द्विवेदी ब्राह्मण
के प्रमुख गोत्र का इतिहास ( भाग 3)
आचार्य राधेश्याम द्विवेदी
(टिप्पणीः- इस श्रंखला को
उपलब्घ प्रमाणों के आधार पर
तैयार किया गया है। इसे और प्रमाणिक बनाने
के लिए सुविज्ञ पाठकों व विद्वानों के
विचार व सुझाव सादर
आमंत्रित है।)
प्रमुख
गोत्र:-
भारद्वाज गोत्र
(दुबे वंश)- भारद्वाज ऋषि के चार पुत्र
बाये जाते हैं जिनकी उत्पत्ति इन चार गांवों
से बताई जाती है (१) बड़गईयाँ (२)
सरार (३) परहूँआ (४)
गरयापार। कन्चनियाँ और लाठीयारी इन
दो गांवों में दुबे घराना बताया जाता है जो वास्तव
में गौतम मिश्र हैं लेकिन इनके पिता क्रमश उठातमनी और शंखमनी गौतम
मिश्र थे परन्तु वासी
(बस्ती) के राजा बोधमल
ने एक पोखरा खुदवाया
जिसमे लट्ठा न चल पाया,
राजा के कहने पर
दोनों भाई मिल कर लट्ठे को
चलाया जिसमे एक ने लट्ठे
सोने वाला भाग पकड़ा तो दूसरें ने
लाठी वाला भाग पकड़ा जिसमे कन्चनियाँ व लाठियारी का
नाम पड़ा, दुबे की गादी होने
से ये लोग दुबे
कहलाने लगेंद्य सरार के दुबे के
वहां पांति का प्रचलन रहा
है अतएव इनको तीन के समकक्ष माना
जाता हैद्य सावरण गोत्र ( पाण्डेय वंश) सावरण ऋषि के तीन पुत्र
बताये जाते हैं इनके वहां भी पांति का
प्रचलन रहा है जिन्हें तीन
के समकक्ष माना जाता है जिनके तीन
गाँव निम्न हैंद्य (१) इन्द्रपुर (२)
दिलीपपुर (३) रकहट (चमरूपट्टी)
शान्डिल्य गोत्र:-
शांडिल्य नाम गोत्रसूची में है, अतरू पुराणादि में शांडिल्य नाम से जो कथाएँ
मिलती हैं, वे सब एक
व्यक्ति की नहीं हो
सकतीं। छांदोग्य और बृहदारण्यक उपनिषद्
में शांडिल्य का प्रसंग है।
पंचरात्र की परंपरा में
शांडिल्य आचार्य प्रामाणिक पुरुष माने जाते हैं। शांडिल्यसंहिता प्रचलित हैय शांडिल्य भक्तिसूत्र भी प्रचलित है।
इसी प्रकार शांडिल्योपनिषद् नाम का एक ग्रंथ
भी है, जो बहुत प्राचीन
ज्ञात नहीं होता। युधिष्ठिर की सभा में
विद्यमान ऋषियों में शांडिल्य का नाम है।
राजा सुमंतु ने इनको प्रचुर
दान दिया था, यह अनुशासन पर्व
(137। 22) से जाना जाता
है। अनुशासन 65.19 से जाना जाता
है कि इसी ऋषि
ने बैलगाड़ी के दान को
श्रेष्ठ दान कहा था। शांडिल्य नामक आचार्य अन्य शास्त्रों में भी स्मृत हुए
हैं। हेमाद्रि के लक्षणप्रकाश में
शांडिल्य को आयुर्वेदाचार्य कहा
गया है। विभिन्न व्याख्यान ग्रंथों से पता चलता
है कि इनके नाम
से एक गृह्यसूत्र एवं
एक स्मृतिग्रंथ भी था। शाण्डिल्य
ऋषि के १२ पुत्र
थे जो इन १२
गाँवो में प्रभुत्व रखते थे- १ सांडी २
सोहगौरा ३ संरयाँ ४
श्रीजन ५ धतूरा ६
भगराइच ७ बलुआ ८
हरदी ९ झूड़ीयाँ १०
उनवलियाँ ११ लोनापार १२
कटियारी। इन्हे आज बरगाव ब्राम्हण
के नाम से भी जाना
जाता है।उपरोक्त बारह गाँव के चारो तरफ
इनका विकास हुआ है ! ये कान्यकुब्ज ब्राम्हण
है! इनका गोत्र श्री मुख शाण्डिल्य - त्रि - प्रवर है, श्री मुख शाण्डिल्य में घरानो का प्रचलन है,
जिसमे राम घराना, कृष्ण घराना, मणि घराना है ! इन चारो का
उदय सोहगौरा, गोरखपुर से है, जहा
आज भी इन चारो
का अस्तित्व कायम है।यही विश्व के सर्वोत्तम श्रेष्ठ
उच्च कुलीन ब्राम्हण कहलाते है इनके वंशज
समय के साथ भारत
के विकास के लिए लोगो
को शिक्षित करने ज्ञान बाटने के उद्देश्य से
भारत के विभिन्न क्षेत्रो
में जा कर बस
गए और वर्तमान में
भारत के विभिन्न क्षेत्रो
में निवास करते है।
द्विवेदी
उपजाति वालों के प्रमुख गोत्रः-
द्विवेदी एक यर्जुवेदिय मध्यान्धनी
शाखा के ब्राम्हण होते
हैं। जिनमें प्रमुख गोत्र भार्गव,
बत्स, भारद्वाज, शान्डिल्य इत्यादि होते हैं। इन गोत्रों के
उद्भव एवं विकास के इतिहास के
बारे में विचार करेंगे।
वत्स गोत्र
की
पौराणिक
पृष्ठभूमि- भृगु,
पुलत्स्य, पुलह, क्रतु, अंगिरा, मरीचि, दक्ष, अत्रि तथा वशिष्ठ आदि इन नौ मानस
पुत्रों को व्रह्मा ने
प्रजा उत्पत्ति का कार्य भार
सौंपा था। कालान्तर में इनकी संख्या बढ़कर 26 तक हो गई।
इसके बाद इनकी संख्या 56 हो गई। इन्हीं
ऋषियों के नाम से
गोत्र का प्रचलन हुआ
और इनके वंशज अपने गोत्र ऋषि से संबद्ध हो
गए। हरेक गोत्र में प्रवर, गण और उनके
वंशज(व्राह्मण) हुए। कुछ गोत्रों में सुयोग्य गोत्रानुयायी ऋषियों को भी गोत्र
वर्धन का अधिकार दिया
गया। नौ मानस पुत्रों
में सर्वश्रेष्ठ भृगु ऋषि गोत्रोत्पन्न वत्स ऋषि को अपने गोत्र
नाम से प्रजा वर्धन
का अधिकार प्राप्त हुआ। इनके मूल ऋषि भृगु रहे। इनके पांच प्रवर- भार्गव,
च्यवन, आप्रवान, और्व और जमदग्नि हुए।
मूल ऋषि होने के कारण भृगु
ही इनके गण हुए। इनके
वंशज(ब्राह्मण) शोनभद्र,(सोनभदरिया), बछ्गोतिया, बगौछिया, दोनवार, जलेवार, शमसेरिया, हथौरिया, गाणमिश्र, गगटिकैत और दनिसवार आदि
भूमिहार ब्राह्मण हुए। वत्स साम्राज्य गंगा यमुना के संगम पर
इलाहबाद से दक्षिण-पश्चिम
दिशा में बसा था। जिसकी राजधानी कौशाम्बी थी। पाली भाषा में वत्स को ‘वंश’ और तत्सामयिक अर्धमगधी
भाषा में ‘वच्छ’ कहा जाता था। यह अर्धमगधी का
ही प्रभाव है कि ‘वत्स
गोत्रीय’ भूमिहार
ब्राह्मण अनंतर में ‘वछगोतिया’
कहलाने लगेद्य छठी शताब्दी ई.पू. के
सीमांकन के अनुसार वत्स
जनपद के उत्तर में
कोसल, दक्षिण में अवंती, पूरब में काशी और मगध, तथा
पश्चिम में मत्स्य प्रदेश था। कालक्रम से वत्स गोत्र
का केंद्रीकरण मगध प्रदेश में शोनभद्र के च्यवनाश्रम के
चतुर्दिक हो गया क्योंकि
इसका प्रादुर्भाव च्यवनकुमार दधीच से जुड़ा हुआ
था। मगध प्रदेश में काशी के पूरब और
उत्तर से पाटलीपुत्र पर्यंत
अंग प्रदेश से पश्चिम तक
वत्स गोत्रीय समाज का विस्तार था।
सम्प्रति वत्स गोत्र उत्तर प्रदेश के शोनभद्र से
लेकर गाजीपुर तक तथा गया-औरंगाबाद में सोन नदी के किनारे से
लेकर पटना, हजारीबाग, मुजफ्फरपुर-सीतामढ़ी-गोरखपुर तक फैला हुआ
है।
Brahmin Gotra nice concep in gotra vali...keep growing with good work
ReplyDeleteVatsh gotr
ReplyDeleteपांति का क्या अर्थ है?
ReplyDeleteUpmanyu gotra kanyakubja Dwivedi ka pravar kya hota hai
ReplyDeleteKorariya dubey Garg gotra kaha par hai
ReplyDeleteBairampur, koushambi u.p.
DeleteDixit ka Kya gotra hota h
ReplyDeleteShendilya
DeleteParwa dubey kasyap gotra hai ya kalpanik story hai... Pls clear me....
ReplyDeleteHamara to hai
DeleteParava Dubey hi parahua Dubey hai
DeleteKodariya brahmn konse hote h
ReplyDeleteऔरंगाबाद(बिहार) के दुबे लोगों का जमदग्नि गोत्र है या जैमिनी कृपा कर के बताइए?
ReplyDeleteकोठरहा दुबे का कौन-सा गोत्र होगा
ReplyDeleteगार्गी गोत्र और मै भी यही दुबे हुँ कोडरिया दुबे गार्गी गोत्र हम और आप एक ही खानदान के हुए. मेरा पता पँवारा.मछलीशहर जौनपुर 🙏
DeleteMara bharadwaj gotr han may songra pavara machli shahar ka hu
Deleteकोडरिहा दूबे का कौन सा गोत्र है
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ReplyDeleteKodariha Dubey kaun SA gotara jai?
ReplyDeleteJairajmau dubey upmanyu gotta kon se braman hai plz reply
ReplyDeletekya badgayya dubey ar sarar ke dubey vivah kar sakte hai?
ReplyDeleteHa kar sakte ha
ReplyDeleteKidariha Dwivedi Rewa ka gotta Kya hai
ReplyDeleteKodariha Dwivedi Rewa ka gotra kya hai
ReplyDeleteMool Garg Gotra hai vanshanugat Gargey Gotra bola jata hai
DeleteGharwas ke dubey ka gotra kon sa h
ReplyDeleteVats Dubey 3 me hai ya 13 me kripya batane ki kripa kare
ReplyDeletecrypto
ReplyDeleteBahut hi utaam jankari paar aapne aadhi adhuri jankari di hai ye teen pramukh gotra kewal up or bihar me hote hai mp me sabse pramukh gotra gargi hai ya garg,
Yahan ke 3 pramukh dubey hai ho sakta hai sabke gotra alg ho pr yahan mukhya
क्या एक ही गोत्र में शादी की जा सकती है बडगैया और सरार के दुबे आपस में शादी कर सकते है
ReplyDeleteRahathi dubey kitane pati ke brahaman h
ReplyDeleteSajaw post sajaw Lar,bazar Deoria up yhan ke Dwivedi ka gotra kya bhardwaj h ya nhi plz confirm kre.
ReplyDeleteKatyan gotra Dubey m kaun hote h
ReplyDeleteहम हन्ना के तिवारी हैं। हमारा वशिष्ठ गोत्र है, यदि जानकारी हो तो हमारी शाखा, सूत्र, वेद आदि के बारे में अवगत कराने की कृपा करें
ReplyDelete09425161319
क्या शांडिल्य और शांडिल्य दूबे आपस में शादी कर सकते हैं। कृपया मार्गदर्शन करें 🙏
ReplyDeleteBajpai and awasthi ki shadi ho sakti h
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