अधिवक्ता बनकर के अभ्यास किया ।
‘जयमानव‘ ‘पीएनआई‘ संवाद से जुड़ा,
‘अगौनासंदेश' 'नवसृजन' संपादित किया।
नौ साल कचहरी के कचपच में रहा,
अनुभव खट्टे मीठे से जूझता रहा।
मन रमा नहीं इन कु वृत्तियों में,
रास्ता दर रास्ता जो बदलता रहा।।
एलएलबी बीएड बीलीब एमलीब कर,
दो दो पीएचडी का कोई लाभ ना लिया।
इस दर से उस दर भटक जाब ढूढा ,
मंडी परिषद में कुछ दिन काम किया।
ड्यूटी अयोध्या से हटा जब जामो भेजा,
इनकार किया तो जाब से निकाला गया।
बलरामपुर से बीएड बनारस में बीलिब कर
वापस कचहरी आके ज्वाइन किया।।
यूपी को छोड़ा कहीं काम ना मिला।
रेलवे की अनेक दुश्वारियों को सहा।
बंबई एस एस सी में इन्टरव्यू दिया।
बड़ौदा में जा पुरातत्व ज्वाइन किया।।
संयोग से बड़ौदा से ट्रांसफर मिला,
आगरा बीच आकर के जो गिरा ।
ताजनगरी की चकाचैध खूब भायी,
ब्रजरज को माथे पर लगा ही लिया।
अनेक उतार चढ़ाव जो यहां आए,
शिक्षा दीक्षा बच्चों का यहां से हुआ।
एक नई कार्य संस्कृति को अपनाया
तीस साल की सेवा यहां पूरी किया।।
अब सेवा निबृत्ति पारी खत्म हो गई,
जन्म भूमि बस्ती पारी शुरू जो किया।
तीस साल का लेखन कम्प्यूटर से उड़ा
स्क्रिप्ट भी बच्चों से सहेजा ना गया।।
समाज को देने की ललक खत्म हो गई
अब खाली हो गया इन मोह इच्छाओं से
डूबने को बचाने के लिए जो था चला
खुद ही इस सागर में डूबता गया।।
चाहो इसे अब उबारो मर्जी तुम्हारी
चाहो इसे डुबोवो खुद गरजी हमारी
आप सबके आशीष व स्नेहन से,
भवसागर को तौर के जाना है।।
लेखक परिचय
(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं. वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए सम-सामयिक विषयों, साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं। मोबाइल नंबर +91 8630778321, वर्डसैप्प नम्बर+ 91 9412300183)
No comments:
Post a Comment