पृथ्वी
दिवस एक वार्षिक आयोजन
होता है। यह भारत का
अपना मूल पर्व नहीं है। इस तरह का
कार्यक्रम भारत में अक्षय तृतीया को माना जा
सकता है, जो इसी पर्व
के आस पास ही
पड़ता है। पृथ्वी दिवस को 22 अप्रैल को दुनिया भर
में पर्यावरण संरक्षण के समर्थन के
लिए आयोजित किया जाता है। इसकी स्थापना अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन के द्वारा 1970 में
एक पर्यावरण शिक्षा के रूप में
किया गया था। अब इसे 192 से
अधिक देशों में प्रति वर्ष मनाया जाता है। इस तारीख को
उत्तरी गोलार्द्ध में वसंत और दक्षिणी गोलार्द्ध
में शरद का मौसम होता
है। सितम्बर 1969 में सिएटल, वाशिंगटन में एक सम्मलेन में
विस्कोंसिन के अमेरिकी सीनेटर
जेराल्ड नेल्सन घोषणा किया था कि 1970 की
वसंत में पर्यावरण पर राष्ट्रव्यापी जन
साधारण का प्रदर्शन किया
जायेगा। सीनेटर नेल्सन ने पर्यावरण को
एक राष्ट्रीय एजेंडा में जोड़ने के लिए पहले
राष्ट्रव्यापी पर्यावरण विरोध की प्रस्तावना दिया
था । वे इस
घटना को याद करते
हैं और इस पर
काम करते हैं। जानेमाने फिल्म और टेलिविजन अभिनेता
एड्डी अलबर्ट ने पृथ्वी दिवस,
के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका
निभायी थी। पर्यावरण सक्रियता के सन्दर्भ में
जारी इस वार्षिक घटना
के निर्माण के लिए अलबर्ट
ने प्राथमिक और महत्वपूर्ण कार्य
किये थे। उसने अपने सम्पूर्ण कार्यकाल के दौरान इसका
प्रबल समर्थन भी किया था।
एक रिपोर्ट के अनुसार 1970 के
बाद, अलबर्ट के जन्मदिन 22 अप्रैल
को पृथ्वी दिवस मनाया जाने लगा है।
साप्ताहिक आरती
आगरा
कं हाथी घाट के विशाल मुक्ताकाशीय
मंच पर पृथ्वी दिवस
एवं साप्ताहिक आरती 23 अप्रैल को मनाया गया।
इस पावन पर्व पर श्रीगुरु वशिष्ठ
मानव सर्वांगीण विकास सेवा समिति ने हरी भरी
तथा खुशहाल बसुन्धरा बनाये रखने के लिए आम
जनता में जनजागरण चला रखा है। समिति के संस्थापक अध्यक्ष
सत्याग्रही पं. अश्विनी कुमार मिश्र आम जनता में
चिन्तन और मनन द्वारा
जन जागृति लाने के लिए प्रयासरत
है । इसी क्रम में उन्होंने जल जमुना और
जमीन को अपना सूत्र
वाक्य बना रखा है। ये तीनों एक
दूसरे से पृथक होते
हुए भी जुड़े हुए
हैं। जमुना केवल नदी नहीं, अपितु भारतीय संस्कृति की एक जीवन
पद्धति भी है। इसकी
परम्परा में प्रेरणा, जीवनीय शक्ति और दिव्यता का
भाव समाहित है। यद्यपि अब यह सूखी
रेखा जैसे हो गयी है।
पर श्रद्धा भाव में इसका स्थान आज भी कम
नहीं हुआ है। उल्टे इसमें गन्दे नालों को डालने से
इसकी स्थिति बद से बदतर
अवश्य हो गई है।
इसके जलचर बनस्पतियां सब के सब
काल कवलित होते जा रहे हैं।
भू खनिज तथा जल का अत्यधिक
दोहन ये स्थिति और
भयावह हो गयी है।
प्राकृतिक स्रोतों को पुनः रिचार्ज
ना करना पृथ्वी दिवस की एक बड़ी
ही विडम्बना कही जा सकती है।
पर्यावरण को हरा भरा
तथा स्वच्छ रखने के लिए सभी
को मिल जुलकर खूब वृक्षारोपण करने की आवश्यकता है।
पृथ्वी दिवस के इस चिन्तन
शिविर में डा. राधेश्याम द्विवेदी, धीरज मोहन सिंघल,श्री हरिदत्त गौतम रिटायर्ड पुलिस उपाधीक्षक, प्रदीप पाठक,महेश कुमार पाण्डेय, प्रकाश चन्द गुप्ता, धमेंन्द्र वर्मा, दिलीप
पाठक, राजीव खण्डेलवाल, सुधीर पचैरी तथा राजेश यादव आदि प्र्यावरण प्रेमी मौजूद रहे। सभा का संचालन मुकेश
शर्मा एडवोकेट ने किया।
No comments:
Post a Comment