मध्य प्रदेश के कटनी से करीब 35 कि.मी. दूर मोहास गांव में हनुमान मंदिर स्थित है। यहां लोग दर्द से कहराते हुए आते हैं और मुस्कुराते हुए जाते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में टूटी हुई हड्डियां अपने आप जुड़ जाती हैं। किसी दवाखाने से अधिक भीड़ यहां लगती है। शनिवार और मंगलवार को मंदिर में भक्तों की इतनी संख्या होती है कि पांव रखने तक की भी जगह नहीं होती। प्रतिदिन यहां का नजारा अनूठा होता है। मंदिर में कोई किसी को स्ट्रेचर पर लाता है, तो कोई पीठ या एम्बुलेंस में लेकर आता है। किसी का हाथ टूटा होता है तो कोई पैर या अन्य जगह के फ्रैक्चर के दर्द से कहरा रहा होता है। यहां हनुमान जी को हड्डी को जोड़ने वाले हनुमान कहते हैं। वैसे तो मंदिर में हर रोज औषधि दी जाती है। लेकिन शनिवार और मंगलवार के दिन इसके लिए विशेष रुप से निर्धारित है। कहा जाता है कि इन दो दिनों में औषधि ज्यादा असर करती है। जिसके कारण मंगलवार अौर शनिवार के दिन मंदिर में भक्तों का मेला लगता है। मंदिर में औषधि के लिए कोई राशि निर्धारित नहीं है। भक्त अपनी श्रद्धा से दान पेटी में डाल देते हैं। मंदिर के बाहर दुकान से तेल मिलता है। मालिश के इस तेल का मूल्य भी 50 या 100 रुपए ही है। हनुमान जी के मंदिर में आज तक कोई भी व्यक्ति निराश होकर नहीं गया। मोहासके हनुमत प्रेमी भक्तों को पूज्य गुरूवर श्री विनोद शुक्ल महाराज जी निर्देशन पर टूटी हुई हडडी जोडने की श्री हनुमान जडी बूटी श्री हनुमान जी भक्त श्री सरमन पण्डा जी द्वारा प्रतिदिन 10 बजे सुबह से शाम 6 बजे तक श्री सीताराम सीताराम नाम भक्ति पर निःशुल्क दी जाती है ! परम पूज्य गुरूवर श्री विनोद शुक्ल जी का कथन है कि समस्त राम नाम कीर्तननुरागी भक्तजनों को होलिका पर्व में जैसे प्रहलाद जी ने भक्ति रूपी तेज अग्नि से होलिका जलकर राख हो गई थी उसी तरह सभी श्री सीताराम कीर्तन अनुरागी तथा समस्त श्ष्यिों की कीर्तन भक्ति रूपी अग्नि में संसारिक ईर्ष्या, द्वोष, भय, ब्याधि, जरा, पीडा यह जलकर राख हो जाते है !
संकीर्तन व बूटी से जुडती है टूटी हडडी
भागवान की भक्ति भजन से मनुष्य को कोई वस्तु दुलर्भ नही है क्योंकी भगवान की भक्ति से असम्भव भी सम्भव हो जाता है,यह प्रसंग श्री शुक्ल जी महाराज ने अपने प्रवचन के द्वारान कहे है गौरतलब है कि जिला कटनी के तहसील रीठी से तीन कि.मी. दूर दमोह रोड स्थित ग्राम मुहास धाम है जहां श्री हनुमान जी महाराज साक्षत विराजमान है,जहा श्री सीताराम,सीताराम नाम भजन करते हुये भक्तों को श्री हनुमान जी महाराज की बूटी दी जाती जिसके प्रभाव से टूटी हुई हडडी जुड जाती और मानसिक पीडा ब्लेडप्रेशर गठिया बात एवं डिप्रेशन आदि सीताराम,सीताराम से ही ठीक हो जाता है !
भक्तों पर बरसती है हनुमत कृपा
श्रीशुक्ल जी महाराज ने भक्तों को भगवान की महिमा बताते हुये कहा कि जैसे भगवान की भक्ति पर भगवान विष्ण् जी ने अपने भक्त पहलाद की रक्षा की थी वैसे ही श्री हनुमान जी भी अपने भक्तो के कष्टों का हरण करते है इसी तारतम्य में होलिका और प्रहलाद भक्ति के संबंध में कथा सुनाते हुये श्री शुक्ल जी महाराज ने बताया की प्राचीन हाल में हिरणुकश्यप नाम का एक राजा था, जिसकी एक बहिन थी उसका नाम होलिका था उसे बरदान प्राप्त था कि होलिका अग्नि में नही जलेगी और हिरणुकश्यप का एक बालक था, जिसका नाम प्रहलाद था जो बचपन में भगवान की भक्ति में लीन हो गये लेकिन प्रहलाद के पिता हिरणुकश्यप भगवान विष्णु के विरोधी होने के कारण उनसे बहुत नाराज रहते थे और वह प्रहलाद को भगवान का भजन करने से इन्कार करतेा था !
प्रहलाद की तरह होनी चाहिए श्रद्वा
पिता की बात जब प्रहलाद नही माने तब वह उसे तरह तरह की यातनाऐं देने लगा, लेकिन प्रहलाद भगवान की भक्ति से नही डिगे जिसके कारण हिरणुकश्यप ने अपने बालक पहलाद को मार डालने हेतु लकडी की होलिका में अपनी बहिन होलिका को गोद में बैठाकर लकडी के ढेर में आग लगवा दी प्रहलाद विष्णु भगवान का स्मरण भजन करता रहा भगवान विष्णु की क्रपा से प्रहलाद जिंदा बच गऐ जबकि होलिका जलकर भस्म हो गई तभी से होलिका दहन का त्योहार भारतवासियों द्वारा मनाया जाने लगा !
आधुनिकता पर भारी आस्था
श्री शुक्ल जी महाराज ने कहा कि जिस तरह भगवान विष्णु पर आस्था रखने वाले भक्त प्रहलाद के प्राणों की रक्षा भगवान ने की थी ठीक उसी प्रकार मुहास धाम में विराजे श्रीरामभक्त हनुमान भी अपने भक्तों पर क्रपा द्रष्टी बरसाते है,और उनके कष्टों का निवारण करते है, देखने में आ रहा है कि आधुनिकता पर आस्था भारी पडने का प्रमाण देते हुए आज भी यहां प्रतिदिन हजारों की तादात में दूर दराज क्षेत्रो से श्रद्वालु पहुचते है और धर्मलाभ लेने के साथ ही स्वास्थ लाभ लेकर जाते है, लोगो का मानना है कि इस घाम पर जाने वाले भक्तों की सभी मनोकामनायें पूर्ण होती है ! डाक्टर की दवा यदि काम ना करे तो यहां हनुमानजी जी की शरण मे जा सकते हैं। कृपया इस पोस्ट को शेयर करके लोगों में प्रचारितकर जनता की सेवा करें।और डाक्टर की दवा यदि काम ना करे तो यहां हनुमानजी जी की शरण मे जा सकते हैं। कृपया इस पोस्ट को शेयर करके लोगों में प्रचारितकर जनता की सेवा करें।
भागवान की भक्ति भजन से मनुष्य को कोई वस्तु दुलर्भ नही है क्योंकी भगवान की भक्ति से असम्भव भी सम्भव हो जाता है,यह प्रसंग श्री शुक्ल जी महाराज ने अपने प्रवचन के द्वारान कहे है गौरतलब है कि जिला कटनी के तहसील रीठी से तीन कि.मी. दूर दमोह रोड स्थित ग्राम मुहास धाम है जहां श्री हनुमान जी महाराज साक्षत विराजमान है,जहा श्री सीताराम,सीताराम नाम भजन करते हुये भक्तों को श्री हनुमान जी महाराज की बूटी दी जाती जिसके प्रभाव से टूटी हुई हडडी जुड जाती और मानसिक पीडा ब्लेडप्रेशर गठिया बात एवं डिप्रेशन आदि सीताराम,सीताराम से ही ठीक हो जाता है !
भक्तों पर बरसती है हनुमत कृपा
श्रीशुक्ल जी महाराज ने भक्तों को भगवान की महिमा बताते हुये कहा कि जैसे भगवान की भक्ति पर भगवान विष्ण् जी ने अपने भक्त पहलाद की रक्षा की थी वैसे ही श्री हनुमान जी भी अपने भक्तो के कष्टों का हरण करते है इसी तारतम्य में होलिका और प्रहलाद भक्ति के संबंध में कथा सुनाते हुये श्री शुक्ल जी महाराज ने बताया की प्राचीन हाल में हिरणुकश्यप नाम का एक राजा था, जिसकी एक बहिन थी उसका नाम होलिका था उसे बरदान प्राप्त था कि होलिका अग्नि में नही जलेगी और हिरणुकश्यप का एक बालक था, जिसका नाम प्रहलाद था जो बचपन में भगवान की भक्ति में लीन हो गये लेकिन प्रहलाद के पिता हिरणुकश्यप भगवान विष्णु के विरोधी होने के कारण उनसे बहुत नाराज रहते थे और वह प्रहलाद को भगवान का भजन करने से इन्कार करतेा था !
प्रहलाद की तरह होनी चाहिए श्रद्वा
पिता की बात जब प्रहलाद नही माने तब वह उसे तरह तरह की यातनाऐं देने लगा, लेकिन प्रहलाद भगवान की भक्ति से नही डिगे जिसके कारण हिरणुकश्यप ने अपने बालक पहलाद को मार डालने हेतु लकडी की होलिका में अपनी बहिन होलिका को गोद में बैठाकर लकडी के ढेर में आग लगवा दी प्रहलाद विष्णु भगवान का स्मरण भजन करता रहा भगवान विष्णु की क्रपा से प्रहलाद जिंदा बच गऐ जबकि होलिका जलकर भस्म हो गई तभी से होलिका दहन का त्योहार भारतवासियों द्वारा मनाया जाने लगा !
आधुनिकता पर भारी आस्था
श्री शुक्ल जी महाराज ने कहा कि जिस तरह भगवान विष्णु पर आस्था रखने वाले भक्त प्रहलाद के प्राणों की रक्षा भगवान ने की थी ठीक उसी प्रकार मुहास धाम में विराजे श्रीरामभक्त हनुमान भी अपने भक्तों पर क्रपा द्रष्टी बरसाते है,और उनके कष्टों का निवारण करते है, देखने में आ रहा है कि आधुनिकता पर आस्था भारी पडने का प्रमाण देते हुए आज भी यहां प्रतिदिन हजारों की तादात में दूर दराज क्षेत्रो से श्रद्वालु पहुचते है और धर्मलाभ लेने के साथ ही स्वास्थ लाभ लेकर जाते है, लोगो का मानना है कि इस घाम पर जाने वाले भक्तों की सभी मनोकामनायें पूर्ण होती है ! डाक्टर की दवा यदि काम ना करे तो यहां हनुमानजी जी की शरण मे जा सकते हैं। कृपया इस पोस्ट को शेयर करके लोगों में प्रचारितकर जनता की सेवा करें।और डाक्टर की दवा यदि काम ना करे तो यहां हनुमानजी जी की शरण मे जा सकते हैं। कृपया इस पोस्ट को शेयर करके लोगों में प्रचारितकर जनता की सेवा करें।
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