Thursday, March 1, 2018

जोगीरा हास्य व्यंग की अनूठी विधा डा. राधेश्याम द्विवेदी


                                 Image result for jogira holiजोगीरा क्या है :- जोगीरा अवधी भोजपुरी, काव्य नाटक की एक मिश्रित विधा होती है। इसमें हास्य और व्यंग का पुट होता है। यह भारतीय काव्य का विशालतम और अव्यवसायिक संकलन है जिसमें हिन्दी उर्दू, भोजपुरी, अवधी, राजस्थानी आदि पचास से अधिक भाषाओं का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है। यह चैत मास में ही मुख्य रुप से गया जाता है। उसी समय होली रंगों का त्योहार भी मनाया जाता है. वसंत की बहार तभी जंचती है. जब होली में रंगों का धमाल और भांग की मस्ती के साथ में जोगीरा की तान हो। गांव घरों में जब ढोल मंजीरे के साथ होली खेलने वालों की टोली निकलती है तो लोग जोगीरा की तान पर झूमते गाते हैं। असल में होली खुलकर और खिलकर कहने की परंपरा होती है। यही कारण है कि जोगीरे की तान में आपको सामाजिक विडम्बनाओं और विद्रूपताओं का तंज दिखने को मिल जाता है। होली की मस्ती के साथ जोगीरा आसपास के समाज पर चोट करता हुआ नजर आता है। इसके बारे में आचार्य रामपलट कहते हैं,  ‘इसके बारे में कोई प्रमाणिक जानकारी तो नहीं है पर शायद इसकी उत्पत्ति जोगियों की हठ-साधना, वैराग्य और उलटबाँसियों का मजाक उड़ाने के लिए हुई हो। मूलतः यह एक समूह गान है। इसमें प्रश्नोत्तर शैली में एक समूह सवाल पूछता है तो दूसरा उसका जवाब देता है जो प्रायः चैंकाऊ होता है। प्रश्न और उत्तर शैली में निरगुन को समझाने के लिए गूढ़ अर्थयुक्त उलटबाँसियों का सहारा लेने वाले काव्य की प्रतिक्रिया में इन्हें रोजमर्रा की घटनाओं से जोड़कर रचा गया है। वह कहते हैं कि परम्परागत जोगीरा काम-कुंठा का विरेचन है। इसमें एक तरह से काम-अंगों, काम-प्रतीकों का भरमार होता है। सम्भ्रान्त और प्रभुत्व वर्ग को जोगीरा के बहाने गरियाने और उनपर अपना गुस्सा निकालने का यह अपना निराला ही तरीका होता है।यह एक तरह का विरेचन भी है।हास्य व्यंग की इस विधा का समुचित विकास नहीं हुवा है।इसके उन्नयन की असीम सम्भावनाएं हैं।आम जन को इसे आगे बढ़ाना चाहिए लोक परंपराएं एक ऐसा पुरातत्व है जिसकी गहन खुदाई होनी अभी शेष है वास्तव में आधुनिकता के चक्कर में इनके विनाश का उपक्रम रचा गया किंतु भारतीय ज्ञान इतना गहरा है कि चंद तथाकथित बुद्धिजीवी इसे नष्ट नहीं कर पाये नये संचार माध्यमों से यह खोज निश्चय ही रंग लायेंगी ।भारतीय संदर्भ में सच मानिये हर शब्द अपना इतिहास लेकर चलता है , हर परंपरा एक विज्ञान का रहस्य है और हर पर्व एक सार्थक मकसद लेकर चलता है। लोक मानस बड़े चुटेले ढंग से अभिव्यक्त करता है।
जोगीरा के प्रमुख 2 प्रकार:-
1. सामान्य तरह के जोगीरा :- इसमें सीधे सादे रुप में दो पंक्तियों में कोई सार्थक बात कही जाती है। तीसरे लाइन में सम्पुट या मुखड़े के रुप में सा रा रा कहा जाता है।
दानापुर दरियाव किनारा, गोलघर निशानी
लाटसाब ने किला बनाया, क्या गंगा जल पानी।।
जोगी जी वाह वाह, जोगी जी सार रा रा।

दिल्ली देखो ढाका देखो, शहर देखो कलकत्ता।
एक पेड़ तो ऐसा देखो, फर के ऊपर पत्ता।। 
जोगी जी वाह वाह, जोगी जी सार रा रा।

बाबा मांगे मुंह बा बा के, चेला दांत चियार।
श्री श्री मांगे नाच नाच के झुकी खड़ी सरकार।।
जोगीरा सा रा रा रा।

पूंछ पटक कर कुक्कुर खाये, चाट चाट बिलार।
सफाचट्टकर माल्या खाया, खोज रही सरकार।।
जोगीरा सा रा रा रा।
फागुन के महीना आइल ऊड़े रंग गुलाल।                                                                                         
एक ही रंग में सभै रंगाइल लोगवा भइल बेहाल॥                                                                                      जोगीरा सा रा रा रा।
गोरिया घर से बाहर इली, भऽरे इली पानी।
बीच कुँआ पर लात फिसलि गे, गिरि इली चितानी॥
जोगीरा सा रा रा रा।
चली जा दौड़ी-दौड़ी, खालऽ गुलाबी रेवड़ी।
नदी के ठण्डा पानी, तनी तू पी लऽ जानी॥
जोगीरा सा रा रा रा।
चिउरा करे चरर चरर, दही लबा लब।
दूनो बीचै गूर मिलाके मारऽ गबा गब॥
जोगीरा सा रा रा रा।
सावन मास लुगइया चमके, कातिक मास में कूकुर।
फागुन मास मनइया चमके, करे हुकुर हुकुर॥
जोगीरा सा रा रा रा।
एक चीकन पुरइन पतई, दूसर चीकन घीव।
तीसर चीकन गोरी के जोबना, देखि के ललचे जीव॥
जोगीरा सा रा रा रा।
भउजी के सामान बनल बा अँखिया इली काजर।
ओठवा लाले-लाल रंगवली बूना इली चाकर॥
जोगीरा सा रा रा रा।
ढोलक के बम बजाओ, नहीं तो बाहर जाओ।
नहीं तो मारब तेरा, तेरा में हक है मेरा॥
जोगीरा सा रा रा रा।
बनवा बीच कोइलिया बोले, पपिहा नदी के तीर।
अंगना में उजइया डोले, इसे झलके नीर॥
जोगीरा सा रा रा रा।
गील-गील गिल-गिल कटार, तू खोलऽ चोटी के बार।
लौण्डा हऽ छिनार, जानी के हम भतार॥
जोगीरा सा रा रा रा।
आज मंगल कल मंगल मंगले मंगल।
जानी को ले आये हैं जंगले जंगल॥
जोगीरा सा रा रा रा।
कै हाथ के धोती पहना कै हाथ लपेटा।
कै घाट का पानी पीता, कै बाप का बेटा?
जोगीरा सा रा रा रा।
भात जुरे ना दाल जुरे , दाल जुरे तरकारी।
कुल्ही सबसिडी पल्टू खाये, कागज में सरकारी।।
जोगीरा सा रा रा रा।
मजदूरी मजदूर ना पावे, खेत ना पावे खाद।
यूएनओ में सीट मिले बस, विश्व गुरु का स्वाद।।
जोगीरा सा रा रा रा।
खूब चकाचक डीजीपी बाप, चर्चा बा भरपूर।
चैराहे पर रोज सवेरे, बिक जाला मजदूर।।
जोगीरा सा रा रा रा।
बुआ रोये भतीजा रोये, रोये केजरीवाल।
चैराहे पर पाकेट फाड़कर राहुल करे बवाल।।
जोगीरा सा रा रा रा।
हाथी भटका पंजा भटका, साइकिल चकना चूर।
खिला कमल है शान निराली, खुशी मिले भरपूर।।
जोगीरा सा रा रा रा।
कुकुर भूके कुतिया भूके, भूके पूरा विपक्ष।
खड़ा अकेले मोदी लड़ता ,देश को करता स्वच्छ।।
जोगीरा सा रा रा रा।
हाथी देवी पीछे रह गया, गधे को दिया ढ़केल।
बूआ गयी तेल लेने, पप्पू हो गया फेल।।
जोगीरा सा रा रा रा।
रुपिया लइकै टिकट बेंचलू, मुस्लिम दलित बिकाय।
ईवीएम मशीनन मा जो कमल कै बटन दबाय।।
जोगीरा सा रा रा रा।
2. प्रश्नोत्तर तरह के जोगीरा:- इस प्रकार के जोगीरे में प्रथम दो पंक्तियों में प्रश्न पूछा जाता है। अगले दो पंक्तियों में उसी का जबाब दूसरा पक्ष प्रस्तुत करता है। आखिरी लाइन में सम्पुट या मुखड़े के रुप में ‘जोगी जी वाह वाह, जोगी जी सा रा रा’कहा जाता है।
कौन काठ के बनी खड़ौआ, कौन यार बनाया है?
कौन गुरु की सेवा कीन्हो, कौन खड़ौआ पाया?
चनन काठ के बनी खड़ौआ, बढ़यी यार बनाया हो।
हम गुरु की सेवा कीन्हा, हम खड़ौआ पाया है।
जोगी जी वाह वाह, जोगी जी सारा रा रा। 

किसके बेटा राजा रावण किसके बेटा बाली?
किसके बेटा हनुमान जी जे लंका जारी?                                                                                   
विसेश्रवा के राजा रावण बाणासुर का बाली।
पवन के बेटा हनुमान जी, ओहि लंका के जारी। 
जोगी जी वाह वाह, जोगी जी सारा रा रा। 

किसके मारे अर्जुन मर गए किसके मारे भीम ?
किसके मारे बालि मर गये, कहाँ रहा सुग्रीव ?
कृष्ण मारे आर्जुन मर गए कृष्ण के मारे भीम। 
राम के मारे बालि मर गए लड़ता था सुग्रीव।
जोगी जी वाह वाह, जोगी जी सारा रा रा। 
कौन खेत में गेहू उपजे कौन खेत में धान ?
कौन खेत में लई लड़ाई के होला बलियान?
दोमट खेत में गेहू उपजे मटियारे में धान।
लोन चुकावत सब कुछ हारे,जांयें कहा किसान।
जोगी जी वाह वाह ,जोगीरा सा रा रा रा।

कवन डाल पर उड़ल चिरइया, कवन डाल पर जाय?
कवन डाल पर दाना चुनके, कवन डाल पर जाय?
संध भवन में उड़ल चिरइया, मठ महन्थ पर जाय।
अम्बनियन से चन्दा लेवे राष्टर राष्टर चिल्लाय।।
जोगी जी वाह वाह ,जोगीरा सा रा रा रा।



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