ये चमकी - वो चमकी।
अबे यार कहां चमकी ?
अरे यार, वो चमकी।
आँखें या बटन ?
ध्यान से देख, वो चमकी।
अरे हां, वो चमकी।।‘
ताजमहल पर हरियाणा के प्रख्यात कवि उदयभानु हंस की एक रुबाई देखिए
“ये ताज नहीं रूप की अंगड़ाई है।
या गालिब ने गजल पत्थरों पर गाई है।।
या चांद की अलबेली दुल्हन चुपके से।
यमुना में नहाने को उतर आई है।।“
शरद पूर्णिमा की रात में ताज के पत्थरों का झिलमिलाना :-
ताजमहल में कुछ ऐसा ही होने जा रहा है। यूं तो पूर्णमासी हर बार आती है। ताजमहल के ऊपर चन्द्रमा हर बार अपनी चमक बिखेरता है, परन्तु इस बार की पूर्णमासी खास हैं।। कहते हैं कि इस रात्रि में चांद पृथ्वी के सर्वाधिक निकट रहता है। अपनी
सोलह कलाओं के साथ चमकता है। चन्द्रमा की किरणें जब ताज के श्वेतसंगमरमर के पत्थरों को स्पर्श करती हैं, वे चमक उठते हैं। इसे ही 'चमकी'कहा जाता है। एक समय था जब ताजमहल में हजारों पर्यटक चमकी काआनंद उठाया करते थे। सुरक्षा कारणों से यह सम्भव नहीं हो पाता है। अब चुनिन्दा पर्यटक ही जा सकते हैं। शरद पूर्णिमा के दिन पूरे चांद में ताजमहल का दीदार करना अपने आप में एक अलग अनुभव है। हर साल इस दिन ताजमहल परिसर में दिखने वाली रोशनी जिसे ‘चमकी’ भी कहा जाता है, इसका दीदार करने की चाह में लोग दीवाने हो गए हैं। ताजमहल को वैसे तो प्रत्येक माह की पूर्णिमा से दो दिन पहले औार दो दिन बाद रात में खोला जाता है।
“ये चमकी, वो चमकी” कुछ ऐसे ही संवाद ताजमहल में गूंजते थे । शरदपूर्णिमा की रात में ताजमहल में चमकी की गूंज होती रहती थी। ‘चमकी’यानी चांद की चांदनी में पत्थरों का चमकना या झिलमिलाना। अद्भुत नजारा यहां होता था। ताजमहल के मुख्य गुंबद पर हजारों लोग होते थे। हाथ की अंगुली के इशारे से बताते थे कि कहां पर चमक रहा है ताजमहल। जैसे-जैसे चंद्र का प्रकाश ताजमहल के इर्द गिर्द परिभ्रमण करता था, चमकी का स्थान भी बदलता जाता था। इसके साथ ही लोग भी घूमते जाते थे। उत्तर दिशा की ओर लोग नहीं होते थे,क्योंकि उधर चांद नहीं पहुंचता है। बाकी तीनों दिशाएं चहल कदमी से भरी रहती थी।
वे भी क्या दिन थे:-वे दिन भी क्या दिन थे। लोग कई दिनों से चमकी देखने का इन्तजार करते थे। अपने रिश्तेदारों को बुलाते थे। तब सर्दी बहुत पड़ती थी। कानों से मफलर बांधकर और स्वेटर पहनकर ताजमहल पहुंचे थे। सुरक्षा का कोई ताम-झाम नहीं रहता था। कोई टिकट भी नहीं था। पर्यटन व्यवसायी
अभिनव जैन बताते हैं कि ताजमहल के द्वार पर ही मूंगफली और नान खटाई की ठेलें लगती थीं। लोग ताजमहल में जाते समय और आते समय मूंगफली खाते थे। सड़कें बहुत अच्छी नहीं थीं, लेकिन लोगों में उमंग और उत्साह देखते ही बनता था। इसे चमकी मेला कहा जाता था। ताजगंज का तो बच्चा-
बच्चा उमड़ पड़ता था।
न जाने कब लौंटेंगे वे दिन:-ताजगंज निवासी और भाजपा नेता अश्वनी वशिष्ठ बताते हैं कि ताजमहल में चमकी देखने की बात ही निराली थी। हर समय भीड़ रहती थी। हर कोई उत्साहित रहता था। आसपास की दुकानें पूरी रात खुली रहती थीं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारी ताजमहल के मुख्य
गुंबद पर आने और जाने के लिए लकड़ी की रैम्प बनाते थे। अपनी सोलह कलाओं के साथ जब चन्द्रमा अपनी आभा बिखेरता था, तब ताजमहल झिलमिला उठता था। न जाने वे दिन कब लौटकर आएंगे।
वर्षों से यहां लगता था मेला:-चमकी देखने के लिए दूरदराज से लोग आते थे। पूरी रात ताजमहल खुलता था। पर्यटकों को आने-जाने के लिए लकड़ी के रैम्प बनाए जाते थे। खेल-तमाशे वाले आते थे। पूरी रात आवागमन चलता रहता था। ये चमकी, वो चमकी की गूंज होती रहती थी। कोई समस्या नहीं थी। हां, भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस के पसीने छूट जाते थे।
अब क्या होता है:- इस दौरान रात 8.30 से 12.30 बजे तक आठ स्लॉट में ताज का दीदार होता है। प्रत्येक स्लॉट आधा-आधा घंटे का होता है। सैलानियों को रेड सैंड स्टोन प्लेटफार्म तक जाने की अनुमति दी जाती है।चार घंटे में आठ स्लॉट में देखे जाने वाले ताज के लिए सभी 400 टिकटें बिक
जाती हैं। अब तो ताजमहल रात्रि में 8.30 बजे से 12.30 बजे तक खुलता है। अधिकतम 400 लोग ताजमहल देख सकते हैं। उन्हें भी मुख्य द्वार के प्लेटफार्म तक जाने की अनुमति है। यहां से चमकी दिखेगी ही नहीं। हां,पूर्णमासी का रात में ताजमहल जरूर दिखता है लेकिन धुंधला सा। स्पष्टआकृति नजर नहीं आती है।
1984 में आतंकवादी धमकी के बाद बंद:-1984 में ताजमहल को बम से उड़ाने की धमकी मिली। तब आतंकवाद चरम पर था। इसके बाद ताजमहल को रात्रि में बंद कर दिया गया। चमकी पर भी रोक लगा दी गई।
20 साल बाद रात्रि में खोला गया ताज:-पर्यटन व्यवसायी लगातार दबाव बना रहे थे कि ताजमहल को रात्रि में खोला जाए, ताकि पर्यटकों का रात्रि प्रवास बढ़ सके। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर 20 साल बाद 27 नवम्बर, 2004 को ताजमहल रात्रि में खोला गया। पहली रात 684 पर्यटकों ने ताजमहल का
अवलोकन किया। इसके बाद प्रत्येक पूर्णिमा और इससे दो रात्रि पहले व बाद में ताजमहल खोल दिया गया।
शिल्पग्राम से बैटरचलित बस में जाएंगे,ये बरतें सावधानी:- सैलानियों को ताजमहल का दीदार कराने के लिए शिल्पग्राम से पूर्वी गेट तक बैटरीचलित बस से ले जाया जाएगा। वहां पर सघन चेकिंग के बाद उन्हें प्रवेश दिया जाएगा। आधा घंटा पूरा हो जाने के बाद दूसरे स्लॉट के लोगों को इसी प्रक्रिया के तहत ताज भेजा जाएगा। पर्यटक को निर्धारित समय से 30 मिनट पहले शिल्पग्राम पहुंचना होगा। वहां सुरक्षा जांच के बाद आगे जाने दिया जाएगा। मुख्य प्रवेश द्वार के प्लेटफार्म तक पर्यटकों को जाने दिया जाता है। ताजमहल में स्टिल कैमरा या बायनोकुलर ले जा सकते हैं।
विशेष परिस्थित में रात्रि दर्शन निरस्त भी किया जा सकता है। पर्यटक चाहे तो अपना टिकट दोपहर 12 बजे तक निरस्त करा सकता है। ऐसी परिस्थिति में 25 फीसदी धनराशि काटकर वापस की जाएगी।
कहां मिलता है टिकट:- ताजमहल का टिकट भारतीय पर्यटकों के लिए 510 रुपये और विदेशी पर्यटकों के लिए 750 रुपये का है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के कार्यालय 22, माल रोड, आगरा पर टिकट मिलता है। टिकट लेने के लिए एक फार्म भरना होगा। अपना फोटो पहचानपत्र देना होगा। एक दिनपहले टिकट लेना होता है। जो पहले आता है, उसे पहले टिकट मिलता है।
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