हम
सबके पास अपनी-अपनी जिंदगियों के अपने-अपने अनुभवों का इतना समृद्ध खजाना है कि इसका
कोई अन्य विकल्प हो ही नहीं सकता। यह हमारी सबसे बड़ी दौलत है । हमारे
अपने अनुभव एक ऐसा चमकदार आईना है, जिसमें हम अपने अतीत की सारी घटनाओं को घटते हुए
देख सकते हैं, उनका विश्लेषण कर सकते हैं, और उन विश्लेषणों के आधार पर सही-सही निष्कर्ष
निकाल सकते हैं। आदमी स्वभाव से ही इतना लोभी होता है कि जब तक उसे किसी चीज की कीमत
का पता न लगे, तब तक वह उसकी कद्र नहीं करता है। काश ! वह अपने अनुभवों को ही अपने
जीवन का पर्याय समझ पाता। जिस दिन ऐसा हो जाएगा, उस दिन से उसके कार्यों और विचारों
का फोकस जीवन न होकर अनुभव हो जाएगा। वह जीवन के सुख के लिए काम न करके अनुभवों के
सुहानेपन के लिए काम करने लगेगा। ऐसा करते ही उसकी बाहरी यात्रा आंतरिक यात्रा की ओर
मुड़ जाएगी। उसी दिन से उसका सब कुछ बदल जाएगा । उसका यह बदलाव उसकी बेहतरी के लिए
होगा।
अभी बनवास ना खत्म हुआ
अभी ना शाप मिटा
है।
मातृभूमि से अति दूरी में रह यह तन मन
अटका है।।
दिन प्रतिदिन जो नये नये
अनुभव जीवन का आते हैं।
मन निश्चिन्त ना
हुआ अभी वह पल पल
में भटकाते हैं।।
तनहाई रुसवाई क्या दुनिया का गम भी
सह लेंगे।
जो आये परिस्थितियां अपने अनुकूल हम
कर लेंगे।।
तनहाई को गुजरे हुए मधुर यादों से तेरे
भर लेंगे ।
रुसवाई को किस्मत समझ अपने हिस्से में
कर लेंगे ।।
चंचल मन भटकाता है हर बार पीछे छोड़ जाता है।
बेइमान जमाना सताता है समाज ना करने देता है।।
सपना मरने को कहता है पीड़ा का बोध रोकता है।
समस्याए भटकाती है एहसास का बोध कराती है।।
पहाड़ी नदियों सा बहती जिंदगी सरल औ सहज भी है
।
आम्र मंजरी काटें गुलाब सा गिरती उठती पलक भी है।।
इसलिए भाव सम बना करके धारा के संग बहते जाओ।
उल्टे चलने की कोशिस ना कर सीधे सीधे
चलते जाओ।।
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