Tuesday, July 2, 2024

क्या हिंदू समाज हिसक है ? आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी



राहुल गांधी का संसद में बयान:- 

कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कल संसद में बहुत ही असभ्य गैर जिम्मेदाराना और विवादित बयान दिया है। ऐसा बयान करोड़ों हिंदुओं की भावना को आहत करने वाला है। उन्होंने कहा कि, "जो लोग अपने आपको हिंदू कहते हैं, वो चौबीसों घंटे हिंसा, हिंसा, हिंसा; नफरत, नफरत, नफरत; असत्य, असत्य, असत्य करते रहते हैं। "

      राहुल के इस बयान पर लोकसभा में भारी हंगामा हो गया। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खड़े होकर राहुल के इस विचार पर आपत्ति जताई। हालांकि, जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि "उन्होंने पीएम मोदी, बीजेपी और आरएसएस को नफरती और हिंसक कहा है, ना कि पूरे हिंदू समाज को।"     

         प्रधानमंत्री मोदी ने राहुल के बयान पर आपत्ति जताते हुए सिर्फ इतना कहा था, 'ये विषय बहुत गंभीर है। पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना ये गंभीर विषय है।' 

     इतने पर राहुल गांधी बोलने लगे, 'नरेंद्र मोदी पूरे हिंदू समाज नहीं हैं। आरएसएस पूरा हिंदू समाज नहीं है।' 

       गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा है कि," हिंसा की भावना को किसी धर्म से जोड़ना ठीक नहीं। संवैधानिक पद पर बैठे राहुल गांधी से गुजारिश है कि माफी मांगें।"

सरकार ने बोला राहुल पर हमला:- 

हिंदुत्व की राजनीति की पैरोकार बीजेपी ने हिंदुओं को लेकर राहुल के बयान को हवा देनी शुरू कर दी है.सदन में पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने राहुल के बयान पर आपत्ति जताई तो सदन के बाहर कई मंत्रियों ने मोर्चा संभाल लिया है.रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजीजू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि राहुल गांधी के इस बयान ने पूरे हिंदू समाज का अपमान किया है.वैष्णव का कहना है कि 2010 में तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम ने हिंदुओं को आतंकवादी कहा था. वहीं 2013 में उस समय के गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने फिर हिंदुओं को आतंक - वादी बताया था तो राहुल ने खुद 2021 में कहा था कि हिंदुत्ववादियों को देश से बाहर निकाल देना चाहिए.आज राहुल गांधी ने पूरे हिंदू समाज को हिंसक और असत्यवादी कहा है।

राहुल गांधी को किसका मिला साथ:- 

हालांकि कांग्रेस पार्टी और विपक्षी दल इस मुद्दे पर राहुल गांधी के साथ नजर आ रहे हैं. राहुल के भाषण पर उनकी बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा, "हिंदुओं का अपमान नहीं कर सकते. उन्होंने(राहुल गांधी) स्पष्ट बोला है, उन्होंने बीजेपी के बारे में बोला है, बीजेपी के नेताओं के बारे में बोला है.”

राजनीति चमकाने के लिए प्रोपगंडा :- 

अभी कुछ दिन पहले इमरजेंसी की पूरे देश में भर्त्सना हुई है फिर भी उन्हें अपने कृत्य से कोई सीख नहीं लेना है और संसद में केवल प्रोपगंडा ही फैलाना है। इन्ही की पार्टी के शासन में दिल्ली में दिन दहाड़े हजारों सिख भाइयों का कत्लेआम हुआ। ये इस पर मौन रहते हैं और सही दिशा में चल रहे देश में अपनी तुच्छ राजनीति चमकाने के लिए शिव जी के चित्र दिखाकर अभय की बात कर रहे हैं। नेता विपक्ष को पहले भाषण में सदन के संग पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।

सहिष्णुता के लिए अनेक संवैधानिक संगठन सक्रिय हैं:- 

भारत के धर्मनिरपेक्ष और धार्मिक रूप से सहिष्णु संविधान , सरकार सहित समाज के विभिन्न पहलुओं में व्यापक धार्मिक प्रतिनिधित्व, भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग जैसे स्वायत्त निकायों द्वारा निभाई गई सक्रिय भूमिका और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा किए जा रहे जमीनी स्तर के काम के बावजूद, धार्मिक हिंसा के छिटपुट और कभी-कभी गंभीर कृत्य होते रहते हैं क्योंकि धार्मिक हिंसा के मूल कारण अक्सर भारत के इतिहास, धार्मिक गतिविधियों और राजनीति में गहरे तक समाए रहते हैं। 

अंग्रेजों की चाल:- 

कई इतिहासकारों का तर्क है कि स्वतंत्र भारत में धार्मिक हिंसा भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटेन के नियंत्रण के युग के दौरान ब्रिटिश औपनिवेशिक अधिकारियों द्वारा अपनाई गई फूट डालो और राज करो की नीति की विरासत है , जिसमें स्थानीय प्रशासकों ने हिंदुओं और मुसलमानों को एक दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया, एक ऐसी रणनीति जो अंततः भारत के विभाजन में परिणत हुई ।


अटल जी की हिन्दू धर्म पर कविता : - 

इस कविता में हिन्दू धर्म के मर्म को बहुत ही अच्छे ढंग से वक्त किया गया है।देश को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए-- 

"हिन्दू तन-मन हिन्दू जीवन 

रग-रग हिन्दू मेरा परिचय" 

मैं शंकर का वह क्रोधानल 

कर सकता जगती क्षार-क्षार।

डमरू की वह प्रलय-ध्वनि हूं 

जिसमें नचता भीषण संहार।

रणचण्डी की अतृप्त प्यास, 

मैं दुर्गा का उन्मत्त हास।

मैं यम की प्रलयंकर पुकार, 

जलते मरघट का धुआंधारय।

फिर अन्तरतम की ज्वाला से, 

जगती में आग लगा दूं मैं।

यदि धधक उठे जल, थल, 

अम्बर, जड़, चेतन तो कैसा विस्मय?

हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, 

रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!।


मैं आदि पुरुष, निर्भयता का 

वरदान लिए आया भू पर।

पय पीकर सब मरते आए, 

मैं अमर हुआ लो विष पी कर।

अधरों की प्यास बुझाई है, 

पी कर मैंने वह आग प्रखर।

हो जाती दुनिया भस्मसात्, 

जिसको पल भर में ही छूकर।

भय से व्याकुल फिर दुनिया ने 

प्रारंभ किया मेरा पूजन।

मैं नर, नारायण, नीलकंठ 

बन गया न इस में कुछ संशय।

हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन,

रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!।


मैं अखिल विश्व का गुरु महान्, 

देता विद्या का अमरदान।

मैंने दिखलाया मुक्ति-मार्ग, 

मैंने सिखलाया ब्रह्मज्ञान।

मेरे वेदों का ज्ञान अमर, 

मेरे वेदों की ज्योति प्रखर।

मानव के मन का अंधकार, 

क्या कभी सामने सका ठहर?

मेरा स्वर नभ में घहर-घहर, 

सागर के जल में छहर-छहर।

इस कोने से उस कोने तक, 

कर सकता जगती सौरभमय।

हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन,

रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!।


मैं तेज पुंज, तमलीन जगत

में फैलाया मैंने प्रकाश।

जगती का रच करके विनाश, 

कब चाहा है निज का विकास?

शरणागत की रक्षा की है, 

मैंने अपना जीवन दे कर।

विश्वास नहीं यदि आता तो 

साक्षी है यह इतिहास अमर।

यदि आज देहली के खण्डहर, 

सदियों की निद्रा से जगकर।

गुंजार उठे उंचे स्वर से

'हिन्दू की जय' तो क्या विस्मय?

हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन,

रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!।


दुनिया के वीराने पथ पर 

जब-जब नर ने खाई ठोकर।

दो आंसू शेष बचा पाया 

जब-जब मानव सब कुछ खोकर।

मैं आया तभी द्रवित हो कर, 

मैं आया ज्ञानदीप ले कर।

भूला-भटका मानव पथ पर ‍

चल निकला सोते से जग कर।

पथ के आवर्तों से थक कर, 

जो बैठ गया आधे पथ पर।

उस नर को राह दिखाना ही

मेरा सदैव का दृढ़ निश्चय।

हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन,

रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!।


मैंने छाती का लहू पिला 

पाले विदेश के क्षुधित लाल।

मुझ को मानव में भेद नहीं, 

मेरा अंतस्थल वर विशाल।

जग के ठुकराए लोगों को, 

लो मेरे घर का खुला द्वार।

अपना सब कुछ लुटा चुका, 

फिर भी अक्षय है धनागार।

मेरा हीरा पाकर ज्योतित 

परकीयों का वह राजमुकुट।

यदि इन चरणों पर झुक जाए 

कल वह किरीट तो क्या विस्मय?

हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, 

रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!।


मैं ‍वीर पुत्र, मेरी जननी के 

जगती में जौहर अपार।

अकबर के पुत्रों से पूछो, 

क्या याद उन्हें मीना बाजार?

क्या याद उन्हें चित्तौड़ दुर्ग में 

जलने वाला आग प्रखर?

जब हाय सहस्रों माताएं, 

तिल-तिल जलकर हो गईं अमर।

वह बुझने वाली आग नहीं, 

रग-रग में उसे समाए हूं।

यदि कभी अचानक फूट पड़े 

विप्लव लेकर तो क्या विस्मय?

हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, 

रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!।

 

होकर स्वतंत्र मैंने कब चाहा है 

कर लूं जग को गुलाम?

मैंने तो सदा सिखाया करना 

अपने मन को गुलाम।

गोपाल-राम के नामों पर कब 

मैंने अत्याचार किए?

कब दुनिया को हिन्दू करने 

घर-घर में नरसंहार किए?

कब बतलाए काबुल में जा 

कर कितनी मस्जिद तोड़ीं?

भूभाग नहीं, शत-शत मानव 

के हृदय जीतने का निश्चय।

हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, 

रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!।


मैं एक बिंदु, परिपूर्ण सिन्धु है 

यह मेरा हिन्दू समाज।

मेरा-इसका संबंध अमर, 

मैं व्यक्ति और यह है समाज।

इससे मैंने पाया तन-मन, 

इससे मैंने पाया जीवन।

मेरा तो बस कर्तव्य यही, 

कर दूं सब कुछ इसके अर्पण।

मैं तो समाज की थाती हूं, 

मैं तो समाज का हूं सेवक।

मैं तो समष्टि के लिए व्यष्टि 

का कर सकता बलिदान अभय।

हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, 

रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!।

 (साभार- मेरी इक्यावन कविताएं)


देश अब गलत रास्ते पर :- 

पूरे देश के हिन्दू इतने सहिष्मु कायर और उदास बन गए है कि ऐसे गैर जिम्मेदाराना भाषण देने वाले के खिलाफ मौन रहकर उस अल्प बुद्धि नेता की बातों का प्रकारांतर से समर्थन दे रहे हैं। 293 संसद सदस्य को चुनने वाली भारत के आधी से ज्यादा की आबादी को अपमानित कर रहे हैं। 

       अभी तक ना तो इनका पुतला जलाया गया ना कालिख फेंका गया और ना ही किसी न्यायालय ने ही स्वतः संज्ञान ही लिया है। यही बात यदि सत्ता पक्ष का कोई सदस्य कहा होता तो अब तक पूरे विश्व में हाय तोबा मच जाती। बीबीसी और अमरीका तक खलबली मच जाती। 

      इतना सशक्त सत्ता समर्थित दर्जनों संगठन ना जाने किस मजबूरी में इस संवैधानिक पद पर बैठे शक्स के विरुद्ध अकर्मण्य बने बैठे हैं। इनके बुद्धजीवी और आईटी सेल वाले पता नहीं किस संकेत की प्रतीक्षा कर रहे है। इनसे इनका संवैधानिक पद छीन कर किसी सुलझे विचार वाले को दिया जाना चाहिए।

      मैं भाजपा का एक अदना सा सदस्य हूं। मै गर्व से कहता हूँ कि मैं हिन्दू हूँ , मुझे किसी गैर हिन्दू से संविधान के दायरे में कोई आपत्ति नही है। किसी भी तरह से मैं हिंसक नहीं हूँ। मै राहुल गांधी के बयान की घोर निन्दा करता हूं। उनको देश से माफी मांगने की मांग करता हूं। साथ ही यह भी मांग करता हूं कि कांग्रेस किसी अन्य सक्षम व्यक्ति को विपक्ष का नेता बनाए और देश के प्रति अपना संवैधानिक भूमिका को निभाए।

            आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी 

लेखक परिचय:-

(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, आगरा मंडल ,आगरा में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए समसामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं।) 





No comments:

Post a Comment