शौर्य
दिवस की तैयारियां पूरी :- आज शौर्य दिवस की 25वी वर्षगांठ है। बाबरी मस्जिद
विध्वंस का 6 दिसंबर को हर साल हिन्दू शौर्य दिवस मानते हैं। भारत में विधर्मी आक्रमणकारियों ने बड़ी संख्या में
हिन्दू मन्दिरों का विध्वंस किया। स्वतन्त्रता के बाद भी सरकार ने मुस्लिम वोटों के
लालच में मस्जिदों, मजारों आदि को बना रहने दिया। इनमें से श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर (अयोध्या), श्रीकृष्ण जन्मभूमि
(मथुरा) और काशी विश्वनाथ मन्दिर के सीने पर बनी मस्जिदें सदा से हिन्दुओं को उद्वेलित
करती रही हैं। इनमें से श्रीराम मन्दिर के लिए विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष स्वर्गीय
श्री अशोक सिंघल की अध्यक्षता और शिवसेना के बाला साहब की अध्यक्षता में देशव्यापी
आन्दोलन किया गया, जिससे 6 दिसम्बर, 1992 को वह बाबरी ढाँचा धराशायी हो गया। अयोध्या जो बाबर की औलादों के चंगुल में थी,लाखों हिन्दू पुरुषों और
हजारों नारियों ने बलिदान देकर उसे मुक्त कराया ।अमर बलिदानी कारसेवक गोली लगने के
बाद मरते-मरते भी “जय श्री राम” बोलते रहें ।इस प्रकार वह बाबरी कलंक नष्ट हुआ पर तत्कालीन
केंद्र सरकार ने सारी जमीन अधिग्रहीत कर ली । विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल ने 6 दिसंबर को
शौर्य दिवस मनाने की तैयारियां पूरी कर ली हैं. परिषद के प्रवक्ता श्री शरद शर्मा ने
यहां अपने मुख्यालय कारसेवकपुरम में यह घोषणा की. ज़िला प्रशासन अयोध्या में विवादित
ढांचे के ध्वंस की 25वीं बरसी पर चाकचौबंद सुरक्षा व्यवस्था कर रहा है. 6 दिसंबर को पिछले 25
साल से मनाये जा रहे शौर्य दिवस और योमे गम जैसे पारंपरिक आयोजनों को छोड़कर किसी नये
आयोजन की अनुमति नहीं दी जायेगी. 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचे के ध्वंस की बरसी
पर पिछली सुरक्षा व्यवस्था की योजना को ही कुछ मामूली परिवर्तनों के साथ लागू किया
जायेगा.अब मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है । पूर्ण
विश्वास है कि वर्तमान केंद्र सरकार भव्य मंदिर निर्माण का मार्ग शीघ्र प्रशस्त करेगी .
उच्च न्यायालय के आदेश को
चुनौती :- उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में अयोध्या में
2.77 एकड़ के इस विवादित स्थल को इस विवाद के तीनों पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही
अखाड़ा और भगवान राम लला के बीच बांटने का आदेश दिया था. इस बीच उत्तर प्रदेश के सेन्ट्रल
शिया वक्फ बोर्ड ने इस विवाद के समाधान की पेशकश करते हुए न्यायालय से कहा था कि अयोध्या
में विवादित स्थल से ‘‘उचित दूरी’’ पर मुस्लिम बाहुल्य इलाके में मस्जिद का निर्माण
किया जा सकता है. शिया वक्फ बोर्ड के इस हस्तक्षेप का
अखिल भारतीय सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विरोध किया. उसका दावा है कि उनके दोनों समुदायों
के बीच पहले ही 1946 में इसे मस्जिद घोषित करके इसका न्यायिक फैसला हो चुका है जिसे
छह दिसंबर, 1992 को गिरा दिया गया था. यह सुन्नी समुदाय की है. हिंदू
और मुस्लिम दोनों ही पक्षों ने इस निर्णय को मानने से अस्वीकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का
दरवाजा खटखटाया। सुनवाई से ठीक पहले शिया वक्फ बोर्ड ने न्यायालय में याचिका लगाकर विवाद में पक्षकार होने
का दावा किया और 70 वर्ष बाद 30 मार्च 1946 के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी
जिसमें मस्जिद को सुन्नी वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति घोषित कर
दिया गया था। हजारों पन्नों के अदालती दस्तावेजों का अंग्रेजी
में अनुवाद न होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले पर पांच दिसंबर से सुनवाई करने का निर्णय
लिया था. अनुवाद अब पूरा हो चुका है. अदालत ने सभी पक्षकारों को हिन्दी, पाली, उर्दू,
अरबी, पारसी, संस्कृत आदि सात भाषाओं के अदालती दस्तावेजों का 12 हफ्ते में अंग्रेजी
में अनुवाद करने का निर्देश दिया था. उत्तर प्रदेश सरकार को विभिन्न भाषाओं के मौखिक
साक्ष्यों का अंग्रेजी में अनुवाद करने का जिम्मा सौंपा गया था.
सर्वोच्च न्यायालय का सख्त रुख :- अयोध्या में राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को गिराए जाने की 25वीं वर्षगांठ से एक दिन पहले राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद पर सुनवाई कल सम्नन्न हुई। इसमें तीन सदस्यीय विशेष पीठ चार दीवानी मुकदमों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 13 अपीलों पर सुनवाई कल सम्नन्न हुई।करीब सात वर्ष बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर रहा है. इससे पहले तत्कालीन सीजेआई खेहर ने बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी के जल्द सुनवाई के अनुरोध पर कहा था कि वे सोच रहे हैं कि जल्द सुनवाई के लिए बेंच का गठन कर दिया जाए. इससे पहले कोर्ट ने सलाह दी थी कि सभी पक्षों को आपसी सहमति से मसले का हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए. कोर्ट ने कहा था कि ऐसी स्थिति में मध्यस्थता के लिए किसी जज की नियुक्ति की जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को संवेदनशील और आस्था से जुड़ा बताते हुए पक्षकारों से बातचीत के जरिए आपसी सहमति से मसले का हल निकालने को कहा था. कोर्ट का यह रुख इसलिए अहम है क्योंकि एक बड़ा वर्ग इसे बातचीत और सामंजस्य से ही सुलझाने की बात करता रहा है.
कांग्रेस का असली चेहरा देश के सामने आया :-सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला सुन्नी वक्फ़ बोर्ड की तरफ से खुद कांग्रेस के बड़े नेता जो बाबरी मस्जिद के लिए केस लड़ रहे हैं उन्होंने कोर्ट से मांग की थी की इस राम मंदिर मुद्दे की सुनवाई 2019 तक टाल दी जाए, यानी लोकसभा चुनाव के बाद सुनवाई हो जबकि बीजेपी हर दिन सुनवाई चाहती है कपिल सिब्बल की याचिका पर SC का इनकार अब कांग्रेस का असली चेहरा देश के सामने आ चूका है किस तरह से कांग्रेस कोशिश में है की राम मंदिर को किसी ना किसी तरह बनने से रोका जाए !
मंदिर निर्माण के अनुकुल परिथितियां :-अयोध्या स्थित राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवादित ढांचा गिराए जाने
के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है.चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल
नजीर की तीन सदस्यीय विशेष पीठ चार दीवानी मुकदमों में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के
फैसले के खिलाफ दायर 13 अपीलों पर सुनवाई की है.अब तय हो चूका है जो बीजेपी बोल रही
थी वो सच होने वाला है और जल्दी ही राम मंदिर बनने वाला है. पूजा अर्चना शुरू हो चुकी
है अब जल्दी ही राम मंदिर का निर्माण शुरू होने वाला है.जो बीजेपी इतने सालों से बोल
रही है वो अब बीजेपी ही करके दिखाने वाली है बहुत जल्दी प्रभु श्री राम के दर पर हम
जाने वाले हैं योगी जी शुरुआत कर चुके हैं करोड़ो रुपए अयोध्या के लिए देकर और अब कोर्ट
के फैसले का इंतजार है जिस पर कोर्ट ने मोहर लगा दी है की अब सुनवाई नहीं रुकेगी.
(क्रमशः …)
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