Wednesday, November 29, 2017

श्रीमती कमला द्विवेदी की प्रेरक जीवन यात्रा जो गांवों में नई चेतना जागृत की

60वें जन्म दिवस के अवसर पर
                                                                                     
श्रीमती कमला द्विवेदी का नाम पहले कमला देवी था। जो राष्ट्रपति शिक्षा पुरस्कार प्राप्त बस्ती जनपद के महान साहित्यकार जनता इन्टर मीडिएट कालेज नगर बाजार के पूर्व प्राचार्य स्व. डा. मुनिलाल उपाध्याय सरस की सुपुत्री हैं। उनका स्थाई निवास ग्राम सीतारामपुर पो. पोखरनी , नगर बाजार बस्ती था। कमला जी का जन्म 01.12.1959 . में सीतारामपुर में सरस जी के यहां हुआ था। उनकी प्राइमरी की पढ़ाई खड़ौवा के प्राइमरी विद्यालय में शुरू हुआ था। कक्षा 6 से 10 तक की पढ़ाई अपने पिता जी के संरक्षण में जनता इन्टर कालेज नगर बाजार बस्ती में की थीं।
कमला जी का डा. राधेश्याम द्विवेदी एडवोकेट ग्राम पो. दुबौली दूबे के साथ 1978 में शादी हो जाने के बाद उनका उपनाम द्विवेदी हो गया था। उस समय वह 10 कक्षा उत्तीर्ण थी। पति के साथ रहते हुए 1981 में किसान इण्टर कालेज भानपुर से वह इन्टर मीडिएट, 1983  में सम्मपूर्णानन्द संस्कृत विश्व विद्यालय वाराणसी से शास्त्री तथा 1985 में शिक्षाशास्त्री बी.एड परीक्षा उत्तीर्ण की है। पति द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण बड़ौदा में सेवा दायित्व संभाल लेने के कारण बी.एड. करने के बावजूद आप सरकारी सेवा नहीं की और बच्चों की पढ़ाई का दायित्व पति के साथ निभाना शुरु कर दिया। आप अपने मायके पक्ष के लोगों में भी पूरा ध्यान रखती हैं। अपने दिन प्रतिदिन के व्यवहार से सबमें सम्मान बनाये रखी हैं।
आपने बड़ौदा मिले में मिले अध्यापककी नौकरी का आफर भी ठुकराकर हाउस वाइफ की जिम्मेदारी बखूबी निभाई। पुस्तकालय विज्ञान के एक सार्टिफिकेट कोर्स को आपने आगरा में किया है। अपने छोटे बच्चे की पढ़ाई के सिलसिले में आपको बस्ती में 6 माह किराये के मकान में रहना पड़ा था। आपके पुत्र. सौरभ द्विवेदी की शिक्षा केन्द्रीय विद्यालय बस्ती से शुरु हुई थी। इनके पालन पोषण में कमला द्विवेदी ने कोई कोर कसर ना छोड़ा था। वह अपने पति डा. राधेश्याम द्विवेदी वड़े बेटे डा. अभिषेक द्विवेदी को आगरा में छोड़कर अकेले 6 माह तक बस्ती में निवास की थी, जहां सौरभ के मां और बाप दोनो की जिम्मेदारी निभायी। यहां आपने अपने लिए कटरा बस्ती में एक आवास प्लाट खरीकर धीरे धीरे इसमें तीन कमरे का निर्माण करा लिया। जो एक स्थाई निधि बन गयी है। पति के साथ आपने अपने दोनों पुत्रों की शिक्षा आगरा में सम्पन्न करवायी और विज्ञान ग्रुप के साथ उनका चयन चिकित्सा शिक्षा में कराया। आपके दोनों पुत्र चिकित्सा विशेषज्ञ हैं। डा. अभिषेक द्विवेदी आर्मी मेंडिकल कोर में मेजर पद रहते हुए रेडियोडाइग्नेसिस में एम. डी. करके दिल्ली के बेस सेना चिकित्सालय में कार्यरत हैं। डा. सौरभ द्विवेदी एम.बी.बी.एस करके स्नातकोत्तर एम एस आर्थोपैडिक्स पाठ्यक्रम  आगरा के एस एन मंडिकल कालेज से कर रहे हैं।
आपके पति डा. राधेश्याम द्विवेदी 12 मार्च 1987 से 26 दिसम्बर 2014 तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सहायक पुस्तकाध्यक्ष/पुस्तकालय सूचना सहायक पद पर बड़ौदा आगरा में अपनी सेवाये दिये हैं। 26 दिसम्बर 2014 से 30 जून तक सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद पर कार्य करते हुए अपनी सेवा पूरी की है। सम्प्रति 30 जून 2017 को 30 वर्ष 4 माह की राजकीय सेवा कर आपके पति सेवा मुक्त हो गये है। जो बस्ती उत्तर प्रदेश से जन सेवा हेतु स्वतंत्र पत्रकारिता तथा साहित्य सेवा में भी लगे हुए हैं। 
                                                                               
विगत 7 साल हुए आपके ससुर जी का देहान्त हो गया अब आपकी सास मां गांव में अकेली पड़ गयी थी तो उनकी देखरेख के लिए आपके पति डा. राधेश्याम द्विवेदी ने  आपको गांव में मां की देखरेख तथा सम्पत्ति की रक्षा के लिए छोड़ रखा है। लगभग 30 सालों तक शहर की सुख सुविधाओं को छोड़कर जिस समय आप मां की सेवा के साथ बस्ती जिले के हर्रैया तहसील के ग्राम मरवटिया में खेती का काम देखना शुरु किया उस समय आपको अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा। निवासे की जमीन होने के कारण गांव में विरोध था ही साथ ही संयुक्त परिवार में भी आपको सहयोग ना मिलकर बाहर रहने के कारण लोगों का तिरस्कार पूर्ण जिन्दगी से दो चार होना पड़ा था। रुढ़िवादी गांव में अनेक विरोधों के बावजूद आपका कारवा चलता रहा। एक नयी आधुनिक, वैज्ञानिक संतुलित संस्कृति की शुरुवात हुई। आप का देखादेखी इस गांव की महिलायें भी घर की चहारदीवारी से बाहर निकलना शुरु किया। आपके प्रेरणा से कईयों ने घूंघट की परम्परा छोड़ा तो कई अभी अन्तरविरोध को ढ़ोते हुए वर्हिमुखी हो चुकी हैं। विरोध उपहास करने वालों के विचारों में परिवर्तन आया। सामाजिक रुप से पिछड़े लोगों में भी आत्म विश्वास आया और इस गांव की कायाकल्प होना शुरु हो गया। आप साइकिल तो अपने स्वास्थ्य के लिए चलाती हैं परन्तु शुरु में आपके विरोधी भी अब आपकी प्रशंसा करने लगे हैं।
आप जब भी अपने काम से बाहर निकलती हैं। गांव के अधिकांश लोग आपको बड़े सम्मान के साथ देखते हैं आप द्वारा किसी का दुख देखा नहीं जाता और जो कोई किसी जरुरत से आपके पास आता है वह खाली नहीं लौटता है। बच्चे तो आपकी राह देखते रहते हैं क्योकि उन्हें गांव के दुकानों से उनकी मन पसन्द चीजें आपके द्वारा आसानी से मिल जाया करती हैं। आप पर्यावरण की बहुत घ्यान रखती हैं गांव में प्रतिवर्ष आप बहुत सारा पेड़ लगवाती ही नहीं अपितु पैसा खर्च करके उसके देखरेख के लिए पूरा प्रवंध भी करती रहती हैं।
                                                                       
आप अपनी दक्षता तथा कुशलता के बल पर अकेले अपनी वृद्ध सासु मां की पूरी देख रेख तथा सेवा करती रहीं। जो एक मिशाल बन गयी है। आप जानवरों सेवा तथा प्रेम करती है। आप ने एक जर्मन शेफर्ड तथा एक तिब्बतियन लासा बराइटी का डाग पाल रखा है जिससे गांव के बच्चे बड़े प्यार से खेलते हैं ये दोनों डाग आप द्वारा सिखाये गये सारे कमाण्ड को बखूबी निभाते हैं तरह तरह के करतब भी दिखाते हैं।पास के गांव में बसे वनवासियों के अनेक बच्चे आपके सानिध्य में आकर पैसा, खाना, वस्त्र तथा भरपूर प्यार पाते हैं।
1959 में जन्मी मैडम कमला द्विवेदी के आज 60वें जन्म दिवस के अवसर पर हम उनके दीर्घ आयु तथा स्वास्थ्य की कामना करते हैं। आप और अधिक कुशलता से ग्राम्य जीवन में अपने अनुभवों से लोगों को सद् मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती रहें.


No comments:

Post a Comment