Saturday, March 5, 2022

युक्रेन के अभिजात्य वर्ग के तथाकथित भारतीय छात्र

 युक्रेन के तथाकथित छात्रों - छात्राओं के हाव-भाव और मानसिकता कोई छात्र कम टूरिस्ट ज्यादा लगता है। पढ़ना एक बहाना है सही रूप में वे कम ख़र्चे में विदेशी जमीन पर ऐशो आराम पिकनिक, शादी विवाह तथा बिजनेस नौकरी करना भी अपना लक्ष्य बना लेते हैं। वहाँ कम ख़र्चे में मनचाही ब्रांच में प्रवेश और डिग्री मिल जाती है। वहाँ केवल एमबीबीएस/ एमडी के ही छात्र नहीं अपितु बी टेक टुरिज्म भाषा विज्ञान तथा अन्य कोर्सों मे भी लोग आसानी से प्रवेश व डिग्री ले लेते हैं। ये अपने को अभिजात्य वर्ग का मानने लगते हैं और भारत देश की एकता आखंडता का उपहास भी उड़ाया करते हैं। युक्रेन में कोई प्रवेश परीक्षा नहीं होती है। एमबीबीएस करने के लिए इंटर में किसी संकाय और विषय के साथ भी पास किये हुए चार लाख प्रतिवर्ष खर्च करके यूक्रेन से एमडी फिजीशियन एंड सर्जन बन जाते हैं ! ये छात्र माता-पिता की महत्वाकांक्षा का बोझ ढोते रहते हैं। साथ मे सैर सपाटा-फॉरेन कंट्री और कुछ बियर-दारू की मौज भी लेते हुए चलते हैं।वहां हज़ारों लड़के लड़कियां स्वछंद घूमते हैं। और तरह तरह के गतिविधियां भी करते हैं। 
एक छात्रा के ट्वीट में देखा गया कि एक लड़की यूक्रेन में भारतीय दूतावास में टॉयलेट साफ करवाने को रो रही थी।दस टॉयलेटमें एक हज़ार छात्र यूज करेंगे 24 घण्टे तो युद्धरत युक्रेन में सफाई कर्मचारी क्या भारत से भेजे जाएंगे ? अभिजात्य वर्ग फ्री का खा रहे हैं फिर धड़ाधड़ लैट्रिन जा रहे थे । क्या उनकी लैट्रिन भारतीय राजदूत साफ करेगा ? वहाँ एकत्र एक हज़ार छात्रों को यदि कुछ काम करना पड़ा तो क्या पहाड़ टूट जायेगा? 
यहां भारत मे मम्मी के हाथ की बेड टी पीकर टॉयलेट जाने
वाली नस्ल यूक्रेन से कुत्ते लेकर लौट रही है ।
भारत सरकार ने यूक्रेन में फँसे भारतीयों को वापस बुलाने के लिए समय समय पर कई एडवाइज़री जारी की हैं। वहाँ से छात्रों को भारत लाने के लिए 'ऑपरेशन गंगा' भी केंद्र सरकार चला रही है। इसके तहत कुछ छात्र भारत आ चुके हैं और कुछ अगले दिनों में फ़्लाइट्स के जरिए भारत लाए जाएंगे.
पीएम मोदी ने चार मंत्रियों को यूक्रेन से लगे चार देशों में भेजा है, ताकि फँसे लोगों को सुरक्षित वापस भारत लाया जा सके। इसके साथ जो छात्र फ़्लाइट से दिल्ली मुंबई लैंड कर रहे हैं, उन्हें रिसीव करने के लिए भी मंत्री प्लेन के अंदर पहुँच कर स्वागत और अभिनंदन कर रहे हैं। 
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर तीन सवाल पूछे हैं - "कितने छात्र भारत लौट आए, कितने अब भी फंसे हैं और आगे के लिए सरकार का प्लान क्या है."
ऐसा इसलिए भी क्योंकि 12 हज़ार भारतीय कब और कैसे यूक्रेन छोड़ चुके हैं, इसका ब्रेकअप सरकार ने नहीं दिया गया है।यही वजह है कि सवाल पूछे जा रहे हैं कि क्या ऑपरेशन गंगा काफ़ी है? 
 ऐसे तथाकथित छात्रों के लिए भारत सरकार ने 4 मंत्री लगा दिए। एयर बसें और हरक्यूलिस भी ! किंतु छात्रों की एहसान फरामोशी और कृतघ्नता देख कर इनके कथित 'संस्कारों' पर तरस आ रहा है।जबकि इतना बड़ा बचाव ऑपरेशन सिर्फ भारत की मोदी सरकार ने चला रखा है। किसी अन्य देश ने नहीं ! पाकिस्तान और अन्य देश के छात्र तिरंगा ध्वज को ढाल बना कर वहाँ से निकलने में कामयाब हो रहे हैं। भारत के कुछ कृतघ्नी के लिए ये कोई खास नही है। अनेक छात्र राजनीतिक घृणित बयानबाज़ी भी कर रहे हैं। 
यूपी के हरदोई के सपा नेता की बेटी भारत की सरपंच प्रधान होते हुए भी विदेश का यह क्रेज से अपने को रोक नहीं पाती है। वह भारत सरकार की नकामयाबी का ढिढोरा पीट रही है। 
एक सीन में देखा कि छात्रों की लौटती फ्लाइट में "भारत
माता की जय" के नारे लग रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो इस पूरे ऑपरेशन का कर्ता-धर्ता हैं, जब मोदी के नाम का नारा लगता तो छात्रों को सांप सूंघ जाता है !
एक सीन में केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी यूक्रेन से लौटते
छात्रों के स्वागत में एयरपोर्ट के बाहर हाथ जोड़े खड़ी हैं।छात्र
केंद्रीय मंत्री की तरफ देखते तक नहीं।जो देखते भी हैं वह उपहास से देखते हैं। 
साहब ! यह देश डंडे के जोर से चलने का आदी है,सदियो से !
विनम्रता, सौजन्यता और शिष्टाचार यहां कायरता और भीरुता माना जाता है ! यही कथित छात्र जिन्हें आप यूक्रेन से बचा कर लाये हैं (इनके कुत्तों के साथ) , यही आपके विरुद्ध शाहीन बाग और फ़र्ज़ी किसान आंदोलन और पंजाब में मोदी जी की यात्रा पूरा नहीं हो के बीच खड़े होकर आपको यानी भारत सरकार को गालियां देंगे । 
ज़िम्मेदार पदों पर बैठे कई नेता और विश्लेषक इस समय भारत सरकार द्वारा उठाए गए क़दमों को नाकाफ़ी करार दे रहे हैं. लेकिन कई इसकी सराहना भी कर रहे हैं और कई ये सुझाव भी दे रहे हैं कि सरकार और क्या कर सकती है। 


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