शायरीइन से उम्मीद न रख
हैं ये सियासत वाले
ये किसी से भी कहीं
मोहब्बत नहीं करने वाले।।
सेकुलर के नाम पर
बहुमत को गाली देने वाले।
अपना उल्लू सीधा करते
औरों को हलालने वाले।।
ना कोई जाति, ना कोई मज़हब,
ना कोई धर्म है।
ना समाज, ना कोई इनका
सामाजिक कर्म है।।
राष्ट्रधर्म था सर्वोपरि
जिनके लिए वह कोई और थे
आज़ कल के नेताओं की
राजनीति बहुत बेशर्म है।।
हमारे कुछ इने गुने लोगों की
करतूत तो देखो।
हर तरफ़ जातिवाद की
आग सुलगा रखी है।।
और क्या कहें इस देश की
बेशर्म राजनीति को
पूरे देश दुनिया की
बुनियाद हिला रखी है।।
बेशर्म नेताओं की
बेशर्म राजनीति हो गई ।
इनके हाथों से
समाज की दुर्गति हो गई ।।
वक्त रहते ही
सोई जनता को जागना होगा।
जनता को लूटना
नेताओं की नीति हो गई ।।
बेशर्म राजनीति ने
समाज को काट छांट दिया
हर वर्ग हर धर्म को
जाति पातीओ में बांट दिया।।
पढ़े लिखे नहीं
केवल कहने को डिग्री ले लिया।
बॉयमनस के बीज
घोलते रहे जिंदगानी जो दिया।।
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