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संयुक्त परिवार की सनातन संस्कृति पर
एकल परिवार का स्वार्थ भारी पड़ता है।
शिव के शिवत्व की असीम सृष्टि पर
शत चंडी का प्रकोप भारी पड़ता है।
पलपल जिन्दगी दिया ऊपर वाले ने
नीचेवालों का किलकिल भारी पड़ता है।
तिनका तिनका जोड़कर महालय बनाया जो
रूम फ्लैट वालो का रहना भारी पड़ता है।।1।।
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चंचल चित्त स्थिर नहीं रहता
दुनिया को सत्य मानता है।
ममता मोहफास में भ्रमता
चित्त ना चैतन्यता लाता है।
वेदना व्यक्त नही हो सकती
संवेदना संवेदन ना करती है।
हर प्राणी का प्रारब्ध अलग है
रब भी हेरफेर ना करती है।।2।।
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वो हमें खुश रखें यदितो आशीष पाएंगे
वो हमें दुख भी दें बददुवा नहीं पाएंगे।
हम तो शिव अंश है गरल भी पी जाएंगे
कितना भी दर्द मिले आह ना कह पाएंगे।
हर अच्छे की पहचान सबको होती नहीं
हर एक चमक में रोशनी ही होती नही।
उनकी खुशी में दिल खुशनुमा हो जाता
उनके दुःख में भी आह निकल जाता।।3।।
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