प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नए मुख्यालय भवन का औपचारिक रूप स उद्घाटन किया। 24 तिलक मार्ग पर स्थित इस भवन का नाम धरोहर भवन रखा गया है। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता केंद्रीय संस्कृति मंत्री डॉ महेश शर्मा ने किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने 150 पूरे कर लिए हैं। यह संगठन खुद में एतिहासिक संगठन हो गया है। आधुनिक तकनीक से पुरातात्विक के क्षेत्र में बहुत काम हुआ है। इसी की मदद से आज माना जाने लगा है कि सरस्वती नदी की बात काल्पिक नहीं है, आज कई बातें सामने आ रही हैं। पुरातात्विक के क्षेत्र में काम करने वाला व्यक्ति बहुत बड़ा बदलाव करता है।पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया में जहां ऐतिहासिक धरोहर नही हैं वे लोग उसका महत्व अधिक समझते हैं। आजाद होने के बाद से आज तक देश को एक ऐसी सोच ने जकड़ रखा है, जिन्हें देश की पुरातन धरोहर से कोई लगाव नही रहा है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी पुरातन धरोहर पर गर्व होना चाहिए। पुरातात्विक धरोहर को बचाने के लिए जन भागीदारी बहुत जरूरी है। दूसरे देशों में सीनियर सिटीजन क्लब बना कर धरोहर को बचाने में मदद करते हैं। यहां भी इस तरह की सोच बनाने की जरूरत है।
एएसआइ की यह आलीशान इमारत 24 तिलक मार्ग पर है। यहां पिछले वर्ष दिसंबर में ही मुख्यालय स्थानांतरित हो चुका है। एएसआइ की लाइब्रेरी भी स्थानांतरित की गई है, जोकि पहले शास्त्री भवन में थी। मुख्यालय पहले जनपथ रोड पर था।
2.5 एकड़ जमीन पर बना यह हेडक्वॉर्टर अपने आप में एक स्टेट ऑफ बिल्डिंग होगा। सबसे बड़ा आकर्षण यहां की विशालकाय सेंट्रल ऑर्कियोलॉजिकल लाइब्रेरी होगी, जिसमें 1.5 लाख किताबें और पुरातात्विक महत्व की जर्नल्स शामिल हैं। आधुनिक तकनीक और सुविधाओं से युक्त इस इमारत में जहां एनर्जी एफिशियंट लाइटिंग की व्यवस्था है, वहीं रेन हार्वेस्टिंग की सुविधा भी होगी। ए एस आई पुस्तकालय के निरीक्षण के दौरान प्रधानमंत्री ने टिप्पणी भी लिखी है –
केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्री डॉ. महेश शर्मा पिछले कई माह से प्रयास में थे, लेकिन प्रधानमंत्री का समय नहीं मिल सका था। बेसमेंट की दो मंजिलों को मिलाकर सात मंजिला इस इमारत की आधारशिला 20 दिसंबर 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने रखी थी। एएसआइ ने वर्ष 2012 से निर्माण कार्य शुरू कराया था। इस इमारत का निर्माण केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने किया है। यह दो चरणों में तैयार की गई। निर्माण कार्य पहले बहुत धीमी गति से चला। केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद कार्य में तेजी आई। इसमें साज-सज्जा के रूप में महत्वपूर्ण धरोहरों की प्रतिकृतियों (रेप्लिका) का उपयोग किया गया है। इमारत की डिजाइन हाउसिंग एंड अर्बन कारपोरेशन (हुडको) ने तैयार की है। आंतरिक साज-सज्जा की जिम्मेदारी भी हुडको के पास थी, लेकिन कुछ विवाद हो जाने पर एएसआइ ने हुडको को वर्ष 2016 में इस कार्य से हटा दिया था। इसके बाद सीपीडब्ल्यूडी ने ही आंतरिक साज-सज्जा और निर्माण का कार्य पूरा किया।
केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्री डॉ. महेश शर्मा पिछले कई माह से प्रयास में थे, लेकिन प्रधानमंत्री का समय नहीं मिल सका था। बेसमेंट की दो मंजिलों को मिलाकर सात मंजिला इस इमारत की आधारशिला 20 दिसंबर 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने रखी थी। एएसआइ ने वर्ष 2012 से निर्माण कार्य शुरू कराया था। इस इमारत का निर्माण केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने किया है। यह दो चरणों में तैयार की गई। निर्माण कार्य पहले बहुत धीमी गति से चला। केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद कार्य में तेजी आई। इसमें साज-सज्जा के रूप में महत्वपूर्ण धरोहरों की प्रतिकृतियों (रेप्लिका) का उपयोग किया गया है। इमारत की डिजाइन हाउसिंग एंड अर्बन कारपोरेशन (हुडको) ने तैयार की है। आंतरिक साज-सज्जा की जिम्मेदारी भी हुडको के पास थी, लेकिन कुछ विवाद हो जाने पर एएसआइ ने हुडको को वर्ष 2016 में इस कार्य से हटा दिया था। इसके बाद सीपीडब्ल्यूडी ने ही आंतरिक साज-सज्जा और निर्माण का कार्य पूरा किया।
एएसआइ की महानिदेशक ऊषा शर्मा ने इस इमारत को लेकर काफी दिलचस्पी दिखाई और काम को जल्द पूरा कराने का दबाव अधिकारियों पर बनाया। नई इमारत की डिजाइन पहले से इसी परिसर में बने भारतीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) के मुख्यालय की प्रतिकृति है।
No comments:
Post a Comment