यमुना नदी के किनारे 25 एकड़ में फैले इस बाग का निर्माण 1631 से
1635 के बीच करवाया गया था।1652 में औरंगजेब के एक पत्र में महताब बाग का ब्यौरा
सामने आया था, जिसमें बाढ़ से बाग को नुकसान होने की जानकारी शहंशाह शाहजहां को दी
गई थी। उसके बाद फ्रेंच यात्री टेवर्नियर ने 17 वीं सदी में काले ताज की अवधारणा को
फैलाया। 1871 में ब्रिटिश आर्कियोलोजिस्ट एसीएल कार्लाइल ने महताब बाग पर रिपोर्ट दी।
यह ताजमहल के सममितिय बना है क्योंकि इसकी चौड़ाई ताजमहल
की चौड़ाई के ठीक बराबर है। बाग के बीच में एक बड़ा सा अष्टभुजीय तालाब है, जिसमें
ताजमहल का प्रतिबिंब बनता है। पर्यटक इस बाग से ताजमहल की अनुपम छठा को निहार सकते
हैं। इस तालाब के लिए पानी बगल के झरने से लाया गया था। दुर्भाग्यवश यह बाग
मुगलकाल से लेकर अब तक यमुना नदी में आने वाली बाढ़ की चपेट में रहा है। इसके कारण
बाग की खूबसूरती नष्ट हो गई है और यह उजड़ सा गया है। बाढ़ के कारण बाग के चार बलुआ
पत्थर के स्तंभ में से सिर्फ एक ही सुरक्षित है। इनमें से तालाब के उत्तर और दक्षिण
में स्थित दो स्तंभ की नींव आज भी देखी जा सकती है। ऐसा समझा जाता है कि यह संभवत:
यह इस बाग का पैविलियन हुआ करता होगा।
ताजमहल
कांप्लेक्स का हिस्सा रहे महताब बाग में बारादरी और छतरी के उत्खनन में पेड़ बाधा बन
रहे हैं। महताब बाग के पश्चिमी ओर की छतरी का अष्टकोणीय प्लेटफार्म तो निकलने लगा है,
लेकिन पीएसी कैंप पर कई पेड़ हैं जिससे उत्खनन का काम रुका है। 2014 से एएसआई ने एनजीओ वर्ल्ड मान्यूमेंट फंड के
साथ मुगल बागीचों के संरक्षण पर काम करना शुरू किया। महताब बाग में पूर्व और पश्चिमी
ओर मिट्टी में दबी बारादरी और पश्चिमी किनारे पर अष्टकोणीय छतरी को निकालने का काम
करना है। एएसआई ने छतरी पर काम शुरू किया, लेकिन बड़े हिस्से में उत्खनन के लिए कई
पेड़ हटाने होंगे। यहां पूर्व में पीएसी का कैंप रहा है और घने पेड़ लगे हैं। वर्ल्ड
मान्यूमेंट फंड यहां ड्राइंग और रिकार्ड में एएसआई की मदद कर रहा है। इस टीम ने इससे
पहले एत्माद्दौला की कोठरियों के संरक्षण का काम देखा। एत्माद्दौला के मकबरे में मुगलिया
दौर की जल प्रणाली को पुनर्जीवित किया जाना है।
हाल ही में की गई खुदाई से एक विशाल अष्टकोणीय टैंक
25 फव्वारे, एक छोटे से केंद्रीय टैंक और पूर्व में एक बरादरी के साथ सुसज्जित का पता
चला। साइट
भी काले ताज के मिथक के साथ जुड़ा हुआ है, लेकिन खुदाई के एक उद्यान परिसर के लिए पर्याप्त
सबूत उपलब्ध कराई है।
नदी
के बाँये तट पर ताजमहल के विपरीत दिशा में स्थित बगीचे के परिसर को मेहताब बाग या
'चाँदनी बाग' के नाम से जाना जाता है। पहले यहाँ धरती पर केवल दक्षिणी चाहरदीवारी का
एक भाग दक्षिण-पूर्वी बुर्जी ही दिखाई पड़ती थी। 1996-97 में विभाग द्वारा एएसआई ने
इंडो यूएस प्रोजेक्ट के तहत कराए गए पुरातत्वीय उत्खनन में 25 फब्बारों सहित एक विशाल
अष्टभुजीय तालाब, एक छोटा केन्द्रीय कुंड पूर्वी बारादरी के अवशेष तथा उत्तरी प्रवेशद्वार
निकला। उत्तरी तथा पूर्वी भाग में बुरी तरह से ध्वस्त चाहरदीवारी का भी पता चला है।
यह स्थल काले पत्थर के ताजमहल की दन्तकथा से भी जुड़ा है परन्तु उत्खनन से इसके एक
बाग परिसर होने के पर्याप्त प्रमाण मिले है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की उद्यान शाखा
ने खुदाई में निकले अवशेषों के आधार पर इसे चारबाग प्रणाली पर आधारित एक विशिष्ट मुगल
बाग के रूप में विकसित किया है। इस मुगल उद्यान में 40 से अधिक प्रजातियों के पौधे
उगाए गये है। वृक्षों झाडि़यों तथा बेलो,घासों की प्रजातियाँ जैसे नीम, मौलसरी, शहतूत,
अमरूद, जामुन, गुड़हल, नींबू, रन्तजोत, चाँदनी, लाल कनेर, पील कनेर, चंदन, लिली, अनार,
अशोक आदि लगाए गए है। ताजमहल के चारों ओर प्रदूषण कम करने के लिए हरित क्षेत्र बनाने
के लिए इस बाग को विकसित किया गया है।
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मीटर की दक्षिणी दीवार वाले महताब बाग में 25 एकड़ में मुगलिया दौर के पौधे लगाए गए
हैं।
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