Tuesday, September 30, 2025

सीताकुण्ड और रामगया/ तीर्थ (9)✍️आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी


सीताकुंड विष्णुपद मंदिर के ठीक विपरीत फल्गु नदी के उस पार दक्षिण दिशा में स्थित है। सांस्कृतिक दृष्टि से इस कुंड का विशेष महत्व है। इस कुंड को लेकर ऐसा कहा जाता है कि 14 वर्ष के लिए वनवास जाते समय सीता माता ने इसी कुंड में स्नान किया था। इसी वजह से इस कुंड का नाम सीता कुंड पड़ा।सीता कुंड, गया में स्थित एक पवित्र जलस्रोत है, जो माता सीता की तपस्या और पवित्रता से जुड़ा हुआ है। यह स्थल धार्मिक आस्था का केंद्र है और यहाँ पितृ पक्ष,मकर संक्रांति व रामनवमी जैसे पर्वों पर विशेष स्नान का महत्व माना जाता है। कुंड के पास एक छोटा मंदिर भी स्थित है, जिसमें काले पत्थर से महाराज दशरथ का हाथ बना हुआ है। यहां पर बालू का तीन पिंडा बना कर अर्पित किया जाता है।

सीता कुंड का जल आज भी साफ़ और निर्मल बना हुआ है, जिसे आस्था के साथ पिया और संग्रहित किया जाता है। आसपास का प्राकृतिक वातावरण इसे और अधिक आध्यात्मिक बनाता है। यहां वर्तमान समय में साफ सफाई संतोषजनक नही है। फाल्गु नदी के तट पर सुरक्षा के लिहाज से बांस की बल्लियां लगाई गई है। इसके घाट कच्चे भी है। झाड़ झंखाड़ प्रायः चारों तरफ देखी जा सकती है।


रामगया वेदी

सीता कुण्ड के पास एक शिला है जो भरताश्रम की वेदी कही जाती है। इसी को राम गया कहते हैं। यहां मतंग ऋषि का चरण चिन्ह भी बना हुआ है तथा अनेक देव मूर्तियां हैं। यही श्रद्धालु पूजा- अर्चना करते हैं। माता सीता द्वारा पिंडदान करने की बात सुनकर भगवान श्रीराम काफी क्रोधित हुए। उन्होंने जौ का आटा व अन्य सामग्री का पिंड बनाकर स्वयं पिता राजा दशरथ का पिंडदान कर्मकांड के साथ किया। जो आज राम गया वेदी के नाम से जानी जाती है, जहां आज भी लोग जौ का आटा व अन्य सामग्री का पिंड बनाकर पिंडदान करते हैं। उक्त वेदी तक पहुंचने के लिए सीताकुंड मुख्य गेट से जाने के बाद पत्थर की सीढ़ी चढऩे के बाद पूर्व दिशा की ओर मुड़ जाएं। वहीं पर राम गया वेदी है, जहां श्रद्धालु पिंडदान करने के बाद पिंड को अर्पित करने पहुंचते हैं।

सीता कुण्ड और राम गया वेदी के पिंडा एक साथ अर्पित किए जाते हैं। इन दोनों वेदियों का कर्म कांड सीता जी के शाप के कारण गयापाल पंडा को नहीं है।इसे अयोध्या क्षेत्र का पंडा सम्पन्न कराते हैं।

लेखक परिचय:-

(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए समसामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, धर्म, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं। लेखक स्वयं चारों धाम की यात्रा कर गया जी के तथ्यों से अवगत हुआ है।

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