(भा.पु.स.उत्तरी मण्डल कड़ी 3 )
स्मारकों के प्रकृति के आधार पर सर्किल का वर्गीकरण:-एक तरफ सर्वेयर
का पद नाम बदलकर
1911 में सुप्रिन्टेन्डेन्ट हो गया दूसरी
ओर स्मारकों के प्रकृति के
आधार पर वर्गीकरण करके
दो पृथक पृथक मण्डल बनाये गये। लाहौर मुख्यालय बनाते हुए नार्दन सर्किल का हिन्दू बोद्धिस्ट
मोनोमेंट एक पृथक सर्किल
बनाया गया। आगरा स्थित पुराना नार्दन सर्किल अब ‘मुस्लिम एण्ड ब्रिटिस मोनोमेंट’ का मुख्यालय बन
गया। इसी साल इंग्लैंड के सम्राट की
यात्रा तथा कारनेशन दरबार का आयोजन किया
गया था। जो 1910 के दिसम्बर के
अंतिम सप्ताह से लेकर 2011 के
जनवरी के तीसरे सप्ताह
तक चला था। इस काल में
स्मारकों का संरक्षण और
साफ सफाई का विशेष प्रबन्ध
किया गया था। इस आयोजन में
जर्मनी के राजकुमार का
भ्रमण हुआ था। इनके साथ पंजाब तथा यू. पी. के लेफिटनेंट गवर्नर
ने दिल्ली किले का 6 फरवरी को भ्रमण किया
था। अगले वर्ष 7 दिसम्बर 1911 को किंग व
क्वींन ने दिल्ली किला,
8 को कुतुब मीनार एवं निजामुद्दीन, 12 को दिल्ली संग्रहालय,
16 को आगरा आगमन , आगरा किला
और एत्माद्दौला का भ्रमण, 17 को
ताजमहल तथा 18 को फतेहपुर सीकरी
का भ्रमण किया था। वर्ष 1912-13 के जुलाई 1912 में
यू. पी. के लेफिटीनेंट गवर्नर
सर जान हेवेट ने आगरा का
भ्रमण किया था। दिसम्बर 1912 मे भारत के
वायसराय ने कार्य शुरु
होने पर कुतुब का
तथा फरवरी
1913 में पुनः भ्रमण किया था।
बर्दवान के महाराजा का योगदान:- वर्ष 1913-14 में आगरा में बर्दवान के महाराजाधिराज का
आगमन हुआ था। उन्होंने ताजमहल के उद्यान में
12 पत्थरों के बेंचें, अकबर
का मकबरा सिकन्दरा में दो हेंगिग लैम्प
तथा मरियम के मकबरे पर
चद्दर भेंट किया था। उन्होने जोधबाई के मकबरे को
पहचाना था। इस मकबरें की
सामग्री को आगरा कैन्ट
के बौरिकों में निकालकर लगा दिया गया था। महाराजा ने यहां सुन्दर
छतरी का निर्माण करवाया
था। वर्ष 1914-15 में 11 फरवरी 1915 को सैण्डर्सन को
भारतीय सेना में अस्थाई रुप से स्थान्तरित किया
गया था। वे 18 फरवरी 1915 को सेना का
प्रभार लिये थे। वे जून के
प्रारम्भ में फ्रांस चले गये। वहां घायल होने पर 13 अक्तूबर 1915 को उनकी मृत्यु
हो गयी थी। इस अवधि में
सहायक अधीक्षक मौलवी जफर हसन 24 मई 1915 तक मुस्लिम एण्ड
ब्रिटिस मोनोमेंट नार्दन सर्किल का प्रभार संभाले
हुए थे। भारत सरकार के अधिसूचना 153 दिनांक
7 मई 1915 के द्वारा एच.
हरग्रीव्स 24 मई 1915 से अधीक्षक मुस्लिम
एण्ड ब्रिटिस मोनोमेंट नार्दन सर्किल के पद पर
नियुक्त हुए थे। जिसे उन्होंने पहले से चले आ
रहे अधीक्षक हिन्दू एण्ड बुद्धिस्ट मोनोमेंट के साथ-साथ पूरा
किया। इसी साल बयाना और अजमेर के
स्मारक पश्चिमी मण्डल में स्थान्तरित हो गये। एच.
हरग्रीव्स 26 जनवरी 1916 तक इस मण्डल
के अधीक्षक बने रहे। उसके बाद जे. ए. पेग उत्तरी
मण्डल मुस्लिम एण्ड बौद्धिस्ट मानोमेंट के प्रभारी बने,
जो 31 मार्च तक अपनी डियुटी
पर बने रहे। वर्ष 1916-17, 1917-18 एवं 1918-19 में जे. ए. पेग ही
उत्तरी मण्डल मुस्लिम एण्ड बौद्धिस्ट मानोमेंट के अधीक्षक रहे।
आगरा के कार्यालय भवन का क्रय किया जाना:-1919-20
में मुस्लिम एण्ड ब्रिटिस मोनोमेंट नार्दन सर्किल के अधीक्षक जे.
ए. पेग की जगह अक्तूबर
1919 में मि. ब्लैकस्टन अधीक्षक पद पर नियुक्त
हुए, जिनके पास महानिदेशक का पहले प्रभार
था। वर्ष 1920-21 में ब्लैकस्टोन अवकाश पर चले गये
और मि. जे. ए. पेग अक्तूबर
1920 से इस साल के
अन्त तक मुस्लिम एण्ड
ब्रिटिस मोनोमेंट नार्दन सर्किल के कार्यवाहक प्रभारी
अधीक्षक रहे। 1921-22 में पुनः मि. ब्लैकस्टोन को मुस्लिम एण्ड
ब्रिटिस मोनोमेंट नार्दन सर्किल का अधीक्षक नियुक्त
किया गया। इसी समय आगरा के कार्यालय एवं
आवास भवन को क्रय हेतु
15,000 रुपये का भुगतान किया
गया। इसकी अवशेष राशि 1922- 23 में रुपये 12,800 भुगतान कर कुल 27, 800 का
भुगतान सुनिश्चित किया गया। इस साल रुपया
4560 का विशेष मरम्मत भी कार्यालय के
लिए किया गया। 22 माल रोड स्थित वर्तमान कार्यालय
इसी भवन से संचालित हो रहा है। इस
साल भी मि. ब्लैकस्टोन
मुस्लिम एण्ड ब्रिटिस मोनोमेंट नार्दन सर्किल का अधीक्षक था,
परन्तु महानिदेशक मार्शल के अवकाश पर
जाने के कारण ब्लैकस्टोन
डिप्टी महानिदेशक का प्रभार भी
मध्य मार्च से दिसम्बर मध्य
तक निभाया था।
प्रधान लिपिक के पास भी प्रभार
:- वर्ष
1922-23 में मुस्लिम एण्ड ब्रिटिस मोनोमेंट नार्दन सर्किल के अधीक्षक जे.
एफ. ब्लैकस्टोन को कार्यवाहक महानिदेशक
बनाया था। राजपूताना और सेन्ट्रल सर्किल
के सहायक अधीक्षक मौलवी जफर हुसैन के आने के
बीच पं. बाल गोविन्द दीक्षित प्रधान लिपिक के पास इस
कार्यालय का प्रभार था।
स्थापत्य के छात्र तथा
खजुराहों के संरक्षण कार्य
करने वाले मि. बी. एल. धम्म को मौलवी जफर
हुसेन का कार्यवाहक बनाया
गया। वर्ष 1923-24 में 15 जुलाई 1924 तक जे. एफ.
ब्लैकस्टोन उपमहानिदेशक रहा था। इस तिथि को
उसे पदावनति
करके मुस्लिम एण्ड ब्रिटिस मोनोमेंट नार्दन सर्किल का पुनः अधीक्षक
बनाया गया। मौलवी जफर हसन को कार्यवाहक अधीक्षक
से महानिदेशक कार्यालय में सहायक अधीक्षक पद पर भेजा
गया। उप महानिदेशक डा.
स्पूनर के आकस्मिक बीमार
होने पर मि. ब्लैकस्टन
12 जनवरी 1925 से उपमहानिदेशक नियुक्त
हुए। मि. धम्म को एक माह
तब तक के लिए
अधीक्षक मुस्लिम एण्ड ब्रिटिस मोनोमेंट नार्दन सर्किल पुनः बनाया जब
तक खान जफर हसन मौलवी साहब उन्हें कार्यमुक्त नहीं कर दिये। इसी
साल मौलवी जफर हसन को ‘खान बहादुर’ की उपाधि की
पुष्टि कर दी गयी।
स्मारकों के संरक्षण 1925 से भा.पु.स. द्वारा
:-वर्ष
1925 से यूनाइटेड प्राविंस के स्मारकों के
संरक्षण पूर्णरुपेण भा.पु.स. करने लगा। पंजाब के स्मारकों का
संरक्षण भा.पु.स. द्वारा 1927 से शुरु हुआ
था।( संदर्भ एनसेन्ट इण्डिया नं. 9 पृ. 43) वर्ष 1925-26 में खान साहब मौलवी जफर हसन के
पास मुस्लिम एण्ड ब्रिटिस मोनोमेंट नार्दन सर्किल का प्रभार था।
अन्य कोई परिवर्तन नहीं हुआ। वर्ष 1926-27 में पूर्व वर्षों की भंति व्यवस्था
बनी रही और कोई परिवर्तन
नहीं हुआ। अप्रैल 1928 में मुस्लिम एण्ड ब्रिटिस मोनोमेंट नार्दन सर्किल के अधीक्षक खान
बहादुर मौलवी जफर हसन का फ्रान्टीयर सर्किल
में स्थानान्तरण हो जाने से
मुस्लिम एण्ड ब्रिटिस मोनोमेंट नार्दन सर्किल के कार्यवाहक अधीक्षक
के रूप में सहायक अधीक्षक बी. एल. धम्म ने कार्यभार संभाला।
उन्होंने ही संरक्षण कार्य
करवाया तथा रिपोर्ट भी प्रस्तुत किया।
11 मार्च को उत्खनन सहायक
बी. एल. धम्म को नार्दन सर्किल
का सहायक अधीक्षक तथा 31 मार्च 1928 को उन्हें मुस्लिम
एण्ड ब्रिटिस मोनोमेंट नार्दन सर्किल का कार्यवाहक अधीक्षक
पद पर स्थानान्तरण किया
गया। उन्होंने ही सारे कार्य
के दायित्वों को निभाया। मि.
ब्लैकस्टोन के वापस आ
जाने पर खान बहादुर
मौलवी जफर हसन को 9 दिसम्बर 1929 को मुस्लिम एण्ड
ब्रिटिस मोनोमेंट नार्दन सर्किल का अधीक्षक बनाया
गया। उनके पास फ्रन्टियर मंडल का भी प्रभार
था। 29 मई 1931 को धम्म को
पुनः अधीक्षक पद पर कन्फर्म
कर दिया गया। फिर मि. धम्म को केन्द्रीय मण्डल
स्थानान्तरण कर दिया गया।
उन्हें विभाग के प्रतिकूल काम
करने के कारण 6 जुलाई
1932 को निलंबित तथा 1 जुलाई 1933 को बरखास्त कर
दिया गया। मि.ब्लैकस्टोन को
मुस्लिम एण्ड ब्रिटिस मोनोमेंट नार्दन सर्किल का अधीक्षक बनाया
गया।
आर्थिक मंदी पर छटनी:-
विश्वव्यापी आर्थिक मंदी का प्रभाव भारत
पर भी पड़ा। विभाग
में काफी छटनी और खर्चों में
कमी कर दी गयी।
1930 में सहायक अधीक्षक हिन्दू बौद्धिस्ट मोनोमेंट्स नार्दन सर्किल का पद समाप्त
करके फ्रन्टियर सर्किल में करने तथा अधीक्षक मुस्लिम एण्ड ब्रिटिस मोनोमेंट को नार्दन सर्किल
में ही लाने का
प्रस्ताव लाया गया। यह प्रस्ताव 1931 में
पारित भी हो गया।
1930-31 में श्री एच. एल. श्रीवास्तव मुस्लिम एण्ड ब्रिटिस मोनोमेंट नार्दन सर्किल के प्रभारी थे।
इस समय खान बहादुर मोहम्मद जफर हसन मुस्लिम एण्ड ब्रिटिस मोनोमेंट नार्दन सर्किल के अधीक्षक तथा
महानिदेशक कार्यालय के उप महानिदेशक
थे। नार्दन सर्किल आगरा और लाहौर दोनों
पुनः एक मंडल बन
गये। अब स्मारक के
प्रकृति के अनुसार मण्डल
का विभाजन समाप्त कर भौगोलिक आधार
पर एक मंडल बना
दिया गया। नार्दन सर्किल को यूनाइटेड प्राविंस
तथा लाहौर के स्मारकों को
पंजाब के साथ फ्रंटियर
सर्किल में समायोजित कर दिया गया।
इस समय नार्दन सर्किल में उत्तर प्रदेश तथा दिल्ली का क्षेत्र था।
दोनों नार्दन सर्किल पुनः एक हुए :-1930-31 में
श्री एच. एल. श्रीवास्तव को मुस्लिम एण्ड
ब्रिटिस मोनोमेंट नार्दन सर्किल आगरा तथा हिन्दू बौद्धिस्ट मोनोमेंट्स नार्दन सर्किल का संयुक्त रुप
से अधीक्षक बनाया गया। वर्ष 1932-33 एवं 1933-34 में श्री एच. एम. कुरेशी दोनों नार्दन सर्किल के अधीक्षक रहे।
ये 23 सितम्बर 1932 को कार्यमुक्त हुए
थे। इसी प्रकार 1934-35 में भी इस मंडल
कोई विशेष उल्लेख नहीं मिलता है। संरक्षण कार्य की रिपोर्ट श्री
एच. एम. कुरेशी के नाम से
प्रकाशित हुई है। वे 15 अक्तूबर 1935 तक उत्तरी मंडल
के अधीक्षक रहे और इसी दिन
खान बहादुर मौलवी जफर हसन अवकाश से वापस आकर
उत्तरी मण्डल के अधीक्षक बने।
खान बहादुर मौलवी जफर हसन साहब ने ही 1935-36 1936-37 तथा 1937-38 की
वार्षिक रिपोर्ट की आख्या दी
है। 1937-38 की वार्षिक रिपोर्ट
की प्रतियां ही प्रकाशित हुई
है। इसके बाद आर्थिक मंदी एवं द्वितीय विश्व युद्ध के कारण भापुस
के खर्चों एवं गतिविधयों में कटौती के कारण पुरातत्व
के वार्षिक विवरण प्रकाशित होना बन्द हो गये। भारत
सरकार के परामर्श पर
लियोनार्ड वूली को पुरातत्व सर्वेक्षण
के कार्य में सुधार के लिए आमंत्रित
किया गया। उसने 1938-39 में 45 स्थानों का निरीक्षण कर
अपनी संस्तुतियां सरकार को प्रस्तुत की
उसके सुझाव के आधार पर
1940-44 में बरेली के रामनगर अहिछत्रा
का विशद उत्खनन कार्य सम्पन्न हुआ था।
(क्रमशः…)
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