छपिया रेलवे स्टेशन से पूरब पतिजिया बुजुर्ग नामक गांव स्थित है। यहां शंकर जी एक महत्त्व पूर्ण प्रसादी वाला मंदिर बना हुआ है। यहां धर्मपिता सपरिवार घनश्याम महाराज के साथ आते थे। उसी समय एक बार मंदिर के शिव लिंग से भोले नाथ प्रकट होकर घनश्याम महाराज से मिले थे और दोनों भगवान एक दूसरे को भेंट भी किए थे।
यहां हर साल शिवरात्रि का बहुत बड़ा मेला लगता है। एक बार धर्म पिता सपरिवार घनश्याम महाराज के साथ यहां आये थे। उसी समय शंकर और पार्वती जी भी आपस में विचार करने लगे थे । हम लोगों के दर्शन हेतु साक्षात भगवान जी आए हैं। इसलिए हम लोग भी सामने प्रकट होकर उनसे चलकर मिलते हैं। यह विचार कर वे महाराज जी सामने मानव रूप में आए। अंतर्यामी महाप्रभु भोलेनाथ को पहचान गए। दोनों भगवान घनश्याम और भोलेनाथ एक दूसरे से गले मिले थे।
भोले नाथ बोलने लगे, “ आप हमारे दर्शन के लिए आए थे। आपका प्रेम देखकर हम भी आपके दर्शन करने के लिए आ गए हैं।”
घनश्याम महाराज धर्म कुल तथा श्री शंकर पार्वती जी सभी लोग चलते हुए पतीलिया के इस पावन स्थल तक आ गए थे। फिर पतीलिया में शंकर पार्वती जी दोनों अदृश्य हो गए थे।
इसके बाद धर्म भक्ति और रिश्तेदार तथा घनश्याम के मित्र सभी ने मंदिर में जाकर दर्शन किए थे। मेला देखकर सब लोग छपिया वापस आ गए थे। इस महत्त्व वाला यह प्रसादी स्थल है। यहां दोनों के मिलन के प्रतीक चिन्ह के रुप में एक ओटो (छतरी)का निर्माण किया गया है। इसे ही प्रसादी स्थल कहा जाता है। इस शिव मंदिर को स्थानीय जनता बाबा पाटेश्वरनाथ के नाम से भी जनता है।
आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी
लेखक परिचय
(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं. वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए सम-सामयिक विषयों, साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं। मोबाइल नंबर +91 8630778321, वर्डसैप्प नम्बर+ 91 9412300183)
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