श्रवण पाकड़ तलावड़ी
श्रवण पाकड़ तलावड़ी गुरु नानक चौक के पास झांझरी ब्लॉक, गोण्डा, में स्थित है। अयोध्या से करीब 35 किमी. की दूरी पर, श्रवणपाकर एक पौराणिक ऐतिहासिक स्थल है। यहां त्रेता युग में राजा दशहरा के दिन बाण से घायल होकर श्रवण कुमार ने अपना प्राण त्याग दिया था। पौराणिक मान्यता के अनुसार त्रेता युग में भ्रमण के दौरान श्रवण कुमार इसी स्थान पर माता पिता के साथ विश्राम के लिए रुके थे। श्रवण कुमार ने यहां पाकड़ की दातुन करके फेंक दिया था। बाद में यहां पाकड़ का एक विशाल पेड़ तैयार हो गया। इस कारण इसे श्रवण पाकड़ नाम से जाना जाता है।
कथाओं के अनुसार इस जगह पर वह माता-पिता को बैठा कर उनकी प्यास बुझाने के लिए पानी लेने निकले थे।जहां सरोवर पर उन्हें अयोध्या के राजा दशरथ का शब्दभेदी बाण लगा था। यहां पर प्रति वर्ष माघ महीने में विशाल मेला लगता है।
श्रवण तलावड़ी नामक इस तालाब में साल में एक बार मेला लगा था। इस मेले में तालाब में स्नान करना महत्वपूर्ण माना जाता था। इसलिए धर्मदेव और अन्य लोग मेले में आए। युवा घनश्याम भी उनके साथ गये थे।
एक भिक्षुक (तपस्वी) संत उस तालाब के किनारे विशिष्ट मुद्रा में बैठे थे। उनके साथ कुछ अंधे व्यक्ति बैठे थे और उनसे विनती कर रहे थे: "हे भिक्षुक, हमें दृष्टि दीजिए।" भिक्षुक ने कहा, "मुझे पैसे दीजिए और मैं अपने मुंह से एक फूंक मारकर आपको दृष्टि दूंगा।"
"हे भले आदमी, हम आपको पैसे कैसे दे सकते हैं? हमारे पास पैसे नहीं हैं। हम भीख मांगकर अपना गुजारा करते हैं। फिर भी हमें एक दिन में एक बार खाना मिलता है और चार बार भूखे मरते हैं। हम पैसे कहां से लाएँ?" भिक्षुक ने कहा, "तो फिर चले जाओ।"
घनश्याम ने यह घटना खुद देखा था। उन्हे यह बहुत बुरा लगा। उन्होंने उन अंधों को रोका जो निराश होकर जा रहे थे। उसने उनसे कहा: "हे भक्तों, निराश मत हो। भगवान दयालु हैं।"
अंधे ने कहा, "जब आप ऐसा कहते हैं, तो हमें लगता है कि भगवान सचमुच दयालु हैं। हम उनकी एक झलक पाने के लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं।"
घनश्याम ने उनकी आँखों को अपने कोमल हाथ से सहलाया और कहा: "क्या आप कुछ देख सकते हैं?"
अंधे ने खुशी से चिल्लाया, "हाँ, हम देख सकते हैं, हाँ, हम इसे टिमटिमाते हुए देखते हैं। हम युवा कन्हैया को देखते हैं। वह अपने पैरों को मोड़कर खड़ा है, और वह बांसुरी बजा रहा है। ओह, क्या अद्भुत बांसुरी बजा रहा है!" "आज से आप हमेशा कन्हैया को देख सकेंगे और उसकी बांसुरी सुन सकेंगे। मुझे बताओ, क्या आप कुछ और देखना चाहते हैं?" घनश्याम ने कहा। "नहीं," अंधे ने कहा, "सब कुछ इसी में है।" भगवान में दृढ़ विश्वास (भरोसा) सभी परेशानियों का इलाज है।
गुजरात, महाराष्ट्र सहित अन्य प्रांतों से आने वाले स्वामीनारायण संप्रदाय के हरिभक्त छपिया मंदिर में दर्शन करने के बाद यहां आकर दर्शन करते हैं।
हर साल अयोध्या में माघ मास में आयोजित मेले में हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और यही लोग अयोध्या से श्रवणपाकर में भी आयोजित मेले में दर्शन के लिए आते हैं।
स्वामीनारायण ट्रस्ट द्वारा जीर्णोद्धार
इस स्थान पर स्थित श्रवण मंदिर एवम पोखरे का जीर्णोद्धार स्वामी नारायण ट्रस्ट के द्वारा स्थापित किया गया है। इस पवित्र स्थली पर दूर-दराज से लोग अंत्येष्टि क्रिया के दर्शन करने आते हैं। उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा पर्यटन संवर्धन योजना के तहत मंदिर व पोखरे के जीर्णोद्धार के लिए 50 लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान करते हुए करीब 23 लाख रुपये का बजट जारी कर दिया है। इसके बावजूद भी इसके आसपास काफी विकास की आवश्यकता है। इस पावन स्थली पर दूर-दराज से लोग अंत्येष्टि क्रिया सम्पन्न करने आते हैं। अतः यहां पर एक शमशान घाट भी जरूरी है।
आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी
लेखक परिचय
(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं. वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए सम-सामयिक विषयों, साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं। मोबाइल नंबर +91 8630778321, वर्डसैप्प नम्बर+ 91 9412300183)
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