माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कालेज की स्थापना:- राजकीय मेडिकल कालेज सिद्वार्थ नगर का नाम ‘माधव बाबू’ के नाम पर पड़ रहा है। इसका शुभारम्भ माननीय प्रधान मंत्री मोदी जी 25 अक्तूबर 2021 को कर रहे हैं। इस कालेज का निर्माण प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के अन्तर्गत किया जा रहा हैं। मेडिकल कालेज में अस्पताल, छात्रावास, स्टाफ आवास और सभी फैकल्टी होगी। 100 छात्रों का एम बी बी एस में प्रवेश होगा। इस कालेज के खुलने से ना केवल सिद्वार्थ नगर जिले अपितु पड़ोसी जिले बलरामपुर, महराजगंज तथा नेपाल के लोंगों को इससे लाभ मिलेगा।
समर्पित व्यक्तित्व :- भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य और भाजपा के उत्तर प्रदेश के प्रथम
अध्यक्ष माधव प्रसाद त्रिपाठी ‘माधव बाबू’
समाज और संगठन के प्रति आजीवन समर्पित रहे। वर्ष 1940 में
नानाजी देशमुख की प्रेरणा से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता ग्रहण करने के
बाद परिवार का मोह त्याग कर राष्ट्र सेवा का व्रत ले लिया। बांसी विधानसभा क्षेत्र
आजादी के बाद से ही भाजपा (जनसंघ) का गढ़ माना जाता है और माधव बाबू उस गढ़ के
रचनाकार। उनके इस किले को आजादी के बाद से कांग्रेस केवल चार बार ही जीत पाई।
जिसमें दो चुनाव आजादी के तत्काल बाद यानी सन 1952 और 1957 के थे, जब
कांग्रेस को हराने की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। बाद के 13
चुनावों में भी सिर्फ दो बार ही कांग्रेसी जीतने में कामयाब हो सके। 1962 के
चुनाव में कांग्रेस का बांसी में जोर तो था,
लेकिन यहां जनसंघ (भाजपा) ने माधव प्रसाद त्रिपाठी को युवा
नेता के तौर पर तैयार कर लिया था। माधव बाबू एलएलबी करके राजनीति में आये थे।
उन्होने कांग्रेस के प्रभुदयाल विद्यार्थी को हराया था। 1967 के
विधान सभा के चैथे आम चुनाव में प्रभुदयाल विद्यार्थी ने माधव बाबू को हरा दिया।
इसके बाद 1969 और 1974 के चुनाव में माधव बाबू लगातार जीते। 1977 में माधव बाबू की जगह भाजपा कोटे के हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव उर्फ हरीश जी ने
चुनाव जीता। 1980 में हरीश को हराते हुए कांग्रेस के दीनानाथ पांडेय ने जीत हासिल की, लेकिन 1985 के
चुनाव में हरीश जी ने कांग्रेस विधायक दीनानाथ पांडेय को हरा कर हिसाब बराबर कर
लिया।
‘माधव बाबू’
का संक्षिप्त जीवन परिचय :- पं. माधव प्रसाद त्रिपाठी का जन्म 12
सितम्बर 1917 को पूर्व बस्ती ( वर्तमान सिद्धार्थनगर) जिले के बांसी शहर के निकट तिवारीपुर
नामक गांव में हुआ था। इनका जन्म
जन्माष्टमी ( 5 अगस्त
1912) को हुआ था और मृत्यु भी जन्माष्टमी को हुई थी.उनके पिता का नाम पं. सुरेश्वर प्रसाद त्रिपाठी था, जो एक
महान स्वतंत्रता सेनानी थे। इनके दो बड़े और एक छोटे भाई भी थे। बड़े भाई कमलादत्त
त्रिपाठी ने डॉक्टरी की पढ़ाई करने के बाद बस्ती में चिकित्सा सेवा शुरू की तो
दूसरे भाई वशिष्ठ दत्त त्रिपाठी ने व्यवसाय। छोटे भाई उमेश मणि त्रिपाठी ने काशी
को अपनी कर्म भूमि बनाई वहीं,
वे संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में उपाचार्य बने।
माधव बाबू ने काशी विश्वविद्यालय से स्नातक और विधि स्नातक की उपाधि हासिल की। बाद
में बस्ती में वकालत शुरू कर दी। माधो बाबू भारतीय जनसंध महत्वपूर्ण नेता थे।
उन्होंने पार्टी को खड़ा करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। वह दार्शनिक, समाजशास्त्री, इतिहासकार
तथा राजनीतिक विचारक थे। वह भारतीय जनता पार्टी के आजीवन अध्यक्ष रहे। जब वह बनारस
हिन्दू विश्वविद्यालय के 1937 में विद्यार्थी थे तो राष्ट्रीय सेवक संघ के सम्पर्क में आये। वह संघ के
संस्थापक के. बी. हेडगवार से मिले तो उन्हे एक शाखा का बौद्धिक विमर्श के लिए काम
दे दिया गया। घुड़सवारी के शौकीन माधव बाबू की 1940 में आरएसएस गोरखपुर के
विभाग प्रचार प्रमुख नानाजी देशमुख से हुई। नानाजी की प्रेरणा से संघ में शामिल
हुए और 1941 में नगर संघ चालक बना दिया गया। कुछ ही वर्षों में जिला संघ चालक जैसे
महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंप दी गई। 1942 से वह पूर्णकालिक संघ के समर्पित हो गये। उन्होने नागपुर में 40 दिन
का ग्रीष्म शिविर में भाग लिया था। यही पर
उन्हें संघ के प्रशिक्षण की शिक्षा मिली थी। संघ के शैक्षिक शाखा के द्वितीय साल
के प्रशिक्षण के पूरा करने के उपरान्त उन्हे आजीवन प्रचारक बना दिया गया। उन्हें
लखीमपुर जिले का कार्य भार दिया गया था। 1955 से उन्हें उत्तर प्रदेश के संयुक्त प्रान्त प्रचारक की जिम्मेदारी दी गयी। वह
संघ के एक आदर्श स्वयंसेवक रहे। उन्होंने संघ के विचारों को अपने जीवन में अक्षरशः
आत्मसात कर लिया था। 1951 में श्यामा प्रसाद मुकर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना किया था। पं. दीन दयाल
को संघ परिवार की ओर से द्वितीय संस्थापक के रुप में जिम्मदारी दी गयी थी। संगठन
के प्रति निष्ठा से प्रभावित होकर 1951-52 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पं. दीनदयाल उपाध्याय ने अपनी टीम में
शामिल कर लिया। पहले आम चुनाव में वे भारतीय जनसंघ से चुनाव मैदान में उतरे, मगर वे
चुनाव जीत नहीं सके लेकिन 1958-62 में उन्हें विधान परिषद सदस्य चुना गया। वर्ष 1962 में वे पहली बार विधायक
बने। सरकार में वह एक बार कृषि मंत्री भी रहे। वह 1962-66 तथा 1969-77 के मध्य भारतीय जनसंघ की तरफ से उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य थे। वह
उत्तर प्रदेश विधान सभा के विपक्ष के नेता तथा उत्तर प्रदेश के कैविनेट मंत्री थी
रहे। आपातकाल के दौरान उन्हें करीब 19 माह तक जेल में गुजारना पड़ा। आपातकाल के बाद भारतीय जनसंघ और जनता पार्टी का
विलय हुआ तो वे 1977 में डुमरियागंज के सांसद चुने गए। वह डुमरियागंज लोक सभा क्षेत्र के 1977 के
सदस्य चुने गये थे। वह पूर्वाचल उत्तर प्रदेश के अनेक वरिष्ठ सदस्य मा. राजनाथ
सिंह, कलराज मिश्र,
डा. महेन्द्रनाथ पाण्डेय, स्व. हरीश श्रीवास्तव के
साथ काम किये थे। वह पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल विहारी वाजपेयी के बहुत करीबी
तथा विश्वासपात्र रहे। यद्यपि माधो बाबू भाजपा के नेता थे परन्तु अन्य राजनीतिक
दलो के नेता जैसे चैधरी चरणसिंह तथा मुलायम सिंह आदि भी उनको बहुत सम्मान देते थे।
एक बार माधो बाबू विधान सभा चुनाव हार गये थे तो चैधरी चरण सिहं ने अपने पाटी के
विधायको से कहकर उन्हे विधान परिषदकी सदस्यता दिलवायी थी।
उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष :- छह अप्रैल 1980 में जब भाजपा का गठन हुआ तो शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष
की कमान सौंप दी। 1980 के दशक माधो बाबू का चरमोत्कर्ष का समय था। उन्हे लोग जन नेता के रुप में
मानते थे। विपक्ष के नेता के रुप में उनके सलाह का पूर्ण सम्मान दिया जाता था।
अपने राजनीतिक जीवन के दौरान वह वह उ.
प्र. हाउसिंग डेवलपमेंट कांउंसिल के अध्यक्ष तथा डेलीमिटेशन कमीशन के सदस्य आदि भी
रहे। पं. दीन दयाल उपाध्याय की तरह उनका भी विवास्पद मृत्यु 19 अगस्त
1884 में हुआ था। जन्माष्टमी के दिन संगठन के कार्यक्रम में जाते समय लखनऊ में
उनकी मौत हुई। उनके पौत्र सिद्धार्थ
त्रिपाठी अपने दादा जी के पथ का अनुसरण करते हुए पार्टी की सेवा में सक्रियता से
योगदान कर रहे है। 1980 में माधव प्रसाद त्रिपाठी पहले प्रदेश अध्यक्ष बने थे। वह चार वर्ष इस पद पर
रहे।
तिवारीपुर गांव मे हर्षोल्लास :-
सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर की
दूरी पर स्थित बांसी तहसील के तिवारीपुर के लोगों के लिए आज का दिन किसी महापर्व
से कम नहीं है. इस गांव के निवासी और भारतीय जनता पार्टी के प्रथम प्रदेश अध्यक्ष
स्व.माधव प्रसाद त्रिपाठी के नाम पर स्थापित मेडिकल कॉलेज का प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी ने उद्घाटन किया. गांव के लोग खुश हैं कि माधव बाबू का नाम एक बार
फिर से सिद्धार्थनगर समेत समूचे तराई पट्टी में गूंजेगा. लोग कह रहे हैं कि यह
पहला मौका है जब उनके नाम के साथ न्याय हुआ है और उनके नाम पर कोई बड़ा काम हुआ
है.
एम.बी.बी.एस. प्रथम सत्र शीघ्र
चलेगा :-
एम.बी.बी.एस. प्रथम शिक्षा सत्र के लिए सभी आवश्यकताएं पूर्ण कर ली गई
हैं। दो लेक्चर थियेटर, लाइब्रेरी, स्टडी रूम, अधिकारियों और स्टाफ के लिए कमरे तैयार हो चुके हैं।
डायरेक्टर आवास, प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के आवास, गर्ल्स-ब्वायज
हॉस्टल, जूनियर-सीनियर रेजिडेंट आवास, नर्स हॉस्टल, सेंट्रल मेस सहित
जरूरी सभी इमारतें पूर्ण हो चुकी हैं। प्रथम सत्र में एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और
बायोकेमिस्ट्री की पढ़ाई होती है। एमबीबीएस की सौ सीट पर आवंटन होना है।
शिक्षक-चिकित्सक के 51, सीनियर रेजीडेंट के 24, जूनियर रेजीडेंट के 50, स्टाफ नर्स के 218, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी (आउट सोर्सिंग) के तीन सौ, तकनीकी संवर्ग के
32, लिपिकीय के 30, प्रशासनिक के 10 और चतुर्थ श्रेणी के 36 पद पर नियुक्ति की स्वीकृति मिली है। इनपदों पर नियुक्ति
प्रक्रिया चल रही है उसमें चिकित्सा -शिक्षक के 45, सीनियर रेजीडेंट
के 18, जूनियर रेजीडेंट 42, नर्सिंग संवर्ग के 173, पैरामेडिकल तकनीकी संवर्ग के 32 सहित कुल 386 पद शामिल है।
चतुर्थ श्रेणी के 32 पदों पर आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्ति की जाएगी। ओ.पी.डी. चालू हो गया है।
जल्द ही सभी आवश्यक तायें पूर्ण हों जा रही हैं।
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