Thursday, October 3, 2024

स्वामीनारायण छपिया मंदिर का प्रसादी की छतरी / नारायण सरोवर :: आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी


स्वामी नारायण मंदिर छपिया धाम के ठीक सामने पूरब दिशा में श्री स्वामी नारायण मंदिर घनश्याम भवन के पास पवित्र नारायण सरोवर स्थित है। नारायण सरोवर वह झील है जहाँ स्वामी नारायण स्नान किया करते थे । जिसमें अनेक बार घनश्याम प्रभु ने लीला की है। इसमें स्नान करplने और इसके तट पर जप तप और श्राद्ध करने से 68 तीर्थ यात्रा का पुण्य अर्जित होता है। इस पवित्र नारायण सरोवर में स्नान करने वाले मनुष्य को भौतिक पापों से छुटकारा मिल जाता है। 
      किवदंती है कि इस सरोवर की स्थापना त्रेता युग में कश्यप ऋषि व माता अदिति की तपस्या से प्रसन्न हो कर स्वयं नारायण ने की थी। कहते हैं कि त्रेता युग के महान ऋषि कश्यप व उनकी धर्म पत्नी अदिति ने साक्षात नारायण को पुत्र रूप में प्राप्त करने के लिए गोनार्द( गोण्डा) की पावन धरती छपिया धाम के इस स्थान पर कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर जब भगवान उन्हें दर्शन देने के लिए प्रकट हुए और वरदान मांगने को कहा तो सबसे पहले कश्यप व अदिति ने सभी 68 तीर्थों का जल लाकर इस स्थल पर एक सरोवर का निर्माण करने का वरदान मांगा। 
      एक अन्य विवरण में कहा गया है कि धर्म देव अपने पुत्रों के साथ नारायण सरोवर गए थे। इस समय पानी कम था। मछली और अन्य जल के जीवों को मरता देख कर धर्म देव के मन में दया आ गई । वे बोले, भगवन अभी वर्षा मे देर है। ये जीव गर्मी से मर रहे हैं। अपने पिता का संकल्प देखकर घनश्याम महराज (नारायण) ने अपनें दाएं अंगूठे से पृथ्वी को दबाकर पाताल गंगा को प्रकट किया और सभी 68 तीर्थों के साथ इसकी स्थापना की।स्वयं नारायण द्वारा स्थापित किये जाने से इस सरोवर का नाम नारायण सरोवर पड़ा।
     धर्मदेव उस प्रवाह को ऊंचा उछलता देखकर आश्चर्य चकित हो गए। हे दादा आपके अंतःकरण को देखकर पाताल घाट से गंगा जी को हमने ही बुलाया है। आप की जब तक इच्छा हो तब तक यहां पर रहने दें। श्री हरि की बात सुनकर धर्म देव अति प्रसन्न होकर बोले तीन धनुष पानी हो जाय तो अच्छा है।
      इस तरह नारायण सरोवर में पानी भर जानें से जय जयकार होने लगा। हजारों प्यासे पशु पक्षी भगवान का प्रसादी मानकर तत्काल आकर अपनी प्यास बुझाई। अपनी अपनी वाणी में प्रभु को खुश करने लगे। 
     इनमें से कई तोता मैना चतुर प्राणियों को देखकर घन श्याम महराज ने कहा, हे दादा इन तोतों में तोते का रुप धारण करके शुकदेव जी ने अपने स्वरूप में आकर हमारे दर्शन किए हैं। 
    यह सुन कर तोता रूपी शुकदेव जी धर्म कुंवर के पास आकर बैठ गए। उस तोते को अपने हाथ में लेकर पूरी शरीर पर हाथ फेरते हुए वे बोले, हे शुकदेव जी, आप फिर सत्संग में आना। आपको शुकमुनि का नाम रखकर हम अपने पास सदैव रखेंगे। 
   यह कह कर तोते को छोड़ दिए। सभी के सामने तत्काल तोता अदृश्य हो गया। ऐसा देख कर धर्म देव आदि जो तालाब पर आएं थे,सभी आश्चर्य चकित हो गए। नारायण सरोवर में जो व्यक्ति स्नान करेगा वह 68 तीर्थ में स्नान करने का फल प्राप्त करेगा।
    स्वामी नारायण संप्रदाय के लोग पवित्र जल-निकाय में स्नान करके पापों से मुक्ति पाने के लिए यहाँ आते हैं। अपने पिता को इसकी महिमा बताते हुए प्रभु ने कहा था, “नारायण सरोवर आदि की महिमा शेष शारदा आदि करोड़ों कल्प तक कहें तो भी महिमा का पार नहीं पा सकते हैं।”
   आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी 

लेखक परिचय:-

(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए सम सामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं।)


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