स्वामी अग्निवेश भारत का एक सामाजिक कार्यकर्ता, सुधारक ,राजनेता व
सन्त पुरुष कहा जाता है। वह 21 सितंबर 1939 को आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में
पैदा हुआ। उनका असली नाम है वेपा श्याम राव था। वह एक मिशनरी विद्यालय में शिक्षक
बन गए। इन्होने न तो कभी संन्यास लिया न ही संन्यास की परम्परा से जुड़े लेकिन खुद
को सन्यासी वेश में ही प्रस्तुत करते रहे। सनातन का विरोध और सनातन की परम्पराओ को
गाली देना इनकी फितरत है। खुद को आर्य समाजी कहते हैं लेकिन आर्य समाज के स्थापित
आचार्य इनको कभी आर्य समाज में शामिल नहीं मानते। स्वामी अग्निवेश ने कोलकाता में
कानून और बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई करने के बाद आर्य सभा /आर्य समाज में सन्यास
ग्रहण किया।
स्वामी अग्निवेश शिक्षक और वकील रहे हैं. लेकिन साथ ही उन्होंने एक
टीवी कार्यक्रम के एंकर की भूमिका भी निभाई है और रियलटी टीवी शो बिग बॉस
कार्यक्रम का हिस्सा रह चुके हैं.उन्होंने एक राजनीतिक दल आर्य सभा की शुरुआत की
थी और आपातकाल के बाद हरियाणा में बनी सरकार में मंत्री रहे. बंधुआ मजदूरी के
खिलाफ उनकी दशकों की मुहिम तो जगजाहिर है, उन्होंने बंधुआ मुक्ति मोर्चा नाम के
संगठन की शुरुआत की और रूढ़िवादिता और जातिवाद के खिलाफ लड़ने का दावा करते हैं.
अस्सी के दशक में उन्होंने दलितों के मंदिरों में प्रवेश पर लगी रोक के खिलाफ
आंदोलन चलाया था.। वो देखने में साधु जैसे लगते हैं, बातें राजनीतिज्ञों की तरह
करते हैं। आर्य समाज का काम करते-करते 1968 में उन्होंने एक राजनीतिक दल बनाई-
आर्य सभा। बाद में 1981 में बंधुआ मुक्ति मोर्चा की स्थापना उन्होंने दिल्ली में
की. स्वामी अग्निवेश ने हरियाणा से चुनाव लड़ा और मंत्री भी बनें लेकिन मजदूरों पर
लाठी चार्ज की एक घटना के बाद उन्होंने राजनीति से ही इस्तीफा दे दिया. बंधुआ
मुक्ति मोर्चा के संयोजक रहे स्वामी अग्निवेश इन दिनों माओवादियों से बातचीत के
लिये चर्चा में रहे हैं।
विवाद :- स्वामी अग्निवेश पर नक्सलियों से सांठगांठ और हिंदू धर्म के खिलाफ
दुष्प्रचार का आरोप है। जिसके कारण भारत में अनेकों अवसरों पर उनके खिलाफ
विरोध-प्रदर्शन हुये हैं।जन लोकपाल विधेयक के लिए आंदोलन कर रही अन्ना हजारे की
टीम में भी स्वामी अग्निवेश का अहम रोल है। जंतर-मंतर पर अन्ना के अनशन के दौरान
अग्निवेश भी पूरे समय अन्ना के साथ रहे। हालांकि कई मुद्दों पर सिविल सोसायटी और
अग्निवेश के बीच मदभेद भी पैदा हुए। असली मुद्दा प्रधानमंत्री और न्यायपालिका को
लोकपाल के दायरे में रखने या नहीं रखने को लेकर है। कहा जा रहा है कि अग्निवेश ने
इस बारे में एक विवादास्पद बयान देकर सिविल सोसायटी को नाराज कर दिया है। अग्निवेश
ने कहा कि अगर सरकार सिविल सोसायटी की बाकी मांगों को मान ले तो पीएम और
न्यायपालिका के मुद्दे पर सिविल सोसायटी नरमी बरतने के लिए तैयार है। लेकिन सिविल
सोसायटी ने इस बयान को बिलकुल गलत करार दिया। 79-साल के आर्य समाजी, बंधुआ मजदूरों
के लिए लंबी लड़ाई लड़नेवाले और नोबेल जैसा सम्मानित मानेजाने वाले राइट लाइवलीहुड
अवॉर्ड पा चुके स्वामी अग्निवेश के व्यक्तित्व को लेकर भी कई तरह की राय है.।
प्रारम्भ से ही इनका जीवन और इनके कार्य संदिग्ध रहे हैं। कभी ये नक्सलवादियों के
साथ खड़े दिखते हैं तो कभी जाकिर नाइक जैसे लोगो की जमात में। खुद को मजदूर और
किसान आंदोलन में शामिल कर ये कम्युनिष्ट भी बन जाते हैं। कभी एना आंदोलन में जाते
हैं तो कभी बयान देते हैं कि एना की ह्त्या की साजिश हो रही।
जनलोकपाल आंदोलन :- साल 2011 के जनलोकपाल आंदोलन (जिसे कुछ
लोग अन्ना आंदोलन भी बुलाते है) के समय अरविंद केजरीवाल पर धन के गबन का लगाया
उनका आरोप आज भी लोगों को याद है. बाद में उन्होंने यहां तक कह दिया कि केजरीवाल
अन्ना हजारे की मौत चाहते थे.माओवादियों और सरकार के बीच बातचीत में उनकी
मध्यस्थता और इसी दौरान प्रमुख माओवादी नेता चेरीकुरी राजकुमार उर्फ आजाद की कथित
पुलिस मुठभेड़ में मौत के मामले को भी कुछ लोग फिर से याद कर रहे हैं. पुलिस का
कहना था कि आजाद की मौत तेलंगाना सूबे के आदिलाबाद में एक मुठभेड़ में हुई, लेकिन
माओवादियों के मुताबिक आजाद को महाराष्ट्र के नागपुर से पुलिस उठा ले गई थी और फिर
उन्हें आदिलाबाद ले जाकर मार डाला गया.आरोप ये भी लगा था कि किसी ने हुकूमत से
माओवादी नेता के ठिकाने की मुखबिरी की थी. आर्यसमाजी होने के कारण वे मूर्तिपूजा
और धार्मिक कुरीतियों का विरोध करते रहे हैं, उन्होंने कई बार ऐसी बातें खुलकर कही
हैं जो धार्मिक लोगों को नागवार लग सकती हैं.उन्होंने कुछ समय पहले ये कहा था कि
धर्म के ठेकेदारों को राम और कृष्ण का अस्तित्व साबित करना चाहिए उनका एक वीडियो
कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया साइटों पर दिख रहा है जिसमें वे कह रहे हैं कि गुफा
में जमी बर्फ को शिवलिंग समझना सही नहीं है। अमरनाथ का जिक्र करते हुए वे बताते
हैं कि एक बार बर्फ पर्याप्त न होने पर कृत्रिम तरीक से शिवलिंग बनाया गया था.
सोमवार को स्वामी अग्निवेश पर हुए हमले को झारखंड की बीजेपी सरकार के एक मंत्री
सीपी सिंह ने सीधे-सीधे प्रचार पाने का हथकंडा बताया. जाने-माने पत्रकार शेखर
गुप्ता ने जो स्वामी अग्निवेश को दशकों से जानने का दावा करते हैं, एक ट्वीट में
लिखा, मैं उन्हें 1977 से जानता हूं और इस बीच उनमें कोई बदलाव नहीं आया है. जहां
भी कोई मुद्दा और कैमरा मौजूद होगा वो आपको वहां नजर आएंगे, और फिर वो उसे बीच में
ही छोड़ कर आगे निकल लेंगे. फिल्म अदाकारा स्वरा भास्कर स्वामी अग्निवेश को ज्ञानी
और मानवतावादी बताती हैं. दरअसल स्वामी वामी अग्निवेश उर्फ श्याम राव को बाहरी मदद
मिलती है और ये उन्ही एजेंसियों के लिए काम करते हैं। इनको बहुत अच्छी पलटी मारी
भी आती है। हिंदू देवी देवताओं को गाली देकर ये खुद को कथित सेक्युलर समाज के
अधिष्ठाता बनाने की जुगत करते हैं। ये कांग्रेस के सरकारी सन्त के रुप में सोनिया
जी के खासमखास कहे जाते रहे हैं।
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