2 प्रतिशत तक की आवादी :-प्रायः यह
देखा गया है कि मुस्लिम
आवादी के घनत्व के
हिसाब से अपनी अलग
अलग स्थिति व रुतवा बना
लेते हैं। जब किसी भी
देश,प्रदेश या क्षेत्र में इन
मुस्लिमों की आवादी लगभग
2 प्रतिशत के आसपास होती
है तब वे एकदम
शांतिप्रिय, कानून पसन्द अल्पसंख्यक बनकर रहते हैं और किसी को
शिकायत का मौका नहीं
देते हैं। वे अमन पसन्द
तथा सौहार्द के भाईचारे के
साथ अन्य समुदाय में घुलमिलकर रहते है। अमेरिका में मुस्लिमों की आवादी 0.6 प्रतिशत
है। ऑस्ट्रेलिया में मुस्लिमों की आवादी 1.5 प्रतिशत
है। कनाडा में मुस्लिमों की आवादी 1.9 प्रतिशत
है। चीन में मुस्लिमों की आवादी 1.8 प्रतिशत
है। इटली में मुस्लिमों की आवादी 1.5 प्रतिशत
है। नॉर्वे में मुस्लिमों की आवादी 1.8 प्रतिशत
है। ये सभी विकसित
देश की श्रेंणी में
आते है।
2 से 5 प्रतिशत :-विश्व में जहां जहां मुस्लिम जनसंख्या 2 से 5 प्रतिशत के बीच तक
पहुँच जाती है, तब वे अन्य
धर्मावलम्बियों में अपना धर्मप्रचार शुरु कर देते हैं,
जिनमें अक्सर समाज का निचला तबका
और अन्य धर्मों से असंतुष्ट हुए
लोग होते हैं, जैसे कि डेनमार्क में
मुस्लिम 2 प्रतिशत, जर्मनी में मुस्लिम 3.7 प्रतिशत , ब्रिटेन में मुस्लिम 2.7 प्रतिशत, स्पेन में मुस्लिम 4 प्रतिशत, थाईलैण्ड में मुस्लिम 4.6 प्रतिशत की आवादी पायी
जाती है।
5 प्रतिशत से ऊपर :-विश्व
में जहां जहां मुस्लिम जनसंख्या के 5 प्रतिशत से ऊपर हो
जाने पर वे, अपने
अनुपात के हिसाब से
अन्य धर्मावलम्बियों पर दबाव बढ़ाने
लगते हैं, और अपना प्रभाव
जमाने की कोशिश करने
लगते हैं। उदाहरण के लिये -- वे
सरकारों और शॉपिंग मॉल
पर हलाल का माँस रखने
का दबाव बनाने लगते हैं, वे कहते हैं
कि, हलाल का माँस न
खाने से, उनकी धार्मिक मान्यतायें प्रभावित होती हैं। इस कदम से,
कई पश्चिमी देशों में खाद्य वस्तुओं के बाजार में
मुस्लिमों की तगड़ी पैठ
बनी। उन्होंने, कई देशों के
सुपरमार्केट के मालिकों को,
दबाव डालकर अपने यहाँ हलाल का माँस रखने
को बाध्य किया।दुकानदार भी धंधे को
देखते हुए उनका कहा मान लेता है ( अधिक जनसंख्या होने का फैक्टर यहाँ
से मजबूत होना शुरु हो जाता है
), ऐसा जिन देशों में हो चुका वह
हैं, जैसे कि -फरांस में मुस्लिम 8 प्रतिशत, फिलीपीन्स में मुस्लिम 6 प्रतिशत, स्वीडन में मुस्लिम 5.5 प्रतिशत, स्विटजरलैण्ड में मुस्लिम 5.3 प्रतिशत नीडरलैण्ड में मुस्लिम 5.8 प्रतिशत त्रिनिदाद और टोबैगो में
मुस्लिम 6 प्रतिशत आवादी पायी जाती है। इस बिन्दु पर
आकर मुस्लिम, सरकारों पर यह दबाव
बनाने लगते हैं कि, उन्हें उनके क्षेत्रों में शरीयत कानून (इस्लामिक कानून) के मुताबिक चलने
दिया जाये ( क्योंकि, उनका अन्तिम लक्ष्य तो यही है
कि समूचा विश्व शरीयत कानून के हिसाब से
चले)। 10 प्रतिशत से ऊपर :- विश्व में जहां जहां जब मुस्लिम जनसंख्या
10 प्रतिशत से अधिक हो
जाती है तब वे
उस देश,प्रदेश,राज्य व क्षेत्र विशेष
में कानून-व्यवस्था के लिये परेशानी
पैदा करना शुरु कर देते हैं,
शिकायतें करना शुरु कर देते हैं,
उनकी आर्थिक परिस्थिति का रोना लेकर
बैठ जाते हैं, छोटी-छोटी बातों को सहिष्णुता से
लेने की बजाय दंगे,
तोड़फोड़ आदि पर उतर आते
हैं, चाहे वह फ्रांस के
दंगे हों, डेनमार्क का कार्टून विवाद
हो, या फिर एम्स्टर्डम
में कारों का जलाना हो,
हरेक विवाद को समझबूझ, बातचीत
से खत्म करने की बजाय, खामख्वाह
विवाद को और गहरा
किया जाता है, जैसे कि गुयाना में
मुस्लिम 10 प्रतिशत , इसराइल में मुस्लिम 16 प्रतिशत, केन्या में मुस्लिम 11 प्रतिशत, रूस में मुस्लिम 15 प्रतिशत चेचन्या में मुस्लिम आबादी 70 प्रतिशत पायी जाती है।
20 प्रतिशत से ऊपर :- विश्व
में जहां जहां जब मुस्लिम जनसंख्या
20 प्रतिशत से ऊपर हो
जाती है तब विभिन्न,
सैनिक शाखायें, जेहाद के नारे लगाने
लगती हैं, धार्मिक और असहिष्णुता हत्याओं
का दौर शुरु हो जाता है,
जैसे- इथियोपिया में मुस्लिम 32.8 प्रतिशत, भारत में मुस्लिम 22 प्रतिशत है।
40 प्रतिशत से ऊपर :- विश्व में जहां जहां मुस्लिम जनसंख्या के 40 प्रतिशत के स्तर से
ऊपर पहुँच जाने पर बड़ी संख्या
में सामूहिक हत्याऐं, आतंकवादी कार्रवाईयाँ आदि चलने लगते हैं, जैसे बोस्निया में मुस्लिम 40 प्रतिशत चाड में मुस्लिम 54.2 प्रतिशत और लेबनान में
मुस्लिम 59 प्रतिशत अपवादी पायी जाती है।
60 प्रतिशत से ऊपर :- विश्व
में जहां जहां जब मुस्लिम जनसंख्या
60 प्रतिशत से ऊपर हो
जाती है तब, अन्य
धर्मावलंबियों का जातीय सफाया
शुरु किया जाता है (उदाहरण - भारत का कश्मीर), जबरिया
मुस्लिम बनाना, अन्य धर्मों के धार्मिक स्थल
तोड़ना, जजिया जैसा कोई अन्य कर वसूलना आदि
किया जाता है, जैसे अल्बानिया मेंमुस्लिम 70 प्रतिशत, मलेशिया में मुस्लिम 62 प्रतिशत, कतर में मुस्लिम 78 प्रतिशत तथा सूडान में मुस्लिम 75 प्रतिशत आवादी पायी जाती है।
80 प्रतिशत से ऊपर : - विश्व
में जहां जहां जनसंख्या के 80 प्रतिशत से ऊपर हो
जाने के बाद तो
सत्ता शासन प्रायोजित जातीय की सफाई किया
जाता है, अन्य धर्मों के अल्पसंख्यकों को
उनके मूल नागरिक अधिकारों से भी वंचित
कर दिया जाता है, सभी प्रकार के हथकण्डे हथियार
अपनाकर जनसंख्या को 100 प्रतिशत तक ले जाने
का लक्ष्य रखा जाता है, जैसे बांग्लादेश में मुस्लिम 83 प्रतिशत, मिस्त्र में मुस्लिम 90 प्रतिशत ,गाजा पट्टी में मुस्लिम 9 प्रतिशत, ईरान में मुस्लिम 98 प्रतिशत, ईराक में मुस्लिम 97 प्रतिशत, जोर्डन में मुस्लिम 9 प्रतिशत, मोरक्को में मुस्लिम 98 प्रतिशत , पाकिस्तान में मुस्लिम 97 प्रतिशत, सीरिया में मुस्लिम 90 प्रतिशत तथा संयुक्त अरबअमीरात में मुस्लिम 96 प्रतिशत आवादी पायी जाती है।
100 प्रतिशत की कोशिस :- विश्व
में जहां जहां बनती कोशिश पूरी 100 प्रतिशत जनसंख्या मुस्लिम बन जाने, यानी
कि दार-ए-स्सलाम होने
की स्थिति में वहाँ सिर्फ मदरसे होते हैं, और, सिर्फ कुरान पढ़ाई जाती है, उसे ही अन्तिम सत्य
माना जाता है, जैसे अफगानिस्तान में मुस्लिम 100 प्रतिशत, सऊदी अरब में मुस्लिम 100 प्रतिशत, सोमालिया में मुस्लिम 100 प्रतिशत तथा यमन में मुस्लिम 100 प्रतिशत हो गये हैं।
विश्व की 50 प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या होने का अनुमान :- वर्तमान स्थिति
में मुस्लिमों की जनसंख्या समूचे
विश्व की जनसंख्या का
22 - 24 प्रतिशत है, लेकिन ईसाईयों, हिन्दुओं और यहूदियों के
मुकाबले उनकी जन्मदर को देखते हुए
कहा जा सकता है
कि, इस शताब्दी के
अन्त से पहले ही
मुस्लिम जनसंख्या विश्व की 50 प्रतिशत हो जायेगी (यदि
तब तक धरती बची
तो) भारत में कुल मुस्लिम जनसंख्या 15 प्रतिशत के आसपास मानी
जाती है, जबकि, हकीकत यह है कि
उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और केरल के
कई जिलों में यह आँकड़ा 40 से
70 प्रतिशत तक पहुँच चुका
है। अब देश में
आगे चलकर क्या परिस्थितियाँ बनेंगी यह कोई भी
(सेकुलरों को छोड़कर) आसानी
से सोच-समझ सकता है ।
विश्व में बढ़ती मुस्लिम आवादी :- साल 2050 तक भारत दुनिया
में सबसे ज्यादा मुसलमान आबादी वाली देश होगा. अमेरिकी थिंक-टैंक पिऊ के एक शोध
के मुताबिक भारत में साल 2050 तक मुसलमानों की
कुल जनसंख्या बढ़कर 31.1 करोड़ तक हो जायेगीवर्तमान
में सबसे अधिक मुस्लिम आबादी इंडोनेशिया में है. लेकिन पिऊ शोध के मुताबिक 2050 तक
भारत इस मामले में
सबसे ऊपर होगा और दुनिया के
11 फीसदी मुसलमान भारत में होंगे जबकि उनकी आबादी 31.1 करोड़ हो सकती है.
वहीं 2050 तक भारत में
हिंदुओं की आबादी बढ़
कर 1.3 अरब होने का अनुमान है.शोध ने भारत में
बढ़ती आबादी के लिये युवाओं
की माध्यमिक आयु और उच्च जन्म
दर को मुख्य वजह
बताया गया है. मुस्लिमों के लिए माध्यमिक
आयु 22 वर्ष है जो हिंदुओं
के लिए 26 साल और ईसाइयों के
लिए 28 वर्ष है..भारत में मुसलमान महिलाओं के औसतन 3.2 बच्चे
हैं वहीं हिंदू महिलाओं में यह औसत 2.5 बच्चों
का है. ईसाइयों में प्रति महिला 2.3 बच्चों का औसत हैभारत
की मुस्लिम आबादी में तेजी से वृद्धि हुई
है. साल 2010 में कुल जनसंख्या में 14.4 फीसदी हिस्सेदारी मुसलमानों की थी जो
साल 2050 तक बढ़कर 18.4 फीसदी
तक पहुंच जायेगी. लेकिन इसके बाद भी हर चार
में तीन व्यक्ति हिंदू ही होंगे.रिपोर्ट
के मुताबिक साल 2050 तक भारत में
ईसाइयों की जनसंख्या घट
सकती है. फिलहाल भारत में ईसाई आबादी 2.5 फीसदी है जो साल
2050 तक घटकर 2.3 फीसदी तक हो सकती
है.2050 तक भारत की
कुल हिंदू आबादी तुलनात्मक रूप से भारत, पाकिस्तान,
इंडोनेशिया, नाइजीरिया और बांग्लादेश की
कुल मुस्लिम आबादी से भी अधिक
रहेगी.पिऊ रिसर्च सेंटर ने साफ किया
है कि मुसलमान दुनिया
में सबसे तेजी से बढ़ने वाला
धार्मिक समूह है. शोध के मुताबिक मुस्लिम
आबादी, पूरी दुनिया की कुल आबादी
की तुलना में अधिक तेजी से वृद्धि करेगी.
भारत में हर चैथा भिखारी मुसलमान :- विश्व के परिप्रेक्ष्य को
छोड़ यदि भारत की जनगणना 2011 के
आंकड़ों पर नजर दौडाएं
तो एक चैंकाने वाला
तथ्य निकलकर सामने आता है। देश की कुल आबादी
में मुस्लिमों की हिस्सेदारी 14.23 प्रतिशत है
जबकि देश में मौजूद हर चैथा भिखारी
भी एक मुसलमान है।
जनगणना 2011 के आंकड़ों के
मुताबिक देश में फिलहाल कुल 3.7 लाख ऐसे लोग मौजूद हैं जो किसी भी
तरह का काम नहीं
करते। ऐसे लोगों को ‘भिखारी’ की श्रेणी में
रखा गया है और इसमें
मौजोद लोगों में 25 प्रतिशत के करीब मुसलमान
मौजूद हैं। एक अंग्रेजी अखबार
की रिपोर्ट के मुताबिक ‘भिखारी
वर्ग’ में
ज्यादातर लोग समाज के उन विशेष
हिस्सों से आते हैं
जिन्हें सामान्य रूप से प्रतिनिधित्व नहीं
मिला है या सरकारी
योजनाओं का लाभ नहीं
मिल रहा है। आंकड़ों के मुताबिक देश
में कुल 72.89 करोड़ नॉन वर्कर कैटेगरी के लोग हैं
जिनमें से 3.7 लाख लोगों को भिखारी वर्ग
में रखा गया है। इनमें से कुल 92,760 लोग
मुसलमान हैं। जनगणना 2001 के मुकाबले देश
में भिखारियों की संख्या 41 प्रतिशत
तक घटी है। जनगणना 2001 के मुताबिक उस
वक्त देश में भिखारियों की संख्या 6.3 लाख
थी। बाकी धर्म के लोगों पर
नजर डालें तो देश में
79.8 प्रतिशत हिन्दू मौजूद हैं जबकि इसके मुकाबले में सिर्फ 2.68 लाख लोग ही भिखारी वर्ग
में आते हैं। देश में ईसाई 2.3 प्रतिशत हैं जबकि भिखारियों में इनकी हिस्सेदारी 0.88 प्रतिशत है। बौद्ध-0.52 प्रतिशत, सिख-0.45 प्रतिशत, जैन-0.06 प्रतिशत और बाकी की
हिस्सेदारी 0.30 प्रतिशत है। कुल भिखारियों में 53.13 प्रतिशत पुरुष जबकि 46.87 प्रतिशत महिला भिखारी शामिल हैं।
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