Thursday, April 28, 2022

बस्ती ओपेक कैली हॉस्पिटल में अवांछित तत्वों का जमावड़ा :डा राधे श्याम द्विवेदी

ओपेक कैली हॉस्पिटल की स्थापना वर्ष 1991 के 8 मार्च को
हुआ था। तभी पूर्व मुख्य मंत्री बहन मायावती जी के शासन काल में मिनी पीजीआई का जोर शोर से प्रचार करके खूब वाहवाही लूटी गई थी। इस क्रम में बस्ती में 500 बेड का ओपेक कैली हॉस्पिटल का निर्माण शुरू हुआ था। ओपेक का फुल फॉर्म पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन होता है।यह 13 प्रमुख तेल उत्पादक देशों का एक अंतर-सरकारी संगठन है, जो मिलकर दुनिया के कच्चे तेल का लगभग 40% उत्पादन करते हैं। भारत सरकार और ओपेक के संयुक्त निधि से इस हॉस्पिटल का निर्माण शुरू हुआ था।
         सपा सरकार के दौरान कुछ उपकरण और फंड यहां के बजाय रिम्स सैफई के विकास में भी लग गया था। हां सपा शासन के दौरान बस्ती में मेडिकल कालेज की स्थापना के प्रयास शुरू हो गए थे। 2017 में भाजपा के शासन काल में इस दिशा में उत्तरोत्तर विकास और सुधार हुआ। उत्तर प्रदेश के राज्य सरकार ने इसे औटोमस स्टेट मेडिकल कॉलेज का दर्जा दे दिया है। 25 जून 2018 को कैली के सीएमएस डॉ. सोमेश चंद्र श्रीवास्तव के प्रस्ताव पर राज्य सरकार ने सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। जनवरी 2019 में मेडिकल कॉलेज बस्ती में एमबीबीएस प्रथम वर्ष की पढ़ाई शुरू हुई थी। बीच में कोरोना के चलते लगातार दो साल तक मेडिकल कॉलेज कोरोना मरीजों के इलाज का प्रमुख सेंटर बना रहा। 2020 में एमबीबीएस दूसरे बैच के छात्रों का प्रवेश हुआ। अब जो छात्र एमबीबीएस सेकेंड ईयर में पहुंच चुके हैं उनकी थर्ड ईयर की पढ़ाई के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन ने अनुमति और पढ़ाई के लिए मान्यता दे दी है। जिससे कॉलेज में स्वास्थ्य संबंधी कई अन्य सुविधाएं भी बढ़ गई है। छात्र और स्वास्थ्य कर्मियों के साथ ही मरीजों को भी बेहतर सुविधा मिलने लगी है।
            मेडिकल काउंसिल ऑफ इण्डिया (एमसीआई) के निरीक्षण के दौरान यहां पर्याप्त छात्र-छात्राओं की मौजूदगी पाई गई थी। मेडिकल कॉलेज की फैकल्टी (स्टाफ) पूरी मिली। यहां 300 बेड होना अनिवार्य होता था जिसमें मेडिकल कॉलेज में निरीक्षण के दौरान 470 बेड मौजूद मिला था। लेक्चर हॉल, इमरजेंसी हाल, मेडिसिन डिपार्टमेंट, गायनी, आर्थो, साइकेट्रिक सहित सभी 22 डिपार्टमेंट पूर्ण रूप से संचालित मिले थे। मरीजों के देखने व बैठने और मरीजों को भर्ती करने सम्बंधित सभी सुविधाएं निरीक्षण के दौरान उपलब्ध पाई गईं। कोविड से जूझने और उबरने के दौरान हॉस्पिटल में कई आधुनिक मशीनों वा सुविधाओं का विस्तार किया गया है।
अवांछित तत्वों का जमावड़ा
इस हॉस्पिटल की स्थिति जिला चिकित्सालय के पास तथा उच्चीकृत केन्द्र के कारण यह हमेशा लोगों के रुचि और मस्तिष्क में अपना स्थान बना रखा है। जिला चिकित्सालय से लेकर सोनीपार तक विशेष मेडिकल हब बन गया है। पास के दर्जनों गांव की जमीनों का दाम निरंतर बढ़ता जा रहा है। हैस्पिटल, केमिस्ट और जांच केंद्र बढ़ते जा रहे हैं।कुछ असामाजिक तत्व और रसूखदार छुटभैये इसमें अपनी ऊपरी आमदनी का स्रोत खोजने लगे हैं और इस व्यवसाय में अपने स्थानीय होने तथा अपने रसूक का प्रयोग कर विना श्रम और पूजी के जीविका और धनोपार्जन में लगे हुए हैं।इनमे अनेक दवा व्यवसायीऔर पत्रकारिता का चोला भी पहन रखे हैं। ये आए दिनों चिकित्सकों की सेवा के साथ ही उनके गतिविधियों में हस्तक्षेप भी करते है। स्थापित चिकित्सक और अधिकारियों से अपनी पैठ बनाकर बाहरी वा नए चिकित्सकों पर असम्यक प्रभाव डालने में कभी कभार सफल भी हो जाते हैं। कभी कभार भीड़ इकट्ठा कर हंगामा भी कर देते हैं। यदि कोई केस खराब हो जाए तो चिकित्सक से वसूली भी कर लेते हैं। उच्चीकृत मेडिकल कालेज को इनके गतिविधियों से बचाना चाहिए और निरंतर निगरानी होनी चाहिए।





  

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