Sunday, January 17, 2021

बस्ती अतीत से वर्तमान तक

 

अनामिका प्रकाशन प्रयागराज द्वारा प्रकाशित तथा श्री अष्टभुजा शुक्ल द्वारा संपादित इस पुस्तक का अभी विमोचन नहीं हुआ है। इसका संक्षिप्त विषय सूची सोशल मीडिया के माध्यम से प्रकाश में आया है।

बस्ती परिचय खण्ड में डा. राकेश तिवारी जी का बस्ती मण्डल की संक्षिप्त पुरातात्विक पृष्ठभूमि , बस्तीःमखौड़ा पिपरहवा मगहर आलेख ,बस्ती मण्डल की नदिय आलेख , कबीर पर आलेख, स्वाधीनता संग्राम महात्मा गांधी और बस्ती पर आलेख, बस्ती की संस्कृत कविता, बस्ती मण्डल का एक सदी का चुनावी सफर आलेख , स्वतंत्रता सेनानी व कवि पं. राजाराम शर्मापर आलेख व बस्ती की पत्रकारिता पर सरसरी नजर आदि नौ ऐतिहासिक लेख बहुत ही उत्कृष्ट बन पड़े हैं।

धरोहर खण्ड में  सरयूपार की यात्रा, पुरानी पीढ़ी के आठ कवियों- रंग नारायण पाल, बलराम मिश्र द्विजेश, राम देव सिंह कलाधर, माता दीन त्रिपाठी दीन, राम नारायण पाण्डेय पागल ,अब्बास अली बास, चिन्तामणि त्रिपाठी फूल एवं बाल सोम गौतम का सम्यक विवेचन प्रस्तुत किया गया है। प्रतीत होता है कि इन सामग्री का मुख्य आधार श्री डा. मुनिलाला उपाध्याय सरस कृत बस्ती के छन्दकार है। दुर्भाग्य वस उनको किसी कड़ी में समलित नहीं किया गया है।

आधुनिक चेतना खण्ड में आचार्य राम चन्द्र शुक्ल के तीन संस्मरण, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना पर दो आलेखलक्ष्मी नारायण लाल तथा लक्ष्मी कांत वर्मा पर एक एक आलेख की भी सामग्री चयनित की गयी है।

परिचय खण्ड में छः विभूतियों का परिचय व उन पर परिचर्चा चयनित की गयी है। बस्ती के तीन कहानियां, युवा संस्मरण, व्यंग कथा, बस्ती की गजल, बस्ती की तीन स्त्री कविता, बस्ती की चार युवा कविता, अवधी लोकवृत्त के दो वृतान्त दो संस्मरण, बस्ती की छः धड़कनें, बस्ती मडल की चार प्रमुख संस्थाओं का परिचय दिया गया है। इसके साथ ही साथ शेष विशेष परिशष्ट व मानचित्र से ग्रंथ की उपादेयता निःसंदेह बढ़ गया है।

समीक्ष्य ग्रंथ के लगभग एक दर्जन अध्यायों को सामग्री प्रस्तुत करने वाले कवि बस्ती के छन्दकार के प्रणेता को विल्कुल स्थान ना देना चयन कर्ता के विवेक पर प्रश्न चिन्ह लगाता है। पुरानी पीढ़ी के सात कवियों- रंग नारायण पाल, बलराम मिश्र द्विजेश, राम देव सिंह कलाधर, माता दीन त्रिपाठी दीन, राम नारायण पाण्डेय पागल ,अब्बास अली बास, चिन्तामणि त्रिपाठी फूल, का सम्यक विवेचन प्रस्तुत किया गया है। ग्रंथ की उपादेयता व प्रमाणिक बनानेवाले श्रोत को नजरन्दाज करना वाकई बड़ी चूक लग रही है। सब मिलाकर प्रयास सराहनीय और स्तरीय है। इसके अगले संस्करण में और सावधानी की जरुरत है।

 

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