बस्ती। : बस्ती नगर पालिका का दायरा बढ़ रहा है लेकिन सु़विधाएं उस अनुरूप विकसित नहीं हो पा रही हैं। इस नगर पालिका में कूड़ा निस्तारण की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। प्रतिदिन यह शहर 50 टन कूड़ा उगल रहा है। यह कूड़ा कालोनी और मोहल्ले में खाली पड़ी जमीनों के अलावा फोरलेन और अमहट किनारे खपाया जा रहा है। यह कचरा खाकर बेसहारा पशु खाकर बीमार हो रहे हैं तो दूसरी तरफ इसमें से निकलने वाला जहरीला धुआं और दुर्गंध सुबह सैर पर निकलने वालों और कालोनियों वा मोहल्लों के निवासियों का सेहत बिगाड़ रहा है। स्वच्छ शहर-सुंदर शहर का सपना तो संजोया गया लेकिन सिर्फ जुबानी। धरातल पर स्वच्छता की गाड़ी जैसे तैसे चल रही है। नगर पालिका के पास सफाई दल है, वाहन है फिर भी शहर में अपशिष्ट का अंबार लगा रहता है। 1952 में गठित इस नगर पालिका में अब तक कूड़ा प्रबंधन की व्यवस्था नहीं हो पाई है। शहरी क्षेत्र के निकटवर्ती गड्ढे,तालाब,नदियों के तट कूड़ा से पटते चले गए। अब जगह ही नहीं बचा है,नगर पालिका खुद उलझन में है।अमहट पर धोबी घाट के किनारे इन दिनों कूड़ा कचरा गिराया जा रहा है। इससे निकलते धुंए और दुर्गंध ने उस ओर सुबह सैर पर जाने वालों के पांव रोक दिए हैं।
साथ ही सुरेंद्र नगर कटरा स्थित लिटिल फ्लावर स्कूल तथा महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कालेज के प्रोफेसर डाक्टर सौरभ द्विवेदी वा डाक्टर तनु मिश्रा के आनन्द नगर कटरा के आवास के पास कूड़े का निस्तारण सही ढंग से नही हो रहा है। पूरे मुहल्ले के कूड़े को पालिका कर्मी ले जाने के बजाय जगह जगह पर जलाते नजर आ रहे हैं। शीत और गर्मी के संक्रमण के मौसम में यह बच्चों और बुजुर्गों के लिए घातक हो सकता है। कूड़े निस्तारण का कोई भी जगह निर्धारित नहीं किया गया है।ये नियमित उठाए भी नहीं जा रहे हैं। पालिका के तरफ से कोई निरीक्षण और समन्यव नही दिखाई पड़ रहा है।
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