Tuesday, October 21, 2025

गयाजी के तीर्थ (2) विष्णुपद मंदिर:✍️आचार्य डॉ.राधेश्याम द्विवेदी

गया जी का विजुवल पृष्ठभूमि:- 

कृपया ये लिंक देखें -- 

https://www.facebook.com/share/r/1AWSSiv2en/

          1.विष्णुपद मंदिर:

गयासुर का पूरा शरीर ही आज का गया तीर्थ है। उसकी पीठ पर बने विष्णु भगवान के पैरों के निशान के ऊपर बनवाया गया भव्य मंदिर विष्णुपद मन्दिर के नाम से जाना जाता है। दंतकथाओं में कहा गया है कि गयासुर नामक दैत्य का बध करते समय भगवान विष्णु के पद चिह्न यहां पड़े थे। यह फल्गु नदी के तट ब्रह्मयोनी पहाड़ी पर स्थित एक महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थ स्थल है, जहाँ भगवान विष्णु के पदचिह्न अंकित हैं. गया में पिंडदान करने वाले लाखों श्रद्धालु इस मंदिर के दर्शन करते हैं. यह मंदिर 30 मीटर ऊंचा है जिसमें आठ खंभे हैं। इन खंभों पर चांदी की परतें चढ़ाई हुई है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु के 40 सेंटीमीटर लंबे पांव के निशान आज भी देखे जा सकते हैं। यह मन्दिर हिन्दू मान्यताओं में भगवान विष्णु के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है । 

     गया के पास ही स्थित पाथेरकट्टी पहाड़ी से लायी गई ग्रेनाइट की चट्टानों से इंदौर की महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने 18वी शताब्दी में इस मन्दिर का निर्माण राजस्थान से ख़ास तौर से बुलाये गये लगभग 1200 शिल्पकारों से करवाया गया था। मंदिर के निर्माण में लगभग 12 वर्ष लगे थे। मन्दिर के अंदर गर्भगृह में एक बेसाल्ट की चट्टान के उपर भगवान विष्णु के पैर के निशान आज भी मौजूद हैं।

 इसको धर्मशिला के नाम से भी जाना जाता है। मन्दिर प्रांगण के अंदर अन्य मंदिर भी स्थित हैं। एक भगवान नरसिम्हा को समर्पित है और दूसरा फाल्ग्विस्वर के रूप में भगवान शिव को समर्पित है।

      त्रिपाक्षिक गयाजी श्राद्ध के तहत पिंडदानियों ने सोलह वेदियों में से पांच वेदियों—कार्तिकपद, दक्षिणाग्निपद, गार्हपत्याग्निपद, आह्वानीयाग्निपद और सूर्यपद—पर एक ही प्रयास अपने पूर्वजों का सामूहिक पिंडदान करते हैं। इस दौरान सबसे अधिक भीड़ विष्णुपद मंदिर में रहती है। पिंडदानियों ने कर्मकांड के बाद विष्णु चरणों के दर्शन और पूजन भी किया जाता है। यहां पुलिस द्वारा सुरक्षा की उत्तम व्यवस्था होती है।यह गया के सर्वाधिक व्यवस्थित मंदिरों की श्रेणी में आता है।

विष्णु पद मंदिर में पितृ पक्ष में भारी भीड़ होती है। पुलिस प्रशासन बड़ी मुस्तैदी से व्यवस्था करता है। साफ सफाई, लाइनिंग और अंदरूनी व्यस्था बहुत सुन्दर होता है। फाल्गु नदी में वर्तमान में पर्याप्त पानी भरा हुआ है। नदी के तट पर पक्के प्लेटफार्म बना हुआ है। पीने का पानी,शौचालय और पानी धूप से बचने का छाजन बना हुआ है।

गजाधर वेदी

विष्णु पद मंदिर परिसर में यह वेदी स्थित है। जो मन्दिर से कुछ गज पूर्वोत्तर फल्गु नदी के किनारे गदाधर भगवान का मन्दिर है। भगवान की चतुर्भुजी मूर्ति है। इनके जग मोहन में श्री राम लक्ष्मण, सीता जी और ब्रह्मा की मूर्तियां हैं।

गया शिर और गया कूप वेदी 

विष्णु पदमंदिर मन्दिर के दक्षिण गया शिर  स्थान है। एक बरामदे में एक छोटा कुण्ड है। उसी बरामदे में लोग पिंडदान करते हैं।

गया शिर के पश्चिम घेरे में गया कूप है। श्रद्धालु पिंडदानी साथ में नारियल लेकर कर्मकांड की विधि संपन्न करते हैं। कर्मकांड समाप्त करने के बाद गया कूप में नारियल को डालते हैं। वहीं गया सिर वेदी पर कर्मकांड करने बाद पिंड को गयासुर के सिर पर अर्पित करते हैं। गया कूप वेदी पर अधिक भीड़ होने कारण पिंडदानी वेदी से बाहर खुले मैदान में कर्मकांड करते हैं।

लेखक परिचय:-

(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए समसामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, धर्म, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं। लेखक स्वयं चारों धाम की यात्रा कर गया जी के तथ्यों से अवगत हुआ है।

वॉट्सप नं.+919412300183

No comments:

Post a Comment