Friday, April 1, 2022

रामानंद सम्प्रदाय में मंत्र साधना और दीक्षा की परंपरा डा. राधे श्याम द्विवेदी

श्री अयोध्या के राम मंत्रार्थ मण्डपम में राम मंत्र के बारे में लिखा है। राम जी ने स्वम यह महामंत्र सीता जी को दिया, सीताजी ने हनुमान को, हनुमान नें ब्रह्मा जी को, ब्रह्मा नें वाशिष्ट, वाशिष्ट नें पराशर को, व्यास, शुकदेव से होती हुए इसमें जगद्गुरु रामानंदाचार्य ने स्वामी राघवानंद से मंत्र दीक्षा स्वीकार की। राघवानन्द को रामानन्द का गुरु माना गया है। स्वामी राघवानन्द हिन्दी भाषा में भक्तिपरक काव्य रचना किया करते थे। रामानन्द को रामभक्ति गुरु परंपरा से ही मिली थी। ' भक्तमाल' में नाभादासजी ने गुरु राघवानन्द को ही रामानन्द का गुरु माना है। राघवानन्द की एक हिन्दी रचना सिद्धान्त पंचमात्रा' से ही स्पष्ट हो जाता है कि राघवानन्द जी योग-मार्ग की साधना से परिचित थे और अंत:साधना और अनुभवसिद्ध ज्ञान की महिमा के विश्वासी थे।
रामानन्द सम्प्रदाय :-
किंवदन्ती है कि रामानन्द के गुरु पहले कोई दण्डी संन्यासी थे, बाद में राघवानन्द स्वामी हुए। 'भविष्यपुराण', 'अगस्त्यसंहिता' तथा 'भक्तमाल' के अनुसार राघवानन्द ही रामानन्द के गुरु थे। एक अन्य किंवदन्ती के अनुसार यह भी माना जाता है कि छुआ-छूत मतभेद के कारण गुरु राघवानन्द ने ही रामानन्द को नया सम्प्रदाय चलाने की अनुमति दी थी। स्वामी रामानंद को मध्यकालीन भक्ति आंदोलन का महान संत माना जाता है। उन्होंने रामभक्ति की धारा को समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुंचाया। वे पहले ऐसे आचार्य हुए जिन्होंने उत्तर भारत में भक्ति का प्रचार किया। उनके बारे में प्रचलित कहावत है कि - द्रविड़ भक्ति उपजौ-लायो रामानंद। यानि उत्तर भारत में भक्ति का प्रचार करने का श्रेय स्वामी रामानंद को जाता है। स्वामी जी ने बैरागी सम्प्रदाय की स्थापना की, जिसेे रामानन्दी सम्प्रदाय के नाम से भी जाना जाता है। रामानंद अर्थात रामानंदाचार्य ने हिंदू धर्म को संगठित और व्यवस्थित करने के अथक प्रयास किए। उन्होंने वैष्णव सम्प्रदाय को पुनर्गठित किया तथा वैष्णव साधुओं को उनका आत्मसम्मान दिलाया। रामानंद वैष्णव भक्तिधारा के महान संत हैं। सोचें जिनके शिष्य संत कबीर और रविदास जैसे संत रहे हों तो वे कितने महान रहे होंगे।
             बादशाह गयासुद्दीन तुगलक ने हिंदू जनता और साधुओं पर हर तरह की पाबंदी लगा रखी थी। इन सबसे छुटकारा दिलाने के लिए रामानंद ने बादशाह को योगबल के माध्यम से मजबूर कर दिया। अंतत: बादशाह ने हिंदुओं पर अत्याचार करना बंद कर उन्हें अपने धार्मिक उत्सवों को मनाने तथा हिंदू तरीके से रहने की छूट दे दी।
            रामानंदजी का जन्म माघ माह की सप्तमी संवत 1356 अर्थात ईस्वी सन 1300 को कान्यकुब्ज ब्राह्मण के कुल में हुआ था। उनके पिता का नाम पुण्य शर्मा तथा माता का नाम सुशीलादेवी था। आठ वर्ष की उम्र में उपनयन संस्कार होने के पश्चात उन्होंने वाराणसी पंच गंगाघाट के स्वामी राघवानंदाचार्यजी से दीक्षा प्राप्त की। तपस्या तथा ज्ञानार्जन के बाद बड़े-बड़े साधु तथा विद्वानों पर उनके ज्ञान का प्रभाव दिखने लगा। इस कारण मुमुक्षु लोग अपनी तृष्णा शांत करने हेतु उनके पास आने लगे।संवत्‌ 1532 अर्थात सन्‌ 1476 में आद्य जगद्‍गुरु रामानंदाचार्यजी ने अपनी देह छोड़ दी। उनके देह त्याग के बाद से वैष्ण्व पंथियों में जगद्‍गुरु रामानंदाचार्य पद पर 'रामानंदाचार्य' की पदवी को आसीन किया जाने लगा।
             रामानंदी सम्प्रदाय, बैरागियों के चार सम्प्रदायों में अत्यन्त प्राचीन सम्प्रदाय है। इस सम्प्रदाय को बैरागी सम्प्रदाय, रामावत सम्प्रदाय और श्री सम्प्रदाय भी कहते हैं। इस सम्प्रदाय का सिद्धान्त विशिष्टाद्वैत कहलाता है। काशी में स्थित पंचगंगा घाट पर रामानंदी सम्प्रदाय का प्राचीन मठ बताया जाता है।
प्रमुख शिष्य : स्वामी रामानंदाचार्यजी के कुल 12 प्रमुख शिष्य थे: 1. संत अनंतानंद, 2. संत सुखानंद, 3. सुरासुरानंद , 4. नरहरीयानंद, 5. योगानंद, 6. पिपानंद, 7. संत कबीरदास, 8. संत सेजा न्हावी, 9. संत धन्ना, 10. संत रविदास, 11. पद्मावती और 12. संत सुरसरी।
रामानंदाचार्य पूर्ण पुरुषोत्तम राम जी के अवतार-
    "रामानान्दः स्वयम रामः प्रादुर्भूतो महीतले।"
अर्थात रामानंदाचार्य स्वयं श्री पूर्ण पुरुषोत्तम राम जी के अवतार थे ! ब्रह्माण्ड के द्वादश आचार्य रामानंद के शिष्य के रूपा में अवतरित हुए तथा इस संप्रदाय का चतुर्दिक विकास किया राम जी का तारक मंत्र रां रामाय नमः है! इस महामंत्र को मंत्रराज तथा महामंत्र उपधितन प्राप्त हैं ! इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति साकेत लोक प्राप्त करता है ! यह मंत्र श्री राम से प्रारंभ होने वाली गुरु परंपरा से चलता आ रहा है ! श्री राम इसके अद्धिष्ठाता देव हैं ! यह श्री वैष्णव संप्रदाय का मंत्र है जिसके परम आचार्य श्री जगद्गुरु रामनान्दचार्य रहें है !
श्री राम जी के विविध मंत्र
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का यह मंत्र अति गोपनीय है। यह मंत्र स्वयं सिद्ध मंत्र है। इस मंत्र के प्रभाव से भगवान श्री राम की असीम कृपा प्राप्त होती है और जीव को मोक्ष गति मिलती है। श्री राम कई जप मंत्र हैं ,जो इस प्रकार है-
"राम रामेति रमे रामे मनोरम:
सहस्त्र नामांग तातुलंग
श्रीराम नामे वर: नम: ।।"
षडक्षर राम मंत्र-
ऊॅँ रां रामाय नम:।।
यह भी बहुत पावन मंत्र है। इसका प्रतिदिन ग्यारह माला जप करें और एक माला जप करते हुए लाल कमल के पुष्पों से हवन करें। ऐसा करने से धन की प्राप्ति होगी। दूर्वा से हवन करने से शरीर निरोगी रहेगा।
शक्तिदायक राम मंत्र-
ह्रीं रामाय नम:
आत्मज्ञान प्रदायक राम मंत्र-
ऊॅँ रामाय नम:
विद्या प्रदायक राम मंत्र-
श्रीं रामाय नम:
स्वंय सिद्ध सबसे बड़ा मंत्र-
राम नाम ही स्वंय सबसे बड़ा और सिद्ध मंत्र है। जो व्यक्ति रोजाना राम नाम का जप करता है उस पर किसी भी प्रकार का कोई संकट नहीं आता है।
 षडक्षर राम मंत्र-
ऊॅं रां रामाय नम:
इस मंत्र का जप करने से सभी विपदाएं दूर हो जाती हैं। भगवान राम का यह मंत्र काफी प्रभावशाली और शक्तिशाली है। 
ऊॅं रामचंद्राय नम:
जो व्यक्ति इस मंत्र का जप करता है, उस पर भगवान राम की विशेष कृपा रहती है। इस मंत्र का जप करने से घर में सुख- समृद्धि का वास होता है। भगवान राम की पूजा करते समय इस मंत्र की एक माला का जप अवश्य करें।
ॐ रामभद्राय नम:
श्रीराम के इस सिद्ध मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए। इस मंत्र का जप करने से सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं और भगवान राम का आर्शावाद प्राप्त होता है।
ॐ जानकी वल्लभाय स्वाहा' 
इस मंत्र का जप करने प्रभु श्री राम और माता सीता का आर्शीवाद प्राप्त होता है। 
दीन दयाल बिरिदु संभारी, हरहु नाथ मम संकट भारी' 
इस मंत्र का जप करने से सभी तरह के संकटों से छुटकारा मिल जाता है। जीवन में आ रही किसी भी तरह की परेशानी को दूर करने के लिए इस मंत्र का जप करें।
मंत्र जाप करने की विधि
जो राम मंत्र में आपको बताने जा रहा हूं उनको बीज मंत्र के नाम से जाना जाता है जिनको हम नहा धो के एक जगह आसन लगाकर प्रभु का ध्यान कर कर जाप किया जाता है इनको आप चलते फिरते बोल नहीं सकते हो इनका नियम के अनुसार ही करना चाहिए इन मंत्रों का जाप करने से हमारे कहीं फायदे होते हैं। अगर आप राम मंत्र का जाप करते हो तो लाल रंग का आसन अगर आप लेते हो नीचे बिछाने के लिए तो वह आपको अच्छा रहेगा।जब आप मंत्र जाप करने बैठते हो तो अपने शरीर पर बिना सिले हुए कपड़े पहनना चाहिए मतलब आपको धोती लगाना चाहिए और शरीर पर कुछ अलग प्रकार का वस्त्र धारण कर लेना चाहिए। फिर आप राम जी का ध्यान कर आप इन मंत्रों का जाप कर सकते इनमें से कोई सा भी मंत्र आप ले सकते हैं।
यहां पर आपको अलग-अलग प्रकार के राम मंत्र मिल जाएंगे आप अपने हिसाब से एक राम मंत्र का जाप आप कर सकते हैं या फिर सभी मंत्रों का जाप भी आप कर सकते हैं।
राम जी के चमत्कारी मंत्र।
1- 'राम' नाम का यह महामंत्र जिसे तारक मंत्र भी कहा जाता है, इसका रोज 108 बार जप करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती हैं ।
2- 'रां रामाय नम:' मं‍त्र का जप करने से राज्य, लक्ष्मी पुत्र, आरोग्य की प्राप्ति के साथ वि‍पत्तियों की नाश हो जाता है ।
3- क्लेश दूर करने के लिए इस मंत्र का जप करें- 'ॐ रामचंद्राय नम:' ।
 श्री राम तारक मंत्र साधना
4- कार्यों में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए इसका जप करें- 'ॐ रामभद्राय नम:'।
5- 'ॐ जानकी वल्लभाय स्वाहा' इस मंत्र का जप मनोकामना पूर्ति के लिए किया जाता है ।
6- कलयुग में मंत्र जाप करने का सर्वश्रेष्ठ साधन मंत्र -
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे,
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे । 
इस मंत्र का जाप करने से सारे कार्य सरल हो जाते हैं
7- विपत्ति-आपत्ति के निवारण हेतु- 'ॐ नमो भगवते रामचंद्राय' मंत्र का जप करे ।
8- 'श्रीराम जय राम, जय-जय राम' यह मंत्र सबसे अधिक असरकारक माना जाता हैं ।
9- श्रीराम गायत्री मंत्र के जप से समस्त संकटों का शमन होने के साथ ऋद्धि-सिद्धि देने वाला है- 'ॐ दशरथाय विद्महे सीता वल्लभाय धीमहि तन्नो श्रीराम: प्रचोदयात् ।'
10- 'ॐ नम: शिवाय', 'ॐ हं हनुमते श्री रामचंद्राय नम:। इस मंत्र का जप करने से एक साथ कई कार्य सिद्ध हो जाते है 
11- 'ॐ रामाय धनुष्पाणये स्वाहा:' मंत्र का जप करने से शत्रु शमन, न्यायालय, मुकदमे आदि की समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है ।
12- रामनवमी के दिन श्रीरामरक्षास्तोत्र, सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, इत्यादि का पाठ करने से भी अद्भूत लाभ प्राप्त किया जा सकता है । यह जीवन में दीर्घकालिक समस्याओं से छुटकारा दिला सकता है ! यह भविष्य में आने बाले बड़े संकटों से निजात दिलाता है ! कहा जाता है कि अगर गृह क्लेश रहता हो तो इन मंत्र का जाप करना चाहिए।






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