आइए,
आज राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी की कुछ उन असलियत के बारे में जाने, जो हमें हमारी
स्कूली किताबो मे पढ़ने को नही मिलता है. हमें
तो यही पढ़ाया गया है कि गांधी जी की अहिंसा नीति से डरकर अंग्रेजो ने देश छोड़ दिया
था. हमें उन असंख्य बलिदानियों तथा अमर सपूतों के बीरता की कहानी नहीं बताई जाती जो
हंसते हंसते फांसी के फन्दे पर लटक गये थे. आज उन परिवार का कोई बन्दा अपने पूर्वजों
के बीरता की कीमत को देशकी जनता से वसूलते नहीं देखा जा सकता है. गांधीजी ने जो कुछ
किया उसका सबसे ज्यादा फायदा केवल कांग्रेस और वह भी नेहरु परिवार ने पीढ़ी दर पीढ़ी
उठाया है. देश में गांधीजी के केवल अच्छे काम को ही प्रकाशित तथा प्रसारित किया जाता
रहा है। आज हम कुछ एसे कारनामों का जिक्र करेंगे कि आप कम से कम गांधीजी का नाम उतनी
श्रद्धा से ना ले सकेंगे.
आजादी
के बाद अखंड भारत को तीन हिस्सो मे तोड़ने की
स्वीकृति इसी गाँधीजी ने दी थी. सरदार पटेल की जगह नेहरू को प्रधानमंत्री बनाने
के लिए भी गाँधीजी ने ही कहा था. ये वही गाँधीजी हैं जिसने सुभाष चंद्र बोस का कांग्रेस
के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिलवाया था. जब नेहरू की बेटी इंदिरा एक मुस्लिम के साथ शादी
कर चुकी थी और नेहरू ने उसे अपने घर से, अपने नाम से,अपनी हर चीज से बेदखल कर दिया
था, तब इसी गाँधीजी ने इंदिरा और फिरोज को अपना उपनाम देकर गाँधी बनाया ताकि गाँधी
के नाम पर ये इस देश को अंग्रेजो की तरह लूटते रहे. जब सरदार भगतसिंह को फाँसी होने
वाली थी तो गाँधीजी और नेहरू ही वो शख्स थे जो इस फाँसी को रुकवा सकते थे. गाँधीजी
ने ही भगतसिंह की फाँसी रुकवाने की बजाए उसकी फाँसी की तिथि बदलवाकर पहले करवा दिया
था ,क्योकि अंग्रेज एक हफ्ते के अंदर सभी क्रांतिकारियो को रिहा करने वाले थे और भगतसिंह
उस वक्त इतने लोकप्रिय हो गए थे कि लोग उनकी एक आवाज पर अपनी जान दे देने को तैयार
थे।. गाँधीजी को अपनी दबती हुई छवि मंजूर नही थी. नेताजी सुभाष चंद्र बोस जिनकी एक
आवाज पर लोगो ने अपने गहने जेवरात बेचकर 24 घंटे के अंदर लाखो रुपए इकठ्ठे कर लिए थे
सुभाष का साथ देने के लिए, उस लोकप्रिय सुभाष को गाँधीजी और नेहरू ने मिलकर भारत से
बाहर भेजकर एक गुमनामी की जिंदगी जीने के लिए मजबूर कर दिया और उनकी मृत्यु की झूठी
खबर फैला दी ताकि लोगो की सुभाष के लिए बढ़ती आवाज को दबा सके, क्योकि वह नही चाहते
थे कि आजादी के समय गाँधी से ज्यादा कोई और लोकप्रिय नेता हो.
सत्तर
साल तक कांग्रेस सरकार ने गांधीजी के नाम की माला जपते जपते सत्ता से चिपक कर देश की
इस प्रकार की दुर्गति कर दी है कि हम आज अपना शिर उठाकर नहीं जी सकते हैं. हमारे देश
की प्रतिभाओं को अपना हुनर दिखाने के लिए विदेशों की शरण लेनी पड़ती है. उन विदेशी सरकारों
द्वारा दी जाने वाली तमाम प्रकार की जिल्लतें भी सहनी पड़ती है. वर्तमान भाजपा सरकार
भी कांग्रेस के नक्शेकदम पर चलते हुए गांधीजी के असलियत से परदा ना उठाकर उन्हें ही
महिमा मण्डितकर सत्ता से जुड़ा रहना पसन्द करती है. अब समय आ गया है जब गांधीजी के इन
दुराग्रहों का पर्दाफाश किया जाय . उन्हें
राष्ट्रपिता के सम्मान से मुक्त किया जाय. इस देश में महापुरुषों की कमी नहीं
है. किसी और को राष्ट्रपिता के लिए चयनित किया जाय. इतना ही नहीं उनके द्वारा लाभ पहुचाये
गये दल व परिवार का भी परदाफाश किया जाना चाहिए. यही लोकतंत्र की पहचान है और आवश्यकता
भी.
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