Thursday, November 27, 2025

गौतम गोत्र के द्विवेदी ब्राह्मण(द्विवेदी ब्राह्मण का इतिहास कड़ी 16) ✍️आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी

गौतम ऋषि सप्त ऋषियों में से एक हैं, वे वैदिक काल के महर्षि और मंत्र दृष्टा हैं, जो सप्त ऋषि हैं जिनके नाम से गोत्र चलता है उसमें से एक गोत्र महर्षि गौतम के नाम से है। उनकी धर्म पत्नी अहिल्या थी जो प्रातः स्मरणीय पंच कन्याओं में से एक थीं। अहिल्या ब्रम्हा जी की मानस पुत्री थीं जो सुंदरता में अद्वितीय थीं। दैत्य गुरु शुक्राचार्य देवताओं से तिरस्कृत होने पर महर्षि गौतम के द्वारा शिक्षा ग्रहण किया था।
      गौतम गोत्र महर्षि गौतम से संबंधित है, और यह ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों समुदायों में पाया जाता है। ब्राह्मणों के लिए, यह गोत्र 'गौतम धर्मसूत्र' के रचयिता से जुड़ा है। क्षत्रियों के लिए, यह एक सूर्यवंशी राजपूत वंश है और इसके सदस्यों को गौतम क्षत्रिय कहा जाता है। यह गोत्र भारत के विभिन्न हिस्सों में पाया जाता है, विशेष रूप से उत्तरी और पूर्वी भारत में। कुछ लोग अपना अंतिम नाम 'गौतम' लिखते हैं, लेकिन अन्य ब्राह्मण उपनाम भी प्रचलित हैं जैसे कि शर्मा, मिश्रा या भट्ट।
गौतम ब्राह्मण का एकादश परिचय
आस्पद - मिश्र, द्विवेदी
वेद- यजुर्वेद 
शाखा - माध्यन्दिन
सूत्र- कात्यायन
उपवेद - धनुर्वेद
शिखा- दक्षिण
पाद - दक्षिण दाहिना
उपास्य देव - शिव
प्रवर- अंगिरस, वार्हस्पत्य, गौतम
शिक्षा - दाहिन
प्रबर- त्रि (तीन)
१. आंगिरस, 
२. गौतम,
३. बार्हस्पत्य या औतथ्य
इस गोत्र में: १. मिश्र २. द्विवेदी दो बंश होते हैं।
गौतम गोत्र में द्विवेदी 
इस गोत्र में "द्विवेदी" भी होते हैं,पंक्ति नहीं है । इनका मुख्य स्थान इस प्रकार है:-
द्विवेदी लोगों का मूल गांव
गड़ी
पटियारी 
खरखदिया    
कांचनी-गुर्दवान   
कांतित( मिर्जापुर) के पड़ोस में कँचनिया में दूबे है।
वरपार /वत्सपार                 
तिवती            
तिलसरा        
मझौरा               
काचंनिया और लाठीयारी        
कन्चनियाँ और लाठीयारी इन दो गांवों में दुबे घराना बताया जाता है जो वास्तव में गौतम मिश्र हैं लेकिन इनके पिता क्रमश उठातमनी और शंखमनी गौतम मिश्र थे परन्तु वासी (बस्ती) के राजा बोधमल ने एक पोखरा खुदवाया जिसमे लट्ठा न चल पाया, राजा के कहने पर दोनों भाई मिल कर लट्ठे को चलाया जिसमे एक ने लट्ठे सोने वाला भाग पकड़ा तो दूसरें ने लाठी वाला भाग पकड़ा जिसमे कन्चनियाँ व लाठियारी का नाम पड़ा, दुबे की गादी होने से ये लोग दुबे कहलाने लगें। 
लाठियारी- गर्ग और गौतम दोनों गोत्रों में संदर्भित किए गए हैं।
जलालपुर - भरद्वाज और गौतम गोत्रों में संदर्भित किए गए हैं।
रजहटा- भरद्वाज और गौतम गोत्रों में संदर्भित किए गए हैं।

गौतम गोत्र के गांव
सहुआ             
रूपहलिया          
गोपालपुर                 
गहरी गड़री                 
धनौली             
वढ़यापार   
ब्रह्मसारी            
गौरा           
सिगौला         
निलौरा       
परवा कान्तित     

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