Friday, September 22, 2023

श्री शोभाराम दूबे एक कुशल आडिट अधिकारी

जन्म और शिक्षा:-

         श्री शोभाराम दूबे जी का जन्म 15 जून 1929 ई. को उत्तर प्रदेश के बस्ती जिला के हर्रैया तहसील के कप्तानगंज विकास खण्ड के दुबौली दूबे नामक गांव मे एक कुलीन परिवार में हुआ था। खाता पीता घर होने के बावजूद शिक्षा का माहौल अनुकूल नहीं था। परिवार का सही तरह से पालन पोषण तथा उच्च शिक्षा के लिए उन्हें अपने पिता  पंडित मोहन प्यारे जी के साथ लखनऊ में रहना पड़ा ।उन्होने 1945 में लखनऊ के क्वींस ऐग्लो संस्कृत हाई स्कूल से हाई स्कूल की परीक्षा उस समय ‘प्रथम श्रेणी’ से तथा इन्टरमीडिएट परीक्षा 1947 में द्वितीय श्रेणी में कामर्स से उत्तीर्ण किया था।

पारिवारिक जीवन :-
दूबे जी अपने पैतृक जन्मभूमि दुबौली दूबे पर कम रहते थे। कप्तान गंज ब्लाक के मरवटिया पांडे में उनकी शादी हुई थी। ससुराल में ससुर जी पंडित राम देव पाण्डेय के कोई पुत्र ना होने के कारण वहां की अचल सम्पत्ति दूबे जी के पत्नी श्री मती प्राण पति को उत्तराधिकार में प्राप्त हुआ था। इस नेवासा वाले जगह मरवातिया पाण्डेय की उचित देख रेख के लिए दूबे जी को ज्यादा समय वहीं देना पड़ता था।
सरकारी सेवा में:-
दूबेजी उत्तर प्रदेश के सहकारिता विभाग में सरकारी सेवा में लिपिक पद पर प्रारंभिक नियुक्ति पाये । बाद में वे विभागीय परीक्षा देकर लिपिक पद से आडीटर के पद पर अपनी नियुक्ति पा गये थे। अब उनका कार्य का दायरा बदल गया और अपने विभाग के नामी गिरामी अधिकारियों में उनका नाम शुमार हो गया था। वह अपने सिद्धान्त के बहुत ही पक्के थें उन्होने अनेक विभागीय अनियमितताओं को उजागर किया था । इसका कोप भाजन भी उन्हें बनना पड़ा था। उस समय उत्तराखण्ड उत्तरप्रदेश का ही भाग था। उनको टेहरी गढ़वाल और पौड़ी गढ़वाल भी जाना पड़ा था। वैसे वे अधिकांशतः पूर्वी उत्तर प्रदेश में ही अपनी सेवाये दियें हैं। बस्ती उनका गृह जनपद था जहां वे कभी रहे नहीं परन्तु गोण्डा, गोरखपुर, देवरिया, बलिया, आजमगढ, बहराइच, गाजीपुर, जौनपुर तथा फैजाबाद आदि स्थानों पर एक से ज्यादा बार अपना कार्यकाल बिताया है। वे का आडीटर के बाद सीनियर आडीटर के पद पर प्रोन्नति पा गये थे। सीनियर आडीटर के जिम्मे जिले की पूरी जिम्मेदारी होती थी। बाद में यह पद जिला लेखा परीक्षाधिकारी के रुप में राजपत्रित हो गया था। इण्टरमीडिएट पास दूबे जी अपने सेवा के दौरान ने अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद से संबद्ध किसान डिग्री कालेज बहराइच से 1975 में बी. ए. की उपाधि प्राप्त की थी।
उ.प्र. राज्य परिवहन में प्रतिनियुक्ति :-
सहकारिता विभाग में अच्छी छवि होने के कारण उनकी प्रतिनियुक्ति पर उ. प्र. राज्य परिवहन में भी कार्य करने का अवसर मिला था। वे क्षेत्रीय प्रबन्धक के कार्यालय में बैठते थे और उस मण्डल के आने वाले सभी जिला स्तरीय कार्यालयों के लेखा का सम्पे्रेक्षण करते थे। उनकी नियुक्ति कानपुर के केन्द्रीय कार्यशाला में 23.12.1982 को हुआ था। यहां से वे औराई तथा इटावा के कार्यालयों के मामले भी देखा करते थे। अपनी सेवा का शेष समय बाबूजी ने राज्य परिवहन में पूरा किया था। 1985 में वह कानपुर से गोरखपुर कार्यालय में सम्बद्ध हो गये थे। यहां से वे आजमगढ़ के कार्यालय के मामले भी देखा करते थे। गोरखपुर कार्यालय से वे 30.06.1987 में सेवामुक्त हुए थे।
स्टेटऑफ़ यूपी बनाम विश्वनाथ कपूर' केस के सूत्रधार:-
फैजाबाद में सहकारिता विभाग का एक बहुत बड़ा घोटाला जिसमें कांग्रेसी नेता विश्वनाथ कपूर संलिप्त थे, श्री दूबे जी के द्वारा ही उजागर हुआ था। अयोध्या का क्षेत्र फैजाबाद सदर विधानसभा क्षेत्र के तहत तब आता था।1967 के चुनाव में अयोध्या अलग विधान सभा सीट बना था। जहां 1969 में कांग्रेस के विश्वनाथ कपूर जीतने में कामयाब रहे। उनके द्वारा हुए घोटाले का स्थानीय और फिर उच्च न्यायालय में विचारण हुआ था। जिला सहकारी बैंक फैजाबाद, जिसमें श्री विश्वनाथ कपूर, अधिवक्ता प्रबंध निदेशक , श्री जोखन सिंह कैशियर, एलन खान कार्यवाहक प्रबंधक और महराज बक्स सिंह सामग्री सहायक लेखाकार थे। राज्य अधिनियम द्वारा या उसके तहत स्थापित यह एक निगम है । इसलिए उक्त आरोपी गण  भारतीय दंड संहिता की धारा 21 खंड 12वीं के अर्थ में लोक सेवक थे।भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अधीन हाई कोर्ट में ''स्टेट ऑफ़ यूपी बनाम विश्वनाथ कपूर'' और अन्य केस चला था। इसका निस्तारण 14 जनवरी 1980 को न्यायमूर्ति टी मिश्रा द्वारा हुआ था। इस संदर्भित प्रश्न का न्यायमूर्ति का उत्तर इस प्रकार रहा है - " यूपी सहकारी समिति अधिनियम के तहत पंजीकृत एक सहकारी समिति एक केंद्रीय, प्रांतीय या राज्य अधिनियम द्वारा या उसके तहत स्थापित निगम नहीं है ।" इस उत्तर के साथ कागजात माननीय एकल न्यायाधीश के समक्ष रखे जाने का आदेश पारित किया गया था। उक्त आरोपीगण भारतीय दंड संहिता की धारा 21 खंड 12वीं के अर्थ में लोक सेवक थे।जो इस घोटाले के जिम्मेदार बनाए गए।
सिस्टम ना सुधारने की नसीहत:-
इस प्रकार विभागीय घोटालों को प्रकाश में लाने पर मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी श्री अवधेश चंद्र दुबे ने बाबू जी को लखनऊ में बुलाकर सिस्टम को सुधारने को छोड़ अपना कार्यकाल सामान्य रूप में बिताने की नसीहत दी थी।
परम तत्व में समाहित :-
17 जनवरी 2011 को श्री शोभा राम दूबे ने अपना पंच भौतिक शरीर हमेशा हमेशा के लिए त्याग कर परम तत्व में बिलीन कर लिया। उनके कार्य शैली और कड़क मिजाज की चर्चा अब भी विभाग में होती रहती है।
डॉ. राधे श्याम द्विवेदी
स्वत्वाधिकारी
नोवा हॉस्पिटल,
कैली रोड, बस्ती 272002 ( उत्तर प्रदेश)
  ई मेल: rsdwivediasi@gmail.com
मोबाइल नंबर 8630778321
वर्डसैप्प नंबर 9412300183



 
   

         

No comments:

Post a Comment