(सुन्नी बहमनी
वंश के सुल्तान अलाउद्दीन बहमनशाह से लेंकर
स्वतंत्र भारत
के प्रधानमंत्री नेहरु गांधी परिवार के सात सौ साल की टूटी फूटी दास्तान)
देश के तीन टुकड़े:- जवाहर लाल नेहरू
कोई धार्मिक व्यक्ति नही थे उन्होने देश के विभाजन की मांग नही की , उन्होने देश के तीन
टुकड़े किये थे 1. इंडिया (इंदिरा के लिए), 2. पाकिस्तान (अपने आधे भाई जिन्ना के लिए)
और 3. कश्मीर (अपने आधे भाई शेख अब्दुल्लाह के लिए) । अरे वाह एक ही परिवार तीनो
जगह सियासत भाई मानना पड़ेगा नेहरु के दिमाग को। यह वही नेहरु है जिनके मुह बोले पिता मोतीलाल के पिता गयासुद्दीन
गाजी जमुना नहर वाले दिल्ली से चम्पत हो गए थे 1857 की म्युटिनी में और जाकर छुप गए
कश्मीर में। जहाँ अपना नाम परिवर्तित किया था गयासुद्दीन गाजी
से पंडित गंगाधर नेहरु नया नाम और सर पर गाँधी टोपी लगाये पहुच लिए इलाहबाद। लड़के को वकील बनाया और लगा दिया मुबारक अली की लॉ
कंपनी में।
प्रधानमंत्री के दावेदारों
की रहस्यमय मौतें :- नेताजी सुभाष चंद्र बोस और
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारत के प्रधानमंत्री के पद के लिए जवाहरलाल नेहरू के प्रतियोगियों
में थे और उन दोनों को रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। जवाहरलाल नेहरू की बहन
विजय लक्ष्मी अपने पिता के कर्मचारी सयुद हुसैन के साथ भाग गई. तो मोती लाल नेहरू जबरदस्ती
उसे वापस ले आया और एक रंजीत पंडित नाम के एक आदमी के साथ उसकी शादी कर ली।
विगड़ौल
बाप की विगड़ौल औलादें :- इंदिरा प्रियदर्शिनी को ऑक्सफोर्ड
विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था लेकिन वहां से उसे बाहर निकाल दिया गया। बाद
में उसे शांति निकेतन विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन, रवीन्द्रनाथ टैगोर
ने उसे वहां उनके खराब आचरण के लिए बाहर निकाल दिया। शांति निकेतन से निकाले जाने के
बाद इंदिरा अकेलेपन से ग्रस्त हो गई। उसकी माँ की तपेदिक से मृत्यु हो चुकी थी और बाप
राजनीति में व्यस्त था। इन्दिरा गाँधी अकेलेपन और अवसाद का शिकार थीं। एक तन्हा जवान
लडकी जिसके पिता राजनीति में पूरी तरह से व्यस्त और माँ लगभग मृत्यु शैया पर पडी हुई
हों थोडी सी सहानुभूति मात्र से क्यों ना पिघलेगी, और विपरीत लिंग की ओर क्यों ना आकर्षित
होगी ? इसी बात का फायदा फिरोज खान ने उठाया। जो उन दिनों मोतीलाल नेहरु की हवेली में
शराब आदि की सप्लाई करने वाले एक पंसारी नवाब खान का बेटा था। इंदिरा ने अपना धर्म
फिर से बदल लिया और मुस्लिम धर्म अपना कर फिरोज से लंदन की एक मस्जिद में शादी कर ली।
अब इंदिरा प्रियदर्शनी नेहरु का नाम बदल कर मैमुना बेगम हो चुका था। अब जवाहर लाल ने
फिरोज खान को उसका उपनाम बदल कर गाँधी रखने को कहा। और उसे विश्वास दिलवाया कि सिर्फ
उपनाम खान की जगह गाँधी इस्तेमाल करो और धर्म बदलने की भी कोई जरुरत नहीं है। दोनों
ने अपना उपनाम बदल लिया और जब दोनों भारत आये तो भारत की जनता को बेवकूफ बनाने के लिए
हिन्दू विधि विधान से शादी कर दी गई।
संजय
गांधी की जुदा दास्तान
:- इंदिरा गाँधी (श्रीमती फिरोज खान) का जो दूसरा बेटा था, संजय गाँधी वो फिरोज खान
कि औलाद नहीं था। बल्कि वो एक दुसरे महानुभाव मोहम्मद युनुस के साथ अवैध संबंधों के
चलते हुए था। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि संजय गाँधी अपनी माँ को ब्लैकमेल करते थे
और जिसके कारण उनके सभी बुरे कृत्यों पर इन्दिरा ने हमेशा परदा डाला और उसे अपनी मनमानी
करने की छूट दी । ऐसा प्रतीत होता है कि शायद संजय गाँधी को उसके असली पिता (मोहम्मद
यूनुस ) का नाम मालूम हो गया था और यही इन्दिरा की कमजोर नस थी, वरना क्या कारण था
कि संजय के विशेष नसबन्दी अभियान (जिसका मुसलमानों ने भारी विरोध किया था) के दौरान
उन्होंने चुप्पी साधे रखी, और संजय की मौत के तत्काल बाद काफी समय तक वे एक चाभियों
का गुच्छा खोजती रहीं थी, जबकि मोहम्मद यूनुस संजय की लाश पर दहाडें मार कर रोने वाले
एकमात्र बाहरी व्यक्ति थे। जब संजय गाँधी की प्लेन दुर्घटना में मौत हुई तब मोहम्मद
युनुस ही सबसे ज्यादा रोया था। बचपन में संजय गाँधी का मुस्लिम रीति रिवाज के अनुसार
खतना किया गया था। यह सच है कि संजय गांधी लगातार अपनी मां इंदिरा गांधी को अपने असली
पिता के नाम पर ब्लैकमेल किया करता था। संजय का अपनी माँ पर पर गहरा भावनात्मक नियंत्रण
था जिसका संजय ने जमकर दुरूपयोग किया। इंदिरा गांधी भी उसकी इन सब बातों (कुकर्मों)
को नजरअंदाज करती रही और संजय परोक्ष रूप से सरकार नियंत्रित किया करता था।संजय गाँधी
की शादी एक सिखनी मेनका के साथ मोहम्मद युनुस के ही घर पर दिल्ली में हुई थी। मेनका
जो कि एक सिख लडकी थी, संजय गाँधी की रंगरेलियों की वजह से गर्भवती हो गईं थीं और फिर
मेनका के पिता कर्नल आनन्द ने संजय को जान से मारने की धमकी दी थी, फिर उनकी शादी हुई
और मेनका का नाम बदलकर मानेका किया गया, क्योंकि इन्दिरा गाँधी को मेनका नाम पसन्द
नहीं था।
राजीव
जी का मुगलों जैसा आचरण
:- व्यक्तिगत आचरण में राजीव बहुत ज्यादा एक मुगल की ही तरह था। सोनिया गाँधी ने हाई
स्कूल से ज्यादा शिक्षा तक प्राप्त नहीं की है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय परिसर के बाहर
अंग्रेजी का ज्ञान देने वाली एक छोटे से स्कूल लेंनोक्स स्कूल से उसने थोड़ी बहुत अंग्रेजी
सीखी और अब उसे ही कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से स्नातक हुआ बताती है। उसने कैम्ब्रिज
में एक होटल में वेट्रेस का काम किया। राजेश पायलट और माधव राव सिंधिया प्रधानमंत्री
पद के लिए मजबूत दावेदार थे और वे सोनिया गांधी की सत्ता के रास्ते में रोड़ा थे। दोनों
की ही रहस्यमय दुर्घटनाओं में मृत्यु हो गई। इस बात की ओर इशारा करने वाले भी पर्याप्त
साक्ष्य मिले हैं कि माइनो परिवार(सोनिया गाँधी का इटालियन परिवार ) ने ही राजीव गांधी
की हत्या के लिए लिट्टे समुदाय को अनुबंधित किया। गाँधी परिवार द्वारा राजीव जी के हत्यारे को क्षमा
किये जाने के पीछे भी कोई ना कोई राज हो सकता है। एक तो उससे यदि कोई साजिस होगा तो
वह छिपा रह सकता है। देश के कानून का मजाक बनाया जा सकता है कि इतनी बड़ी हत्या का इन्साफ
नहीं मिला और जनता से सहानुभूति अलग से प्राप्त किय जा सकता है। जो भी हो भारत के भविष्य
की चिन्ता करने वालों के लिए यह एक गम्भीर पहलू अवश्य बना रह सकता है। देश के कानून
को सत्य समय पर जनता के सामने लानी ही चाहिए और देश के प्रति होने वाले किसी भी प्रकार
के कुचक्र से बचने का प्रयास करना ही चाहिए।
Very nice
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