन किया और भोजन की व्यवस्था की। प्रसाद पैकिंग के बाद हम लोग वापस अपने बस की पार्किंग पर आए। जहां पांडा श्री चतुर्भुजी पांडे हम लोगों की प्रतीक्षा कर रहे थे और अंतिम विदाई के लिए अगला आशीर्वाद और सावधानियां बताएं ।

बस्ती के लिए प्रस्थान
फिर बस में बैठकर लगभग 12:00 बजे बस्ती के लिए प्रस्थान किया और लगभग 1:30 बजे बस्ती डमरूआ स्टॉप पर सामान उतरवाया। अपने घर जाकर गाड़ी लाई और गाड़ी में सामान रखकर दुबौली दुबे के लिए प्रस्थान किया। जहां भाई साहब हम सब की प्रतीक्षा कर रहे थे। उन्होंने पंडित जी को बुलाकर हवन आदि की प्रक्रिया पूरा कराया। इसके बाद दुबौली गांव में बांटने के लिए वंचित पैकेट देकर शाम को हम लोग बस्ती आ गए। बस्ती में भी पैकेट प्रसाद पैकेट का वितरण किया गया और इस प्रकार यह यात्रा संपन्न हुई।



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