Monday, September 11, 2017

माधव प्रसाद त्रिपाठी : जनप्रिय नेता - डा. राधेश्याम द्विवेदी



भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य और भाजपा के उत्तर प्रदेश के प्रथम अध्यक्ष माधव प्रसाद त्रिपाठीमाधव बाबूसमाज और संगठन के प्रति आजीवन समर्पित रहे। वर्ष 1940 में नानाजी देशमुख की प्रेरणा से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता ग्रहण करने के बाद परिवार का मोह त्याग कर राष्ट्र सेवा का व्रत ले लिया। बांसी विधानसभा क्षेत्र आजादी के बाद से ही भाजपा (जनसंघ) का गढ़ माना जाता है और माधव बाबू उस गढ़ के रचनाकार। उनके इस किले को आजादी के बाद से कांग्रेस केवल चार बार ही जीत पाई। जिसमें दो चुनाव आजादी के तत्काल बाद यानी सन 52 और 57 के थे, जब कांग्रेस को हराने की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।बाद के 13 चुनावों में भी सिर्फ दो बार ही कांग्रेसी जीतने में कामयाब हो सके। 1962 के चुनाव में कांग्रेस का बांसी में जोर तो था, लेकिन यहां जनसंघ (भाजपा) ने माधव प्रसाद त्रिपाठी को युवा नेता के तौर पर तैयार कर लिया था। माधव बाबू एलएलबी करके रानीति में आये थे। उनका मुकाबला कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रभुदयाल विद्याथीं से हुआ। प्रभुदयाल गांधी जी के आश्रम में वर्षों रहे थे, लेकिन  नतीजा सामने आया तो लोग चौंक पड़े। महात्मा गांधी के साये में राजनीति का ककहरा सीखने वाले प्रभुदयाल को मात मिली। 1967 के विधान सभा के चौथे आम चुनाव में प्रभुदयाल विद्यार्थी ने 26834 बोट पाकर माधव बाबू को हरा दिया। माधव बाबू को  23948 बोट ही मिल सके। इसके बाद 69 और 74 के चुनाव में माधव बाबू लगातार जीते। 1977  में माधव बाबू की जगह भाजपा कोटे के हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव उर्फ हरीश जी ने चुनाव जीता। 80 में हरीश को हराते हुए कांग्रेस के दीनानाथ पांडेय ने 33189 वोट पाकर जीत हासिल की, लेकिन 85 के चुनाव में हरीश जी ने कांग्रेस विधायक दीनानाथ पांडेय को हरा कर हिसाब बराबर कर लिया।
संक्षिप्त जीवन परिचय:- पं. माधव प्रसाद त्रिपाठी का जन्म 12 सितम्बर 1917 को पूर्व बस्ती ( वर्तमान सिद्धार्थनगर) जिले के बांसी शहर के निकट तिवारीपुर नामक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम पं. सुरेश्वर प्र्रसाद त्रिपाठी था, जो एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। इनके दो बड़े और एक छोटे भाई भी थे। बड़े भाई कमलादत्त त्रिपाठी ने डॉक्टरी की पढ़ाई करने के बाद बस्ती में चिकित्सा सेवा शुरू की तो दूसरे भाई वशिष्ठ दत्त त्रिपाठी ने व्यवसाय। छोटे भाई उमेश मणि त्रिपाठी ने काशी को अपनी कर्म भूमि बनाई वहीं, वे संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में उपाचार्य बने।माधव बाबू ने काशी विश्वविद्यालय से स्नातक और विधि स्नातक की उपाधि हासिल की। बाद में बस्ती में वकालत शुरू कर दी। माधो बाबू भारतीय जनसंध महत्वपूर्ण नेता थे। उन्होंने पार्टी को खड़ा करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। वह दार्शनिक, समाजशास्त्री, इतिहासकार तथा राजनीतिक विचारक थे। वह भारतीय जनता पार्टी के आजीवन अध्यक्ष रहे। जब वह बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के 1937 में विद्यार्थी थे तो राष्ट्रीय सेवक संघ के सम्पर्क में आये। वह संघ के संस्थापक के. बी. हेडगवार से मिले तो उन्हे एक शाखा का बौद्धिक विमर्श के लिए काम दे दिया गया। घुड़सवारी के शौकीन माधव बाबू की 1940 में आरएसएस गोरखपुर के विभाग प्रचार प्रमुख नानाजी देशमुख से हुई। नानाजी की प्रेरणा से संघ में शामिल हुए और 1941 में नगर संघ चालक बना दिया गया। कुछ ही वर्षों में जिला संघ चालक जैसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंप दी गई। 1942 से वह पूर्णकालिक संघ के समर्पित हो गये। उन्होने नागपुर में 40 दिन का  ग्रीष्म शिविर में भाग लिया था। यही पर उन्हें संघ के प्रशिक्षण की शिक्षा मिली थी। संघ के शैक्षिक शाखा के द्वितीय साल के प्रशिक्षण के पूरा करने के उपरान्त उन्हे आजीवन प्रचारक बना दिया गया। उन्हें लखीमपुर जिले का कार्य भार दिया गया था। 1955 से उन्हें उत्तर प्रदेश के संयुक्त प्रान्त प्रचारक की जिम्मेदारी दी गयी। वह संघ के एक आदर्श स्वयंसेवक रहे। उन्होंने संघ के विचारों को अपने जीवन में अक्षरशः आत्मसात कर लिया था। 1951 में श्यामा प्रसाद मुकर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना किया था। पं. दीन दयाल को संघ परिवार की ओर से द्वितीय संस्थापक के रुप में जिम्मदारी दी गयी थी। संगठन के प्रति निष्ठा से प्रभावित होकर 1951-52 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पं. दीनदयाल उपाध्याय ने अपनी टीम में शामिल कर लिया। पहले आम चुनाव में वे भारतीय जनसंघ से चुनाव मैदान में उतरे, मगर वे चुनाव जीत नहीं सके लेकिन 1958-62 में उन्हें विधान परिषद सदस्य चुना गया। वर्ष 1962 में वे पहली बार विधायक बने। सरकार में वह एक बार कृषि मंत्री भी रहे। वह 1962-66 तथा 1969-77 के मध्य भारतीय जनसंघ की तरफ से उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य थे। वह उत्तर प्रदेश विधान सभा के विपक्ष के नेता तथा उत्तर प्रदेश के कैविनेट मंत्री थी रहे। आपातकाल के दौरान उन्हें करीब 19 माह तक जेल में गुजारना पड़ा। आपातकाल के बाद भारतीय जनसंघ और जनता पार्टी का विलय हुआ तो वे 1977 में डुमरियागंज के सांसद चुने गए। वह डुमरियागंज लोक सभा क्षेत्र के 1977 के सदस्य चुने गये थे। वह पूर्वाचल उत्तर प्रदेश के अनेक वरिष्ठ सदस्य मा. राजनाथ सिंह, कलराज मिश्र, डा. महेन्द्रनाथ पाण्डेय, स्व. हरीश श्रीवास्तव के साथ काम किये थे। वह पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल विहारी वाजपेयी के बहुत करीबी तथा विश्वासपात्र रहे। यद्यपि माधो बाबू भाजपा के नेता थे परन्तु अन्य राजनीतिक दलो के नेता जैसे चैधरी चरणसिंह तथा मुलायम सिंह आदि भी उनको बहुत सम्मान देते थे। एक बार माधो बाबू विधान सभा चुनाव हार गये थे तो चैधरी चरण सिहं ने अपने पाटी के विधायको से कहकर उन्हे विधान परिषदकी सदस्यता दिलवायी थी।
उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष:-छह अप्रैल 1980 में जब भाजपा का गठन हुआ तो शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष की कमान सौंप दी। 1980 के दशक माधो बाबू का चरमोत्कर्ष का समय था। उन्हे लोग जन नेता के रुप में मानते थे। विपक्ष के नेता के रुप में उनके सलाह का पूर्ण सम्मान दिया जाता था। अपने राजनीतिक जीवन के दौरान वह  वह उ. प्र. हाउसिंग डेवलपमेंट कांउंसिल के अध्यक्ष तथा डेलीमिटेशन कमीशन के सदस्य आदि भी रहे। पं. दीन दयाल उपाध्याय की तरह उनका भी विवास्पद मृत्यु 19 अगस्त 1884 में हुआ था। जन्माष्टमी के दिन संगठन के कार्यक्रम में जाते समय लखनऊ में उनकी मौत हुई।  उनके पौत्र सिद्धार्थ त्रिपाठी अपने दादा जी के पथ का अनुसरण करते हुए पार्टी की सेवा में सक्रियता से योगदान कर रहे है।इसे संयोग ही कहेंगे कि भाजपा की स्थापना के 36 वर्षों में 23 वर्ष ब्राह्मï नेता ही पार्टी की प्रदेश इकाई की कमान संभाले रहे। 1980 में माधव प्रसाद त्रिपाठी पहले प्रदेश अध्यक्ष बने थे। वह चार वर्ष इस पद पर रहे। 1991 में कलराज मिश्र को यह जिम्मेदारी सौंपी गयी तो वे तीन बार में सात साल से अधिक प्रदेश अध्यक्ष रहे। केशरीनाथ त्रिपाठी रमापति राम त्रिपाठी तीन-तीन साल और डॉ.लक्ष्मीकांत वाजपेयी चार साल अध्यक्ष रहे। सूर्यप्रताप शाही भी दो साल के लिए प्रदेश अध्यक्ष बने थे। तीसरे अध्यक्ष बने राजेंद्र गुप्ता 1989 से 1991 तक दो वर्ष यह पद संभाले रहे। 1997 में प्रदेश अध्यक्ष बने राजनाथ सिंह ने ढाई साल तक यह जिम्मेदारी संभाली।
घर रहते हुए मुलाकात नहीं :- माधव बाबू के साथ रहने वाली भतीजी 84 वर्षीय उषा देवी शुक्ला और 74 वर्षीय सुधा द्विवेदी कहती हैं कि हम सभी एक ही घर में रहकर महीनों उनसे मुलाकात नहीं कर पाते थे। क्योंकि वह ज्यादातर समय संगठन और सामाजिक कार्य में देते थे। आरएसएस के प्रति समर्पित होकर चाचा जी ने जिस तरह घर परिवार का मोह छोड़ बैरागी जीवन अपना लिया उससे तो शुरुआती दौर में हम परिवार के लोगों को थोड़ा दुख हुआ, मगर समाज और राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा और त्याग की भावना आज भी हमें और हमारे परिवार की प्रेरणा है।
जन्म शताब्दी समारोह का आयोजन :-12 सितम्बर 2017 को स्व. माधव प्रसाद त्रिपाठी जन्म शताब्दी समारोह का आयोजन किया जा रहा है। बस्ती रोडवेज चैराहा के पास गिरीराज मैरेज होम में 12 सितम्बर 2017 की शाम 4.30 बजे एक भव्य आयोजन किया जा रहा है जिसके मुख्य वक्ता भाजपा के संगठन मंत्री मा. सुनील बंसल होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता भाजपा गोरक्ष प्रान्त के क्षेत्रीय अध्यक्ष मा. उपेन्द्र दत्त शुक्ल करेंगे। विशिष्ट वक्ताओं में उ. प्र. भाजपा के पूर्व अध्यक्ष मा.रमापति त्रिपाठी, भाजपा गोरक्ष प्रान्त के प्रान्तीय संगठन मंत्री मा. शिवकुमार पाठक, बस्ती लोकसभा के सांसद मा. हरीश द्विवेदी, डुमरियागज लोक सभा के सांसद मा. जगदम्बिका पाल तथा पूर्व राष्ट्रीय महा मंत्री मा. विनोद चन्द पाण्डेय के नाम दिये गये हैं।





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