Saturday, June 17, 2017

औरों के लिए कुछ करने का अवसर -आचार्य राधेश्याम द्विवेदी


हम क्या क्या कर सकते हैं - मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह ना केवल मानव जाति का अपितु संसार के समस्त चराचर जीवों का नियन्ता बन सकता है। सबकी रक्षा करने के लिए ऊपरवाले ने मानव जीवन का निर्माण किया है उसमें बुद्धि विवेक तथा भविष्य की सोचने समझने की क्षमता दे रखी है। इसलिए उसे स्व के मोह से निकलकर सर्व की तरफ बढ़ना, चलना तथा प्रेरणा स्रोत बनना चाहिए।ईश्वर ने यह काया केवल स्व तक सीमित रहने तथा भोग विलास के लिए नहीं दी हैं इससे आगे वढ़कर औरों के लिए सोचने और एक नया माहौल पैदा करने के लिए दिया है। ना जाने पिछले जन्म या इस जन्म के किसी पुण्य से आपको कुछ करने का अवसर मिला हो और आप अपने तक सीमित रहकर यह दुर्लभ अवसर गंवा रहे हो।
पशु- पक्षियों के लिए पानी रखें –हम अपने अगल-बगल में पशु-पक्षी की भी दरकार करें। ये अवसर होता है परिवार में बच्चों को एक काम दिया जाये कि वो घर के बाहर किसी बर्तन में पक्षियों को पीने के लिए पानी रखें, और ये भी देखें वो गर्म ना हो जाये। आप देखना परिवार में बच्चों के अच्छे संस्कार हो जायेंगें। और इस भयंकर गर्मी में पशु-पक्षियों की भी रक्षा हो जाएगी। साथ ही अपने आस-पास घायल निरीह जानवरों की रक्षा भी आप कर सकते हैं आपकी एक छोटी सी सावधानी एसे प्राणियों की जान बचा सकती है। सरकारी तथा कुछ गैर सरकारी संस्थायें इस कार्य को करती हैं। उनमें सब कुछ सुविधा तथा मानव क्षमता नहीं होती हैं। आप उनसे जुड़कर सक्रिय रहकर समय समय पर जुड़कर उनकी श्रृंखला की एक कड़ी तो बन ही सकते हैं
जगत में असीमित विषय सावधानी से चयन करें - आम तौर पर ज़्यादातर विद्यार्थियों को पता भी नहीं होता है क्या पढ़ना है, क्यों पढ़ना है, कहाँ जाना है, लक्ष्य क्या है। ज़्यादातर अपने सराउंन्डिंग में जो बातें होती हैं, मित्रों में, परिवारों में, यार-दोस्तों में, या अपने माँ-बाप की जो कामनायें रहती हैं, उसके आस-पास निर्णय होते हैं। अब जगत बहुत बड़ा हो चुका है। विषयों की भी सीमायें नहीं हैं, अवसरों की भी सीमायें नहीं हैं। आप ज़रा साहस के साथ आपकी रूचि, प्रकृति, प्रवृत्ति के हिसाब से रास्ता चुनिए। प्रचलित मार्गों पर ही जाकर के अपने को खींचते क्यों हो? कोशिश कीजिये। और आप ख़ुद को जानिए और जानकर के आपके भीतर जो उत्तम चीज़ें हैं, उसको सँवारने का अवसर मिले, ऐसी पढ़ाई के क्षेत्र क्यों न चुनें? लेकिन कभी ये भी सोचना चाहिये, कि मैं जो कुछ भी बनूँगा, जो कुछ भी सीखूंगा, मेरे देश के लिए उसमें काम आये ऐसा क्या होगा ? आज इन्सान का दायरा सीमित नहीं है। वह पूरे विश्व व मानवता के लिए भी उपयोगी हो सकता है। इसलिए बच्चों को पंख लगाकर उड़ने का माहौल दीजिए। और इस छोटे से प्रयास से जो आप खुद नहीं कर सके हें उसे अपनी अगली पीढ़ी से करवाने के लिए सहायक बन सकते हैं।
विविधताओं से भरा अपनी राह चुने- बहुत सी जगहें ऐसी हैं जहां हर किसी की निगाह सामान्य तौर पर ना पहुंच पाती हो। इसे थेड़े से संयम धौर्य तथा प्रेरणा से जाना समझा तथा पहचाना जा सकता है।देश को उत्तम शिक्षकों की ज़रूरत है तो उत्तम सैनिकों की भी ज़रूरत है, उत्तम वैज्ञानिकों की ज़रूरत है तो उत्तम कलाकार और संगीतकारों की भी आवश्यकता है। खेल-कूद कितना बड़ा क्षेत्र है, और खिलाडियों के सिवाय भी खेल कूद जगत के लिए कितने उत्तम ह्यूमन रिसोर्स की आवश्यकता होती है। यानि इतने सारे क्षेत्र हैं, इतनी विविधताओं से भरा हुआ विश्व है। हम ज़रूर प्रयास करें, साहस करें। आपकी शक्ति, आपका सामर्थ्य, किसी से कम नहीं है। आपके सपने देश के सपनों से भी मेलजोल वाले होने चाहिये। ये मौक़ा है आपको अपनी राह चुनने का। देश राष्ट्र तथा मानवता के लिए कुछ करके दिखाने का।
विफलता भी एक अवसर - जो परीक्षा में विफल हुए उनसे मेरा यह निवेदन है कि ज़िन्दगी में सफलता विफलता स्वाभाविक है। जो विफलता को एक अवसर मानता है, वो सफलता का शिलान्यास भी करता है। जो विफलता से खुद को विफल बना देता है, वो कभी जीवन में सफल नहीं होता है। हम विफलता से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं। और कभी हम ये क्यों न मानें, कि आज की आप की विफलता आपको पहचानने का एक अवसर भी बन सकती है, आपकी शक्तियों को जानने का अवसर बन सकती है? और हो सकता है कि आप अपनी शक्तियों को जान करके, अपनी ऊर्जा को जान करके एक नया रास्ता भी चुन लें।विफलता के बोझ में दबना मत। विफलता भी एक अवसर होती है। विफलता को ऐसे मत जाने दीजिये। विफलता को भी पकड़कर रखिये। उसका कारण ढूंढिए। विफलता के बीच भी आशा का अवसर समाहित होता है। और बेटा अगर विफल हो गया तो माहौल ऐसा मत बनाइये की वो ज़िन्दगी में ही सारी आशाएं खो दे। कभी-कभी संतान की विफलता माँ-बाप के सपनों के साथ जुड़ जाती है और उसमें संकट पैदा हो जाते हैं, ऐसा नहीं होना चाहिये। विफलता को पचाने की ताक़त भी तो ज़िन्दगी जीने की ताक़त देती है। विफल मित्रों को अवसर ढूँढने का मौक़ा मिला है, इसलिए इसे आगे बढ़ने का, विश्वास जगाने का प्रयास कीजिये।
योग विश्व को जोड़ने का माध्यम- योग विश्व को भी जोड़ने का एक माध्यम बन सकता है? वसुधैव कुटुम्बकम की हमारे पूर्वजों ने जो कल्पना की थी, उसमें योग एक कै
टलिटिक एजेंट के रूप में विश्व को जोड़ने का माध्यम बन रहा है। कितने बड़े गर्व की, ख़ुशी की बात है। लेकिन इसकी ताक़त तो तब बनेगी जब हम सब बहुत बड़ी मात्रा में योग के सही स्वरुप को, योग की सही शक्ति को, विश्व के सामने प्रस्तुत करें। योग दिल और दिमाग को जोड़ता है, योग रोगमुक्ति का भी माध्यम है, तो योग भोगमुक्ति का भी माध्यम है और अब तो में देख रहा हूँ, योग शरीर मन बुद्धि को ही जोड़ने का काम करे, उससे आगे विश्व को भी जोड़ने का काम कर सकता है।
भ्रमण-अनुभव डायरी लिखें -जब हम भ्रमण करते हैं, कभी रिश्तेदारों के घर जाते हैं, कहीं पर्यटन के स्थान पर पहुंचते हैं। दुनिया को समझना, देखने का अलग अवसर मिलता है। जिसने अपने गाँव का तालाब देखा है, और पहली बार जब वह समुन्दर देखता है, तो पता नहीं वो मन के भाव कैसे होते हैं, वो वर्णन ही नहीं कर सकता है कि अपने गाँव वापस जाकर बता ही नहीं सकता है कि समुन्दर कितना बड़ा होता है। देखने से एक अलग अनुभूति होती है।आप छुट्टियों के दिनों में अपने यार दोस्तों के साथ, परिवार के साथ कहीं न कहीं ज़रूर गए होंगे, या जाने वाले होंगे। आप जब भ्रमण करने जाते हैं, तब डायरी लिखने की आदत बनानी चाहिए ।, अनुभवों को लिखना चाहिए, नए-नए लोगों से मिलतें हैं तो उनकी बातें सुनकर के लिखना चाहिए, जो चीज़ें देखी हैं, उसका वर्णन लिखना चाहिए, एक प्रकार से अन्दर, अपने भीतर उसको समावेश कर लेना चाहिए। ऐसी सरसरी नज़र से देखकर के आगे चले जाएं ऐसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये भ्रमण अपने आप में एक शिक्षा है। हर किसी को हिमालय में जाने का अवसर नहीं मिलता है, लेकिन जिन लोगों ने हिमालय का भ्रमण किया है और किताबें लिखी हैं उनको पढ़ोगे तो पता चलेगा कि क्या आनन्ददायक यात्राओं का वर्णन उन्होंने किया है। मैं ये तो नहीं कहता हूँ कि आप लेखक बनें! लेकिन भ्रमण की ख़ातिर भ्रमण ऐसा न होते हुए हम उसमें से कुछ सीखने का प्रयास करें, इस देश को समझने का प्रयास करें, देश को जानने का प्रयास करें, उसकी विविधताओं को समझें। वहां के खान पान कों, पहनावे, बोलचाल, रीतिरिवाज, उनके सपने, उनकी आकांक्षाएँ, उनकी कठिनाइयाँ, इतना बड़ा विशाल देश है, पूरे देश को जानना समझना है – एक जनम कम पड़ जाता है, आप ज़रूर कहीं न कहीं गए होंगे, लेकिन मेरी एक इच्छा है, इस बार आप यात्रा में गए होंगे या जाने वाले होंगे।

(माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी के ‘मन की बात’ के सूत्रों के आधार पर)

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