Thursday, January 25, 2018

पुस्तकालय का काला आदेश निरस्त


आगरा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के केन्द्रीय पुरातत्व पुस्तकालय ने पुस्तकों की अभिरक्षा के लिए एक विभागीय पुस्तकालय नियमावली बना रखा था जिसके अनुसार यदि कोई पुस्तक किसी सदस्य द्वारा जानबूझकर वापस जमा ना की जाती हो तो विभागाध्यक्ष पुस्तकालय अधिकारी की अनुशंसा पर उस पुस्तक की कीतम का दस गुना मूल्य जमा करा सकता है। इस अधिकार का दुरुपयोग करते हुए आगरा मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. भुवन विक्रम ने डा. राधेश्याम द्विवेदी सहा. पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी के 30 साल की सेवावधि पर सेवामुक्त होने पर उनसे नौसर्गिक रुप से मिसिंग पायी गयी 57 पुस्तकों के मूल्य का दस गुणा जुर्माना जमा करने का कार्यालय आदेश सं. 296  दिनांक 6 सितम्बर 2017 द्वारा पारित किया था। इस  आदेश में रु. 9,586.62 की जगह 95,866.00 रुपये की रिकबरी का आदेश जारी किया गया था। जिसको डा. द्विवेदी ने अपने उच्चस्थ अधिकारी के संज्ञान में लाया और महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, नई दिल्ली द्वारा गठित तीन सदस्यीय एक उच्चाधिकार कमेटी ने इस पर विचार कर इस आदेश को निरस्त करते हुए पत्रावली सं.4/3/ 2017 लाइब्रेरी पार्ट 1 दिनांक 24.01.217 के आदेश में मूल कीमत रु. 9,586.00 जमा करने का आदेश जारी किया है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पुस्तकालयी इतिहास में यह पहली घटना थी जो किसी पुस्तकालय अधिकारी से 10 गुणा जुर्माना लगाया गया था। यद्यपि इस आदेश का परिपालन ना करने तथा उच्च अधिकारी को अपील करने का खामियाजा डा. द्विवेदी को भुगतना पड़ा। उनकी पेंसन तथा रिटायरमेंट की सारी परिलव्धियां रोक रखी गयी है। आशा है यह रुकी हुई पेंसन व रिटायरमेंट लाभ भी उच्चधिकारी जल्द दिलवाने की कृपा करेंगें।


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