20 सितंबर 2025
भद्रक के पास बस खराब
देर रात उड़ीसा के हाइवे पर भोजन कर आगे गंतव्य पर चलने पर रास्ते में बस खराब भी हो जाती रही। ये यह घटना भद्रक शहर के आसपास की थी जहां एक मंदिर भद्रकाली के नाम से प्रसिद्ध है। भद्रक भारत के ओडिशा राज्य का एक शहर है और भद्रक जिले का मुख्यालय है, जिसका नाम देवी भद्रकाली के नाम पर पड़ा है। यह शहर शालिंदी नदी के किनारे स्थित है और मां भद्रकाली मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। किसी मंदिर से भजन की आवाज गूंज रही थी। पर रात में हाइवे छोड़ना खतरे से खाली नहीं था।
बस के ड्राइवर ने पहले खुद बस को ठीक करने का प्रयास किया और बाद में मरशरी के एक वर्कशॉप पर गाड़ी ले जानी पड़ी। लोग वर्कशॉप के नल पर स्नान कर कपड़े भी सुखा लिए। यद्यपि वर्क शॉप का मालिक एक बस तीर्थ यात्रियों को देखकर नाराज भी हुआ था। बिना चीनी का चाय पीने के कारण आज चाय नहीं मिल पाया इसलिए गला खरास से युक्त हो गया और हल्का जुकाम की शिकायत भी हो गई।
लिंगराज मन्दिर
भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर हिंदू धर्म के प्रतीकों का मंदिर है जहां भक्त भगवान शिव और भगवान विष्णु का एकाकार स्वरूप की पूजा करते हैं। लिंगम एक बिना आकार का पत्थर होता है जो शक्ति पर रुकता है।लिंगराज मंदिर ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन और पवित्र मंदिर है, जो अपनी कलिंग वास्तुकला के लिए विख्यात है। यह मंदिर भगवान 'हरिहर' (शिव और विष्णु) के रूप में पूजा जाता है, जहाँ शिव लिंग में विष्णु शालिग्राम के रूप में विद्यमान हैं। 11वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर कई संरचनाओं और जटिल नक्काशी से युक्त है, जिसमें 180 फीट ऊंचा केंद्रीय टावर है। यह भुवनेश्वर का सबसे बड़ा मंदिर है और भारत के महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक है।
भुवनेश्वर में हम लोग लिंगराज मंदिर में शिव और विष्णु के युगल स्वरूपों का दर्शन किए। मुख्य मंदिर के अंदर स्थित कई मंदिरों में खरपतवार उगते हुए पाए गए हैं, जिनकी जड़ें दीवारों में गहराई तक फैली हुई हैं। अगर इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो यह वनस्पति मंदिरों की संरचनात्मक स्थिरता को खतरे में डाल सकती है।
जगन्नाथ पुरी को रवाना
लिंगराज मंदिर का दर्शन करके हम लोग जगन्नाथ पुरी की तरफ आगे बढ़े मौसम खराब हो रहा था। रिमझिम- रिमझिम बारिश हो रही थी और हम लोग गोमती बस स्टेशन पर पहुंचकर अपनी गाड़ी पार्क की।फिर वहां से सिटी बस लेकर जगन्नाथ पुरी मंदिर के पास स्थित चंदन सरोवर की गली में साईं तीर्थ लॉज के लिए प्रस्थान किया। वहां हमारी टीम के लोगों को सातवें मंजिल पर ठहरने की व्यवस्था थी। उस मंजिल तक हम नहीं चढ़ सकते थे इसलिए नीचे ही तल पर ₹700 का एक कमरा रात्रि विश्राम के लिए बुक किया। जिसे सुबह 9:00 बजे तक खाली करना था। दिन भर के भाग दौड़ में कई दिनों तक अनियमित विश्राम मिलने से शरीर असहज हो गया था जो इस रूम के मिल जाने से काफी सुखद रहा।
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