लड़कियाँ के कुछ खास गुण
लड़कियाँ प्राकृतिक रूप से सहनशील होती हैं। वे किसी भी परिस्थिति में जल्दी अनुकूल हो जाती हैं। उन्हें अनुकूल होने में समय नहीं लगता । वे परिस्थिति के अनुसार क्या और कब बोलना चाहिए ये भी अच्छे से जानती हैं। वे खुद कोसजने संवरने में बहुत आगे होती हैं। वे भली भांति जानती हैं जो भी संसाधन उपलब्ध हो उसमें बेहतर कैसे दिखना है।
आधुनिक शिक्षा, माता पिता द्वारा उन्हें स्वावलंबी बनाना और किशोरावस्था में उन पर पैनी निगाह ना रखना तथा माता पिता द्वारा उन्हें भोला मासूम ही समझना ही ऐसे घटनाओं को पनपने का अनुकूल माहौल प्रदान करता है। इनको सार्वजनिक दंड भी नहीं मिलता इससे समाज में इनके गलत इरादों के प्रति सबक का संदेश भी नहीं जा पाता है। कुछ लड़कियां भाववेश में आकर गलत कदम उठा लेती हैं, बाद में पश्चाताप भी करती हैं लेकिन अपनी जिंदगी के साथ समाज में जहर घोल ही जाती हैं। कुछ का अंजाम भी बुरा होता है और वे दुनिया की जलीलत न सह पाने के कारण अपनी जीवन लीला भी समाप्त कर देती हैं। महिला आयोग, सामाजिक सुधार विभाग और न्यायपालिका को इस विषय पर और मुखरित होना चाहिए।
आचार्य चाणक्य की नीति
आचार्य चाणक्य भारत के प्राचीनतम और सबसे बुद्धिमान नीतिशास्त्रियों में से एक माने जाते हैं। उन्होंने जीवन के हर पहलू को बहुत ध्यान और गहराई से समझा और बताया कि इंसान की आदतें उसका आने वाला समय तय करती हैं। उनके मुताबिक, एक महिला पूरे घर की जान होती है, वो चाहे तो अपने परिवार को खुशहाल बना सकती है और अगर उसके बर्ताव में गड़बड़ हो, तो वही घर परेशानी से भर सकता है। चाणक्य नीति में ऐसी महिलाओं के बारे में बताया गया है, जिनकी कुछ बुरी आदतें परिवार की शांति, इज्जत और तरक्की को धीरे-धीरे खत्म कर देती हैं। ये बातें किसी को नीचा दिखाने के लिए नहीं, बल्कि लोगों को सच्चाई समझाने और सुधार की ओर ले जाने के लिए कही गई हैं।आज के समय में भी इन बातों का मतलब उतना ही जरूरी है जितना पुराने जमाने में था।
गलत आदतों से घर श्मशान बन जाता है :-
एक समझदार और सुलझी हुई महिला पूरे परिवार को खुश और मजबूत बना सकती है. लेकिन अगर उसमें गलत आदतें आ जाएं, तो वही महिला घर को बिगाड़ भी सकती है। चाणक्य नीति आज भी यही सिखाती है कि सच्चा सुख, प्यार, सम्मान और पैसा तभी टिक सकता है जब घर की महिला संतुलन और समझदारी से काम ले।
अपने पैसे या सुंदरता का घमंड करना:- जो महिला अपनी सुंदरता, पैसे या परिवार की शोहरत पर घमंड करती है, धीरे-धीरे अकेली रह जाती है। घमंड से कोई किसी की इज्जत नहीं करता। जब घर में प्यार की जगह अहंकार आ जाता है, तो रिश्ते टूटने लगते हैं। चाणक्य ने कहा है कि घमंड करने वाली औरत अपने ही हाथों से अपना घर बर्बाद कर सकती है।
पति की कमाई को कम समझना:-
अगर कोई महिला अपने पति की कमाई से खुश नहीं रहती, उसे ताने देती है या दूसरों से तुलना करती है, तो इससे पति का मन टूट जाता है।वो दुखी हो जाता है और रिश्तों में खटास आने लगती है। चाणक्य कहते हैं कि ऐसी स्त्री अपने ही घर की नींव को हिला देती है। धीरे-धीरे परिवार में तनाव और पैसों की तंगी बढ़ जाती है।
शादी, हनीमून और मर्डर का त्रिकोण:-
जिस तरह से नव विवाहित दंपतियों की हत्या की घटनाएं सुनने को मिल रही हैं यह बहुत ही शर्मनाक है और इस बात पर विचार करना उतना ही आवश्यक है कि समाज किस दिशा में जा रहा है और हम अपने बच्चों को क्या संस्कार दे रहे हैं। अभी हाल ही में कुछ चरित्र बहुत ही सुर्खियों में रहे कुछ के नाम इस प्रकार है -
1- मुस्कान रस्तोगी
2- निकिता सिंघानिया और
3- सोनम रघुवंशी आदि आदि।
इंदौर में राजा और सोनम की अरेंज मैरिज हुई थी। शादी के चंद दिन बाद हनीमून पर निकला ये कपल कामाख्या मंदिर के दर्शन की बात कहकर मेघालय जा पहुंचा। लेकिन 12 दिन बाद पहाड़ियों में राजा की लाश मिली और सोनम गायब थी। लेकिन जब हकीकत सामने आई तो यह मामला महज कोई हादसा नहीं, बल्कि एक सोची-समझी साजिश और मर्डर का निकला. जिसमें सुपारी किलर भी हायर किए गए थे।
शादी का रिश्ता विश्वास और एक दूसरे के आत्मसात से बनता है:-
शादी जैसे पवित्र रिश्ते में विश्वास सबसे बड़ा स्तंभ होता है। जब इस रिश्ते में हत्या जैसी घटनाएं सामने आती हैं, तो सामाजिक विश्वास और मूल्यों पर आघात पहुंचता है।विवाह केवल दो व्यक्तियों का नहीं, दो परिवारों का भी बंधन होता है। जब ऐसा कोई अपराध होता है, तो दोनों परिवार मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक रूप से टूट जाते हैं।
नकारात्मक दृष्टिकोण:-
ऐसी घटनाएं समाज में नवविवाहित दंपतियों को लेकर एक नकारात्मक दृष्टिकोण विकसित कर सकती हैं। विशेषकर महिलाओं को लेकर शंका और अविश्वास बढ़ सकता है, जो उचित नहीं है।
नव विवाहिता को अनुकूल माहौल मिले :-
नारियां आज भी देवी स्वरूपा है, उन्हें अनुकूल बनना, बनाया जाना और रखना चाहिए। तलाक भी इतनी आसानी से नहीं मिलना चाहिए। जब पति का परिवार सब तरह से अनुकूल बना लेता है तो बहू को,उसके माता पिता को भी अनुकूल बनाने में सहयोग और प्रेरणा देना ही चाहिए। लड़की के पसन्द के अनुरूप ही शादी का रिश्ता फाइनल करनाचाहिए। इसे अपने मान- सम्मान में बाधा ना मानकर अनुकूल सद्प्रेरणा देनी चाहिए। कॉन्वेंट और भौतिक शिक्षा के साथ संस्कार कथा ,कीर्तन और बड़े बुजुर्गों के निगाहबान में ही रहना चाहिए। तलाक तो अंतिम विकल्प होना चाहिए । हत्या और अप्राकृतिक कृत्य तो कभी भी नहीं होना चाहिए।
लेखक परिचय:-
(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए सम सामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं।
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